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निधन से पहले असरानी ने की थी आखिरी पोस्ट, बोले थे – ‘धन्यवाद ज़िंदगी’

मुंबई 

दिवाली की शाम मनोरंजन जगत से बुरी खबर सामने आई. पता चला कि हिंदी सिनेमा के आइकॉनिक हीरो गोवर्धन असरानी अब हमारे बीच नहीं रहे. असरानी ने शोले के हिटलर से लेकर कई यादगार रोल दिए. जिन्हें कभी भूला नहीं जा सकता. 20 अक्टूबर को अंतिम सांसे लेने से पहले एक्टर असरानी ने अंतिम पोस्ट किया था. जो उनके निधन के बाद वायरल हुआ. दर्शकों ने इस पोस्ट को देख सोचा भी नहीं था कि ये असरानी का आखिरी पोस्ट होगा.

दरअसल दिवाली की शाम करीब 4 बजे असरानी का निधन हुआ. वह पिछले लंबे समय से बीमार चल रहे थे और अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था. उनके निधन पर हिंदी सिनेमा से लेकर पीएम मोदी तक ने दुख जताया. वहीं फैंस भी सोशल मीडिया पर उन्हें याद कर भावुक पोस्ट कर रहे हैं.

निजी रूप से हुआ अंतिम संस्कार

असरानी का अंतिम संस्कार सोमवार रात 8 बजे सांताक्रूज श्मशान घाट पर किया गया। यह एक निजी समारोह था, जिसमें केवल उनके परिवार और करीबी मित्रों ने हिस्सा लिया। मैनेजर थिबा ने कहा, 'यह असरानी जी की इच्छा थी कि उनके निधन को निजी रखा जाए, इसलिए हमने किसी को सूचना नहीं दी।' हालांकि खबर फैलते ही उनके अंतिम संस्कार से कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा की जाने लगीं, जिससे प्रशंसकों और शुभचिंतकों को उनके निधन की जानकारी मिली। सामने आई तस्वीरों में उनकी पत्नी और चंद करीबी लोग नजर आ रहे हैं, जो एक्टर के अंतिम संस्कार के लिए पहुंचे थे। बिना किसी भीड़ के उनका अंतिम संस्कार किया गया और इसके साथ ही उनकी अंतिम इच्छा भी पूरी हुई।

फिल्म इंडस्ट्री ने जताया शोक

असरानी के निधन की खबर आते ही फिल्म उद्योग से लेकर प्रशंसकों तक ने सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। अभिनेता अक्षय कुमार ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक भावुक संदेश लिखा, 'असरानी जी के निधन पर निशब्द हूं। कुछ दिन पहले ही 'हैवान' की शूटिंग के दौरान गले मिले थे। बेहद प्यारे इंसान थे… उनकी कॉमिक टाइमिंग अद्भुत थी। 'हेराफेरी', 'भागम भाग', 'दे दना दन', 'वेलकम' और हमारी आने वाली 'भूत बंगला' तक, मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा है। हिंदी सिनेमा के लिए यह अपूरणीय क्षति है। ओम शांति।' निर्देशक अनीस बज्मी, जिन्होंने 'वेलकम' और 'सिंह इज किंग' जैसी फिल्मों में असरानी को निर्देशित किया था, ने कहा, 'मैं गहरे दुख में हूं। वे न सिर्फ कमाल के अभिनेता थे बल्कि एक बेहद नेकदिल इंसान भी थे। पर्दे के पीछे भी वे सभी को हँसाया करते थे। पिछले 40 सालों से मैं उन्हें जानता था। उनकी हँसी की एक अलग ही पहचान थी। वे कभी नहीं भुलाए जा सकेंगे।

सेलिब्रिटीज का रिएक्शन

गीतकार मनोज मुन्तशिर ने लिखा, 'अंग्रेजों के जमाने के जेलर, आप कॉमेडी का एक पूरा युग छोड़ गए! हम आपको बहुत याद करेंगे, श्रीमान असरानी! ओम शांति।' क्रिकेटर शिखर धवन ने भी उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा, 'असरानी जी की शानदार कॉमिक टाइमिंग और करिश्मा के साथ बड़ा हुआ हूँ। वे भारतीय सिनेमा के एक सच्चे प्रतीक हैं। उनकी विरासत हमेशा जीवित रहेगी।' महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी शोक जताते हुए कहा, 'असरानी संपूर्ण मनोरंजन के पर्याय थे। उनकी हर प्रस्तुति, चाहे वह हास्य हो या गहन अभिनय, दर्शकों के दिलों को छूती थी। यह फिल्म उद्योग और उनके प्रशंसकों के लिए एक गहरी क्षति है।'

अभिनय से निर्देशन तक का सफर

असरानी का करियर पांच दशकों से भी अधिक लंबा रहा। उन्होंने 300 से ज्यादा फिल्मों में काम किया और 1970 के दशक में बॉलीवुड के सबसे भरोसेमंद चरित्र अभिनेताओं में शुमार हो गए थे। उनकी यादगार फिल्मों में 'बावर्ची', 'चुपके चुपके', 'परिचय', 'अभिमान', 'रफू चक्कर', 'छोटी सी बात', 'शोले' और कई और शामिल हैं। खासतौर पर 'शोले' में निभाया गया उनका अंग्रेजों के जमाने का जेलर का किरदार भारतीय पॉप संस्कृति का हिस्सा बन चुका है। उन्होंने निर्देशन और लेखन में भी हाथ आजमाया। 1977 में उन्होंने 'चला मुरारी हीरो बनने' नामक फिल्म लिखी, निर्देशित की और उसमें अभिनय भी किया, जिसे समीक्षकों ने सराहा। इसके बाद उन्होंने 'सलाम मेमसाब' (1979) का निर्देशन किया और गुजराती सिनेमा में भी खूब काम किया।

असरानी का अंतिम पोस्ट

किसी ने सोचा भी नहीं था असरानी का ये अंतिम पोस्ट होगा. उन्होंने दिन में इंस्टाग्राम स्टोरी पर दिवाली से जुड़ा पोस्ट किया. जहां उन्होंने अपने तमाम फैंस को दीपावली की शुभकामनाएं दीं. इसमें लिखा था, ‘हैप्पी दिवाली’. इस पोस्ट के चंद घंटे बाद एक्टर ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया.

अस्पताल में थे भर्ती
असरानी पिछले पांच दिन से आरोग्य निधि अस्पताल में भर्ती थे. उम्र संबंधी परेशानियों से वह लगातार जूझ रहे थे. मगर सोमवार की शाम जूहू के अस्पताल में उन्होंने दम तोड़ दिया. उनके परिवार और दोस्तों ने उनके निधन की खबर को कंफर्म किया.

 

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