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किसानों और मंडी व्यापारियों के हित में किये जा रहे हैं कार्य: मुख्यमंत्री डॉ. यादव

उज्जैन  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंगलवार को उज्जैन के तिलकेश्वर महादेव मंदिर पहुंचकर गौशाला में गोवर्धन पूजा की। मुख्यमंत्री ने गौमाता की पूजा भी की और विशाल गौ-अन्नकूट में शामिल हुए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि गौ-सेवा और प्रकृति के सम्मान में हर घर गौशाला और हर गांव में गोवर्धन पूजा आज पूरे प्रदेश में की जा रही है। हमारी सनातन संस्कृति हमें प्रकृति से सदैव जुड़े रहना सिखाती है। गौमाता अपने बछड़े के साथ हम सभी का भी ध्यान रखती है। भगवान श्रीकृष्ण गोपाल कृष्ण के नाम से भी जाने जाते हैं। वर्तमान में शासन और आमजन साथ मिलकर सभी त्यौ‍हार आनंद और हर्षोल्लास के साथ मना रहे हैं। दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। हमारा देश किसानों और गौ-पालकों का देश है। सही अर्थों में हम सब के लिए दीपावली तभी सार्थक है जब हमारे किसान और हमारा गौ-वंश उन्नत रहे, तभी समृद्धि आती है। गौ-शालाओं में प्रत्येक गौमाता की सेवा के लिए अनुदान राशि बढ़ाई गई है। जो लोग दुग्ध उत्पादन करना चाहते हैं, उन्हें भी शासन की और से अनुदान राशि दी जाएगी। हम हर घर गोपाल बनाने का कार्य करेंगे। मध्यप्रदेश शासन द्वारा सिंचाई के रकबे को बढ़ाने के लिए नदी जोड़ो अभियान प्रारंभ किया गया है। सूर्य घर योजना के अंतर्गत किसानों को सौर पंप लगाने पर 90 प्रतिशत तक अनुदान राशि दी जाएगी।  मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि शासन द्वारा सोयाबीन के लिए भावांतर भुगतान योजना प्रारंभ की गई है। यह किसानों और व्यापारियों के बीच में सेतु का कार्य करेगी। अनाज मंडियों का मान व्यापारियों से बढ़ेगा और किसानों का सम्मान भी बढ़ेगा। शासन द्वारा किसानों और मंडी व्यापारियों के हित में कार्य किए जा रहे हैं। अलग-अलग फसलों के उत्पादन के साथ प्रोसेसिंग यूनिट के लिए भी अनुदान राशि दी जाएगी। फूड प्रोसेसिंग में किसान और उपज मंडी के व्यापारी आपसी सहयोग के साथ कार्य करें। मालवा क्षेत्र में फूड पार्क बनाया जाएगा, जिससे किसान अपनी उपज को अच्छे दामों में बेच सकेंगे और व्यापारी भी निश्चिंत होकर व्यापार कर सकेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि वोकल फॉर लोकल को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरकार द्वारा निरंतर कार्य किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सभी को गोवर्धन पूजा की शुभकामनाएं दीं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने तिलकेश्वर महादेव का अभिषेक कर पूजन-अर्चन किया और प्रदेशवासियों की उन्नति और मंगलमय जीवन की कामना की। इस अवसर पर विधायक श्री अनिल जैन कालूहेड़ा, श्री चिंतामणी मालवीय, नगर निगम सभापति श्रीमती कलावती यादव, श्री संजय अग्रवाल, श्री मनीष तल्लेरा, श्री नारायण यादव, श्री रवि सोलंकी, एडीजी श्री उमेश जोगा, कलेक्टर श्री रोशन कुमार सिंह, पुलिस अधीक्षक श्री प्रदीप शर्मा, नगर निगम आयुक्त श्री अभिलाष मिश्रा और नागरिक उपस्थित थे। कार्यक्रम में मंडी व्यापारी संघ के अध्यक्ष श्री जि‍तेन्द्र अग्रवाल ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने सदैव किसानों और व्यापारियों के हित के लिए कार्य किया है। व्यापारी संघ द्वारा मुख्‍यमंत्री डॉ. यादव को स्मृति चिन्ह और गौमाता की मूर्ति भेंट कर सम्मान किया गया। श्री जगदीश पांचाल ने कार्यक्रम का संचालन और आभार प्रदर्शन किया। 

