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दो तिथियों का श्राद्ध एक ही दिन! पितृ पक्ष में पिंडदान करने का सही तरीका

साल 2025 में पितृपक्ष की शुरुआत 7 सितंबर से हो चुकी है. हर साल पितृ पक्ष भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से शुरू होते हैं और आश्विन माह की अमावस्या तिथि पर समाप्त होते हैं. साल 2025 में पितृ पक्ष की अंतिम श्राद्ध सर्वपितृ अमावस्या के दिन 21 सितंबर के दिन किया जाएगा. साल 2025 में श्राद्ध की दो तिथियां एक ही दिन पड़ रही हैं. पंचांग के अनुसार इस वर्ष तृतीया और चतुर्थी तिथि का श्राद्ध एक ही तिथि पर पड़ रहा है. इन दोनों की तिथि के श्राद्ध 10 सितंबर 2025 के दिन किए जाएंगे. इन दो तिथि का श्राद्ध होगा एक साथ तृतीया श्राद्ध 10 सितंबर, 2025 बुधवार तृतीया श्राद्ध 10 सितंबर, 2025, बुधवार आश्विन, कृष्ण तृतीया तिथि के दिन है. इस दिन इन लोगों का श्राद्ध और पिंडदान किया जाता जिनकी मृत्यु तृतीया तिथि पर हुई हो. इस दिन शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष दोनों ही पक्षों की तृतीया तिथि का श्राद्ध किया जा सकता है.तृतीया श्राद्ध को तीज श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है. तृतीया श्राद्ध करने का समय-     कुतुप मुहूर्त सुबह 11 बजकर 53 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 43 मिनट तक रहेगा.     रौहिण मुहूर्त – दोपहर 12 बजकर 43 मिनट से 01 बजकर 33 मिनट तक रहेगा.     अपराह्न काल – दोपहर 1 बजकर 33 मिनट से लेकर शाम 4 बजकर 02 मिनट तक रहेगा. चतुर्थी श्राद्ध 10 सितंबर, 2025, बुधवार आश्विन, कृष्ण चतुर्थी तिथि के दिन है. चतुर्थी श्राद्ध परिवार के उन मृत सदस्यों के लिए किया जाता है, जिनकी मृत्यु चतुर्थी तिथि पर हुई हो. इस दिन शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष दोनों ही पक्षों की चतुर्थी तिथि का श्राद्ध किया जा सकता है. चतुर्थी श्राद्ध करने का समय-     कुतुप मुहूर्त सुबह 11 बजकर 53 मिनट से लेकर 12 बजकर 43 मिनट तक रहेगा.     रौहिण मुहूर्त – दोपहर 12 बजकर 43 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर 33 मिनट तक रहेगा.     अपराह्न काल – दोपहर 1 बजकर 33 मिनट से लेकर शाम 4 बजकर 02 मिनट तक रहेगा. दो तिथियों के श्राद्ध और पिंडदान की विधि     इस दिन सुबह स्नान आदि करके साफ और हल्के रंग के वस्त्र पहनें.     घर के पूजा स्थल को गंगाजल स्वच्छ करें और दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बैठें.     दो तिथियों के लिए अलग-अलग संकल्प करें.     संकल्प में दोनों तिथियों के पितरों का नाम, गोत्र, और मृत्यु तिथि शामिल करें.     तांबे के लोटे में गंगाजल, काले तिल, जौ, और दूध मिलाकर तर्पण करें.     प्रत्येक तिथि के लिए तीन बार जल अर्पित करें.     चावल, जौ, काले तिल, और घी को मिलाकर पिंड बनाएं. प्रत्येक तिथि के पितरों के लिए अलग-अलग पिंड तैयार करें.     दो तिथियों पर दोनों तिथियों के पितरों के लिए अलग-अलग पिंड बनाएं.     पिंडों को कुश के आसन पर रखें और गंगाजल, दूध, और तिल से अभिषेक करें.     पिंडों को दक्षिण दिशा की ओर अर्पित करें और पितरों से आशीर्वाद मांगे.     पिंडदान के बाद पिंडों को पवित्र नदी में विसर्जित करें या पीपल के पेड़ के नीचे रख दें.     भोजन को केले के पत्ते या पत्तल पर परोसें और पितरों को अर्पित करें.     ब्राह्मणों को भोजन कराएं. दोनों तिथियों के पितरों के लिए अलग-अलग ब्राह्मणों को आमंत्रित करें.     ब्राह्मण को दक्षिणा, वस्त्र, और फल दान करें.  

