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कहीं आपको हाइपर एसिडिटी तो नहीं!

जब गलत खानपान और अपच के कारण पेट में पित्त के विकृत होने पर अम्ल की अधिकता हो जाती है, तो उसे अम्लपित्त कहते हैं। यही अम्लपित्त हाईपर एसिडिटी कहलाता है। आइए जानते हैं, इसके कारण, लक्षण और इससे बचने के उपाय… हाइपर एसिडिटी के कारण:- अत्यधिक गर्म, तीखा, मसालेदार भोजन करने, अत्यधिक खट्टी चीजों का सेवन, देर से पचने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन, नशीले पदार्थों का सेवन करने से हाइपर एसडिटी की समस्या पैदा होती है। भोजन को पचने के लिए पर्याप्त समय न देना और अपच के बावजूद खाते रहना, आपकी इस समस्या को बढ़ा सकता है। लक्षण:- भोजन का पाचन नहीं होना, बगैर किसी मेहनत के ज्यादा थकावट होना, कड़वी या खट्टी डकार आना, शरीर में भारीपन, हृदय के पास या पेट में जलन होना, कभी-कभी उल्टी होना, उल्टी में अम्ल या खट्टे पदार्थ का निकलना, मिचली होना और मुंह से खट्टा पानी आना, सिरदर्द, आंखों में जलन, जीभ का लाल होना जैसे लक्षण हाइपर एसिडिटी में सामने आते हैं।   हाइपर एसिडिटी की समस्या से बचने के लिए आप घर पर ही कुछ उपाय और सावधानियां अपना सकते हैं जिससे आपको यह समस्या न हो… -गेहूं या जौ के आटे की बनी चपातियां ही खाएं, क्योंकि यह पाचन संबंधी समस्या पैदा नहीं करती, ना ही इससे गैस बनने जैसी समस्या होती है। बल्कि यह आपकी पाचनक्रिया को बेहतर करेगी।   -मूंग की दाल, लौकी, तरोई, परवल, गिलकी, टिंडे, कद्दू जैसी सब्जिुयों को अनदेखा बिल्कुल न करें। यह आपके पाचन तंत्र को स्वस्थ बनाए रखती है, और हाइपर एसिडिटी से आपको बचाती है। -फलों में पपीता, मौसंबी, अनार आदि को अपनी डाइट का हिस्सा बनाएं। इसके अलावा नारियल और नारियल पानी का भी भरपूर सेवन करें।   -मुनक्का, आंवले का मुरब्बा, कच्चा आंवला भी खाना बेहतर होगा। -अनार और आंवले के अलावा, खट्टी चीजों का अत्यधिक सेवन करने से बचें। इससे एसिडिटी बढ़ सकती है। -नींबू और टमाटर जैसी चीजों को भी नियंत्रित करें, इनके प्रयोग से आपकी यह समस्या बढ़ने में मदद मिलती है। -अत्यधिक गर्म, तीखा व मसालेदार भोजन करने से बचें। भारी खाद्य पदार्थों को भी खाने से बचें, ये आसानी से नहीं पचते जिससे आपकी समस्या कम होने के बजाए बढ़ जाती है।   -दही और छाछ का ज्यादा सेवन न करें और उड़द की दाल की बनी चीजों व शराब या अन्य नशीले पदार्थों से दूरी बनाए रखें। -हल्का व आसानी से जल्दी पचने वाला भोजन ही करें, अन्यथा आपको बहुत अधिक परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।   -गुलकंद व गुलाब से बनी चीजों का सेवन आपके लिए फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि यह आपके पेट में जाकर ठंडक पैदा करता है, जिससे एसिडिटी में राहत मिलती है।  

इतनी सी गलती से महंगा फोन बन सकता है ‘खाली डिब्बा’

