samacharsecretary.com

दशहरा की धूम नटेरन में, रावण पूजा और राम-रावण सेना के बीच पत्थर युद्ध का महा नाटक

विदिशा

विजयादशमी पर्व (Dussehra) में अब केवल तीन दिन शेष है। शहर से लेकर गांव तक बड़े आयोजनों को लेकर तैयारी शुरू कर दी गई है। देश भर में जहां दशहरा पर्व पर बुराई के प्रतीक रावण के पुतले का दहन किया जाता है। वहीं जिले के नटेरन तहसील पूजा की जाती है।

दूसरी ओर वर्षों में स्थित रावण गांव में रावण बाबा की पुरानी परंपरा के अनुसार आनंदपुर क्षेत्र के कालादेव गांव में राम-रावण सेना के बीच पत्थर युद्ध होगा। विदिशा शहर में जैन कॉलेज मैदान में बड़े मेले का आयोजन होगा। मेले में 35 फीट के रावण के पुतला का दहन किया जाएगा। राम-रावण दृश्य का मंचन भी किया जाएगा।

यहां रावण की होती है पूजा

नटेरन के रावण गांव में लंकापति रावण की पूजा की परंपरा है। मान्यता है कि गांव के पास स्थित बूधों की पहाड़ी में प्राचीन काल में एक दानव रहा करता था। स्थानीय निवासी उससे परेशान थे। रावण ने इस दानव का वध कर ग्रामीणों की रक्षा की थी। इसके बाद से गांव के लोग रावण को रावण बाबा के नाम से बुलाते है। दशहरा पर जहां पूरे देश में रावण का पुतला दहन किया जाता है। वहीं इस गांव में रावण बाबा की पूजा की जाती है। गांव में करीब 40 वर्ष पहले मंदिर का निर्माण कराया गया, जहां आराम की मुद्रा में लेटे हुए रावण की 8 फीट की लंबी प्रतिमा है। दशहरा पर्व पर मंदिर में भंडारा का आयोजन भी होता है।

मंदिर के पुजारी सुमित तिवारी ने बताया कि आयोजन को लेकर मंदिर में तैयारी शुरू कर दी गई है। ग्रामीण संतोष धाकड़ बताते है कि रावण बाबा के प्रति पूरा गांव श्रद्धाभाव रखता है। सभी शुभ कार्यों में उन्हें पहला निमंत्रण दिया जाता है। बच्चों के जन्म पर सबसे पहले रावण बाबा के ही दर्शन कराए जाते हैं। गांव के युवा भी हाथों पर जय लंकेश का टैटू बनवाते हैं। गांव के घरो व वाहनों में भी जय लंकेश लिखा देखने को मिलता है। 

राम व रावण सेना में पत्थर मार युद्ध

आनंदपुर क्षेत्र के पास ग्राम कालादेव में भी रावण के पुतले का दहन नहीं किया जाता है। वर्षों पुरानी परंपरा के अनुसार इस बार भी कालादेव गांव में राम व रावण सेना के बीच पत्थर मार युद्ध (Patthar Maar Yudh) का आयोजन किया जाएगा। ग्रामीणों की ओर से तैयारी शुरू कर दी गई है। मान्यता के अनुरूप पत्थर मार युद्ध में गोफन से पत्थर राम सेना पर फेंके जाते हैं। गांव के सरपंच प्रतिनिधि रामेश्वर शर्मा ने बताया कि नवदुर्गा के प्रारंभ से ही कालादेव में रामलीला का मंचन स्थानीय कलाकारों द्वारा किया जाता है। दशहरे पर रामलीला के अंतिम दिन राम-रावण सेना के बीच युद्ध होता है। दशहरे के दिन हजारों दर्शकों के सामने यह पत्थर युद्ध होता है। इसमें दशहरे मैदान के बीच में राम दल का ध्वज गाड़ा जाता है।

उससे करीब 200 मीटर दूरी पर रावण सेना में भील व बंजारा समूह के लोग शामिल होकर गोफान से पत्थर मारने के लिए तैयार खड़े रहते हैं। राम सेना के रूप में कालादेव के स्थानीय निवासी होते हैं, जो ध्वज से लगभग 200 मीटर दूर खड़े रहते हैं। वे राम की जय-जयकार करते हुए जब ध्वज की परिक्रमा करते हैं। तभी रावण सेना के लोग गोफान से पत्थर मारते हैं। राम सेना ध्वज का तीन चक्कर लगाती है। दूसरी ओर रावण सेना उन पर पत्थर बरसाती रहती है। ध्वज के तीन चक्कर पूरे होने के बाद रावण वध होता है। इसके बाद भगवान राम का राजतिलक किया जाता है।

Leave a Comment

हम भारत के लोग
"हम भारत के लोग" यह वाक्यांश भारत के संविधान की प्रस्तावना का पहला वाक्य है, जो यह दर्शाता है कि संविधान भारत के लोगों द्वारा बनाया गया है और उनकी शक्ति का स्रोत है. यह वाक्यांश भारत की संप्रभुता, लोकतंत्र और लोगों की भूमिका को उजागर करता है.
Click Here
जिम्मेदार कौन
Lorem ipsum dolor sit amet consectetur adipiscing elit dolor
Click Here
Slide 3 Heading
Lorem ipsum dolor sit amet consectetur adipiscing elit dolor
Click Here