samacharsecretary.com

रक्षाबंधन विशेष: राखी बांधने के लिए साढ़े 7 घंटे का योग, शुभ मुहूर्त में करें बहन-भाई का पर्व

रक्षाबंधन 9 अगस्त शनिवार को मनाया जाएगा. इस बार रक्षाबंधन पर राखी बांधने के लिए साढ़े 7 घंटे से अधिक का शुभ मुहूर्त है. लेकिन इसमें भी 1 घंटा 40 मिनट तक राखी नहीं बांधी जाएगी. इसका कारण भद्रा नहीं है क्योंकि इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा का साया नहीं है. भद्रा रक्षाबंधन के दिन सूर्योदय से पहले ही खत्म हो जा रही है. इस बार का रक्षाबंधन भद्रा रहित मुहूर्त में है. राखी के त्योहार पर भद्रा न होने से रक्षाबंधन सुबह से मनाया जाएगा. फिर रक्षाबंधन के शुभ मुहर्त में 1 घंटा 40 मिनट की रोक क्यों होगी? आइए विस्तार से जानते हैं इसके बारे में. रक्षाबंधन पर राखी बांधने का शुभ मुहूर्त 9 अगस्त को रक्षाबंधन के अवसर पर राखी बांधने का शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 47 मिनट से शुरू है. यह शुभ मुहूर्त दोपहर में 1 बजकर 24 मिनट तक रहेगा. यानि रक्षाबंधन सुबह से लेकर दोपहर तक मनाया जाएगा. इस दिन राखी बांधने के लिए 7 घंटे मिनट का शुभ समय प्राप्त हो रहा है. सावन पूर्णिमा को मनाते हैं रक्षाबंधन हिंदू कैलेंडर के अनुसार सावन पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन का त्योहार मनाते हैं. इस साल सावन पूर्णिमा 8 अगस्त को ​2:12 पीएम से लेकर 9 अगस्त को 1:24 पीएम तक है. इस दिन भगवान शिव के प्रिय माह सावन का समापन होता है. रक्षाबंधन सावन के अंतिम दिन होता है और यह बड़ा त्योहार होता है. रक्षाबंधन के दिन बहनें भाइयों को राखी बांधती हैं और उनके सुखी जीवन की कामना करती हैं. भाई भी बहनों को उपहार देते हैं और उसकी सुरक्षा का वचन देते हैं. 1 घंटा 40 मिनट तक नहीं बांधी जाएगी राखी! रक्षाबंधन के लिए सुबह मुहूर्त सुबह 5:47 बजे से दोपहर 1:24 बजे तक है. लेकिन इस शुभ मुहूर्त में ही राहुकाल भी पड़ रहा है. रक्षाबंधन के शुभ मुहूर्त में राहुकाल 1 घंटा 40 मिनट तक है. राहुकाल के समय में राखी नहीं बांधी जाती है क्योंकि इसे अशुभ समय मानते हैं. रक्षाबंधन के दिन राहुकाल सुबह में 9 बजकर 7 मिनट से सुबह 10 बजकर 47 मिनट तक है. राहुकाल में बहनें अपने भाइयों को राखी नहीं बांधनी चाहिए. राहुकाल में शुभ कार्य क्यों नहीं करते हैं? राहुकाल में अशुभ और छाया ग्रह राहु का प्रभाव होता है. ज्योतिष में राहु को भ्रम, दुर्भाग्य, क्लेश, भय का कारक माना गया है. एक दिन में राहुकाल 90 मिनट का होता है. कई बार यह कम या उससे ज्यादा हो सकता है. राहुकाल को अशुभ, भ्रमकारी और विघ्न पैदा करने वाला होता है. पंचांग में राहुकाल को शुभ कार्यों, पूजन, यात्रा, लेन-देन, नई शुरुआत, मांगलिक कार्यों के लिए वर्जित माना गया है. इस वजह से राहुकाल में शुभ कार्य नहीं करते हैं.  