नई दिल्ली आज स्मार्टफोन हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है. ये छोटे से डिवाइस हमारे कई काम आसान कर देते हैं. AI और नई तकनीक की वजह से फोन पहले से भी ज्यादा स्मार्ट हो गया है. स्मार्टफोन कंपनियां समय-समय पर नए सॉफ्टवेयर अपडेट लाती रहती हैं. इन अपडेट्स में नए फीचर्स, सुधार और सुरक्षा पैच होते हैं. लेकिन कई यूजर्स इन्हें अनदेखा कर देते हैं. ऐसा करना आपके फोन के लिए कई परेशानियां पैदा कर सकता है. आइए जानते हैं, फोन अपडेट न करने के 5 बड़े नुकसान: 1. बढ़ता है सिक्योरिटी खतरा: हर महीने कंपनियां सिक्योरिटी पैच जारी करती हैं, जो हैकर्स से बचाने में मदद करते हैं. अगर आप अपडेट नहीं करते तो आपका फोन साइबर अटैक और डेटा चोरी के लिए कमजोर हो सकता है. 2. नए फीचर्स नहीं मिलेंगे: हर अपडेट में नए फीचर्स और बेहतर यूजर एक्सपीरियंस भी आता है. अपडेट न करने पर ये सुविधाएँ आपके फोन तक नहीं पहुँच पातीं. 3. ऐप्स में दिक्कत: ज़्यादातर ऐप्स लेटेस्ट OS के हिसाब से डिजाइन किए जाते हैं. अगर आपका फोन पुराना सॉफ्टवेयर चला रहा है तो ऐप्स क्रैश कर सकते हैं या कभी काम ही करना बंद कर सकते हैं. 4. बैटरी और परफॉर्मेंस कम होना: फोन अपडेट न करने से उसकी परफॉर्मेंस और बैटरी लाइफ कम हो सकती है. नए अपडेट में बैटरी और प्रोसेसर के लिए ऑप्टिमाइजेशन भी होता है. इन्हें स्किप करना फोन को स्लो कर सकता है. 5. बग्स और डेटा लॉस का खतरा: पुराने वर्जन में बग्स की वजह से फोन हैंग करने लगता है और कभी-कभी डेटा लॉस का खतरा भी बढ़ जाता है. अपडेट करने से बग्स सही होते हैं और परफॉर्मेंस भी बेहतर हो जाती है. फोन अपडेट करना सिर्फ नए फीचर्स के लिए नहीं, बल्कि सुरक्षा और बेहतर प्रदर्शन के लिए भी जरूरी है. इसलिए समय पर अपने फोन को अपडेट करते रहें.

Google Pixel Watch 4 और Buds Pro 2 बाजार में उतरे, जानें कीमत और फीचर्स

मुंबई  Google Pixel Watch 4 को कंपनी ने बुधवार शाम हुए Made by Google इवेंट में लॉन्च किया है. वॉच का डिजाइन पिछले वर्जन यानी Watch 3 जैसा ही है. इसमें आपको दो साइज का विकल्प मिलेगा. कंपनी की मानें, तो Google Pixel Watch 4 में Gemini का क्विक एक्सेस मिलेगा.  यूजर्स सिर्फ अपना हाथ उठाकर वॉयस असिस्टेंट को एक्सेस कर सकते हैं. वॉच में 40 से ज्यादा एक्सरसाइज मोड्स के साथ कई हेल्थ फीचर्स भी दिए गए हैं. सिंगल चार्ज में आप स्मार्ट वॉच को 40 घंटे तक इस्तेमाल कर सकते हैं. आइए जानते हैं इसकी डिटेल्स.  कितनी है कीमत?  Google Pixel Watch 4 की कीमत 39,900 रुपये से शुरू होती है. ये कीमत वॉच के 41mm (Wi-Fi) वेरिएंट की है. वहीं 45mm डायल वाले वेरिएंट की कीमत 43,900 रुपये है. अमेरिका और कुछ अन्य मार्केट में कंपनी ने वॉच का LTE वेरिएंट भी लॉन्च किया है. Google Pixel Watch 4 को आप कई कलर ऑप्शन में खरीद सकते हैं.  क्या हैं स्पेसिफिकेशन्स?  Google Pixel Watch 4 में पिछले वर्जन की तरह ही कर्व्ड डिस्प्ले मिलेगा. हालांकि, कंपनी का कहना है कि इसमें कई इम्प्रूवमेंट किए गए हैं. वॉच में बेजल और ब्राइटनेस को लेकर बदलाव किए गए हैं. इसमें Actua 360 ऑल्वेज ऑन डिस्प्ले मिलेगा और स्क्रीन की पीक ब्राइटनेस 3000 Nits है.  इसमें Snapdragon W5 Gen 2 प्रोसेसर दिया गया है. Pixel Watch 4 में स्मार्ट रिप्लाई और Gemini का क्विक एक्सेस दिया गया है. ये वॉच Material 3 एक्सप्रेसिव UI पर काम करता है. स्मार्टवॉच ECG, SpO2, HRV और ब्रीदिंग डिटेक्शन के साथ आता है.  ईयरबड्स भी हुए हैं लॉन्च  Google Pixel Buds 2a को कंपनी ने भारत में 12,999 रुपये में लॉन्च किया है. इसे आप Flipkart से खरीद सकते हैं. वहीं Pixel Buds Pro 2 को कंपनी ने 22,900 रुपये में लॉन्च किया है. ये वेरिएंट सिर्फ एक कलर मूनस्टोन में आता है.

