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तीन साल की बच्ची द्वारा संथारा लेने पर कोर्ट सख्त, वैधता पर उठाए सवाल

इंदौर मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने केंद्र शासन और राज्य सरकार के साथ सभी संबंधित पक्षकारों को नोटिस जारी कर पूछा है कि ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित साढ़े तीन साल की बच्ची वियाना 'जो कि समझने की स्थिति में नहीं थी' ने संथारा की सहमति कैसे दी थी। मामले को लेकर हाई कोर्ट में चल रही जनहित याचिका में मंगलवार को सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि अब तक तीन नाबालिग का संथारा हुआ है। ये तीनों ही बालिकाएं हैं। इनमें हैदराबाद की 13 वर्षीय, मैसूर की 10 वर्षीय और इंदौर की साढ़े तीन वर्षीय बालिका शामिल हैं।   मामले में सुनवाई अब 25 अगस्त को याचिकाकर्ता ने कोर्ट से गुहार लगाई कि याचिका का अंतिम निराकरण होने तक नाबालिग के संथारा पर रोक लगाई जाए, लेकिन कोर्ट ने यह कहते हुए इससे इंकार कर दिया कि यह जैन समाज से जुड़ा मामला है। उनका पक्ष सुने बगैर कोई आदेश नहीं दे सकते। मामले में अब 25 अगस्त को सुनवाई होगी। याचिका में अब वियाना के माता-पिता भी पक्षकार होंगे। कोर्ट ने मंगलवार उन्हें पक्षकार बनाने के आवेदन को स्वीकार कर लिया। हाई कोर्ट में याचिकाकर्ता प्रांशु जैन ने एडवोकेट शुभम शर्मा के माध्यम से यह जनहित याचिका दायर की है। इसमें कहा है कि इतनी कम उम्र की बच्ची संथारा जैसे गंभीर निर्णय की सहमति कैसे दे सकती है। साढ़े तीन वर्षीय बेटी वियाना को 21 मार्च को संथारा मंगलवार को हुई सुनवाई में याचिकाकर्ता के वकील ने गुहार लगाई कि नाबालिग के संथारा दिलाए जाने पर रोक लगाई जाए, लेकिन कोर्ट ने ऐसा करने से इंकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि संबंधित पक्षकारों को सुनने के बाद ही कोई आदेश दिया जा सकता है। यह है मामला इंदौर के पीयूष और वर्षा जैन की लगभग साढ़े तीन वर्षीय बेटी वियाना को 21 मार्च को संथारा दिलवाया गया था। मई के पहले सप्ताह में वियाना की मां वर्षा ने यह बात खुद मीडिया को बताई थी। उन्होंने बताया था कि जनवरी 2025 में पता चला था कि वियाना को ब्रेन ट्यूमर है। एक रात निकालना भी मुश्किल 9 जनवरी को उसे मुंबई ले जाया गया था। वहां उसका ट्यूमर का आपरेशन हुआ जिसके बाद वह ठीक भी होने लगी थी, लेकिन मार्च 2025 के तीसरे सप्ताह में उसकी तबीयत बिगड़ने लगी। ऐसी स्थिति में हम वियाना को 21 मार्च को राजेश मुनि महाराज के पास ले गए। उन्होंने कहा कि इसका एक रात निकालना भी मुश्किल है। इसे संथारा करा देना चाहिए। हमने संथारा की सहमति दे दी। गुरुदेव ने संथारा की प्रक्रिया पूरी कराई। संथारा लेने के मात्र 10 मिनट बाद ही वियाना का निधन हो गया।