रविवार 03 अगस्त 2025 का पढ़ें दैनिक राशिफल

मेष राशि- परिस्थितियां प्रतिकूल हैं। चोट चपेट लग सकती है। किसी परेशानी में पड़ सकते हैं। बचकर पार करें। प्रेम, संतान ठीक-ठाक है। व्यापार भी ठीक रहेगा। लाल वस्तु पास रखें। वृषभ राशि- जीवनसाथी का भरपूर सहयोग मिलेगा। नौकरी चाकरी की स्थिति अच्छी होगी। प्रेमी प्रेमिका की मुलाकात। व्यावसायिक सफलता। बहुत अच्छा समय। बजरंगबली को प्रणाम करते रहें। मिथुन राशि- शत्रु उपद्रव संभव है लेकिन शत्रु शमन भी होगा। डिस्टर्ब रहेंगे। स्वास्थ्य थोड़ा मध्यम रहेगा। प्रेम, संतान, व्यापार अच्छा रहेगा। लाल वास्तु का दान करें। कर्क राशि– भावुकता पर काबू रखें। स्वास्थ्य ऊपर नीचे रहेगा। प्रेम, संतान थोड़ा मध्यम। व्यापार अच्छा। लाल वस्तु पास रखें। सिंह राशि– गृह कलह के संकेत हैं लेकिन भौतिक सुख सुविधा में वृद्धि होगी। स्वास्थ्य पहले से बेहतर। प्रेम, संतान की स्थिति अच्छी। व्यापार अच्छा। लाल वस्तु पास रखें। कन्या राशि– पराक्रम रंग लाएगा। रोजी रोजगार में तरक्की करेंगे। भौतिक सुख सुविधा में वृद्धि होगी। स्वास्थ्य अच्छा। प्रेम, संतान अच्छा। व्यापार अच्छा। लाल वस्तु का दान करें। तुला राशि- धन आगमन होगा। अपनों में वृद्धि होगी। स्वास्थ्य पहले से बेहतर, प्रेम, संतान की स्थिति बहुत अच्छी। व्यापार बहुत अच्छा। हरी वस्तु पास रखें। वृश्चिक राशि– आकर्षण के केंद्र बने रहेंगे। सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा। जरूर के हिसाब से जीवन में वस्तुएं रहेंगी। स्वास्थ्य, प्रेम, व्यापार बहुत अच्छा। पीली वस्तु पास रखें। धनु राशि- खर्च की अधिकता मन को परेशान करेगी। सिर दर्द, नेत्र पीड़ा संभव है। स्वास्थ्य थोड़ा प्रभावित है। प्रेम, संतान किस स्थिति अच्छी है। व्यापार भी अच्छा। लाल वस्तु पास रखें। मकर राशि- आय के नवीन स्रोत बनेंगे। पुराने स्रोत से भी पैसे आएंगे। यात्रा का योग बनेगा। स्वास्थ्य अच्छा है। प्रेम, सुंदर अच्छा है। व्यापार अच्छा है। काली जी को प्रणाम करते रहें। कुंभ राशि- कोर्ट कचहरी में विजय मिलेगी। कुछ अधिकारियों का आशीर्वाद मिलेगा। व्यावसायिक सफलता मिलेगी। पिता का साथ होगा। व्यवसाय बहुत अच्छा। प्रेम, संतान थोड़ा मध्यम है। बाकी स्थिति ठीक है। हरी वस्तु पास रखें। मीन राशि– भाग्य साथ देगा। यात्रा का योग बनेगा। धार्मिक स्थल की यात्रा हो सकती है। स्वास्थ्य अच्छा है। प्रेम, संतान अच्छा है। व्यापार अच्छा है। लाल वस्तु पास रखें।