अब मातृत्व का सपना टाले बिना पूरा करें करियर गोल्स, जानें Egg Freezing से जुड़े जरूरी तथ्य

नई दिल्ली मातृत्व का सफर महिलाओं के लिए हमेशा से एक भावनात्मक और संवेदनशील मुद्दा रहा है. मां बनना, अपनी गोद में अपने अंश को देखना आज भी हर महिला के लिए सबसे अहम है लेकिन कई बार करियर की दौड़, परिवार की जिम्मेदारियां या सही साथी न मिल पाने की वजह से यह सपना पूरा नहीं हो पाता और समय की बाध्यताएं उनके मातृत्व के सपनों को चुनौती देती हैं. यहीं से आता है एग फ्रीजिंग का चलन. एक ऐसा आधुनिक समाधान जो महिलाओं को उनके सपनों को जीवित रखने का अवसर देता है. भारत में बढ़ा एग फ्रीजिंग का ट्रेंड हाल के वर्षों में, भारत में एग फ्रीजिंग का ट्रेंड काफी प्रचलित हुआ है. एग फ्रीजिंग को मेडिकल भाषा में Oocyte cryopreservation कहते हैं, एक ऐसी प्रक्रिया जिसमें महिलाएं अपने अंडों को भविष्य के लिए संरक्षित कर सकती हैं, ताकि जब वे तैयार हों, तब मां बनने का सपना पूरा कर सकें. यह तकनीक न केवल करियर और मातृत्व के बीच संतुलन लाने में मदद करती है, बल्कि महिलाओं को बिना किसी बंधन के, बिना किसी जल्दबाजी के, अपने समय पर मां बनने का अधिकार देती है. आसान हो रही है egg freezing की प्रक्रिया पिछले पांच सालों में भारत में एग फ्रीजिंग की मांग में काफी वृद्धि हुई है. Egg Preservation Institute of Asia (EIPA) जो भारत में शुरू हुआ एक लीडिंग फर्टिलिटी क्लिनिक है, उसने कुछ समय पहले एट-होम एग फ्रीजिंग की शुरुआत की है. यह सर्विस के जरिए लगभग पूरी एग फ्रीजिंग की प्रक्रिया को घर में ही निजता और आसानी से किया जा सकता है.   क्यों महिलाएं करा रहीं एग फ्रीज? अंडों को फ्रीज करने का विकल्प महिलाओं को आजादी देता है और उन्हें अपनी इच्छा के मुताबिक संतान पैदा करने का अधिकार देता है. लगातार महंगी हो रही एजुकेशन और करियर के दबाव की वजह से अधिकांश जोड़े आजकल देर से और करियर में सेटल होने के बाद ही मां-बाप बनने की प्लैनिंग कर रहे हैं ताकि संतान आने से पहले ही वो आर्थिक रूप से मजबूत हो जाएं.  Oocyte cryopreservation महिला की फर्टिलिटी क्लॉक, हेल्थ इश्यूज, मेनापॉस या लाइफस्टाइल से प्रभावित हुए बिना अंडों को संरक्षित रखने में मदद करता है जिसके बाद वो In vitro fertilization (IVF) के जरिए बाद में इन अंडों का उपयोग मां बनने के लिए कर सकती हैं.  कब तक करा लेनी चाहिए egg freezing दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल में सीनियर कंसल्टेंट ऑब्स्टेट्रिशियन गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. नीलम सूरी egg freezing (अंडे जमाना) के बारे में बात करते हुए 'आजतक डॉट इन' से कहती हैं, भारत समेत पूरी दुनिया में महिलाओं की प्रजनन शक्ति (fertility) पहले से कम हुई है. वहीं, 30-35 वर्ष के बाद महिलाओं के अंडाणु की संख्या और गुणवत्ता तेजी से गिरती है जिससे गर्भधारण के अवसर कम होते जाते हैं. इस वजह से महिलाएं अब अपने अंडों को लैब में फ्रीजिंग कर रही हैं ताकि उन्हें शादी या बच्चे की प्लानिंग के लिए बाद में उपयोग कर सकें. कैसे होता है egg freeze अमेरिका के ओहियो में हाल ही