मुख्यमंत्री यादव का निर्देश: किसानों के लिए भावांतर योजना प्रक्रिया को बनाएं पूरी तरह सुगम

भोपाल  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि प्रदेश के किसानों के हित में भावांतर योजना प्रारंभ की गई है, जिसका चहुंओर स्वागत हो रहा है। प्रदेश में तीन गुना से अधिक पंजीयन योजना में हुए हैं। कुल 9.36 लाख किसानों ने पंजीयन करवाया है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि योजना की संपूर्ण प्रक्रिया में किसानों को कोई असुविधा न हो, यह सुनिश्चित किया जाए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने प्रदेश में किसानों से सोयाबीन खरीदी के लिए लागू की गई भावांतर योजना के संबंध में मुख्यमंत्री निवास में हुई बैठक में वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा कर निर्देश दिए। बैठक में बताया गया कि भावांतर योजना में प्रदेश में सात जिले उज्जैन, राजगढ़, शाजापुर, देवास, सीहोर, विदिशा और सागर ऐसे हैं जहां 50-50 हजार से अधिक किसानों ने पंजीयन करवाया है। इसी तरह 21 जिलों से 10-10 हजार से अधिक किसानों ने पंजीयन करवाया है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि जिलों में किसानों को मंडियों और उपमंडियों में सोयाबीन विक्रय के लिए आवश्यक तैयारियां पूर्ण की जाएं। योजना से संबंधित सभी आवश्यक जानकारियां किसानों को प्रदान की जाएं। इस माह किए गए योजना के प्रचार का ही अच्छा परिणाम है कि बड़ी संख्या में पंजीयन हुए हैं। ई-उपार्जन पोर्टल के माध्यम से किसानों के पंजीकृत बैंक खाते में डीबीटी के माध्यम से भावांतर राशि का भुगतान निर्धारित अवधि में किया जाए, साथ ही भुगतान के संबंध में किसान को एसएमएस के माध्यम से सूचना दी जाए। मंडियों में की गईं तकनीकी और मानव संसाधन व्यवस्थाएं बैठक में बताया गया कि प्रदेश में 24 अक्टूबर से 15 जनवरी 2026 तक सोयाबीन की विक्रय अवधि रहेगी। ई-उपार्जन पोर्टल पर पंजीयन के बाद मंडी पोर्टल में ई-मंडी पोर्टल पर सभी कार्य इलेक्ट्रानिक माध्यम से किए गए हैं। सभी मंडियों और उप मंडियों में तकनीकी एवं मानव संसाधन की व्यवस्था की गई है। मंडी स्तरीय कर्मचारियों का प्रशिक्षण भी हुआ है। प्रवेश गेट और प्रांगण की सीसीटीवी मॉनिटरिंग की व्यवस्था की गई है। प्रत्येक मंडी में हेल्प डेक्स भी बनाई गई है। कलेक्टर्स और कमिश्नर्स के साथ ही कृषि सचिव द्वारा बैठकों में भावांतर योजना के संबंध में आवश्यक निर्देश दिए गए हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने एक अन्य बैठक में प्रदेश के किसानों के हित में सोलर पंप योजना के संबंध में वरिष्ठ अधिकारियों से विस्तृत विचार-विमर्श किया। नवकरणीय ऊर्जा विभाग द्वारा प्रदेश में किसानों के लिए सोलर पम्प स्थापना अभियान के संबंध में की जा रही कार्यवाही का विवरण दिया गया। अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री कार्यालय श्री नीरज मंडलोई सहित संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।  

MP में किसानों के लिए खुशखबरी! कोदो-कुटकी अब MSP पर खरीदी जाएगी — ऐतिहासिक फैसला घोषित