ब्लैकबोर्ड की जगह हाईटेक क्लासरूम, यूपी की शिक्षा व्यवस्था में आई बड़ी क्रांति

लखनऊ अब परिषदीय विद्यालयों की कक्षाओं में ब्लैकबोर्ड नहीं दिखेंगे। उनकी जगह हर कमरे में गुणवत्ता वाले ग्रीन और व्हाइट बोर्ड लगाए जाएंगे। यह बदलाव सिर्फ पढ़ाई के माध्यम को रंगीन और साफ नहीं बनाएगा, बल्कि सरकारी स्कूलों की पुरानी तस्वीर भी बदलेगा। प्रदेश के सभी प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और कंपोजिट विद्यालयों में इस बदलाव की शुरुआत हो चुकी है। हालांकि कुछ विद्यालयों में ब्लैकबोर्ड को पहले ही हटाया जा चुका है। अब इसे हर विद्यालय में बदला जाएगा। दरअसल, वर्ष 2025-26 के लिए प्रदेश के सभी परिषदीय स्कूलों को ‘कंपोजिट स्कूल ग्रांट’ के तहत 246 करोड़ 51 लाख 75 हजार रुपये की पहली किस्त जारी कर दी गई है। यह पूरी राशि सभी जिलों के लिए जारी हुई है। बेसिक शिक्षा अधिकारियों को इससे स्कूलों में जरूरी बुनियादी सुधार कराना है। स्कूलों को मिलने वाली इस ग्रांट का हिसाब अब सिर्फ कागजों तक सीमित नहीं रहेगा। हर विद्यालय की दीवार पर वर्षवार और मदवार तरीके से पेंट कर यह बताया जाएगा कि कितना पैसा आया और कहां खर्च हुआ। यानी गांव के लोगों को भी यह आसानी से पता चलेगा कि स्कूल में क्या-क्या काम हुआ है। शिक्षक इसे पारदर्शिता और जनजागरूकता की दिशा में अहम कदम मान रहे हैं। ग्रांट का कम से कम 10 प्रतिशत हिस्सा स्कूलों की साफ-सफाई पर खर्च करना होगा। शिक्षकों को मिले टैबलेट के लिए सिम और इंटरनेट खर्च अब ग्रांट से ही जिला स्तर पर चुकाया जाएगा। जिन स्कूलों में 250 से अधिक बच्चे पढ़ते हैं, वहां आरओ वाटर कूलर के लिए 75 हजार से 1 लाख रुपये तक की राशि अलग से दी जाएगी। हर स्कूल में मेडिकल किट रखना भी अनिवार्य होगा। महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने मंगलवार को सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को इस रकम के सही उपयोग के लिए विस्तृत निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने कहा कि स्कूलों की दीवारों पर खर्च का ब्यौरा पेंट कराना अनिवार्य है ताकि पारदर्शिता बनी रहे और समुदाय की भागीदारी बढ़े। कुछ शिक्षकों ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि जब स्कूल के बाहर ही पेंटिंग के जरिये पता चल जाएगा कि कितना पैसा आया और कैसे खर्च हुआ, तो गांव के लोगों में स्कूल के प्रति भरोसा भी बढ़ेगा और जागरूकता भी।  

5163 करोड़ की लागत से होगा विद्युत ट्रांसमिशन सिस्टम का सुदृढ़ीकरण : ऊर्जा मंत्री तोमर

भोपाल  ऊर्जा मंत्री श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने बताया है कि प्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं को निर्बाध एवं गुणवत्ता पूर्ण बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए विद्युत ट्रांसमिशन सिस्टम का सुदृढ़ीकरण किया जायेगा। इसके लिए वर्ष 2025-26 से 2029-30 तक की कार्य योजना बनायी गयी है। इस योजना के क्रियान्वयन पर 5 हजार 163 करोड़ रूपये का व्यय अनुमानित है। ट्रांसमिशन सिस्टम के सुदृढ़ीकरण के लिए निर्माण कार्यों और संरचनाओं के उन्नयन पर 1154 करोड़, सिंहस्थ-2028 के लिए जरूरी कार्यों के लिए 185 करोड़, नवीन अति उच्चदाव उप केन्द्रों के निर्माण पर 1015 करोड़, मुरैना संभागीय मुख्यालय एवं ग्वालियर शहर के उत्तरी भाग को अनवरत विद्युत आपूर्ति के लिए नवीन अति उच्चदाब लाइनों के निर्माण पर 54 करोड़, प्रदेश में विद्यमान अति उच्चदाव ट्रांसफार्मरों की क्षमता संवर्धन पर 1280 करोड़, आरडीएसएस योजना में वितरण कंपनियों के लिए 184 नग नवीन 33 के.व्ही. में निर्माण पर 81 करोड़, डबल पोल, फोर पोल लाइन को टॉवर लाइन में रूपांतरण पर 662 करोड़ अति उच्चदब टेप लाइनों के स्थान पर लाइनों का लूप-इन, लूप-आउट किया जाना एवं एकल स्त्रोत से प्रदायित उप केन्द्रों के लिए नई लाइनों के निर्माण पर 451 करोड़ और स्काडा प्रणाली के प्रतिस्थापन सहित अन्य कार्यों पर 281 करोड़ रूपये खर्च होंगे। 