कजरी तीज का सही दिन कौन सा? जानें 2025 में शुभ मुहूर्त और पूजन की पूरी प्रक्रिया

हिंदू पंचांग के अनुसार, कजरी तीज भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है. यह आमतौर पर रक्षाबंधन के तीन दिन बाद और कृष्ण जन्माष्टमी से पांच दिन पहले आती है. कजरी तीज को बड़ी तीज, कजली तीज और कुछ क्षेत्रों में सातुड़ी तीज भी कहा जाता है. इस बार कजरी तीज 12 अगस्त 2025 को मनाई जाएगी.  कजरी तीज 2025 शुभ मुहूर्त  इस बार कजरी तीज की तिथि 11 अगस्त को सुबह 10 बजकर 33 मिनट पर शुरू होगी और तिथि का समापन 12 अगस्त को सुबह 8 बजकर 40 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार, कजरी तीज 12 अगस्त 2025 को ही मनाया जाएगा.  कजरी तीज 2025 शुभ योग  कजरी तीज पर सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण होने जा रहा है जो सुबह 11 बजकर 52 मिनट से लेकर 13 अगस्त की सुबह 5 बजकर 49 मिनट तक रहेगा. इस बीच आप मां पार्वती का पूजन कर सकते हैं. कजरी तीज 2025 पूजन विधि  इस दिन महिलाएं कठोर व्रत भी रखती हैं, जिसे कजरी तीज व्रत के रूप में जाना जाता है. कजरी तीज के दिन महिलाएं देवी पार्वती की पूजा करती हैं और उनसे सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद मांगती हैं. शाम के समय महिलाएं पूजा के लिए इकट्ठा होती हैं. महिलाएं नीम के पेड़ की कुमकुम, चावल, हल्दी और मेहंदी से पूजा करती हैं और फल व मिठाई भी चढ़ाती हैं. इसके बाद पुजारी कजरी तीज कथा सुनाते हैं. कुछ समुदायों में महिलाएं चंद्रमा की पूजा के बाद सत्तू या फल खाकर अपना व्रत का पारण करती हैं. विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए पवित्र तीज व्रत रखती हैं. कुछ अविवाहित लड़कियां भी मनचाहा पति पाने के लिए यह व्रत रखती हैं.  कजरी तीज का महत्व  कजरी तीज का त्योहार मुख्य रूप से अविवाहित लड़कियों और महिलाओं के लिए उत्सव का समय होता है. यह त्योहार राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे उत्तरी राज्यों में मनाया जाता है. इस दिन राजस्थान में, खासकर बूंदी जैसे छोटे से शहर में, देवी पार्वती की विशाल शोभायात्राएं निकाली जाती हैं. कजरी तीज का दिन विवाहित महिलाओं के जीवन में बहुत शुभ माना जाता है. 

मंगलमय हनुमानजी करते हैं मंगल दोष को दूर

मंगल दोष के प्रभाव स्वरूप घर में बिजली का सामान जल्दी जल्दी खराब होने लगता है, रक्त सम्बंधित बीमारियां होने लगती हैं। मंगल दोष से पीड़ित व्यक्ति में धैर्य की कमी होती है। यह आजमाएं:- -मंगल दोष से पीड़ित जातक को छोटे भाई बहनों का ख्याल रखना चाहिए। -मंगलवार के दिन हनुमानजी के चरण से सिन्दूर ले कर उसका टीका माथे पर लगाना चाहिए। -बंदरों को गुड़ और चने खिलाने चाहिए। -अपने घर में लाल पुष्प वाले पौधे या वृक्ष लगाकर उनकी देखभाल करनी चाहिए। यह बहुत गलत और दोषपूर्ण भ्रान्ति या अवधारणा में प्रचलित है। की 28 वें वर्ष के बाद मांगलिक दोष नहीं रहता। ग्रहों का सेनापति मंगलदेव 28 वें वर्ष में अपना शुभ फल प्रदान करता है यह सत्य है किन्तु अपनी दशा अन्तर्दशा, प्रत्यंतर दशा या गोचर में कभी भी अपना अशुभ फल प्रगट कर सकता है। अतः 28 वें वर्ष के बाद मांगलिक दोष की समाप्ति या निवृति कभी नहीं होती। व्यर्थ की बातों या अफवाओं पर ध्यान ना देवें। मंगल दोष निवारण हेतु उपाय स्वरूप लाल वस्त्र ले कर उसमें दो मुठ्ठी मसूर की दाल बांधकर मंगलवार के दिन किसी भिखारी को दान करनी चाहिए और साथ ही समयानुसार उज्जैन आकर अंगारेश्वर महादेव पर गुलाल पूजन और भात पूजन करवानी चाहिए। मंगल दोष होने पर ये न करें:- -यदि कुंडली में आपका मंगल पीड़ित है तो आपको क्रोध नहीं करना चाहिए। -अपने आप पर नियंत्रण नहीं खोना चाहिए। -मंगल दोष से पीड़ित को किसी भी चीज में जल्दबाजी नहीं दिखानी चाहिए और भौतिकता में लिप्त नहीं होना चाहिए। क्या आप मंगल दोष से प्रभावित है? यदि सोते समय आपकी आंखे थोड़ी थोड़ी खुली रहती है या आपका मुंह सोते वक्त खुला रहता है। सामने की तरफ सीधा देखने पर भी आंख का हीरा या कोर्निया थोड़ा उपर की तरफ हो या आंख के हिरे या कोर्निया की नीचे की सफेदी दिखती हो तो इसका मतलब आप मंगलीक है। ऐसे लोगो का मंगल कुंडली में 2, 4, 7, और 8 या 12वें घर में होता है। जिनका मंगल पीड़ित है उन्हें मंगलवार के दिन व्रत करना चाहिए और ब्राह्मण अथवा किसी गरीब व्यक्ति को भर पेट भोजन कराना चाहिए। मंगल दोष या मंगल पीड़ित जातक को उज्जैन आकर अंगारेश्वर महादेव पर भात पूजन, गुलाल और गुलाब पूजन से विशेष अभिषेक पूजन करवाना चाहिए, तत्काल चमत्कारिक परिणाम मिलते हैं। इसके साथ ही मंगल पीड़ित व्यक्ति के लिए प्रतिदिन 10 से 15 मिनट ध्यान करना उत्तम रहता है। मंगल दोष से पीड़ित व्यक्ति जब भी अपना घर बनवाये तो उसे घर में लाल पत्थर अवश्य लगवाना चाहिए।  