आज का राशिफल (10 सितंबर 2025): किन्हें मिलेगा धन लाभ, किसकी चमकेगी किस्मत

मेष आज के दिन मेष राशि जीवन को खुशहाल बनाने के लिए लव लाइफ में आ रही दिक्कतों को सुझाएं। जहां, रोमांस में कुछ लोग डूबे रहेंगे वहीं, व्यावसायिक सफलता का आभास भी करेंगे। आपके जीवन में छोटी-मोटी आर्थिक परेशानियां भी रहेंगी। वृषभ आज के दिन आपकी कड़ी मेहनत नया कार्यभार दिला सकती है। आपको आज सीनियर्स के साथ सावधानी बरतने की जरूरत है। नेचर के बीच वक्त बिताएं। अपनी मेंटल का हेल्थ का खासतौर पर ख्याल रखें। मिथुन आज के दिन स्वास्थ्य अच्छा रहने वाला है। व्यवसायियों को अपने खर्चों के प्रति सावधानी बरतनी चाहिए। जीवनसाथी के साथ बहस करने से बचें क्योंकि मनमुटाव की स्थिति पैदा हो सकती है। घूमने-फिरने का प्लान भी बन सकता है। कर्क धन और वित्त के मामले में बुधवार का दिन अच्छा रहेगा। अपनी एक्सपर्टीज बढ़ाने और कुछ नई स्किल्स सीखने में निवेश करने के लिए यह अच्छा दिन होगा। नौकरीपेशा लोगों को तरक्की और लाभ देखने को मिल सकता है। सिंह आज के दिन हो सकता है कि कुछ लोग अपने लक्ष्य हासिल न कर पाएं। खर्चे बढ़ सकते हैं और आपका बजट गड़बड़ा सकता है। व्यापार से जुड़े लोगों को आज काफी मेहनत करनी पड़ेगी। स्ट्रेस से बचने के लिए मेडिटेशन का सहारा ले सकते हैं। कन्या आज के दिन व्यापार से जुड़ी कोई अच्छी खबर मिल सकती है। वहीं, कुछ लोगों के रिश्तों में थोड़ी-बहुत नोक-झोक हो सकती है, जिसे बात-चीत कर आसानी से सुलझाया जा सकता है। बच्चों के साथ कहीं घूमने जाने का प्लान बना सकते हैं। तुला आज के दिन समाज में आपका मान सम्मान बढ़ेगा। व्यापार में थोड़ी बहुत दिक्कतें आ सकती हैं, जिसे आप अपनी सूझबूझ के साथ आसानी से हल कर लेंगे। कारोबार में उन्नति के योग बन रहे हैं। सेहत भी अच्छी नजर आ रही है। वृश्चिक आपका पार्टनर आपके लिए कोई सरप्राइज प्लान कर सकता है। व्यापार में धन लाभ होने की संभावना है। बिजनेस कर रहे लोगों को कोई अच्छी डील भी मिल सकती है। वहीं, ऑफिस में पॉलिटिक्स से दूर रहना आपके लिए बेहतर रहेगा। धनु आज के दिन अपनी वाणी को मधुर रखें। पितरों को खुश करने के लिए किसी जरूरतमंद की सहायता करें। आपके सिनीयर्स आप पर बिना किसी वजह के प्रेशर डाल सकते हैं और कार्य संतुष्टि में कमी हो सकती है। मकर आज के दिन सालों से रुका हुआ धन मिलने की संभावना है। काम के सिलसिले में विदेश यात्रा पर जा सकते हैं। शादी तय करने के लिए आज का दिन अच्छा माना जा रहा है और जो लोग रिश्ते को लेकर गंभीर हैं वे उचित निर्णय ले सकते हैं। कुंभ आज के दिन आपकी अर्थिक स्थिति दमदार रहने वाली है। पार्टनर पर इल्जाम लगाने से बचें क्योंकि इससे मनमुटाव की स्थिति पैदा हो सकती है। सेहत में सुधार होगा। जीवनसाथी के साथ चल रही मतभेदों को बैठकर बातचीत कर सुलझाएं। मीन आज के दिन लव लाइफ में हंसी-खुशी का माहौल रहेगा। दोनों एक-दूसरे के साथ अच्छा वक्त बिताएंगे। प्रोफेशनल लाइफ में अपनी प्रोडक्टिविटी बढ़ाने के लिए चुनौतियों का बखूबी सामना करें। आज के दिन आपकी सेहत ठीक रहेगी।

