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नकुल मेहता, सुधांशु पांडे, शक्ति अरोड़ा और शिवांगी जोशी ने शिव परिवार की शाश्वत शिक्षाओं पर अपने विचार साझा किये

मुंबई,

 प्रसिद्ध टीवी कलाकार नकुल मेहता, सुधांशु पांडे, शक्ति अरोड़ा और शिवांगी जोशी ने सोनी सब के नए शो गणेश कार्तिकेय के प्रीमियर से पहले शिव परिवार की शाश्वत शिक्षाओं पर अपने विचार साझा किये। सोनी सब का आगामी पौराणिक शो गाथा शिव परिवार की गणेश कार्तिकेय का प्रीमियर 06 अक्टूबर से रात आठ बजे होगा।

नकुल मेहता ने कहा, “मुंबई में रहते हुए मैंने सिद्धिविनायक मंदिर में कई बार दर्शन किए हैं, लेकिन उत्तराखंड में शूटिंग के दौरान मुझे कार्तिकेय स्वामी मंदिर जाने का अवसर मिला, जो बिल्कुल अलग अनुभव था। वहाँ का शांत वातावरण मानो दिव्य संदेश दे रहा था। ‘धीरे चलो, धैर्य रखो, सब ठीक होगा।’ गणेशजी और कार्तिकेयजी के मंदिरों के दर्शन के बाद मुझे एक पूर्णता का अनुभव हुआ। अब मैं अपने बच्चों के साथ ज्यादा समय बिताता हूँ और भीतर से अधिक शांत व स्थिर महसूस करता हूँ। मैं अपने बच्चों रूमी और सूफी को भी अपना छोटा गणेश और कार्तिकेय मानता हूँ, एक बुद्धिमान और जिज्ञासु, तो दूसरा साहसी और चंचल, जो हमेशा मुझे संतुलित और कृतज्ञ रहने की याद दिलाते हैं।”

सुधांशु पांडे ने कहा, “बचपन की छुट्टियों में मेरा परिवार अक्सर केदारनाथ जाता था, जहाँ मेरी भगवान शिव से पहली निकटता बनी और बाद में उज्जैन के महाकाल मंदिर में यह बंधन और गहरा हुआ। भगवान शिव का व्यक्तित्व हमेशा मुझे प्रेरित करता है, खासकर जब मैं उन्हें पिता के रूप में देखता हूँ, गणेशजी और कार्तिकेयजी की कहानियों के माध्यम से। दो बेटों का पिता होने के नाते मैं अक्सर सोचता हूँ कि क्या मैं अपने बच्चों के साथ न्याय कर पा रहा हूँ। इन कहानियों से मुझे मार्गदर्शन और शांति मिलती है। संन्यासी होने के बावजूद भगवान शिव ने परिवार को प्रेम और अनुशासन के साथ संतुलित किया, और उनकी कथाएँ आज भी मेरे दिल के सवालों का जवाब देती हैं।”

शिवांगी जोशी ने कहा, “हर रक्षाबंधन पर मैं दो राखियाँ बाँधती हूँ।एक अपने छोटे भाई को और दूसरी अपने बड़े भाई, भगवान गणेश को। बचपन से ही बप्पा मेरे सच्चे साथी रहे हैं, जिनसे मैं हर बात साझा करती हूँ। दुनिया मेरे राज न जाने, पर बप्पा हमेशा जानते हैं और संकेतों के ज़रिए मुझे राह दिखाते हैं। एक बार खुद के ही फैसले पर संदेह हुआ और उस समय मैंने कार्तिकेय स्वामी मंदिर के दर्शन किए और तत्काल एक शांति और स्पष्टता का अनुभव हुआ। उस दिन से मेरा विश्वास और गहरा हो गया और तब से हर साल मैं उनके लिए भी एक अतिरिक्त राखी बाँधती हूँ। गणेशजी, कार्तिकेयजी और शिव परिवार की कथाएँ मुझे प्रतिदिन प्रेरित करती हैं।”
शक्ति अरोड़ा ने कहा, “बचपन में मुझे हमेशा लगता था कि माँ मेरी बहनों को मुझसे ज्यादा प्यार करती हैं! अपनी बात मनवाने के लिए मुझे वकील की तरह बहस करनी पड़ती, रोना-धोना करना पड़ता, जबकि बहनों की छोटी-सी इच्छा भी तुरंत पूरी हो जाती थी। हर नवरात्रि जब मैं माँ दुर्गा की विशाल प्रतिमा के सामने खड़ा होता हूँ और उनके साथ गणेशजी व कार्तिकेयजी को देखता हूँ, तो माँ की वह बात याद आती है।माँ अपने सभी बच्चों को समान रूप से प्यार करती है, बस अलग-अलग तरीके से। गणेश और कार्तिकेय की कहानियों में भी ऐसे पल आते हैं जब माता पार्वती पर एक बेटे को ज्यादा चाहने का आरोप लगता है। ये कहानियाँ याद दिलाती हैं कि माँ के हर कदम में बच्चों की भलाई ही छिपी होती है, भले ही कभी-कभी वह कठोर लगें। समय के साथ मैंने शिकायतें कम कर दीं और माँ को अधिक समझना शुरू किया।”

 

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