सावन पुत्रदा एकादशी व्रत: कब करें उपवास, कैसे करें पूजा, जानें हर जरूरी जानकारी

पुत्रदा एकादशी सावन महीने की अंतिम एकादशी है, जो 5 अगस्त 2025 को मनाई जाएगी. पुत्रदा एकादशी वर्ष में दो बार आती है- पौष और सावन माह में. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है. सावन शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहा जाता है, जो पवित्रता एकादशी के नाम से भी जानी जाती है. हिंदू मान्यता के अनुसार, इस दिन व्रत रखने और विष्णु जी की पूजा करने से नि:संतान जोड़ों को संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है. सावन पुत्रदा एकादशी शुभ मुहूर्त श्रावण मास के पुत्रदा एकादशी की तिथि 4 अगस्त को सुबह 11 बजकर 41 मिनट पर शुरू होगी और तिथि का समापन 5 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 12 मिनट को होगा. उदयातिथि के अनुसार, श्रावण मास के पुत्रदा एकादशी 5 अगस्त 2025 को ही मनाई जाएगी. पारण का समय- 6 अगस्त को सुबह 5 बजकर 45 मिनट से लेकर सुबह 8 बजकर 26 मिनट तक रहेगा.  सावन पुत्रदा एकादशी पूजन विधि इस दिन का शुभारंभ सुबह स्नान से करें और फिर भगवान विष्णु की पूजा के लिए तैयार हों. पूजा में धूप, दीप, नैवेद्य और अन्य 16 सामग्री का उपयोग करें. भगवान विष्णु का गंगाजल से अभिषेक करें और उन्हें पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें. इस दिन व्रत रखें और भगवान के भोग में तुलसी अवश्य शामिल करें. भोग लगाने के बाद भगवान विष्णु की आरती करें और रात को दीपदान करके पूजा का समापन करें. सावन पुत्रदा एकादशी का महत्व  धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, जो दंपत्ति संतान प्राप्ति की कामना रखते हैं, विशेष रूप से पुत्र की इच्छा रखते हैं, उन्हें यह व्रत अवश्य करना चाहिए. यह व्रत वर्ष में दो बार आता है – पौष और सावन माह में. यह व्रत रक्षाबंधन से चार दिन पहले रखा जाता है और इसमें भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. इस व्रत के पालन से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है, साथ ही ग्रह दोष भी दूर हो जाते हैं.