पितृपक्ष में पूजा का आसान तरीका: घर बैठे पितरों को दें श्राद्ध

पंचांग के मुताबिक, पितृ पक्ष या श्राद्ध पक्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से शुरू होकर आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर समाप्त होते हैं. मान्यताओं के अनुसार, 16 दिनों के लिए पितर धरती पर आते हैं और अपने लोगों को आशीर्वाद देकर जाते हैं.  ज्योतिषियों के मुताबिक, पितृ पक्ष में लोग अपने पितरों का पिंडदान या श्राद्ध कर्म करने के लिए कई तीर्थस्थलों जैसे गया, वाराणसी, इलाहाबाद, हरिद्वार आदि जगहों पर जाते हैं जिससे पितरों की आत्मा को शांति प्रदान होती है. लेकिन कई बार तीर्थस्थलों पर जाकर श्राद्ध कर्म करना संभव नहीं हो पाता है, जिसके कारण लोग अपने घरों पर ही ब्राह्मण को बुलाकर श्राद्ध कर्म या पिंडदान की प्रक्रिया पूरी कर लेते हैं. तो चलिए जानते हैं कि घर पर पितरों का श्राद्ध और तर्पण करने की पूरी विधि क्या है.  पितृ पक्ष में घर पर श्राद्ध करने की विधि घर पर श्राद्ध करने से लिए सबसे पहले जल्दी उठकर स्नान करें और सफेद रंग के साफ सुथरे वस्त्र पहनें. उसके बाद घर की किसी शांत या खुली जगह पर आसन बिछाएं. फिर, उस पर कपड़ा डालकर अपने पितर की तस्वीर रखें और उनकी तस्वीर के आगे तांबे का लोटा रखें. उस लोटे में जल, काले तिल और कुश डालें. उसके बाद, दक्षिण दिशा की ओर मुख करके हाथ में जल, तिल और कुश लें और पितरों का स्मरण करते हुए तर्पण करें. इसके बाद पितरों को जल अर्पित करते हुए 'ऊं पितृदेवाय नम: मंत्र का जाप करें. याद रखें कि पितरों का तर्पण कुतप वेला यानी दोपहर में ही करें क्योंकि इस वेला में तर्पण का विशेष महत्व होता है. कुतुप वेला दोपहर 12 बजकर 24 मिनट तक होती है.  फिर, पितरों को सात्विक भोजन अर्पित करें जैसे खिचड़ी, खीर, चावल, मूंग आदि और यह सात्विक भोजन केले के पत्ते पर ही रखें. उसके बाद संभव हो तो घर पर बुलाए ब्राह्मण या किसी गरीब को भोजन या दान दें.

दक्षिण मुखी घर वाले जरूर पढ़ें: जानें क्यों कुछ लोगों को होता है नुकसान और क्या हैं आसान उपाय

अक्सर आपने लोगों को यह कहते हुए सुना होगा कि दक्षिण मुखी यानी साउथ डायरेक्शन का घर नहीं लेना चाहिए। ऐसा घर फलता नहीं है। मगर, क्या यह बात पूरी तरह से सही है। क्या दक्षिण मुखी घर किसी को नहीं फलता। यदि आपका घर भी दक्षिण दिशा में बना है, तो क्या उपाय कर सकते हैं। अगर, आपके भी मन में यह सवाल है, तो आज हम आपको इसके फायदों के बारे में बता देते हैं। मगर, इन बातों को मानने से पहले किसी योग्य ज्योतिषी और वास्तु विशेषज्ञ की सलाह जरूर लेनी चाहिए। जिस व्यक्ति की कुंडली में मंगल मजबूत स्थिति में है, उनके लिए दक्षिण मुखी घर ऊर्जा का एक अच्छा स्रोत हो सकते हैं। ऐसे लोग जमीन-जायदाद के मामले में अच्छी ग्रोथ हासिल करते हैं। इन लोगों के लिए होता है फायदेमंद दक्षिण मुखी घर को इंडस्ट्रियल स्पेस या वर्क प्लेस के रूप में इस्तेमाल किया जाए, तो सफलता और समृद्धि मिल सकती है। जनसंपर्क, मीडिया और फिल्म उद्योग के लिए दक्षिण मुखी मकान अच्छे साबित हो सकते हैं। इन क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों को ऐसी दिशा के घर फलते हैं। यदि वास्तु के अनुसार बनाया गया हो, तो दक्षिण मुखी घर के कई फायदे हो सकते हैं। सूर्य की रोशनी और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह ठीक हो, तो ऐसे घर से कई तरह के फायदे होते हैं। दक्षिण मुखी घर में पूरे दिन पर्याप्त धूप आती है, जिससे घर में ऊर्जा और सकारात्मकता बनी रहती है। दरअसल, सूर्य की ऊर्जा को सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत माना जाता है। दक्षिण मुखी घर में सूर्य की किरणें घर में लंबे समय तक बनी रहती हैं। इससे घर में लगातार सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता रहता है। क्या उपाय करने चाहिए हालांकि, यदि आपको दक्षिण मुखी घर फल नहीं रहा है, तो उसके वास्तु दोषों को कम करने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं। मुख्य द्वार पर स्वास्तिक का चिह्न बनाने से लाभ होता है। पंचमुखी हनुमानजी की मूर्ति लगाई जा सकती है। गणेश जी की प्रतिमा को ऐसे लगाना चाहिए, जिससे उनकी पीठ न दिखे। मुख्य द्वार पर लाल रंग की डोरमैट रखने से भी लाभ मिलता है।