में 30 साल पुराने फ्रीज्ड अंडे से एक दम स्वस्थ बच्चा पैदा हुआ है. इस बारे में डॉ. नीलम बताती हैं कि अंडाणु जमा कराना एक सुरक्षित प्रक्रिया है जिसमें महिला के अंडाशय से अंडाणु निकालकर उन्हें -196 डिग्री सेल्सियस पर फ्रीज कर दिया जाता है जो 20 साल तक सुरक्षित रहते हैं. कैंसर जैसी बीमारियों में भी महिलाओं के लिए एग्स फ्रीजिंग जरूरी होती है क्योंकि रेडियोथेरेपी या कीमोथेरेपी से एग्स नष्ट हो सकते हैं. एग फ्रीजिंग का सक्सेस रेट क्या है इस सवाल के जवाब में डॉक्टर नीलम ने कहा, 'गर्भधारण की सफलता मुख्य रूप से अंडाणु की गुणवत्ता पर निर्भर करती है. 35 साल से पहले अंडा जमाने पर सक्सेस रेट करीब 60-70% होता है लेकिन उम्र बढ़ने के साथ यह घटता जाता है. इसलिए एग फ्रीजिंग जितना जल्दी हो उतना बेहतर होता है.  ज्यादातर मामलों में 20-30 वर्ष के बीच ही ऐसा कर लेना चाहिए.'  क्या कोई भी महिला एग फ्रीजिंग करा सकती है  डॉ. नीलम ने बताया कि भारत में एग फ्रीजिंग कानूनी रूप से वैध है और यह महिला के अपने शरीर की स्वतंत्रता के अंतर्गत आता है. इसलिए कोई भी इसे करा सकता है. हालांकि इसके लिए मेडिकल सलाह जरूरी है, खासकर अगर महिला को कोई गंभीर बीमारी है या उसकी फर्टिलिटी गिर रही है. एग फ्रीजिंग का फैसला महिला के व्यक्तिगत कारणों और मेडिकल इंडिकेटर्स पर आधारित होता है. आखिर में वो बताती हैं कि अंडाणु जमाने के बाद भ्रूण में कोई आनुवांशिक समस्या न हो, इसके लिए PGD (preimplantation genetic diagnosis) कराना चाहिए ताकि स्वस्थ बच्चे का जन्म हो सके. egg freezing एक सुरक्षित और प्रभावी तकनीक है. यह उनके लिए फायदेमंद है जो सही पार्टनर ना मिल पाने के कारण लेट मैरिज कर रही हैं, करियर को लेकर ज्यादा फोकस्ड हैं, या फिर किसी मेडिकल कंडीशन से जूझ रही हैं. महिलाएं सीमित अंडों के साथ पैदा होती हैं लखनऊ में सी के बिड़ला फर्टिलिटी एंड आईवीएफ की सेंटर हेड डॉक्टर श्रेया गुप्ता का कहना है कि पुरुषों की तरह महिलाओं में अंडों का उत्पादन पूरे जीवन भर नहीं होता है. महिलाओं के अंडाणु (Eggs) पहले से निश्चित संख्या में होते हैं जो जन्म के समय सबसे ज्यादा होते हैं लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है उनकी संख्या और गुणवत्ता कम होती जाती है.   उदाहरण के लिए 30 के बाद लगभग बड़ी संख्या में एग्स खत्म हो जाते हैं और 37 वर्ष की आयु तक पहुंचते-पहुंचते यह करीब 90% तक कम हो जाते हैं. इस वजह से भारत सहित दुनिया के कई हिस्सों में एग फ्रीजिंग की मांग बढ़ी है. इन बीमारियों के इलाज से पहले करानी चाहिए एग फ्रीजिंग ऑटोइम्यून और कैंसर जैसी कई बीमारियों के इलाज से पहले भी अंडाणु फ्रीज कराए जा सकते हैं क्योंकि कैंसर की दवाएं अंडाणु को नुकसान पहुंचा सकती हैं.  आज के समय में 10 से 15 वर्षों तक अंडाणु सुरक्षित रखे जा सकते हैं. हालांकि अंडाणु में लंबी अवधि तक स्पर्म या भ्रूण (एंब्रियो) की तुलना में कम समय तक सुरक्षित रह सकते हैं.   कुछ महिलाओं के 50 की उम्र के बाद भी पीरियड्स आते हैं लेकिन वो … Read more

मोटापा घटाने का नया विकल्प: गोलियां जल्द आएंगी, इंजेक्शन के मुकाबले असर कितना?

