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अमेरिकी दबाव बेअसर: गूगल और माइक्रोसॉफ्ट ने कहा — निवेश तो भारत में ही करेंगे!

नई दिल्ली. 
भारत और अमेरिका के बीच शुल्क विवाद को शुरू हुए तीन महीने से ज्यादा का समय हो गया है। विवाद सुलझाने को लेकर दोनों सरकारों के बीच विमर्श का दौर जारी है, लेकिन कोई अंतिम फैसला नहीं हो सका है। खास बात यह है कि अमेरिकी कंपनियों पर इस अनिश्चितता का कोई असर नहीं है और वह भारत में निवेश योजना को परवान चढ़ाने में जुटी हैं।

गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, एमेजोन, एपल जैसी दिग्गज आईटी कंपनियों से लेकर ऑर्डिनरी थ्योरी जैसी इंटेलीजेंस हार्डवेयर कंपनी या भारतीय शेयर बाजार में निवेश करने वाले अमेरिकी वित्तीय फंड्स की भावी योजनाओं पर कोई असर नहीं पड़ा है। इस बारे में दैनिक जागरण ने कुछ अमेरिकी कंपनियों के साथ दिग्गज उद्योग संगठनों फिक्की, सीआईआई से बात की और इन सभी का कहना है कि अभी तक अमेरिकी कॉरपोरेट सेक्टर से इस तरह का कोई संकेत नहीं मिला है कि टैरिफ विवाद से उनकी भारत में भावी गतिविधियों पर असर होगा।

गूगल ने किया 10 अरब डॉलर निवेश करने का फैसला
भारतीय इकोनमी के प्रति अमेरिकी कंपनियों के मजबूत भरोसे का ही प्रतीक है कि गूगल ने 10 अरब डॉलर का भारी भरकम निवेश विशाखापत्तनम में डाटा सेंटर हब बनाने के लिए करने का फैसला किया है। वर्ष 2024 में भी कंपनी ने बताया था कि वह छह अरब डालर का निवेश करने जा रही है, लेकिन अब कंपनी की योजना तैयार है और इसके लिए इसी महीने नई दिल्ली में समझौता होने जा रहा है। कंपनी ने अब कुल निवेश सीमा की राशि बढ़ाकर 10 अरब डालर (88,730 करोड़ रुपये) कर दी है।

माइक्रोसॉफ्ट भी कतार में
इसी तरह से माइक्रोसॉफ्ट के प्रमुख सत्य नडेला ने जनवरी, 2025 में अपने भारत दौरे में यहां तीन अरब डालर की राशि दो वर्षों में निवेश करने की घोषणा की थी। सूत्रों का कहना है कि जुलाई महीने में जब शुल्क विवाद चरम पर था तब माइक्रोसॉफ्ट की भारतीय टीम ने इस निवेश योजना को अंतिम रूप दिया। इस निवेश से माइक्रोसॉफ्ट भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सेंटर स्थापित करेगी। कंपनी का इस उद्देश्य से भारत में किया गया यह प्राथमिक निवेश होगा। भारत सरकार भी माइक्रोसॉफ्ट की इस योजना से काफी उत्साहित है क्योंकि इससे भारत को ग्लोबल एआई लीडर बनाने में मदद मिलेगा।

भारतीय फर्मों के साथ संयुक्त उद्यम भी स्थापित कर रहीं अमेरिकी कंपनियां
अमेरिका से नए निवेश का भारत आने का सिलसिला भी जारी है। पिछले दिनों अमेरिकी कंपनी ऑर्डिनरी थ्योरी ने भारतीय कंपनी ऑप्टीमस इन्फ्राकॉम के साथ संयुक्त उद्यम स्थापित किया है, जिसे भारत के इलेक्ट्रानिक मैन्यूफैक्चरिंग के क्षेत्र में विदेशी कंपनियों के बढ़ते भरोसे के तौर पर देखा जा रहा है। यह संयुक्त उद्यम भारत में दूरसंचार क्षेत्र में स्मार्ट हार्डवेयर मैन्यूफैक्चरिंग के साथ ही इस क्षेत्र की कंपनियों को कई तरह की दूसरी समस्याओं को दूर करने का समाधान बताएगा। ऑप्टीमस के चेयरमैन अशोक कुमार गुप्ता का कहना है, 'मेड इन इंडिया हार्डवेयर मैन्यूफैक्चरिंग का दौर अब शुरु हो रहा है। हमारी कोशिश मेक इन इंडिया के साथ ही आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करना है।'

दूसरी अमेरिकी कंपनियां भी निवेश को रफ्तार देने में जुटीं
भारत में बने आइफोन के निर्यात का आंकड़ा 10 अरब डालर को पार कर गया है। पहले दस महीनों में एपल निर्मित आईफोन का निर्यात 75 प्रतिशत बढ़ा है। ऐसे में कंपनी की मंशा है कि वर्ष 2027 तक उसके वैश्विक उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 25 प्रतिशत हो जाए। सूत्रों के मुताबिक ट्रंप टैरिफ के बावजूद एपल की भारत को लेकर योजनाएं अपरिवर्तित हैं। बोइंग, अमेजन जैसी दूसरे क्षेत्र की दिग्गज अमेरिकी कंपनियों के बारे में भी यहीं सूचना है कि वह अपनी निवेश को और रफ्तार देंगी। ट्रंप टैरिफ के बावजूद जिस तरह से एसएंडपी और जापानी रेटिंग कंपनी आरएंडआई ने भारत की साख में सुधार किया है, उससे भी अमेरिकी कंपनियों का भरोसा मजबूत हुआ है।

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