आचार्य चाणक्य से सीखें सफलता का मंत्र: हर इंसान को खुद से पूछने चाहिए ये 5 सवाल

हर इंसान जीवन में सफल होना चाहता है और इसके लिए भागता ही रहता है। आचार्य चाणक्य के अनुसार सफल होना है तो कुछ देर ठहरकर आत्ममंथन करना बहुत जरूरी है। अपने आप से कुछ सवाल करना जरूरी है ताकि कामयाबी की ओर कदम बढ़ा सकें। सफलता के लिए जरूरी है आत्म मंथन जीवन में सफल होने के लिए कड़ी मेहनत के साथ-साथ आत्म मंथन की भी जरूरत होती है। जब तक इंसान को अपनी काबिलियत, हैसियत, और खुद की अहमियत का अंदाजा नहीं होगा, वो सही दिशा में कदम नहीं बढ़ा पाएगा। और बिना सही दिशा जानें तो सफलता की ओर एक पग बढ़ाना भी मुश्किल है। इसलिए अगर जीवन में सफल होना है, तो खुद के बारे में पूरी जानकारी होना जरूरी है और ये आपसे बेहतर भला कौन जानता है। इसलिए आगे बढ़ना है तो थोड़ा सा ठहरना भी जरूरी है। शांत मन से खुद को टटोलना भी जरूरी है और कुछ सवालों के जवाब ढूंढना भी जरूरी है। आचार्य चाणक्य ने बताए सफलता के सूत्र आचार्य चाणक्य भारत के इतिहास में हुए उन विद्वानों में से एक हैं, जिनकी बातें आज भी लोगों का मार्गदर्शन करने का काम कर रही हैं। उन्होंने जीवन के लगभग हर एक पहलू पर अपने स्पष्ट विचार रखे। जीवन में कोई भी व्यक्ति कैसे सफलता पा सकता है, इसपर तो आचार्य ने खूब लिखा। उन्होंने भी इस बात पर जोर दिया कि व्यक्ति को समय-समय पर खुद से कुछ जरूरी सवाल कर लेने चाहिए ताकि उसके सामने चीजें स्पष्ट हो सकें और वो अपने जीवन की सही राह चुन पाए। आइए जानते हैं आचार्य ने खुद से किन सवालों के जवाब तलाशने की बात कही है। कैसा चल रहा है समय हर इंसान के जीवन में उतार-चढ़ाव तो लगे ही रहते हैं। कभी सुख तो कभी दुख, जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं। आपका समय कैसा चल रहा है, इसके बारे में समय-समय पर खुद से सवाल जरूर करते रहें। जीवन के उतार-चढ़ाव से घबराने के बजाय, इस पर आत्ममंथन करें। अगर जीवन में दुख है तो किन कारणों से है, उससे बाहर निकलने का समाधान क्या है; ये आपको तभी पता चलेगा जब आप शांत मन से इस पर विचार करेंगे। कौन है आपका सच्चा मित्र आपका सच्चा मित्र कौन है, इसके बारे में भी इंसान को जानकारी होना बहुत जरूरी है। हर इंसान के जीवन में कई तरह के लोग होते हैं लेकिन सब पर आंख मूंद कर भरोसा कर लेना समझदारी नहीं। अगर आपको जीवन में तरक्की पानी है, तो इंसान की परख होना जरूरी है। कौन सा इंसान आपका सच्चा साथी है और कौन सिर्फ दिखावे के लिए आपके साथ है, इस बात को भी आप तभी समझ पाएंगे जब खुद से एकांत में इसे लेकर सवाल करेंगे। कैसी जगह पर है आपका निवास स्थान इंसान जिस जगह पर रहता है, उस माहौल का उसके जीवन पर गहरा असर पड़ता है। इसलिए अपने माहौल को अच्छा रखना जरूरी है। हर इंसान को खुद से ये सवाल करना चाहिए कि वह जिन लोगों के साथ उठ- बैठ रहा है, क्या वो उसके लिए सही हैं। आपके आसपास के माहौल का आपके जीवन पर पॉजिटिव असर पड़ रहा है या नेगेटिव, इसके बारे में विचार करना जरूरी है। अगर आपके माहौल का आपके जीवन पर नेगेटिव असर पड़ रहा है तो उसे बदलने का प्रयास करें। कितनी है कमाई और कितना है खर्च इंसान अपने जीवन में तरक्की तभी हासिल करता है, जब उसे अपनी कमाई और खर्च के बीच बैलेंस बनाना आता है। वो कहावत तो आप सब ने सुनी होगी 'उतने पैर पसारिए जितनी लंबी सौर', इस कहावत का अर्थ है कि आदमी को अपनी आमदनी को ध्यान में रखकर ही खर्चा करना चाहिए। हर इंसान को इस पर विचार जरूर करना चाहिए कि उसकी कमाई कितनी है और उसका खर्चा कितना है। साथ ही कोशिश करनी चाहिए की जितनी कमाई हो, खर्च उससे कम ही हो और बचत की जा सके। क्या है आपकी काबिलियत हर इंसान में अलग अलग गुण होते हैं। किसी को पढ़ाई में रुचि है तो किसी को संगीत में, कोई अच्छी आर्ट बना सकता है तो कोई स्वादिष्ट खाना। इसके अलावा हर इंसान का इंटरेस्ट ऑफ एरिया भी अलग-अलग होता है। कोई बिजनेस करना चाहता है तो कोई इंजीनियर बनना चाहता है, किसी को डॉक्टर बनना है तो कोई एक्टर बनने के सपने देखता है। ऐसे में जीवन में सफल होने के लिए हर इंसान को अपनी काबिलियत जरूर पहचाननी चाहिए। किस काम में आपका मन लगता है और कौन से काम को आप आसानी से कर सकते हैं, इस पर विचार जरूर करें। अपनी काबिलियत को पहचानकर ही भविष्य की प्लानिंग करें। इसके बाद आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता।