शुक्रवार 02अगस्त 2025 का पढ़ें दैनिक राशिफल

मेष राशि- मेष राशि वाले आत्मविश्वास से लबरेज रहेंगे, परंतु संयत रहें। व्यर्थ के क्रोध से बचें। नौकरी में बदलाव के योग बन रहे हैं। तरक्की के अवसर मिल सकते हैं। वाहन सुख में वृद्धि होगी। वृषभ राशि- वृषभ राशि वालों में आत्मविश्वास तो बहुत रहेगा, परंतु मन परेशान भी हो सकता है। आत्मसंयत रहें। क्रोध से बचें। शैक्षिक कार्यों में सफल रहेंगे। परिवार से दूर रहना पड़ सकता है। मिथुन राशि- मिथुन राशि वालों को अशांति महसूस होगी। आत्मसंयत रहें। क्रोध से बचें। बातचीत में संतुलित रहें। सप्ताह के प्रारंभ में संतान की सेहत का ध्यान रखें। नौकरी में कार्यक्षेत्र में परिवर्तन हो सकता है।H कर्क राशि- कर्क राशि वालों का मन परेशान रहेगा। आत्मसंयत रहें। क्रोध के अतिरेक से बचें। वाणी के प्रभाव में वृद्धि होगी। किसी नए कारोबार की शुरुआत हो सकती है। पिता से धन की प्राप्ति हो सकती है। आय में वृद्धि होगी। सिंह राशि- सिंह राशि वाले किसी अज्ञात भय से परेशान हो सकते हैं। मन में नकारात्मक विचारों से बचें। नौकरी में बदलाव के साथ तरक्की के योग बन रहे हैं। कार्यक्षेत्र में वृद्धि होगी। सेहत के प्रति सचेत रहें। कन्या राशि- कन्या राशि वालों का मन अशांत रहेगा। आत्मसंयत रहें। व्यर्थ के क्रोध से बचें। बातचीत में भी संतुलन बनाए रखें। कारोबार में बदलाव के योग बन रहे हैं। भागदौड़ अधिक रहेगी। मित्रों का सहयोग मिलेगा। तुला राशि- तुला राशि वालों का मन प्रसन्न रहेगा। आत्मविश्वास भरपूर रहेगा। पठन-पाठन में रुचि बढ़ेगी। शैक्षिक कार्यों में सफलता मिलेगी। बौद्धिक कार्यों में मान-सम्मान की प्राप्ति होगी। आय में वृद्धि होगी। खर्चों में वृद्धि होगी। वृश्चिक राशि- वृश्चिक राशि वालों का मन परेशान रहेगा। धैर्यशीलता में कमी रहेगी। परिवार की सेहत का ध्यान रखें। पिता का साथ मिलेगा। कारोबार में कठिनाई आ सकती है। परिवार का साथ रहेगा। धनु राशि– धनु राशि वालों का मन अशांत रहेगा। आत्मसंयत रहें। व्यर्थ के क्रोध से बचें। बातचीत में संतुलित रहें। कारोबार में वृद्धि होगी। लाभ में भी वृद्धि होगी। शैक्षिक कार्यों के लिए किसी दूसरे स्थान पर जा सकते हैं। मकर राशि- मकर राशि वालों के मन में उतार-चढ़ाव रहेंगे। शैक्षिक कार्यों में सफल रहेंगे। बौद्धिक कार्यों से आय के साधन बन सकते हैं। कारोबार से लाभ में वृद्धि होगी। किसी मित्र के सहयोग से आय में वृद्धि हो सकती है। कुंभ राशि- कुंभ राशि वालों के मन में प्रसन्नता रहेगी और आत्मविश्वास भी भरपूर रहेगा। पठन-पाठन में रुचि रहेगी। शैक्षिक व बौद्धिक कार्यों में मान-सम्मान की प्राप्ति होगी। सेहत के प्रति सचेत रहें। मीन राशि- मीन राशि वालों के आत्मविश्वास में कमी रहेगी। मन परेशान भी रहेगा। माता की सेहत का ध्यान रखें। भागदौड़ अधिक रहेगी। रहन-सहन कष्टमय हो सकता है। खर्चों में वृद्धि होगी। लाभ के अवसर मिलेंगे।