महासमुंद : जिले में अब तक 274.3 मिलीमीटर औसत वर्षा

महासमुंद : जिले में अब तक 274.3 मिलीमीटर औसत वर्षा सर्वाधिक वर्षा पिथौरा तहसील में 326.6 मिलीमीटर आज 25.0 मिलीमीटर औसत वर्षा दर्ज महासमुंद  महासमुंद जिले में चालू मानसून के दौरान 01 जून 2025 से अब तक 274.3 मिलीमीटर औसत वर्षा दर्ज की गई है। भू-अभिलेख से मिली जानकारी के अनुसार जिले में सर्वाधिक औसत वर्षा पिथौरा तहसील में 326.6 मिलीमीटर, सरायपाली में 297.7 मिलीमीटर, महासमुंद में 281.8 मिलीमीटर, बसना में 257.4 मिलीमीटर, बागबाहरा में 257.2 मिलीमीटर और सबसे कम वर्षा 225.4 मिलीमीटर कोमाखान तहसील में दर्ज की गई। आज 08 जुलाई को 25.0 मिलीमीटर औसत वर्षा दर्ज की गई। जिले के तहसीलवार वर्षा में पिथौरा तहसील में 36.0 मिलीमीटर, महासमुंद में 32.0 मिलीमीटर, कोमाखान में 25.9 मिलीमीटर, बागबाहरा में 22.6 मिलीमीटर, बसना में 18.1 मिलीमीटर एवं सरायपाली तहसील में 15.6 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई।  

प्राईवेट स्कूलों में नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन की मॉनिटरिंग हो : स्कूल शिक्षा मंत्री सिंह