पितृपक्ष में खरीददारी से बचें! अगर जरूरी हो तो अपनाएँ ये आसान उपाय

  पितृपक्ष (श्राद्ध पक्ष) का समय हमारे पितरों को याद करने, तर्पण और दान करने के लिए माना गया है। इस काल में नया सामान खरीदने या नया काम शुरू करने को सामान्यतः अशुभ माना जाता है। इसके पीछे धार्मिक और व्यवहारिक दोनों कारण हैं। पितृपक्ष में नहीं खरीदना चाहिए नया सामान: पितृपक्ष पितरों को समर्पित काल है। यह समय भोग-विलास या नए कार्यों का नहीं बल्कि पितरों के प्रति कृतज्ञता, तर्पण और दान का माना गया है। मान्यता है कि इस दौरान किए गए नए कार्य का फल पितरों को समर्पित हो जाता है। इस अवधि में वातावरण में श्राद्ध संस्कार, तर्पण और प्रेतात्माओं की स्मृति से जुड़ी ऊर्जा मानी जाती है। नया सामान खरीदना या नया कार्य शुरू करना स्थिरता और शुभ फल नहीं देता। लोक मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि पितृपक्ष में खरीदे गए वस्त्र, आभूषण, भूमि या गृह निर्माण कार्य का फल स्थायी नहीं होता, या कार्य में बाधा आती है। पितृपक्ष में अवश्य खरीदना पड़े सामान तो क्या करें: कभी-कभी आवश्यक परिस्थितियों में खरीदारी करनी पड़ जाए तो ये उपाय करने चाहिए- गंगाजल या पवित्र जल छिड़क कर वस्तु को शुद्ध करें। पितरों को समर्पण करें। वस्तु को पितरों को मानसिक रूप से अर्पित करें और उनसे आशीर्वाद लेकर उपयोग करें। गोदान या ब्राह्मण सेवा करें। नए सामान खरीदने पर एक छोटा-सा दान (अन्न, वस्त्र या दक्षिणा) ब्राह्मण या गरीब को देना चाहिए। पितृपक्ष में नए कार्य का शुभारंभ टालें सामान खरीदना यदि अनिवार्य हो तो कर सकते हैं लेकिन उसका प्रथम उपयोग या कार्यारंभ पितृपक्ष के बाद करना श्रेष्ठ माना जाता है। पितृपक्ष में हर कार्य पितरों की तृप्ति के लिए माना जाता है इसलिए इस समय भोग-विलास, उत्सव और नये आरंभ से जुड़े कार्य वर्जित कहे गए हैं। लेकिन दैनिक जीवन की आवश्यकताओं को देखते हुए कुछ वस्तुएं खरीदी जा सकती हैं। पितृपक्ष में न खरीदें ये सामान सुनार का सामान (सोना–चांदी, आभूषण, बहुमूल्य धातुएं) यह शुभ अवसरों के लिए होता है, जबकि पितृपक्ष शोक-श्राद्ध काल माना जाता है। नया मकान, भूमि या वाहन खरीदना इस अवधि में गृह प्रवेश, भूमि पूजन या वाहन क्रय को अशुभ माना जाता है। नए वस्त्र (शुभ अवसर हेतु) खासकर शादी, त्यौहार या मंगल कार्यों के लिए कपड़े खरीदना वर्जित है परंतु रोज़मर्रा के उपयोग हेतु सामान्य कपड़े खरीदे जा सकते हैं। शुभ मांगलिक कार्यों का सामान जैसे शादी का जोड़ा, मंगलसूत्र, सगाई की अंगूठी आदि। नया व्यापार आरंभ करने के उपकरण। यदि नया व्यापार शुरू करने के लिए सामान खरीदा जाए तो माना जाता है कि उसका फल पितरों को चला जाता है। पितृपक्ष में खरीदा जा सकता है ये सामान दैनिक उपयोग की वस्तुएं जैसे अनाज, सब्ज़ी, दालें, फल आदि। घर के लिए आवश्यक सामान जैसे तेल, नमक, मसाले। श्राद्ध व पूजा के लिए सामग्री जैसे कुश, तिल, घी, धूप, पिंडदान हेतु सामग्री, पत्तल, कपड़े (दान हेतु)। आवश्यक जीवनोपयोगी सामान जैसे दवा, बच्चों की ज़रूरत की चीज़ें, किताबें, स्टेशनरी। टूटा-फूटा बर्तन बदलने के लिए नए बर्तन (यदि बहुत ज़रूरी हो)। यदि किसी को कपड़े की तत्काल ज़रूरत है तो साधारण वस्त्र ले सकते हैं पर शुभ अवसर वाले कपड़े नहीं। पितृपक्ष में जरूरी खरीद करने पर करें ये उपाय खरीदे गए सामान पर गंगाजल छिड़कें। पितरों को मानसिक रूप से अर्पित कर दान करें (थोड़ा अन्न, वस्त्र या दक्षिणा)। सामान का प्रथम उपयोग पितृपक्ष के बाद करना श्रेष्ठ माना जाता है।