नई दिल्ली भारत में फिलहाल वजन कम करने वाली और डायबिटीज को कंट्रोल करने वाली 2 दवाएं औपचारिक रूप से लॉन्च हो चुकी हैं. इनमें अली लिली की मौनजारो और नोवो नॉर्डिस्क की वेगोवी शामिल हैं. दुनिया भर में ओजेम्पिक, मौनजारो और वेगोवी जैसी दवाएं कई देशों में इंजेक्शन के रूप में मौजूद हैं लेकिन अब खबर आई है कि एली लिली और नोवो नॉर्डिस्क कंपनी जल्द ही मोटापे के इलाज की गोलियां भी मार्केट में लॉन्च करने जा रही है. इन वजन कम करने वाली गोलियों की अमेरिका में कीमतें उनके वजन घटाने वाले इंजेक्शनों के बराबर होंगी. हालांकि दोनों ही कंपनियों ने इन दवाओं की कीमतों का अभी तक कोई खुलासा नहीं किया है. उनका कहना है आने वाली दवाओं को मंजूरी मिलने और लॉन्च होने में अभी कुछ महीनों का समय है इसलिए कीमतें बदल सकती हैं. कब लॉन्च होंगी गोलियां? डेनमार्क स्थित नोवो को इस साल के अंत में मंजूरी मिलने और उसके तुरंत बाद लॉन्च होने की उम्मीद है जबकि इंडियानापोलिस स्थित लिली को अगस्त 2026 तक लॉन्च होने की उम्मीद है. नोवो की वेगोवी और लिली की जेपबाउंड (टिरजेपेटाइड, टाइप 2 डायबिटीज और वजन घटाने के लिए इस्तेमाल होने वाली एक दवा) जो वीकली इंजेक्शन के रूप में दी जाती हैं. यह GLP-1 हार्मोन को टारगेट करने वाली एकमात्र अत्यधिक प्रभावी वजन घटाने वाली दवाएं हैं और इनका अमेरिका में सबसे बड़ा मार्केट है. अमेरिका में इनकी कीमत लगभग ₹83,000 से ₹85,000 प्रति माह या उससे अधिक है. दोनों कंपनियां हेल्थ इंश्योरेंस बीमा की जगह नकद भुगतान करने वाले ग्राहकों को ₹41,417 से ₹42,415 मासिक में दवा प्रदान करती है. अगर भारत की बात करें तो भारत में मौनजारो (Mounjaro) की 1 महीने (4 इंजेक्शन) की खुराक की कीमत लगभग 14,000 रुपये से 17,500 रुपये तक है, जबकि वेगोवी (Wegovy) की 1 महीने की खुराक की कीमत करीब 17,345 रुपये से 26,015 रुपये के बीच है. इंजेक्शन और गोली में से क्या अधिक इफेक्टिव? दोनों कंपनियों ने कहा है कि उन्होंने मरीजों की जरूरतों को पूरा करने और बाजार तक पहुंच बढ़ाने के लिए, मुंह से ली जाने वाली वजन घटाने वाली दवाएं विकसित की हैं, इस बात को ध्यान में रखते हुए कि कुछ लोग इंजेक्शन से परहेज करते हैं. हालांकि, गोलियां इंजेक्शन से अधिक असरदार नहीं हैं. लिली ने इस महीने कहा कि उसकी गोली ऑर्फोर्ग्लिप्रॉन ने एक परीक्षण में 72 हफ्तों के बाद 12.4 प्रतिशत वजन कम किया. वहीं इसकी तुलना नोवो की रोजाना ली जाने वाली सेमाग्लूटाइड से 15 प्रतिशत वजन कम होने से की जा सकती है. दोनों ही लिली के इंजेक्शन से 21 प्रतिशत तक पीछे हैं. यूबीएस के विश्लेषक ट्रुंग हुइन्ह ने कहा कि कीमत शायद आज की मौजूदा दवाओं के बराबर या थोड़ी कम होंगी. वहीं टीडी कोवेन के विश्लेषक माइकल नेडेलकोविच ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि नोवो की गोली वेगोवी की कीमत के आसपास ही शुरू होगी. उन्होंने अपनी डायबिटीज की गोली राइबेलसस की कीमत का उदाहरण देते हुए कहा कि उसकी डायबिटीज की गोली ओजेम्पिक जो वेगोवी का डायबिटिक-ट्रीटमेंट वैरिएंट है, उसके इंजेक्शन के बराबर कीमत रखी गई है. नोवो के अधिकारियों ने इस महीने विश्लेषकों को बताया कि वे नई गोली के लिए रियायती मूल्य निर्धारित करने की जल्दी में नहीं हैं. विश्लेषकों के अनुसार, ओरल जीएलपी-1 दवाएं इंजेक्शन की जगह लेने के बजाय एक विशिष्ट स्थान भरेंगी. टीडी कोवेन का अनुमान है कि 2030 तक मध्य किशोरावस्था में गोलियां ग्लोबल ओबेसिटी की दवा बाजार में 1 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल कर लेंगी, जो तब तक करीब 12.45 लाख करोड़ तक पहुंच सकती हैं.  