भोपाल  पहली बार कोदो और कुटकी फसलों का उपार्जन न्यूनतम समर्थन मूल्य पर करने की नीति लागू की गई है। राज्य शासन ने कोदो और कुटकी उत्पादक किसानों के हित में यह ऐतिहासिक निर्णय लिया है। इन फसलों के उपार्जन के लिए किसानों का पंजीयन 10 अक्टूबर से प्रारंभ हो गया है, जो 24 अक्टूबर तक किया जा सकेगा। किसानों की सुविधा के लिए पंजीयन केन्द्र स्थापित उपसंचालक कृषि ने बताया कि विकासखण्ड सीधी में किसानों की सुविधा के लिए गांधीग्राम और चौफाल कोठार, विकासखण्ड रामपुर नैकिन के लिए कुडिया, बघवार तथा कंधवार, विकासखण्ड मझौली के लिए ताला, मझौली, विकासखण्ड सिहावल के लिए अमिलिया, बघोर एवं विकासखण्ड कुसमी के लिए टमसार में पंजीयन केन्द्र स्थापित किए गए हैं। इन्हीं समितियों के माध्यम से किसानों से उपार्जन किया जाएगा। दोनों फसलों पर बोनस भी मिलेगा उप संचालक कृषि डॉ. राजेश सिंह चौहान ने बताया कि शासन द्वारा कोदो का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2500 रूपये प्रति क्विंटल तथा कुटकी का 3500 रूपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। इसके अतिरिक्त किसानों को दोनों फसलों पर 1000 रूपये प्रति क्विंटल बोनस भी मिलेगा। अधिकारियों ने किसानों से अधिक संख्या में पंजीयन कराने की अपील की। कार्यशाला में बड़ी संख्या में किसान उपस्थित रहे और योजना की जानकारी प्राप्त की।

