samacharsecretary.com

‘गर्व’ का पल: पुतिन की उपलब्धि और डोनबास को लेकर बढ़ता विवाद

मास्को
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मंगलवार को एक वीडियो संदेश जारी किया। जिसमें एक खास संदेश था। इसमें उन क्षेत्रों का उल्लेख था जो यूक्रेन के प्रभाव में थे और काफी अशांत रहे, बाद में रूस ने उन्हें मान्यता दी। मास्को के आरटी न्यूज ने पुतिन की बात का सार समझाया। जिसके मुताबिक पुतिन ने कहा, “हमने अपने मूल राष्ट्रीय हित, साझा स्मृति, मूल्य, रूसी भाषा, परंपराओं, संस्कृति और धर्म की रक्षा की है। साथ ही, अपने पूर्वजों की उपलब्धियों का सम्मान करना हमारा पवित्र अधिकार है।” 30 सितंबर को रूस 'एकीकरण दिवस' मनाता है। डोनेट्स्क और लुहान्स्क पीपुल्स रिपब्लिक, साथ ही खेरसन और जापोरिज्जिया के रूस से जुड़ाव की बात पुतिन ने कही। पुतिन ने गर्व से कहा, "हमें जो करना था, वह किया, और हमें इस पर गर्व है।"

लेकिन इस कहानी में सिर्फ गर्व ही नहीं है। यह कदम 'अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विवादास्पद' माना गया है। यूक्रेन और पश्चिमी देशों ने इसे कानूनी रूप से मान्यता नहीं दी है। फिर भी, रूस इसे अपने 'ऐतिहासिक और सांस्कृतिक हितों की रक्षा' के रूप में पेश करता है। इस कहानी के दो अहम पहलू हैं! पहला सांस्कृतिक और ऐतिहासिक जुड़ाव – पुतिन इसे सिर्फ भू-राजनीति नहीं, बल्कि रूसी संस्कृति और परंपराओं के सम्मान के रूप में देखते हैं। दूसरा विवादास्पद अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया – पश्चिमी देश और यूक्रेन इसका विरोध करते हैं तो पुतिन इसे नजरअंदाज करते हैं।

2014 में कीव में तख्तापलट के बाद, मुख्यतः रूसी भाषी क्षेत्रों डोनेट्स्क और लुगांस्क ने स्वतंत्रता की घोषणा के लिए मतदान किया था। उसी वर्ष क्रीमिया ने रूस में शामिल होने के लिए मतदान किया था। यूक्रेन और अधिकांश देश रूस की नई सीमाओं को मान्यता देने से इनकार करते हैं। डोनबास दक्षिण-पूर्वी यूक्रेन में स्थित एक ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक क्षेत्र है, जिसके कुछ क्षेत्रों पर रूस-यूक्रेनी युद्ध के बाद से डोनेट्स्क पीपल्स रिपब्लिक और लुहान्स्क पीपल्स रिपब्लिक जैसे अलगाववादी समूहों का कब्जा रहा। डोनबास शब्द "डोनेट्स कोल बेसिन" का संक्षिप्त नाम है।

मार्च 2014 में, यूरोमैडन और 2014 की यूक्रेनी क्रांति के बाद, डोनबास के बड़े इलाकों में तनाव रहा। अशांति को बाद में स्व-घोषित डोनेट्स्क और लुहान्स्क पीपल्स रिपब्लिक से जुड़े रूसी और रूसी समर्थक अलगाववादियों ने युद्ध में बदल दिया। इन दोनों संगठनों को 2022 में रूस ने मान्यता दे दी, लेकिन यूएन से जुड़े किसी भी अन्य देश ने इसे मान्यता नहीं दी। रूस इसे हर तरह की मदद मुहैया कराता है।

Leave a Comment

हम भारत के लोग
"हम भारत के लोग" यह वाक्यांश भारत के संविधान की प्रस्तावना का पहला वाक्य है, जो यह दर्शाता है कि संविधान भारत के लोगों द्वारा बनाया गया है और उनकी शक्ति का स्रोत है. यह वाक्यांश भारत की संप्रभुता, लोकतंत्र और लोगों की भूमिका को उजागर करता है.
Click Here
जिम्मेदार कौन
Lorem ipsum dolor sit amet consectetur adipiscing elit dolor
Click Here
Slide 3 Heading
Lorem ipsum dolor sit amet consectetur adipiscing elit dolor
Click Here