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खंडवा-खरगोन-बुरहानपुर इंदौर संभाग से अलग हो सकते हैं, भोपाल में हर विधानसभा में तहसील, मैहर-रीवा के गांवों पर टकराव

इंदौर 

मध्य प्रदेश का प्रशासनिक और भौगोलिक नक्शा बदलने वाला है। प्रदेश में तीन नए जिले और एक नया संभाग बनाने की तैयारी है, जिससे कई जिलों की सीमाएं नए सिरे से खींची जाएंगी। इस पुनर्गठन का सबसे बड़ा असर राजधानी भोपाल, रीवा और हाल ही में गठित मैहर जिले पर पड़ेगा असर। 

भोपाल में हर विधानसभा क्षेत्र में एक-एक तहसील बनाने का रास्ता साफ हो गया है, जिससे जिले में तहसीलों की संख्या आठ हो जाएगी। वहीं, मैहर के छह गांवों को रीवा जिले में शामिल करने के प्रस्ताव ने एक नए विवाद को जन्म दे दिया है। यह पूरी कवायद पिछले साल सितंबर में गठित प्रशासनिक पुनर्गठन आयोग की देखरेख में हो रही है।

आयोग का लक्ष्य दिसंबर 2025 तक मैदानी काम पूरा करने का है, क्योंकि जनगणना महानिदेशालय ने प्रशासनिक इकाइयों की सीमाओं को फ्रीज करने के निर्देश दिए हैं। इसके बाद जनगणना का काम पूरा होने तक कोई नई प्रशासनिक इकाई नहीं बनाई जा सकेगी। आयोग ने सितंबर तक 25 जिलों में अपना मैदानी काम पूरा कर लिया है और अगले तीन महीनों में बाकी जिलों में भी यह प्रक्रिया पूरी करने का लक्ष्य रखा है।

सीमांकन के लिए ली जाएगी IIPA की मदद संभाग, जिला, तहसील और विकासखंडों की सीमाओं को वैज्ञानिक और सटीक तरीके से तय करने के लिए आयोग, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन (IIPA) की तकनीकी मदद लेगा। सरकार से सहमति मिलने के बाद आयोग ने IIPA को पत्र भेज दिया है।

IIPA सीमा निर्धारण के लिए ड्रोन की मदद से सैटेलाइट इमेजरी तैयार करेगा। आधुनिक माध्यमों से सर्वे कर एक विस्तृत तकनीकी रिपोर्ट सौंपेगा। हालांकि, अंतिम निर्णय केवल तकनीकी रिपोर्ट पर आधारित नहीं होगा।

आयोग इस रिपोर्ट का मिलान नागरिकों और जनप्रतिनिधियों से मिले सुझावों के साथ करेगा। प्रशासनिक इकाइयों की वास्तविक जरूरतों और जनभावनाओं को परखने के बाद ही सरकार के सामने एक संयुक्त रिपोर्ट पेश की जाएगी। राजस्व विभाग के अधिकारियों का कहना है कि 25 जिलों में बैठकों का दौर पूरा हो चुका है और पोर्टल के माध्यम से भी सुझाव मांगे जा रहे हैं।

भोपाल में होंगी अब 8 तहसील पुनर्गठन का सबसे बड़ा असर राजधानी भोपाल में देखने को मिलेगा। वर्तमान में भोपाल जिले में केवल तीन तहसील हैं- हुजूर, कोलार और बैरसिया। हुजूर तहसील का कार्यक्षेत्र बहुत बड़ा है, जिसमें शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्र आते हैं, जिससे प्रशासनिक कामकाज प्रभावित होता है। अब इस व्यवस्था को बदलते हुए शहर के पांच प्रमुख नजूल सर्किल कार्यालयों को तहसील का दर्जा दिया जाएगा।

इनमें शहर (पुराना भोपाल), संत हिरदाराम नगर (बैरागढ़), गोविंदपुरा, टीटी नगर और एमपी नगर शामिल हैं। इन पांच नई तहसीलों और पुरानी तीन तहसीलों को मिलाकर भोपाल जिले में कुल आठ तहसील हो जाएंगी। इन तहसीलों का सीमांकन विधानसभा क्षेत्रों को ध्यान में रखकर किया जाएगा, ताकि प्रशासनिक और राजनीतिक इकाइयों में तालमेल स्थापित हो सके।

रीवा-मैहर सीमा पर खिंची तलवारें, मुकुंदपुर बना केंद्र बिंदु पुनर्गठन की इस कवायद के बीच रीवा और मैहर जिले की सीमा पर तनाव की स्थिति बन गई है। आयोग ने मैहर जिले की अमरपाटन तहसील के छह गांवों- मुकुंदपुर, धौबाहट, अमीन, परसिया, आनंदगढ़ और पापरा को रीवा जिले में शामिल करने का प्रस्ताव दिया है। इस प्रस्ताव का मुख्य कारण मुकुंदपुर में स्थित विश्व प्रसिद्ध 'महाराजा मार्तंड सिंह जूदेव व्हाइट टाइगर सफारी' है।

भौगोलिक रूप से मुकुंदपुर रीवा से महज 20 किलोमीटर दूर है, जबकि मैहर से इसकी दूरी 65 किलोमीटर और पूर्व जिला मुख्यालय सतना से 50 किलोमीटर है। स्थानीय लोग लंबे समय से प्रशासनिक सुगमता के लिए इन गांवों को रीवा में शामिल करने की मांग कर रहे हैं। आयोग के पत्र के बाद मैहर जिला प्रशासन ने रिपोर्ट तैयार करने के लिए कहा है।