राज्य सरकार गौसेवा और गौवंश संरक्षण के लिए हरसंभव सहयोग देने को तत्पर

भोपाल  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने दीपोत्सव, गोवर्धन पूजा और अन्नकूट महोत्सव की हार्दिक मंगलकामनाएं देते हुए कहा कि आज पूरे प्रदेश में गोवर्धन पूजा हर्षोल्लास से की जा रही है। हर घर, हर गौ-शाला, हर गांव, वृंदावन है और हम सब गोपाल बन गए हैं। हमारी हर परम्परा और उत्सव में प्रकृति के प्रति आदर और समाज के प्रति उत्तदायित्व समाहित है। गोवर्धन पूजा इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। हमारी संस्कृति ने हमें छोटी से छोटी चीज प्रदान करने वालों के प्रति भी आभार करना सिखाया है। आज हम प्रकृति के उसी दाता स्वरूप को प्रणाम कर रहे हैं। आज के दिन गोवर्धन और गौवंश की पूजा कर हम संसार को प्रकृति, पर्यावरण और पशुधन संवर्धन का संदेश देते हैं। यह सनातन संस्कृति की देन है। यह वास्तव में प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण का उत्सव है। यह हमें स्मरण कराता है कि धरती पर जो भी है, उसके साथ सामंजस्य ही जीवन है। गोवर्धन पूजा 'जियो और जीने दो' के विचार और उपलब्ध खाद्य सामग्री एवं संसाधनों को समाज के साथ मिल-बांटकर साझा करने का प्रतीक है। हमारी संस्कृति और परम्पराओं को बचाए रखने की हम सबकी जिम्मेदारी है। राज्य सरकार द्वारा गोवर्धन पूजा का आयोजन इसी उद्देश्य से किया गया है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव मंगलवार को रवीन्द्र भवन में आयोजित गोवर्धन पूजा के राज्य स्तरीय कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। विश्व, प्राकृतिक खेती और जैविक खेती की महत्ता को पुन: कर रहा है स्वीकार मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि गौमाता सनातन संस्कृति की आत्मा है। गौमाता के दुग्ध से हमारे शरीर को अमृत मिलता है। भगवान श्रीकृष्ण ने गोपालों की सेना बनाकर पशुधन की रक्षा के लिए बृजवासियों को प्रेरित किया। भगवान श्रीकृष्ण ने लोक संस्कृति एवं सामान्य जनजीवन को बनाए रखने के लिए बाल्यावस्था में अद्भुत लीलाओं से समाज को चमत्कृत कर प्रेरित किया। भगवान श्रीकृष्ण के गोपाल स्वरूप में यह संदेश निहित है कि जो गाय पाले वो गोपाल है। गाय के दूध, गोबर और गौ-मूत्र की महिमा अब वैज्ञानिक रूप से सिद्ध होने लगी है। कैंसर जैसी भयंकर बीमारी में भी गौ-उत्पाद प्रभावी हैं, यह भी सिद्ध हुआ है कि गोबर से लिपे घरों पर विकिरण का प्रभाव कम होता है। खेती में गोबर की खाद की महत्ता से सभी लोग परिचित ही हैं। इसी का परिणाम है कि विश्व, प्राकृतिक खेती और जैविक खेती की महत्ता को पुन: स्वीकार कर रहा है। सनातन संस्कृति के प्रत्येक त्यौहार में निहित है कई संदेश मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि भारतीय संस्कृति और परम्पराओं में बेहतर जीवन के कई सूत्र समाहित हैं। योग और आयुर्वेद के सिद्धांत इसी के प्रमाण है। सनातन संस्कृति के प्रत्येक त्यौहार में कोई न कोई संदेश निहित है। राज्य सरकार ने ऐसे त्यौहारों को समाज के साथ मिलकर मनाने की पहल की है, जिन त्यौहारों में संस्कार और संदेश निहित हैं। प्रदेश में समाज के साथ परम्परानुसार मिल-जुलकर त्यौहार मनाने का यह दूसरा वर्ष है। गोवर्धन पूजा फसल कटने और नई फसल की शुरूआत का समय है। इस घड़ी को उत्साह और उल्लास के साथ मनाने से समाज में नई ऊर्जा का संचार होता है। गोवर्धन पर अन्नकूट का आयोजन भी इसी आनंद का भाग है। गौवंश संरक्षण के लिए समाज भी आए आगे मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने में पशुपालन की महत्वपूर्ण भूमिका है। पशुपालन से दुग्ध उत्पादन को प्रोत्साहित करने में मदद मिलेगी। वर्तमान में देश के दुग्ध उत्पादन का 9 प्रतिशत मध्यप्रदेश में होता है, इसे 20 प्रतिशत तक ले जाना हमारा लक्ष्य है। हम मध्यप्रदेश को देश का प्रमुख दुग्ध उत्पादक राज्य बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसी उद्देश्य से प्रदेश में पशुपालन और दुग्ध उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए कई योजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं। गौवंश के बेहतर आहार के लिए गौशालाओं को मिलने वाली राशि 20 रूपए से बढ़ाकर 40 रूपए प्रति गौवंश किया गया है। गौशालाओं से दूध के साथ गौ-मूत्र और गोबर की उपलब्धता के लिए भी व्यवस्था की जा रही है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सरकार के साथ समाज को भी गोवंश संरक्षण में सहयोग देने के लिए प्रेरित किया। गौवंश संरक्षण सनातन संस्कृति की धारा का सशक्त करने में भी सहायक होगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश में जो भी व्यक्ति गौपालन करना चाहता है, गौशाला चलाना चाहता है या गौशाला संचालन में सहयोग करना चाहता है, उन सभी को सहयोग देने के लिए राज्य सरकार तत्पर है। गोवर्धन पर्वत की मंत्रोच्यार के साथ की पूजा मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने गोवर्धन पूजा के राज्य स्तरीय कार्यक्रम में रवीन्द्र भवन में वैदिक मंत्रोच्यारों के बीच गोवर्धन पूजा कर प्रकृति के प्रति मनुष्य के समर्पण को अभिव्यक्त किया। गोवर्धन पर्वत की उपस्थित अतिथियों द्वारा पूजा के बाद आरती भी की गई। इसके पहले मुख्यमंत्री डॉ. यादव का कार्यक्रम स्थल पर साफा पहनाकर स्वागत किया गया। परंपरागत वाद्य यंत्रों पर झूमते युवाओं ने मुख्यमंत्री डॉ. यादव की अगवानी की। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने गौवंश को दुलारा और पशु आहार खिलाया। अन्नकूट की परम्परा के अंतर्गत नया अन्न चढ़ाकर प्रसाद का थाल मुख्यमंत्री डॉ. यादव को भेंट किया गया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव को 56 भोग का थाल भेंट किया गया।

जब आसमान में गिरी अग्निबाणों की वर्षा — हिंगोट युद्ध ने दोहराई सदियों पुरानी शौर्यगाथा