भोपाल  स्कूल शिक्षा मंत्री श्री उदय प्रताप सिंह ने कहा है कि माध्यमिक शिक्षा मण्डल से संबद्ध प्राईवेट स्कूलों में नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन और शिक्षा की गुणवत्ता के मूल्यांकन के लिये विश्वसनीय मॉनिटरिंग की व्यवस्था होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की मंशा के अनुरूप आधुनिक कृषि के लिए युवाओं को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से प्रदेश के सरकारी स्कूलों में छात्रों को कृषि संकाय को बढ़ावा दिये जाने की आवश्यकता है। उन स्कूलों में, जिनके पास दो एकड़ से अधिक भूमि है, वहां प्राथमिकता के साथ कृषि संकाय शुरू किये जा सकते है। स्कूल शिक्षा मंत्री मंगलवार को मंत्रालय में नई शिक्षा नीति 2020 की टास्क फोर्स समिति की बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने शिक्षकों की आकस्मिक मृत्यु पर परिजन को नौकरी देने की व्यवस्था में सुधार के लिए उपयुक्त सुझाव देने के लिए कहा। स्कूल शिक्षा मंत्री श्र‍ी सिंह ने कहा कि आंगनवाड़ी केन्द्रों में बच्चों को पढ़ाई की तैयारी करने के लिए आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिये जाने की आवश्यकता है। यह काम पायलट प्रॉजेक्ट के तौर पर अलीराजपुर, बालाघाट, नरसिंहपुर और उज्जैन जिले में शुरू किये जाएं। प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं के पढ़ाने से बच्चे सरकारी स्कूलों में पहली कक्षा के पूर्व कक्षाओं में पढ़ाई के लिये तैयार होकर जाएंगे। उन्होंने राज्य शैक्षणिक अनुसंधान केन्द्र (एससीईआरटी) को मजबूत किये जाने के लिए संचालक की अध्यक्षता में कमेटी गठन करने के निर्देश दिए। स्कूल शिक्षा मंत्री ने कहा कि प्रदेश में नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के मूल्याकंन के लिए शिक्षाविदो के साथ आगामी 29 जुलाई को बैठक भी की जाए। इसी दिन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2020 में नई शिक्षा 2020 की घोषणा की थी। उन्होंने नई शिक्षा नीति के अनुरूप विद्यालयों में त्रिभाषा फॉरमूला को सख्ती लागू करने के निर्देश दिये। बैठक में ई-अटेंडेस, "हमारे 'शिक्षक," डिजिटल प्लेटफार्म के क्रिन्यान्वन पर चर्चा की गई। मंत्री श्र‍ी सिंह ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता के लिये ‍सबको इसकी परिधि में लाना चाहिए। आयुक्त लोक शिक्षण श्रीमती शिल्पा गुप्ता ने बताया कि बच्चों को परीक्षा की तैयारी के लिए स्कूल में रेमेडियल मॉडूयल भेजे गए थे। आयुक्त ने बताया कि इस शैक्षणिक सत्र में सरकारी स्कूलों में लगभग शत प्रतिशत पाठ्य पुस्तके पहुँचा दी गई थीं। टास्क फोर्स के सदस्यों ने स्कूलों और पालकों को मातृभाषा के महत्व को समझाने, पालकों की नियमित बैठक, नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के संबंध उपयोगी सुझाव दिए। बैठक में टास्क फोर्स समिति के सदस्यों में प्रमुख रूप से श्री अशोक कंडेल, डॉ. राम भावसार एवं अन्य सदस्यगण मौजूद थे। 

बरेली में कांवड़ यात्रा के लिए गाइडलाइन जारी, SSP बोले – डीजे की ऊंचाई रहेगी नियंत्रित