सांसद ने सीएम को पत्र लिखा अमरपाटन के राजस्व अधिकारियों को सरपंचों, जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों से राय लेकर रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया गया है। मैहर के अपर कलेक्टर शैलेन्द्र सिंह ने पुष्टि की है कि मुख्यमंत्री कार्यालय के ओएसडी (विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी) ने भी इस प्रस्ताव पर जनसुनवाई करने को कहा है। हालांकि, इस प्रस्ताव का विरोध भी शुरू हो गया है।

सतना सांसद गणेश सिंह ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को पत्र लिखकर इन गांवों को रीवा में शामिल करने का कड़ा विरोध किया है। उनका तर्क है कि इससे मैहर जिले का भौगोलिक और सांस्कृतिक संतुलन बिगड़ेगा। उन्होंने पत्र में लिखा कि यह किसी बड़ी साजिश के तहत हो रहा है। मुकुंदपुर की वाइट टाइगर सफारी हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। मैहर जिले की यह एक पहचान है।

इसे लेकर सतना-मैहर के नेता डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला के खिलाफ लामबंद हो गए थे। हालांकि, डिप्टी सीएम शुक्ला ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखकर स्थिति साफ करने की कोशिश की।

सीहोरा को जिला बनाने की मांग ने फिर पकड़ा जोर जबलपुर जिले की सीहोरा तहसील के लोग पिछले 22 साल से इसे जिला बनाने की मांग कर रहे हैं। पहली बार 2002 में ये मांग उठी थी। उस समय तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने सहमति दी थी। इसके बाद चुनाव आचार संहिता लागू हो गई और प्रदेश में बीजेपी की सरकार काबिज हो गई। इसके बाद भी लगातार मांग की जा रही है, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।

एक बार अपनी इस मांग को लेकर सीहोरा के लोगों ने दिवाली से एक दिन पहले सीहोरा आंदोलन समिति के आह्वान पर अपने खून से दीपक जलाए। सीहोरावासियों का कहना है कि जब तक हमारी मांग मानी नहीं जाती, तब तक इसी तरह से प्रदर्शन चलता रहेगा। उन्होंने कहा कि इन दीयों में केवल तेल और बाती नहीं, बल्कि सिहोरा की पीड़ा और वर्षों की अनदेखी की आग जल रही है।

अब जानिए, कौन से नए जिले बन सकते हैं…

नर्मदापुरम से अलग होकर पिपरिया बन सकता है नया जिला पिपरिया नर्मदापुरम जिले में आता है। जिला मुख्यालय से पिपरिया की दूरी करीब 70 किमी है। पहाड़ी इलाका होने से आने-जाने में करीब 2 घंटे का समय लगता है। पिपरिया को जिला बनाने की मांग कई साल से की जा रही है। पिछले साल विधानसभा चुनाव के दौरान पिपरिया को जिला बनाने की मांग को लेकर धरना, प्रदर्शन और हड़ताल भी की गई थी। पिपरिया को नया जिला बनाने का प्रस्ताव है।

बीना को जिला बनाने की मांग पर आयोग लगाएगा मुहर बीना को जिला बनाने की मांग पिछले 40 साल से हो रही है। अब आयोग इसे अस्तित्व में लाने के लिए अपनी मुहर लगाएगा। यह वही बीना है, जहां की कांग्रेस विधायक निर्मला सप्रे जिला बनाने की मांग के साथ बीजेपी में शामिल हुई थीं, लेकिन खुरई को भी जिला बनाने के लिए भीतरखाने राजनीतिक लामबंदी होने लगी थी।

दरअसल, बीना की जिला मुख्यालय सागर से दूरी 75 किमी है। बीना नया जिला बनता है तो खुरई, बीना, मालथौन, बांदरी, कुरवाई, पठारी और प्रस्तावित खिमलासा तहसील काे इसमें शामिल किया जा सकता है।

निमाड़ बन सकता है प्रदेश का 11वां संभाग निमाड़ को संभागीय मुख्यालय बनाने की तैयारी है। 2012 में निमाड़ को संभाग बनाने की मांग उठी थी। इसके बाद राजस्व विभाग ने खरगोन जिला प्रशासन से प्रस्ताव मांगा था। खरगोन के तत्कालीन कलेक्टर अशोक वर्मा ने सितंबर 2016 में प्रस्ताव बनाकर भेजा था लेकिन कुछ संशोधन का हवाला देकर इसे लौटा दिया। इसके बाद फिर नया प्रस्ताव सरकार को भेजा गया था।

अब आयोग इस दिशा में आगे बढ़ सकता है। मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने पहली समीक्षा बैठक 1 जनवरी 2024 को इंदौर संभाग के खरगोन में की थी। इस बैठक में निमाड़ को अलग संभाग बनाने की बात आई थी, क्योंकि इंदौर प्रदेश का सबसे बड़ा संभाग है। इसमें 8 जिले आते हैं। ऐसे में इसके 4 जिले खरगोन, बड़वानी, बुरहानपुर और खंडवा को मिलाकर नया संभाग बनाने पर विचार किया गया।

जानकार कहते हैं कि निमाड़ को नया संभाग बनाने से खरगोन, बड़वानी, बुरहानपुर, खंडवा की राजस्व निगरानी और अपील संबंधी सुनवाई खरगोन में ही होगी। इससे सबसे ज्यादा फायदा दूरी घटने का होगा। चारों जिलों के अफसरों को अपील व संभागीय बैठकों के लिए इंदौर भी नहीं जाना होगा। साथ ही प्रशासनिक कसावट भी आएगी।

इन जिलों के विकास और राजस्व की निगरानी भी बेहतर हो सकेगी। चारों जिलों के हटने से इंदौर संभाग में चार जिले इंदौर, धार, झाबुआ, अलीराजपुर रह जाएंगे।

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