महू-गौतमपुरा दीपावली के बाद का दिन मालवा अंचल के लिए खास होता है, जब गौतमपुरा का मैदान जंग के अखाड़े में बदल जाता है। मंगलवार को परंपरा, आस्था और साहस का संगम बने इस ऐतिहासिक हिंगोट युद्ध की शुरुआत शाम करीब साढ़े पांच बजे भगवान देवनारायण की पूजा और जयकारों के साथ हुई। खारचा मैदान में आयोजित इस युद्ध में एक ओर थे गौतमपुरा के योद्धा और दूसरी ओर रूणजी के जांबाज। सिर पर पगड़ी, हाथ में ढाल और झोले में भरी सैकड़ों हिंगोटें लेकर योद्धाओं ने एक-दूसरे पर अग्निबाण की तरह प्रहार किए। जैसे ही दोनों दलों के प्रमुखों ने संकेत दिया, आसमान में आग की लपटें उठीं और हिंगोटें धमाके के साथ उड़ने लगीं। करीब एक घंटे तक चले इस युद्ध में दोनों दलों ने सैकड़ों हिंगोटें छोड़ीं। धुएं से घिरे मैदान में योद्धा आग की परछाइयों जैसे दिख रहे थे। हजारों दर्शक बने गवाह गौतमपुरा, रूणजी, महू, देपालपुर और इंदौर से हजारों लोग इस अद्भुत नजारे को देखने पहुंचे। दर्शकों के लिए नगर परिषद ने सुरक्षा घेरे बनाए और 200 से अधिक पुलिसकर्मी, प्रशासनिक अधिकारी, डॉक्टर और फायरब्रिगेड मौके पर तैनात रहे। ढाई सौ साल पुरानी परंपरा स्थानीय बुजुर्गों के अनुसार यह परंपरा करीब 250 साल पुरानी है। माना जाता है कि मुगलों के हमलों से बचाव के लिए हिंगोटों का इस्तेमाल किया जाता था। धीरे-धीरे यह आत्मरक्षा का तरीका धार्मिक और सामाजिक उत्सव में बदल गया। यहां योद्धा जीत-हार के लिए नहीं, बल्कि परंपरा निभाने के लिए लड़ते हैं। गौतमपुरा में भी परंपरा का उत्साह युद्ध की वर्षों पुरानी परंपरा निभाते हुए मंगलवार को गौतमपुरा में हिंगोट युद्ध हुआ है। सबसे पहले भगवान देवनारायण की पूजा करने के बाद रलायता मार्ग स्थित खारचा क्षेत्र में एक ओर से तुर्रा और दूसरी ओर कलंगी दल के योद्धा खड़े हुए। योद्धा एक हाथ में अपने बचाव के लिए ढाल लिए थे। कंधे पर टंगा हुआ एक बैग व झोला, जिसमें शस्त्र की तरह रखे हुए ढेर सारी हिंगोट थी। जैसे ही दोनों दलों के प्रमुख ने युद्ध का आगाज किया, दोनों ओर से अग्निबाणों की तरह हिंगोट फेंकना शुरू हुई। 36 योद्धा घायल करीब डेढ़ घंटे तक चले युद्ध के अंत तक दोनों दलों के 36 योद्धा घायल हुए। इसमें दो गंभीर घायल हुए, जिन्हें इंदौर रेफर किया पंरतु वह खतरे से बाहर हैं। अन्य को प्राथमिक उपचार देकर घर भेजा गया। इस दौरान मंच पर विधायक मनोज पटेल, नगर परिषद अध्यक्ष गगन बाहेती, नगर परिषद उपाध्यक्ष राजा जागीरदार, समस्त पार्षदगण, जिला व मंडल स्तर के पदाधिकारी उपस्थित रहे। वहीं पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी भी मौजूद रहे।

रौशनी के त्योहार पर छाई त्रासदी: दिवाली में आगजनी से 41 घायल, सैकड़ों को इलाज की जरूरत

भोपाल दीपावली के जश्न के बीच प्रदेश में हादसों के आंकड़े चिंता बढ़ाने वाले हैं। बीते दो दिनों में प्रदेशभर में 41 लोग पटाखों से झुलसे, जबकि 1000 से अधिक लोग सड़क हादसों में घायल हुए। सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं झाबुआ जिले में दर्ज की गईं, जहां 67 एक्सीडेंट केस रिपोर्ट हुए। यह जानकारी मंगलवार को एम्बुलेंस सेवा 108 की रिपोर्ट में सामने आई। दिवाली के दिन दोगुनी हुई झुलसने की घटनाएं रिपोर्ट के अनुसार, 19 अक्टूबर को प्रदेशभर में 13 बर्न केस दर्ज हुए थे, जिनमें से तीन केस देवास से थे। लेकिन दिवाली के दिन यानी 20 अक्टूबर को यह संख्या दो गुना से अधिक बढ़कर 28 हो गई। विदिशा में चार और रीवा में तीन केस सबसे अधिक दर्ज किए गए। विशेषज्ञों का कहना है कि अधिकतर मामले बच्चों और युवाओं के हैं, जिन्होंने बिना निगरानी के पटाखे जलाए। इससे आंखों, चेहरे और हाथों में जलने की चोटें आईं। झाबुआ बना सबसे बड़ा हादसा जोन दो दिनों में झाबुआ में 67 सड़क दुर्घटनाएं दर्ज की गईं, जो पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा हैं। यहां अधिकतर हादसे तेज़ रफ़्तार, नशे में वाहन चलाने और रात्रिकालीन भीड़भाड़ के कारण हुए। वहीं, इंदौर, भोपाल और ग्वालियर में भी कई हादसे सामने आए। जेपी अस्पताल में आए मामूली केस संजय जैन, सिविल सर्जन, जेपी अस्पताल भोपाल ने बताया कि दिवाली की रात चार से पांच मरीज पटाखों से झुलसने के मामले में अस्पताल आए थे। इनमें से कोई भी केस सीरीयस नहीं था। सभी को प्राथमिक उपचार देकर छुट्टी दे दी गई। किसी को भर्ती करने की जरूरत नहीं पड़ी।