शिव की कृपा से लक्ष्मी का वरदान, इन राशियों की किस्मत पलटेगा गजलक्ष्मी राजयोग

हिंदू धर्म में सावन माह को भगवान शिव की उपासना का सबसे पवित्र समय माना जाता है। इस पूरे महीने में शिवभक्त व्रत, पूजा और रुद्राभिषेक के माध्यम से शिव की कृपा प्राप्त करते हैं। साल 2025 में सावन का अंतिम सोमवार 4 अगस्त को पड़ रहा है, और यह दिन खास इसलिए है क्योंकि इस दिन एक नहीं बल्कि कई शुभ योगों का निर्माण हो रहा है, जो कुछ राशियों के लिए सौभाग्य के द्वार खोल सकते हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, इस दिन मिथुन राशि में गुरु और शुक्र की युति से गजलक्ष्मी राजयोग बन रहा है, जो धन, वैभव और सौंदर्य का प्रतीक है। साथ ही सूर्य और गुरु की स्थिति से द्विद्वादश योग भी बन रहा है, जो भाग्यवृद्धि और आत्मबल को बढ़ाता है। इतना ही नहीं, सूर्य जब कर्क राशि में रहकर बुध के साथ युति करेगा, तब बुधादित्य योग का निर्माण होगा, जो बुद्धि और नेतृत्व क्षमता में वृद्धि लाता है। इन सभी शुभ योगों के कारण कई राशियों की किस्मत इस दिन चमक सकती है। आइए जानते हैं कौन सी हैं वे भाग्यशाली राशियां। वृषभ राशि वृषभ राशि के जातकों के लिए सावन का अंतिम सोमवार बेहद शुभ साबित हो सकता है, खासतौर पर द्विद्वादश योग के बनने से। यह योग आपके लंबे समय से अटके हुए कामों को गति देने वाला है। जो कार्य अब तक बार-बार अटक रहे थे, वे अब पूरे होने लगेंगे। साथ ही आमदनी के नए रास्ते खुल सकते हैं, जिससे आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो सकती है। भगवान शिव की कृपा से इस समय आपकी मेहनत का फल मिलना शुरू होगा। पारिवारिक जीवन में भी सुख-शांति बनी रहेगी। घर में जो आपसी मतभेद या परेशानियां चल रही थीं, वे अब दूर होने लगेंगी। भाई-बहनों के साथ रिश्तों में मधुरता आएगी और आपसी सहयोग बढ़ेगा। नौकरीपेशा लोगों को काम के क्षेत्र में मान-सम्मान और तरक्की के अवसर मिल सकते हैं। वहीं व्यापारी वर्ग के लिए यह समय रणनीति बनाकर काम करने का है  क्योंकि इस दौरान बनाई गई योजनाएं सफल होंगी और लाभदायक साबित हो सकती हैं। कन्या राशि कन्या राशि के जातकों के लिए सावन का अंतिम सोमवार बहुत ही शुभ संकेत लेकर आ रहा है। इस दिन बनने वाला गुरु और सूर्य का द्विद्वादश योग आपके लिए लाभकारी सिद्ध हो सकता है। इस समय आपको हर क्षेत्र में सफलता मिलने की संभावना है , खासकर वे कार्य जो लंबे समय से अधूरे थे, अब पूरे हो सकते हैं। परिवार के साथ भी रिश्ते मजबूत होंगे और आपसी समय की गुणवत्ता बढ़ेगी। यदि आप विदेश से जुड़े किसी काम में हैं या विदेश यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो वहां से भी लाभ मिलने के संकेत हैं। नौकरीपेशा जातकों के लिए यह समय बहुत ही अनुकूल रहेगा। आपके काम की सराहना होगी और लीडरशिप क्वालिटी उभरकर सामने आएगी, जिससे आपको नई ज़िम्मेदारियां और ऊंचा पद मिल सकता है। वेतन वृद्धि और पदोन्नति के योग भी बन रहे हैं। इसके साथ ही इस समय आपको पिता या किसी गुरु तुल्य व्यक्ति का पूरा सहयोग मिल सकता है, जो आपके लक्ष्य को पाने में सहायक साबित होगा। तुला राशि तुला राशि वालों के लिए सावन का आखिरी सोमवार शिव जी की विशेष कृपा लेकर आ सकता है। इस समय आपके जीवन में खुशियों की नई शुरुआत हो सकती है। जो भी कार्य आप लंबे समय से कर रहे हैं, उनमें अब साफ तौर पर सफलता दिखने लगेगी। कानूनी मामलों में उलझे हुए लोग राहत की सांस ले सकते हैं, क्योंकि कोर्ट-कचहरी से जुड़े मामलों में आपके पक्ष में फैसला आ सकता है। पद और प्रतिष्ठा में वृद्धि के संकेत हैं, जिससे समाज या कार्यक्षेत्र में आपकी पहचान और सम्मान बढ़ेगा। पारिवारिक रिश्तों की बात करें तो पिता के साथ यदि कोई मनमुटाव या दूरी थी, तो वह अब दूर हो सकती है। अविवाहित लोगों को विवाह का अच्छा प्रस्ताव मिल सकता है और विवाहित जातकों के वैवाहिक जीवन में चल रही परेशानियां खत्म हो सकती हैं। पार्टनर के साथ संबंधों में गहराई आएगी और साथ में समय बिताने के अवसर मिलेंगे। जो लोग नई नौकरी की तलाश में हैं, उनके प्रयास अब रंग ला सकते हैं। यह समय आपके लिए आत्मविश्वास और सकारात्मक ऊर्जा से भरा हुआ रहेगा। 