बरेली  बरेली में कांवड़ यात्रा के मद्देनजर पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था की तैयारियां लगभग पूरी कर ली हैं। एसएसपी के अनुसार कांवड़ यात्रा में डीजे की अधिकतम 12 फुट की मानक ऊंचाई तय की गई है। इससे सभी डीजे संचालकों व जत्थेदारों को अवगत करा दिया गया है। कांवड़ यात्रा में डीजे की ऊंचाई 12 फुट से अधिक नहीं होगी। बरेली में कांवड़ यात्रा के संबंध में एसएसपी अनुराग आर्य ने यह निर्देश जारी किए हैं। एसएसपी ने बताया कि कांवड यात्रा के संबंध में सभी जत्थेदारों व डीजे संचालक के साथ बैठक कर ली गई है। शासन की गाइडलाइन के अनुसार डीजे की अधिकतम 12 फुट की मानक ऊंचाई तय की गई है। इससे सभी को अवगत करा दिया गया है। कांवड़ यात्रा के दौरान जगह-जगह पुलिस सहायता शिविर लगाए जाएंगे। कांवड़ सेल का गठन किया गया है।  एसएसपी ने बताया कि इंफोलाइन के माध्यम से सभी जत्थेदारों से उनकी समस्या, रूट क्लियर, आने-जाने के संबंध में जानकारी कर ली जा रही है। शिव मंदिरों पर पुलिस सुरक्षा व्यवस्था का बंदोबस्त किया गया है। सोशल मीडिया पर 24 घंटे नजर रखी जा रही है। किसी ने भी माहौल बिगाड़ने की प्रयास किया तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। पूर्व में जिन लोगों ने भड़काऊ पोस्ट की हैं, उनको भी सूचीबद्ध किया गया है।  उन्होंने कहा कि प्रबुद्धजनों से लगातार संवाद किया जा रहा है। संवाद के माध्यम से सारी समस्याओं का निस्तारण कराया जा रहा है। इंफोलाइन में 10 सिपाही की ड्यूटी लगाई गई है, जो लगातार जत्थेदारों से बात कर जानकारी ले रहे हैं। मिश्रित आबादी के संवेदनशील, अति संवेदनशील क्षेत्रों में पुलिस पिकेट की व्यवस्था व सभी मंदिरों पर पुलिस भ्रमण की व्यवस्था को लागू किया गया है। जिलेभर में सावन भर सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद रहेगी। ऑनलाइन मीटिंग कर परखीं तैयारियां  सुरक्षा के मद्देनजर एसएसपी अनुराग आर्य ने ऑनलाइन मीटिंग के जरिये तैयारियां परखीं। साथ ही उचक्कों व शोहदों पर पैनी नजर रखने के निर्देश दिए। छेड़खानी, छिनैती जैसे महिला संबंधी अपराध रोकने के लिए मंदिरों पर महिला पुलिस की भी नियमित ड्यूटी लगाई गई है। कांवड़ जत्थों के रूट व जुलूस पर भी निगरानी के निर्देश दिए हैं।  एसएसपी ने सभी अधिकारियों को निर्देशित किया कि सावन के दौरान सतर्कता एवं सजगता बनाए रखें। संवेदनशील क्षेत्रों में विशेष निगरानी रखी जाए तथा किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए इंतजाम पुख्ता कर लिए जाएं। ऑनलाइन मीट में जिले के सभी एसपी, सीओ, सीओ एलआईयू, सभी थाना प्रभारी और प्रभारी यूपी 112 शामिल रहे। इन बिंदुओं पर एसएसपी ने दिए निर्देश      श्रावण मास की तैयारियां व संवेदनशील स्थानों की सुरक्षा व्यवस्था।     कांवड़ यात्रा के दौरान सुरक्षा प्रबंधन एवं ट्रैफिक नियंत्रण।     कांवड़ यात्रा एवं जुलूसों के लिए रूट मैपिंग एवं भीड़ नियंत्रण की स्थिति।     संवेदनशील क्षेत्रों में कलस्टर मोबाइल टीम की संख्या एवं तैनाती योजना।     कांवड़ यात्रा के दौरान पुलिस ड्यूटी प्लान व क्षेत्रीय गश्त की योजना।     अन्य सुरक्षा एवं प्रशासनिक बिंदुओं पर विचार विमर्श।  

आकाशीय बिजली से संभावित दुर्घटनाओं से स्वयं को बचायें, स्वास्थ्य विभाग ने जारी की एडवाइजरी