पटाखों का धुआं बना जहर: ग्वालियर और जबलपुर में हवा सबसे खराब, भोपाल-इंदौर भी प्रभावित

भोपाल दीपावली पर बारूदी धुएं ने वायु गुणवत्ता का गला घोंट दिया। ग्वालियर व जबलपुर सबसे प्रदूषित शहर रहे। भोपाल व इंदौर की हवा भी जहरीली हो गई। हालात ऐसे बने कि रात नौ बजे से सुबह चार बजे तक इन शहरों में रहने वालों का दम बारूदी धुएं से घुटता रहा। आधी रात के बाद प्रदूषण का स्तर इतना अधिक हो गया कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कई स्थानों पर इसे मापना ही बंद कर दिया। सात शहरों की हवा बेहद खराब मिली दीपावली की रात प्रदेश के चार महानगरों समेत सात शहरों की हवा बेहद खराब मिली। ग्वालियर के डीडी नगर में औसत एक्यूआइ 364 दर्ज हुआ। पिछले साल यहां की हवा 408 अंक तक खराब स्थिति में पहुंची थी। जबलपुर के गुप्तेश्वर में भी एक्यूआइ 364 रहा। यहां पिछले साल एक्यूआइ केवल 335 था। इंदौर के छोटी ग्वालटोली केंद्र पर एक्यूआइ 362 दर्ज हुआ। पिछले साल यहीं पर एक्यूआइ 399 दर्ज हुआ था। 832 तक पहुंच गया था सागर का एक्यूआइ इस सूची में सागर की स्थिति चौंकाने वाली है। सामान्य तौर पर कम औद्योगिक दबाव वाले इस शहर में औसत एक्यूआइ 341 दर्ज हुआ है। यहां सोमवार रात 12 बजे एक्यूआइ 832 तक पहुंच गया था। पीथमपुर (330) और सिंगरौली (307) में भी हवा की गुणवत्ता खराब रही। भोपाल में सोमवार शाम चार बजे से मंगलवार शाम चार बजे तक पर्यावरण परिसर स्थित निगरानी केंद्र पर वायु गुणवत्ता सूचकांक का औसत 311 रहा। लेकिन सोमवार की रात आठ बजे से जब पटाखे फूटना शुरू हुए तो यहां की हवा की गुणवत्ता का सूचकांक 355 हो चुका था। पहली बार इतनी जहरीली हवा यह हवा की बेहद खराब श्रेणी है। बात यहीं नहीं रुकी, रात नौ बजे तक एक्यूआइ 426 हो चुका था, वहीं 10.15 बजे तक यह 761 तक जा पहुंचा। यह स्थिति रात एक बजे तक बनी रही। उसके बाद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इसे मापना ही बंद कर दिया। उसके बाद आंकड़ा सुबह 3.15 बजे आया, जहां एक्यूआइ 680 तक था। सुबह चार बजे तक यही स्थिति रही। भोपाल के ही कलेक्ट्रेट परिसर में एक्यूआइ का औसत 341 मापा गया। यहां एक्यूआइ का सर्वाधिक स्तर 672 रहा, जो रात 10 बजे से 10.45 तक का था। उसके बाद की गणना नहीं हुई। वहीं टीटी नगर में एक्यूआइ का औसत 318 रहा। यहां सर्वाधिक एक्यूआइ 627 रहा, जो रात 11 बजे दर्ज किया गया। बताया जा रहा है कि राजधानी में पहली बार इतनी जहरीली हवा मापी गई है। पिछले वर्ष अधिकतम एक्यूआइ 500 के आसपास ही रहा था। उत्तर पूर्वी हवाओं ने दी थोड़ी राहत विशेषज्ञों का कहना है कि रात में चल रही उत्तर-पूर्वी हवाओं ने इस भारी प्रदूषकों को हटाने में बहुत मदद की। हवा बंद रहती तो स्थिति अधिक गंभीर हो सकती थी। तब बहुत लोग अचानक बीमार पड़ सकते थे। यह बताता है गुणवत्ता सूचकांक 0-50 – हवा साफ है 51 -100 – हवा कम प्रदूषित 101-200 – मध्यम स्तर का प्रदूषण 201-300 – हवा खराब है 301 – 400 – बेहद खराब 401-500 – गंभीर रूप से खराब

