नई दिल्ली
सोचिए, एक बीमारी है जो मच्छर से फैलती है, जानलेवा है, और बच्चों को सबसे ज्यादा मारती है. दुनिया का सबसे बड़ा मलेरिया फंडिंग एजेंसी चेतावनी दे रहा है कि अगर इस बीमारी के खिलाफ अब सही समय पर पैसा नहीं लगाया गया, तो 2030 तक लगभग 9,90,000 और लोग मारे जा सकते हैं, जिनमें 7,50,000 बच्चे पांच साल से कम उम्र के हैं. मलेरिया एक ऐसा रोग है जो मच्छरों और पैरासाइट के कारण फैलता है. लेकिन इसके खतरों को अक्सर नजरअंदाज किया जाता है. लोग जरूरी सतर्कता नहीं उठाए तो यही बीमारी को और खतरनाक बनाता है.
विशेषज्ञों की चेतावनी
एड्स, टीबी और मलेरिया से लड़ने वाले वैश्विक कोष (Global Fund) के कार्यकारी निदेशक पीटर सैंड्स ने बर्लिन में हुए विश्व स्वास्थ्य शिखर सम्मेलन में कहा कि अगर मैं एचआईवी, टीबी और मलेरिया से जुड़ी वर्तमान स्थिति के बारे में सोचूं, तो मुझे रातों में सबसे ज्यादा मलेरिया की बीमारी जगाए रखती है. उन्होंने आगे बताया कि, “मेरे लिए यह बिल्कुल स्पष्ट है कि इस साल मलेरिया से पिछले साल की तुलना में ज्यादा लोग मरेंगे. यह धन की कमी का असर है, और मलेरिया एक ऐसी बेरहम बीमारी है जो अविश्वसनीय रूप से तेजी से प्रतिक्रिया करती है.” मलेरिया नो मोर यूके के गैरेथ जेनकिंस ने इसे और सरल भाषा में कहा, “विकल्प स्पष्ट है कि मलेरिया को खत्म करने के लिए अभी निवेश करें या जब यह वापस आए तो कहीं ज्यादा भुगतान करना पड़ेगा.”
मलेरिया से मौतों का बड़ा आंकड़ा
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, मलेरिया से हर साल लगभग 5,97,000 लोग मरते हैं, जिनमें ज्यादातर बच्चे हैं. मौतों का लगभग 95 प्रतिशत हिस्सा अफ्रीका में होता है. टीकाकरण और इलाज मौजूद होने के बावजूद, विशेषज्ञों का कहना है कि मलेरिया के खिलाफ लड़ाई अभी भी कमजोर पड़ रही है.
ग्लोबल फंड और फाइनेंशियल चुनौती
दक्षिण अफ्रीका में होने वाले ग्लोबल फंड शिखर सम्मेलन से पहले विशेषज्ञ विभिन्न फंडिंग परिदृश्यों का अनुमान लगा रहे हैं. उम्मीद है कि 2027–2029 तक दाता देशों द्वारा योगदान तय होगा, क्योंकि ग्लोबल फंड मलेरिया नियंत्रण के लिए लगभग 60 प्रतिशत फंडिंग प्रदान करता है.
ALMA (African Leaders Malaria Alliance) की कार्यकारी सचिव जॉय फुमाफी ने कहा कि हम वास्तव में मानव इतिहास के एक बहुत ही महत्वपूर्ण दौर से गुजर रहे हैं. ऐसे उपकरण उपलब्ध हैं जो मलेरिया के खत्म करने में मदद कर सकते हैं. इस समय हमारी सबसे बड़ी चुनौती फाइनेंसिंग है. उन्होंने साफ कहा कि मलेरिया को खत्म करने के साधन मौजूद हैं, लेकिन पैसे की कमी सबसे बड़ी बाधा बनी हुई है.