पितृपक्ष में खरीददारी से बचें, अगर करना जरूरी हो तो अपनाएं ये उपाय

पितृपक्ष (श्राद्ध पक्ष) का समय हमारे पितरों को याद करने, तर्पण और दान करने के लिए माना गया है। इस काल में नया सामान खरीदने या नया काम शुरू करने को सामान्यतः अशुभ माना जाता है। इसके पीछे धार्मिक और व्यवहारिक दोनों कारण हैं। पितृपक्ष में नहीं खरीदना चाहिए नया सामान: पितृपक्ष पितरों को समर्पित काल है। यह समय भोग-विलास या नए कार्यों का नहीं बल्कि पितरों के प्रति कृतज्ञता, तर्पण और दान का माना गया है। मान्यता है कि इस दौरान किए गए नए कार्य का फल पितरों को समर्पित हो जाता है। इस अवधि में वातावरण में श्राद्ध संस्कार, तर्पण और प्रेतात्माओं की स्मृति से जुड़ी ऊर्जा मानी जाती है। नया सामान खरीदना या नया कार्य शुरू करना स्थिरता और शुभ फल नहीं देता। लोक मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि पितृपक्ष में खरीदे गए वस्त्र, आभूषण, भूमि या गृह निर्माण कार्य का फल स्थायी नहीं होता, या कार्य में बाधा आती है। पितृपक्ष में अवश्य खरीदना पड़े सामान तो क्या करें: कभी-कभी आवश्यक परिस्थितियों में खरीदारी करनी पड़ जाए तो ये उपाय करने चाहिए- गंगाजल या पवित्र जल छिड़क कर वस्तु को शुद्ध करें। पितरों को समर्पण करें। वस्तु को पितरों को मानसिक रूप से अर्पित करें और उनसे आशीर्वाद लेकर उपयोग करें। गोदान या ब्राह्मण सेवा करें। नए सामान खरीदने पर एक छोटा-सा दान (अन्न, वस्त्र या दक्षिणा) ब्राह्मण या गरीब को देना चाहिए। पितृपक्ष में नए कार्य का शुभारंभ टालें सामान खरीदना यदि अनिवार्य हो तो कर सकते हैं लेकिन उसका प्रथम उपयोग या कार्यारंभ पितृपक्ष के बाद करना श्रेष्ठ माना जाता है। पितृपक्ष में हर कार्य पितरों की तृप्ति के लिए माना जाता है इसलिए इस समय भोग-विलास, उत्सव और नये आरंभ से जुड़े कार्य वर्जित कहे गए हैं। लेकिन दैनिक जीवन की आवश्यकताओं को देखते हुए कुछ वस्तुएं खरीदी जा सकती हैं। पितृपक्ष में न खरीदें ये सामान सुनार का सामान (सोना–चांदी, आभूषण, बहुमूल्य धातुएं) यह शुभ अवसरों के लिए होता है, जबकि पितृपक्ष शोक-श्राद्ध काल माना जाता है। नया मकान, भूमि या वाहन खरीदना इस अवधि में गृह प्रवेश, भूमि पूजन या वाहन क्रय को अशुभ माना जाता है। नए वस्त्र (शुभ अवसर हेतु) खासकर शादी, त्यौहार या मंगल कार्यों के लिए कपड़े खरीदना वर्जित है परंतु रोज़मर्रा के उपयोग हेतु सामान्य कपड़े खरीदे जा सकते हैं। शुभ मांगलिक कार्यों का सामान जैसे शादी का जोड़ा, मंगलसूत्र, सगाई की अंगूठी आदि। नया व्यापार आरंभ करने के उपकरण। यदि नया व्यापार शुरू करने के लिए सामान खरीदा जाए तो माना जाता है कि उसका फल पितरों को चला जाता है। पितृपक्ष में खरीदा जा सकता है ये सामान दैनिक उपयोग की वस्तुएं जैसे अनाज, सब्ज़ी, दालें, फल आदि। घर के लिए आवश्यक सामान जैसे तेल, नमक, मसाले। श्राद्ध व पूजा के लिए सामग्री जैसे कुश, तिल, घी, धूप, पिंडदान हेतु सामग्री, पत्तल, कपड़े (दान हेतु)। आवश्यक जीवनोपयोगी सामान जैसे दवा, बच्चों की ज़रूरत की चीज़ें, किताबें, स्टेशनरी। टूटा-फूटा बर्तन बदलने के लिए नए बर्तन (यदि बहुत ज़रूरी हो)। यदि किसी को कपड़े की तत्काल ज़रूरत है तो साधारण वस्त्र ले सकते हैं पर शुभ अवसर वाले कपड़े नहीं। पितृपक्ष में जरूरी खरीद करने पर करें ये उपाय खरीदे गए सामान पर गंगाजल छिड़कें। पितरों को मानसिक रूप से अर्पित कर दान करें (थोड़ा अन्न, वस्त्र या दक्षिणा)। सामान का प्रथम उपयोग पितृपक्ष के बाद करना श्रेष्ठ माना जाता है।