भोपाल  आकाशीय बिजली यानि वज्रपात से बचाव के लिए स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग ने जन समुदाय के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए हैं। आम-जन इन निर्देशों को अपनाकर आकाशीय बिजली से सुरक्षा और बचाव किया जा सकता है। आकाशीय बिजली या वज्रपात से आउटडोर यथा बाहरी गतिविधियों में शामिल लोग जैसे खेतों, औद्योगिक स्थानों, निर्माण और सामग्री हैंडलिंग वाले स्थलों पर काम करने वाले लोग सर्वाधिक संवेदनशील होते हैं। आकाशीय बिजली किसी भी समय गिर सकती है और यह मानसून के पहले जून-जुलाई में अधिक होती है। दोपहर और सायंकाल के बीच वज्रपात की घटनाएं सर्वाधिक देखी जाती हैं। जारी निर्देश में कहा गया है कि ऊंची नुकीली संरचनाओं, पेड़ों पर आकाशीय बिजली गिरने की अधिक संभावना होती है। ऐसे स्थानों से दूर रहने की सलाह दी गई है। धातु का मचान, धातु के उपकरण, पानी के पाइप या प्लम्बिंग, बिजली का संचालन करने वाली सामग्री अथवा सतहों के संपर्क से बचें। ऊंची अधोसंरचनाएं, पहाड़ी टेकरी, बिजली के खंभे, टेलीफोन के खंभे, ऊंचा पेड़, छत, मचान, धातु की सीढ़ी, बड़े मशीन जैसे बुलडोजर, क्रेन और ट्रैक्टर जैसे वाहनों से दूर रहें। विस्फोट संभावित क्षेत्रों तथा उद्योग स्थलों से तत्काल सुरक्षित स्थल की ओर प्रस्थान करें। धातु युक्त वाहनों से विद्युत प्रवाह संभावित होने के कारण तुरंत सुरक्षित स्थलों की ओर जाएं। सड़क पर होने पर तुरंत किसी भवन के अंदर शरण लें। आकाशीय बिजली के गर्जन सुनाई देने के बाद कम से कम 30 मिनट तक सुरक्षित स्थान पर बने रहें। घर और कार्यस्थल पर सुरक्षात्मक उपाय अपनाये बिजली एवं इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के संपर्क से दूरी बनाए रखें। इन्हें पावर प्लग से पृथक करें। बिजली का प्रवाह किसी भी दीवार, फर्श, इलेक्ट्रिकल सिस्टम, रेडियो और टेलीविजन रिसेप्शन सिस्टम तारों के माध्यम से हो सकता है। घर, कार्यालय में अर्थिंग सुनिश्चित करें। खुले हुए खिड़की, दरवाजे, धातु के पाइप इत्यादि के पास खड़े नहीं रहें। पानी के धातु पाइप से बिजली प्रवाहित हो सकती है। प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित लोगों के लिए विशेष कार्य योजना तैयार करने के निर्देश भी दिये गये हैं। विभाग द्वारा चिकित्सकीय सेवाओं के प्रदाय के लिए आवश्यक तैयारियाँ सुनिश्चित करने के निर्देश अधिकारियों को दिये गये हैं। पर्याप्त संख्या में औषधियाँ, सामग्री और पैरामेडिकल स्टॉफ का उन्मुखीकरण सुनिश्चित करने को कहा गया है। सभी शासकीय चिकित्सालयों तथा ग्रामीण क्षेत्रों में आशा कार्यकर्ताओं, ए.एन.एम./सी.एच.ओ. के पास जीवन रक्षक दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित हो। बहु-उद्देशीय कार्यकर्ताओं, आशा कार्यकर्ताओं एवं आशा पर्यवेक्षकों को स्थानीय स्तर पर आपात सेवा स्थापित करने के लिए तैयार रखा जाये। शासकीय अमले की सहायता के लिये स्थानीय स्वयंसेवी संगठनों व पैरामेडिकल स्टॉफ को चिन्हित कर आपात स्थिति में उनकी सेवाएं प्राप्त करने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएं।  

समृद्ध और विकसित शहर बनेंगे प्रदेश के समावेशी विकास की आधारशिलाः मुख्यमंत्री डॉ. यादव