गणेश चतुर्थी 2025: जानें किस दिन विराजेंगे विघ्नहर्ता गणपति

ज्ञान, बुद्धि के देवता विघ्ननहर्ता भगवान श्री गणेश का जन्मोत्सव 10 दिनों तक चलता है जिसे गणेश उत्सव के नाम से जाना जाता है. भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाने वाला पर्व गणेश चतुर्थी हर साल मनाया जाता है. हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से गणेश उत्सव शुरू होता है. गणेश चतुर्थी के दिन, भगवान गणेश को बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है. भगवान गणेश का जन्म मध्याह्न काल के दौरान हुआ था इसीलिए मध्याह्न के समय को गणेश पूजा के लिये ज्यादा उपयुक्त माना जाता है. इस दौरान भक्त-लोग पूरे विधि-विधान से गणेश पूजा करते हैं. कब हुआ था भगवान गणेश का जन्म? भगवान गणेश जी का जन्म भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष के दौरान हुआ था.हर साल यह पर्व अगस्त या सितंबर के महीने में मनाया जाता है. गणेशोत्सव अनन्त चतुर्दशी के दिन समाप्त होता है और इस दिन विर्सजन किया जाता है. अनन्त चतुर्दशी के दिन श्रद्धालु बड़े ही धूम-धाम के साथ भगवान गणेश की प्रतिमा का सरोवर, झील, नदी में विसर्जन करते हैं. गणेश चतुर्थी 2025 कब?     चतुर्थी तिथि की शुरूआत 26 अगस्त, 2025 को दोपहर 01:54 बजे होगी.     चतुर्थी तिथि समाप्त 27 अगस्त, 2025 को दोपहर 03:44 पर होगी.     गणेश विसर्जन 6 सितंबर, 2025 शनिवार के दिन किया जाएगा.     गणेश चतुर्थी पर मध्याह्न पूजा मुहूर्त सुबह 11:05 से दोपहर 01:40 तक रहेगा. जिसकी कुल अवधि – 02.34 मिनट्स रहेगी. भगवान गणेश का जन्म मध्याह्न के सम हुआ था.इस दिन को पांच हिस्सों में बांटा जाता है. इसमें मध्याह्न काल को गणेश पूजा के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है. इसीलिए इस दिन मध्याह्न काल में पूजा जरूर करें. इस दौरान आप मूर्ति स्थापना कर सकते हैं.

रविवार 27 जुलाई 2025 बदल जाएगी इन राशियों की किस्मत

मेष: आपके दिन की शुरुआत अच्छी होगी आज। कुछ अप्रत्याशित घटनाएं आपके काम करने की स्पीड को धीमा कर सकती हैं। आर्थिक स्थिति उम्मीद के मुताबिक रहेगी लेकिन कुछ अप्रत्याशित खर्चे चीजें बिगाड़ सकते हैं। तनाव से बचने के लिए सेल्फ केयर पर फोकस करें। वृषभ: आज आपके खर्चे बढ़ सकते हैं और आपको अपनी फाइनेंशियल कंडीशन के प्रति सावधान रहने की जरूरत है। पार्टनरशिप में बिजनेस करने वालों में मतभेद हो सकता है, जिससे दरार पड़ सकती है। दोपहर के दौरान आपको कुछ राहत मिलने की संभावना है। मिथुन: आज इंकम बढ़ाने और प्रमोशन पाने के लिए आपको पूरे लगन के साथ ऑफिस के टास्क कंप्लीट करने चाहिए। आर्थिक रूप से यह एक अच्छा दिन है। आज करियर में कुछ उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है। हाइड्रेटेड रहें और सेल्फ-केयर पर फोकस करें। कर्क: करियर के नए अवसर आपके सामने आएंगे। आज आपको प्रशंसा मिल सकती है। व्यापार अच्छा चलेगा और आप अच्छे मुनाफे की भी उम्मीद कर सकते हैं। व्यवसायियों को दिन की शुरुआत में कुछ असफलताओं का सामना करना पड़ेगा लेकिन जैसे-जैसे दिन गुजरेगा चीजें बेहतर होंगी। सिंह: आज कुछ योजनाएं गलत साबित हो सकती हैं और इसका भार आप पर भी आ सकता है। सलह यह रहेगी कि सावधान रहें और केवल वही जिम्मेदारियां लें, जिनके बारे में आप आश्वस्त महसूस करते हैं। विदेश यात्रा के योग बन रहे हैं, जो लाभदायक रहेगी। कन्या: आज कुछ अप्रत्याशित समस्याएं सामने आ सकती हैं, जिससे आपकी प्लानिंग पूरी होने में देरी हो सकती है। कारोबार से जुड़े लोगों को आज सावधान रहने की जरूरत है। कॉन्फिडेंस में आपके कमी आ सकती है। तुला: आज हो सकता है कि आपके सहकर्मी सहयोगात्मक न हों और आपको अपने सहकर्मियों से कही गई बातों में सावधानी बरतने की जरूरत है। आज अपने करियर में कुछ असफलताओं का अनुभव हो सकता है। वृश्चिक: व्यापार से जुड़े लोगों को आज काफी मेहनत करनी पड़ेगी। स्ट्रेस से बचने के लिए मेडिटेशन का सहारा ले सकते हैं। प्रोडक्टिविटी आज रोज के मुकाबले नॉर्मल से स्लो रहेगी और यह आपको बेचैन कर सकती है। हेल्थ आज अच्छी रहेगी। धनु: कुछ व्यवसायी लोग अपना कार्यक्षेत्र बदलना चाह रहे होंगे। आज आपको अपनी मेंटल हेल्थ का खास ख्याल रखना चाहिए। लाइफ में प्रॉब्लम आना नॉर्मल है। इसलिए हिम्मत न हारें और पॉजिटिव रहने की कोशिश करें। मकर: आज के दिन दफ्तर में टिके रहने के लिए बहुत कड़ी मेहनत करनी होगी। धैर्य रखने की कोशिश करें और कठोर शब्दों का प्रयोग न करें। व्यवसायियों को स्टाफ संकट का सामना करना पड़ सकता है। वित्त औसत रहेगा और उम्मीद से कम रहेगा। कुंभ: आज लाइफ पार्टनर के साथ बॉन्ड को स्ट्रांग बनाने के लिए आप डेट प्लान कर सकते हैं। दिन की शुरुआत में अपने करियर को लेकर आप स्ट्रगल करेंगे। काम का प्रेशर ज्यादा महसूस होगा। नौकरी में बदलाव की भी बड़ी संभावना है। मीन: आपके सिनीयर्स आप पर बिना किसी वजह के प्रेशर डाल सकते हैं और कार्य संतुष्टि में कमी हो सकती है। काम से संबंधित कुछ निराशाओं का सामना करना पड़ेगा। हो सकता है कि आप अपने लक्ष्य हासिल न कर पाएं और खर्चे बढ़ जाएं या आपका बजट गड़बड़ा जाए।