दिमागी थकान से परेशान? ये 7 आदतें तुरंत बदलें और पाएं मदद

क्या आपने कभी ऐसा महसूस किया है कि आपका फिजिकल काम ज्यादा नहीं था लेकिन फिर भी आपका मन भारी और थका हुआ लग रहा है? आपका शरीर ठीक है, लेकिन मानसिक थकान आपको लगातार घेर रही है, जैसे कोई अनजाना बोझ आपके मन पर है. अक्सर ऐसा हमारी रोजमर्रा की छोटी-छोटी आदतों की वजह से होता है, जिन्हें हम पहचान भी नहीं पाते. आइए हम सात ऐसी आम आदतों पर नज़र डालते हैं, जो आपकी मेंटल एनर्जी को धीरे-धीरे खत्म कर देती हैं. साथ ही लेख के अंत में मैं एक बहुत ही प्रभावी अभ्यास भी बताऊंगा, जो आपकी मानसिक ऊर्जा को फिर से ताजा कर सकता है. पहली आदत: अपनी बातों को बार-बार दूसरों को समझाना. कभी-कभी हम अपने फैसलों, भावनाओं या सीमाओं को बार-बार बताने लगते हैं, सोचते हैं कि अगर पूरी बात न कहें तो लोग क्या सोचेंगे. ऐसा करने से मन में थकावट होती है. इसलिए याद रखें, आपकी पसंद को हर किसी की मंजूरी की जरूरत नहीं होती. जब भी ऐसा महसूस हो, खुद से कहें, "यह मेरे लिए अभी सही लग रहा है." और फिर बात वहीं छोड़ दें. दूसरी आदत: हर किसी की समस्या सुलझाने की कोशिश करना. कभी-कभी हम लोगों की भावनाओं को सुनने की बजाय तुरंत समाधान देने लगते हैं. इससे आप अपने साथ-साथ दूसरों का बोझ भी उठाने लगते हैं और थक जाते हैं. कभी-कभी सिर्फ सुनना ही काफी होता है.  तीसरी आदत: एक साथ कई काम करना या मल्टीटास्किंग. हमारा दिमाग मल्टीटास्किंग के लिए नहीं बना है. जब आप एक से ज्यादा काम करते हैं, तो दिमाग तेजी से काम के बीच स्विच करता है, जिससे बहुत थकावट होती है. इसलिए एक काम पर पूरा ध्यान दें. चौथी आदत: पुराने विवाद या बातों को बार-बार याद करना. ऐसा करने से मन में स्ट्रेस बढ़ता है. जब ऐसा हो, तो खुद से कहें कि "वो समय अब खत्म हो चुका है," और अपने दिमाग को इसे छोड़ने की आदत डालें. पांचवीं आदत: दूसरों की खुशी के लिए बिना मन से "हां" कहना. कई बार हम दूसरों को निराश न करने के लिए चीज़ें बिना सोचे-समझे स्वीकार कर लेते हैं, जिसका असर हमारे मन पर पड़ता है. इससे बचने के लिए थोड़ा सोच-समझ कर जवाब दें. छठी आदत: बहुत ज्यादा शोर, सोशल मीडिया, खबरों और वीडियो में उलझना. यह हमारे नर्वस सिस्टम को थका देता है. रोजाना कम से कम 20 मिनट फोन से दूर बैठें, चाय पिएं या खुली हवा में सैर करें. सातवीं आदत: अपनी भावनाओं को अनदेखा करना. जब आप चिंतित, उदास या चिड़चिड़े महसूस करते हैं तो खुद को कुछ पल दें, उस भावना को समझें और जरूरत पड़ने पर लिखें या बोलें. इससे आपकी भावनाएं कंट्रोल रहती हैं. ये चीजें कर सकती हैं मदद सांसों पर ध्यान देना. रोजाना 2 मिनट शांति से बैठकर अपनी सांसों पर ध्यान दें, बिना उसे बदलने की कोशिश किए.  यह दिमाग और शरीर दोनों को आराम देता है और आपकी मानसिक शांति को बहाल करता है.

भूलकर भी न करें ये खरीदारी! पितृपक्ष में पितृ दोष का खतरा

पितृपक्ष के दिनों में कुछ नियमों का सख्ती से पालन करना होता है, अन्यथा इसके बुरे प्रभाव जीवन में देखने को मिलते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि इस दिनों किन कार्यों को करने से बचना चाहिेए। हिंदू धर्म में पितृपक्ष को विशेष महत्व दिया जाता है। हर साल पितृपक्ष भाद्रपद मास की शुक्ल पूर्णिमा से आरंभ होकर आश्विन अमावस्या पर समाप्त होते हैं। लगभग पंद्रह दिनों तक चलने वाले इस समय में लोग अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान करते हैं। इस दौरान पितरों को याद करने से परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहता है और सुख-समृद्धि आती है। पितृपक्ष के दिनों में कुछ नियमों का सख्ती से पालन करना होता है, अन्यथा इसके बुरे प्रभाव जीवन में देखने को मिलते हैं। इन दिनों शुभ कार्य, धार्मिक अनुष्ठान या किसी चीज की खरीदारी करने की मनाही होती है। ऐसा करके आप पितरों को अप्रसन्न कर सकते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि इस दिनों किन कार्यों को करने से बचना चाहिेए।  पितृ दोष क्या है? ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब पूर्वजों की आत्माएं अप्रसन्न होतीं है, तो इससे वंशजों के जीवन में कष्ट और बाधाएं उत्पन्न होने लगती हैं। इस स्थिति को पितृ दोष कहा जाता है। मान्यता है कि पितृपक्ष में पूर्वज धरती पर आते हैं और अपने परिवार को आशीर्वाद देते हैं। इस दौरान अगर उन्हें उचित सम्मान और श्रद्धा न मिले, तो वे नाराज हो जाते हैं। इसलिए इस अवधि में किए गए कर्म अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। पितृपक्ष में क्या न करें पितृपक्ष में कुछ कार्य वर्जित बताए गए हैं जिन्हें इस अवधि में भूलकर भी नहीं करना चाहिए। पितृपक्ष में नए कपड़े, जूते या चप्पल खरीदना अशुभ माना जाता है। इस दौरान विवाह, सगाई या अन्य मांगलिक आयोजन करना वर्जित है। इस समय तामसिक भोजन जैसे मांस, मछली, अंडा, प्याज और लहसुन आदि के सेवन से भी बचें। इस समय सोना-चांदी खरीदना भी अशुभ माना जाता। जितना संभव हो धार्मिक कार्य करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें। दूसरों के प्रति अपमानजनक व्यवहार न रखें और बड़ों का सम्मान करें। पितरों को प्रसन्न करने के लिए करें मंत्र जाप पितृ पक्ष में मंत्रोच्चारण का विशेष महत्व है। इन मंत्रों का जाप करने से पितर प्रसन्न होते हैं। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥ ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय च धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात। ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।