‘स्‍टार गधा शाहरुख’ की लगी रिकॉर्ड तोड़ बोली, मेले में छाया आकर्षण का केंद्र

सतना मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट में दीपावली के बाद फिर से गूंज उठा पशु व्यापार का अनोखा संगम गधा मेला। मंदाकिनी नदी के किनारे सजे इस तीन दिवसीय मेले की शुरुआत मंगलवार को पारंपरिक अंदाज में हुई। यह मेला अपनी अनूठी परंपरा, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और दिलचस्प नामों वाले जानवरों के कारण पूरे देश में प्रसिद्ध है। इस बार मेले में महिला व्यापारियों का पहुंचना कौतूहल का विषय बना रहा। जहां घूंघट ओढ़े महिला व्यापारियों ने सर्वाधिक तेज बोली लगाते दिखी। देश-विदेश से पहुंचे व्यापारी इस बार मेले में 300 से अधिक गधे, खच्चर और घोड़ियां शामिल की गई हैं। व्यापारी मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, नेपाल और यहां तक कि अफगानिस्तान से भी पहुंचे हैं। पहले ही दिन खरीद-फरोख्त का माहौल बेहद रोमांचक रहा। ‘शाहरुख’ बना स्टार, ‘सलमान’ और ‘बसंती’ भी छाए हर साल की तरह इस बार भी फिल्मी नामों वाले जानवर मेले की शान बने हुए हैं। ‘शाहरुख’ नाम के गधे की सबसे ऊंची बोली 1 लाख 5 हजार रुपए लगी। वहीं ‘सलमान’, ‘बसंती’ और ‘धोनी’ नाम के गधों ने भी व्यापारियों का ध्यान खींचा। पिछले साल ‘लॉरेंस’ नाम के खच्चर ने 1.25 लाख की रिकॉर्ड बोली लगवाकर सबको चौंका दिया था। इस बार भी खरीदारों में उसी उत्साह और प्रतिस्पर्धा का माहौल है। महिला व्यापारियों की बढ़ती भागीदारी इस बार मेले में महिलाओं की उपस्थिति भी चर्चा में रही। घूंघट में पहुंची एक महिला व्यापारी ने अकेले 15 जानवरों की खरीद कर सबको अचंभित कर दिया। खरीदे गए ये जानवर निर्माण कार्य, ईंट-भट्टों और परिवहन के काम में उपयोग होते हैं। औरंगजेब से जुड़ा इतिहास इतिहासकार बताते हैं कि इस मेले की शुरुआत सन् 1670 के आसपास मुगल बादशाह औरंगजेब के शासनकाल में हुई थी। कहा जाता है कि चित्रकूट पर आक्रमण के दौरान उसकी सेना के घोड़े बीमार पड़ गए थे। तब उसने बालाजी मंदिर निर्माण कार्य और सामान ढुलाई के लिए गधों की खरीद के आदेश दिए। वहीं से इस अनोखे मेले की परंपरा शुरू हुई। आज यह मेला राजस्थान के पुष्कर मेले के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा पशु मेला माना जाता है, जहां व्यापार के साथ परंपरा, संस्कृति और लोकजीवन की सजीव झलक देखने को मिलती है।