भोपाल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विजन के अनुरूप मध्यप्रदेश के शहरों में इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित हो रहा है। इससे बढ़ती नगरीय जनसंख्या की आवश्यकताओं की पूर्ति होगी। समृद्ध और विकसित शहर, प्रदेश के समावेशी विकास की आधारशिला बनेंगे। इसे साकार करने के लिए मध्यप्रदेश ग्रोथ कॉन्क्लेव का आयोजन किया जा रहा है। 'नेक्स्ट होराइजन: बिल्डिंग सिटीज ऑफ टुमॉरो' थीम पर केन्द्रित कॉन्क्लेव में मध्यप्रदेश के शहरी विकास और निवेश पर देश की रियल एस्टेट सेक्टर के दिग्गज विकसित मध्यप्रदेश@2047 के लिए शहरी विकास के ब्लूप्रिंट पर चर्चा करेंगे। कॉन्क्लेव का आयोजन 11 जुलाई को इंदौर के ब्रिलिएंट कन्वेंशन सेंटर में किया जा रहा है। शहरी क्षेत्रों में विकास की प्रगति मध्यप्रदेश में शहरी अर्थव्यवस्था तेजी से विकसित हो रही है। प्रदेश में 4 शहर ऐसे हैं जिनकी जनसंख्या 10 लाख से अधिक है। साथ ही केन्द्र की स्मार्ट सिटी परियोजना में 7 शहर शामिल हैं। शहरी क्षेत्रों में अधो-संरचाना विकास के संबंधित 72 हजार करोड़ रुपये की परियोजनाओं पर कार्य किया जा रहा है। इसी के साथ करीब 88 हजार करोड़ रुपये की शहरी क्षेत्र से जुड़ी विकास योजनाएं प्रस्तावित है। मध्यप्रदेश ने स्वच्छता के लिये देश में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। इंदौर देश में पिछले 7 वर्षों से स्वच्छतम शहरों की श्रेणी में पहले नम्बर पर रहा है। भोपाल को देश की दूसरे नंबर की स्वच्छतम राजधानी बनने का गौरव हासिल किया है। प्रदेश के बजट में शहरी क्षेत्र के विकास के लिए 15 हजार 780 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष का प्रावधान किया गया है। प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) में शहरी क्षेत्र का योगदान 35.55 प्रतिशत है। शहरी क्षेत्रों में संचालित केन्द्र की फ्लैग शिप योजनाओं के क्रियान्वयन में प्रदेश सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले राज्यों शामिल है। नगरीय विकास से जुड़ी योजनाओं की गति तेज बनाए रखने के लिए सिंगल-विंडो सिस्टम की प्रशासनिक व्यवस्था की गई है। हाउसिंग सेक्टर में बेहतर निवेश की संभावना प्रदेश में हाउसिंग सेक्टर में निवेश की अच्छी संभावना है। अफोर्डेबल हाउसिंग में 8 लाख 32 हजार से अधिक किफायती आवास तैयार किये जा चुके है। प्रदेश में 10 लाख नए आवास तैयार किये जा रहे है। इनमें 50 हजार करोड़ रूपये का निवेश होगा। रियल एस्टेट की योजनाओं के क्रियान्वयन के लिये प्रदेश में मानव संसाधन की गुणवत्तापूर्ण वर्क फोर्स उपलब्ध है। प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में 6 हजार किलोमीटर सड़क, 80 प्रतिशत शहरी क्षेत्र में पाईपलाइन वॉटर सप्लाई कवरेज की सुविधा और शत् प्रतिशत शहरी क्षेत्र सीवरेज सिस्टम उपलब्ध है। नगरीय क्षेत्रों में स्थानीय निकायों में 23 सेवाएं ऑनलाइन डिजिटल प्लेटफार्म पर उपलब्ध कराई गई है। नगरीय निकायों में सेन्ट्रलाईज पोर्टल के माध्यम से मंजूरी दी जा रही है। प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं से जुड़ी योजनाओं पर 17 हजार 230 योजनाएं क्रियान्वित की जा रही है। शहरी क्षेत्रों में स्वच्छ पर्यावरण के लिये 2 हजार 800 करोड़ और वॉटर फ्रंट से संबंधित डेव्हलपमेंट में 2 हजार करोड़ रूपये की परियोजनाओं पर कार्य किया जा रहा है। प्रदेश में शहरी क्षेत्रों में सुगम परिवहन व्यवस्था के विस्तार के लिये 21 हजार करोड़ रूपये की परियोजनाएं संचालित हैं। वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने और पेट्रोलियम ईंधन के कार्बन फुट-फ्रंट रोकने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दिया जा रहा है। प्रदेश के बड़े शहरों में 552 इलेक्ट्रिक बसों का संचालन शुरू किया जा रहा है। प्रदेश में इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित करने के लिए इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी-2025 लागू की गई है। 

गौरेला पेण्ड्रा मरवाही : निशुल्क कोचिंग क्लासेस में प्रवेश के लिए इच्छुक अभ्यर्थियों से आवेदन 21 जुलाई तक आमंत्रित