विश्वकर्मा पूजा को लेकर भ्रम? यहां देखें इस साल का सटीक दिन और शुभ समय

भारत एक ऐसा देश है, जहां हर महीने कोई-ना-कोई त्योहार (विश्वकर्मा पूजा) मनाया जाता है। चाहे वह पूरे देश भर में मनाया जाए या फिर कोई रीजनल त्योहार हो, जिसे लोग बहुत ही उत्साह के साथ मनाते हैं। इनमें होली, दिवाली, नवरात्र और छठ पूजा मुख्य त्योहार है। जिसके लिए लोग बड़ी बेसब्री से इंतजार करते हैं। वहीं, हर साल सितंबर के महीने में विश्वकर्मा पूजा भी मनाया जाता है। यह दिन ब्रह्मांड के दिव्या वास्तुकार भगवान विश्वकर्मा को समर्पित है। इस खास मौके पर लोग लोहे के औजार की पूजा करते हैं, जिससे उनके कारोबार में उन्नति हो सके। इसकी कामना भी करते हैं, पिछले कुछ सालों से ऐसी स्थिति उत्पन्न हो रही है कि लोगों के मन में विश्वकर्मा पूजा की तिथि को लेकर संशय बना रहता है। इस बार भी लोगों के मन में यह कंफ्यूजन बनी हुई है कि विश्वकर्मा पूजा 16 या 17 सितंबर को मनाई जाएगी। इस खास मौके पर बड़े-बड़े फैक्ट्री में भगवान की विशालकाय मूर्ति भी स्थापित की जाती है। पूजा के दौरान आप भगवान को धूप, दीप, अगरबत्ती, फल और मिठाई चढ़ाई जाती है। कई स्थानों पर मेला भी लगाया जाता है। विश्वकर्मा पूजा 2025 वैदिक पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 17 सितंबर 2025 को पड़ रही है। यह तिथि 16 सितंबर की रात 12 बजकर 21 मिनट से शुरू होगी और 17 सितंबर की रात 11 बजकर 39 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में इस साल 17 सितंबर को विश्वकर्मा पूजा मनाई जाएगी। महत्व हिंदू धर्मग्रंथों में भगवान विश्वकर्मा को देवताओं का वास्तुकार और शिल्पकार बताया गया है। मान्यता है कि उन्होंने न केवल स्वर्गलोक का निर्माण किया, बल्कि द्वारका नगरी, इंद्रपुरी, यमपुरी और भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र जैसे दिव्य अस्त्र-शस्त्र भी बनाए। इंद्र का वज्र भी उन्हीं की देन है। यही कारण है कि उन्हें सृष्टि का पहला इंजीनियर और आर्किटेक्ट माना जाता है। इस पूजा को कारीगरों और मशीनों का त्योहार भी कहा जाता है। ऐसे करें पूजा इस दिन लोग अपने साइकिल, गाड़ी, लोहे के औजार, मशीन, कलपुर्जे, दुकान आदि की पूजा करते हैं। ऐसा माना जाता है कि उनके आशीर्वाद से बिजनेस में उन्नति होती है और सालों भर लोगों का काम, धंधा अच्छे से सफलतापूर्वक चलता रहता है। इस दिन भगवान को खुश करने के लिए आप कुछ नियमों का भी पालन कर सकते हैं, जिससे वह आपके तरक्की के रास्ते में आने वाले सारी रूकावटों को दूर कर सकते हैं और सालों भर अपनी कृपा दृष्टि आप पर बनाए रखेंगे। विश्वकर्मा पूजा के दिन आप अपनी गाड़ी, फैक्ट्री, औजार को पानी से धो सकते हैं। यह फिर उसकी साफ-सफाई कर सकते हैं। उसके बाद विधि-विधान पूर्वक उनकी पूजा-अर्चना करें।