भोपाल में रेयर अर्थ एलिमेंट व टाइटेनियम थीम पार्क का उद्घाटन जल्द

भोपाल  मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के निकट, आचारपुरा औद्योगिक क्षेत्र में “रेयर अर्थ और टाइटेनियम थीम पार्क” आकार ले रहा है. अधिकारियों ने बताया कि दुर्लभ खनिजों के खनन और परिशोधन में सशक्त बनाने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन को साकार करते हुए उच्च-स्तरीय दल ने भोपाल के अचारपुरा इंडियन रेयर अर्थ लिमिटेड के रेयर अर्थ एवं टाइटेनियम थीम पार्क का अवलोकन किया. उच्च-स्तरीय दल प्रदेश में रेयर अर्थ खनिजों की संपूर्ण वैल्यू चेन के विकास और सहयोग के अवसर तलाश रहा है. राज्य सरकार की इस टीम ने संयंत्र में स्वदेशी तकनीक से विकसित रेयर अर्थ धातु निष्कर्षण प्रक्रियाओं की जानकारी ली. क्यों खास है ये पार्क? राज्य सरकार की टीम ने अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं का भी अवलोकन किया, जहां उन्नत अनुसंधान, परिशोधन (बेनीफिसिएशन) और प्रसंस्करण तकनीकों के माध्यम से भारत को इस रणनीतिक क्षेत्र में अग्रणी बनाने के प्रयास किये जा रहे हैं. खनिज विभाग और आईआरईएल के बीच भावी सहयोग पर भी चर्चा हुई, जिसमें नीतिगत सहयोग, तकनीकी विकास और औद्योगिक संपर्क को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया. यह पार्क मध्यप्रदेश को एक महत्वपूर्ण ‘रेयर अर्थ मैटेरियल हब' बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. हाल ही में भी राज्य की उच्चस्तरीय टीम ने इस पार्क का दौरा कर उसकी प्रौद्योगिकियों, अनुसंधान और प्रसंस्करण क्षमताओं का जायज़ा लिया. इससे प्रदेश में रेयर अर्थ खनिजों के अन्वेषण, प्रसंस्करण और संबद्ध उद्योगों का सशक्त पारिस्थितिकी तंत्र (इको सिस्टम) विकसित किया जा सके. खनिज विभाग के उच्च-स्तरीय दल का यह दौरा प्रदेश को महत्वपूर्ण खनिज प्रसंस्करण और संबद्ध विनिर्माण के केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. इससे देश को रेयर-अर्थ-मटेरियल के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना कर वैश्विक प्रतिस्पर्धा में सशक्त किये जाने के प्रयासों को सहायता मिलेगी.

मां की अनमोल दुआ: 72 की उम्र में बेटे को किडनी देकर दी नई जिंदगी

इंदौर   इंदौर से ममता और त्याग की एक अद्भुत मिसाल पेश करने वाली खबर सामने आई है. यहां 72 वर्षीय मां ने अपने गंभीर रूप से बीमार 46 साल के बेटे को अपनी किडनी दान करके उसे नया जीवन दिया है.कपड़ों की धुलाई का काम करने वाले कमलेश वर्मा पिछले 3 वर्षों से गंभीर किडनी रोग से पीड़ित थे और डायलिसिस करवा रहे थे, लेकिन उनकी हालत में सुधार नहीं हो रहा था. डॉक्टरों द्वारा किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दिए जाने पर 72 वर्षीय मां गंगा वर्मा अपनी किडनी दान करने के लिए आगे आईं.  यह अंग प्रत्यारोपण सर्जरी शहर के सरकारी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में सफलतापूर्वक की गई. अस्पताल के नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. रितेश बनोडे ने बताया कि दाता की बढ़ती उम्र के कारण प्रत्यारोपण चुनौतीपूर्ण था, लेकिन सर्जरी पूरी तरह सफल रही. उन्होंने उम्मीद जताई कि यह मामला लोगों को अंगदान के लिए प्रेरित करेगा. 'मां का कर्ज कभी नहीं चुका सकता' अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद मां-बेटे की जोड़ी घर पर स्वास्थ्य लाभ कर रही है. दोनों ने इस फैसले पर भावुक होकर प्रतिक्रिया दी. अपने बच्चे की जान बचाना एक मां का फर्ज होता है. अगर मेरी किडनी ने मेरे बेटे की जान बचाई, तो इससे ज़्यादा खुशी की बात और क्या हो सकती है?" भावुक होकर कहा, "मैं पिछले तीन सालों से डायलिसिस करवा रहा था. अब मेरी मां ने मुझे फिर से जिंदगी दी है. मैं अपनी मां का यह कर्ज कभी नहीं चुका सकता."