गौरेला पेण्ड्रा मरवाही छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग एवं व्यावसायिक परीक्षा मंडल द्वारा आयोजित विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी के लिए आर्थिक रूप से कमजोर जिले के मूल निवासी छात्र-छात्राओं के लिए आदिवासी विकास विभाग द्वारा निःशुल्क कोचिंग सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। वर्ष 2025-26 में कोचिंग सुविधा उपलब्ध कराने इच्छुक अभ्यर्थियों से ऑफलाइन आवेदन 21 जुलाई तक आमंत्रित किया गया है। आवेदन पत्र का प्रारूप जिले की वेबसाइट https://gaurela-pendra-marwahi.cg.gov.in/ से प्राप्त कर सकते हैं। निर्धारित प्रारूप में पूर्ण रूप से भरा हुआ आवेदन पत्र स्वप्रमाणित दस्तावेजों-दसवीं मार्कशीट, बारहवीं मार्कशीट, स्नातक डिग्री, स्थायी जाति प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र एवं मूल निवास प्रमाण पत्र की छायाप्रति के साथ रजिस्टर्ड डाक या स्पीड पोस्ट के माध्यम से कार्यालय सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग जिला गौरेला पेण्ड्रा मरवाही में 21 जुलाई शाम 5.30 तक प्रस्तुत कर सकते हैं। आवेदन की सामान्य शर्तें एवं अन्य जानकारी जिले की वेबसाइट https://gaurela-pendra-marwahi.cg.gov.in/ में देखी जा सकती है।

जिले में 10648.70 क्विंटल बीज का भंडारण, किसानों को 9681.60 क्विंटल बीज का किया गया वितरण

जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्यादित राजनांदगांव जिले में 31070.7 मीट्रिक टन रासायनिक खाद का भंडारण, किसानों को 26836.9 मीट्रिक टन रासायनिक खाद का वितरण जिले में 10648.70 क्विंटल बीज का भंडारण, किसानों को 9681.60 क्विंटल बीज का किया गया वितरण रायपुर मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के निर्देश एवं कलेक्टर के मार्गदर्शन में किसानों के लिए खाद-बीज की सतत् आपूर्ति की जा रही है। जिले में खेती-किसानी का कार्य से जारी है। किसान सहकारी समितियों में खाद-बीज लेने के लिए प्रतिदिन आ रहे है। जिले में किसानों के लिए पर्याप्त मात्रा में खाद-बीज का भंडारण है। कलेक्टर ने किसानों को समय पर खाद-बीज की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए है। सभी समितियों में खाद-बीज की निरंतर आपूर्ति होते रहे इसके लिए सभी अधिकारियों को समन्वय बनाने के निर्देश दिए है।      मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्यादित राजनांदगांव श्री प्रभात मिश्रा ने बताया कि जिले में खरीफ 2025 अंतर्गत 31070.7 मीट्रिक टन रासायनिक खाद का भंडारण किया गया है, जो कुल भंडारण का 61.86 प्रतिशत है। अब तक किसानों को 26836.9 मीट्रिक टन रासायनिक खाद का वितरण किया जा चुका है। जिसमें यूरिया 9050.3 मीट्रिक टन, सुपर फास्ट 4466 मीट्रिक टन, डीएपी 2516.5 मीट्रिक टन, एनपीके 8445.3 पोटाश 2358.9 मीट्रिक टन है। किसानों को 4233.8 मीट्रिक टन रासायनिक खाद का वितरण किया जाना शेष है। जिसमें यूरिया 359.1 मीट्रिक टन, सुपर फास्ट 1650.7 मीट्रिक टन, डीएपी 404.9 मीट्रिक टन, एनपीके 806.6 मीट्रिक टन, पोटाश 1012.5 मीट्रिक टन है। इसी तरह जिले में 10648.70 क्विंटल बीज का भंडारण किया गया है और किसानों को 9681.60 क्विंटल बीज का वितरण किया गया है एवं 967.10 क्विंटल बीज का वितरण शेष है। इसके तहत जिले में 10625.10 क्विंटल धान का भंडारण किया गया है और किसानों को 9668.88 क्विंटल धान का वितरण किया गया है एवं 956.22 क्विंटल धान का वितरण शेष है।