सावन में रुद्राक्ष धारण: कब, कैसे और क्यों? जानें सभी जरूरी नियम

रुद्राक्ष को भगवान शिव का आर्शीवाद माना जाता है. रुद्राक्ष केवल एक आभूषण नहीं है, बल्कि इसे शिव कृपा और आध्यात्मिक यात्रा का पवित्र उपकरण कहा जाता है. इसे पहनने के लिए इन दिशानिर्देशों का पालन करके, आप रुद्राक्ष की आध्यात्मिक शक्ति को बढ़ा सकते हैं, अपने जीवन में संतुलन, शांति और दिव्य ऊर्जा ला सकते हैं. रुद्राक्ष की प्रकृति को गर्म माना जाता है. यही कारण है कि कुछ लोग इसे धारण नहीं कर पाते. ऐसी स्तिथि में इसे आप अपने पूजा कक्ष में रख सकते हैं और इसकी माला से जाप भी कर सकते हैं. अगर आप इसे पहली बार धारण करने जा रहे हैं तो इन बातों का ध्यान जरुर रखिए. रुद्राक्ष पहनने से पहले की तैयारी रुद्राक्ष पहनने से पहले उसे 24 घंटे के लिए घी में भिगोकर रखें. घी के बाद रुद्राक्ष को गाय के दूध में भिगोकर रखें. रुद्राक्ष को गंगाजल से धोकर उन्हें बाद में एक साफ कपड़े से पोंछें. इसे पिरोने के लिए कपास या रेशम के धागे का उपयोग करें. आप सोने, चांदी के तारों का भी उपयोग कर सकते हैं. अब रुद्राक्ष को हाथ में लेकर शिव मंत्रों के 108 बार जाप से इसे चार्ज करें. रुद्राक्ष की संख्या आप रुद्राक्ष की 108 बीड्स और एक गुरु मनके की माला पहन सकते हैं. या आप इसे 27 या 54 की संख्या में पहन सकते हैं. रुद्राक्ष को पहनने का समय रुद्राक्ष पहनने का सबसे अच्छा समय सुबह ब्रह्म मुहूर्त में होता है. इसे किसी शुभ दिन, सोमवार या गुरुवार को पहनें. रुद्राक्ष पहनने के लिए नियम रुद्राक्ष का सम्मान करें. इसे टॉयलेट जाने से पहले उतारकर जाएं. इसे सोने से पहले निकालें सकते हैं. रुद्राक्ष मंत्र और रुद्राक्ष मूल मंत्र को हर सुबह नौ बार पहने हुए और रात में हटाने से पहले जप करें. इसे पहनने के बाद गैर-शाकाहारी भोजन खाने और शराब का सेवन करने से बचें. रुद्राक्ष को दाह अंतिम संस्कार, या सूतक-पातक में नहीं पहना जाता.