iPhone 17 सीरीज: क्या इस बार जेब पर पड़ेगा कम बोझ या और ज़्यादा महंगा?

नई दिल्ली Apple कंपनी के iPhone सीरीज के फोन्स की तो दुनिया दीवानी है। अब जल्द ही ऐपल अपने अपनी नई iPhone 17 सीरीज लॉन्च करने वाली है। कंपनी चार नए मॉडल लाने वाली है, जिनमें iPhone 17, iPhone 17 Air, iPhone 17 Pro और iPhone 17 Pro Max होंगे। लीक हुई जानकारी के मुताबिक, इस बार डायनामिक आइलैंड में बदलाव होगा। इसके अलावा, iOS 26 के साथ सभी मॉडल्स में नए इंटरैक्टिव फीचर्स और शानदार डिजाइन देखने को मिलेंगे। इसी बीच iPhone 17 सीरीज के फोन्स को लेकर कुछ जानकारी लीक हुई है। चलिए, जान लेते हैं कि फोन कब लॉन्च हो सकता है, भारत में इसकी कीमत क्या हो सकती है, कैमरा कैसा रहने वाला है, फोन की बॉडी में क्या खास रहेगा और ये फोन किन कलर्स में आपको मिल सकते हैं। कब लॉन्च होगा iPhone 17? बीते कुछ सालों को देखा जाए तो ऐपल आमतौर पर हर साल सितंबर में अपने नए iPhone लॉन्च करता है। इस बार भी iPhone 17 सीरीज के सितंबर की शुरुआत में लॉन्च होने की उम्मीद है। पहले के लॉन्च को देखें तो iPhone 16 को 9 सितंबर, iPhone 15 को 12 सितंबर और iPhone 14 को 7 सितंबर को लॉन्च किया गया था। मशहूर पत्रकार मार्क गुरमन ने संभावना जताई है कि 9 या 10 सितंबर को लॉन्च हो सकता है। इसके अलावा, जर्मनी की एक टेलीकॉम कंपनी के इंटरनल मेमो में भी 9 सितंबर की तारीख का जिक्र है। भारत में इतनी होगी कीमत लीक के अनुसार, इस बार iPhone 17 सीरीज में बेस स्टोरेज को दोगुना कर 256GB किया जा सकता है, जो अभी 128GB है। इस अपग्रेड की वजह से कीमत में करीब 4,400 रुपये की बढ़ोतरी हो सकती है। अगर ऐसा हुआ तो स्टैंडर्ड iPhone 17 की कीमत भारत में लगभग 83,300 रुपये हो सकती है, जबकि iPhone 16 की कीमत 79,900 रुपये थी। नए iPhone 17 Air की कीमत अमेरिका में 900 डॉलर हो सकती है, जो भारत में 90,000 से 1,00,000 रुपये के बीच हो सकती है। यह कीमत स्टैंडर्ड मॉडल से ज्यादा लेकिन Pro मॉडल्स से कम होगी। Pro और Pro Max मॉडल्स की कीमत में भी बढ़ोतरी हो सकती है। iPhone 17 सीरीज में कैमरा कैसा होगा? iPhone 17 सीरीज में कैमरे के मामले में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। सभी मॉडल्स में 24MP का फ्रंट कैमरा होगा, जो iPhone 16 के 12MP फ्रंट कैमरे से बेहतर होगा। iPhone 17 Air में सिंगल 48MP रियर कैमरा हो सकता है। स्टैंडर्ड iPhone 17 में डुअल कैमरा सिस्टम होगा, जिसमें 48MP का मेन सेंसर और 12MP का अल्ट्रा वाइड लेंस होगा। Pro और Pro Max मॉडल्स में ट्रिपल कैमरा सेटअप होगा, जिसमें 48MP मेन सेंसर, 48MP अल्ट्रा वाइड सेंसर और 48MP पेरिस्कोप टेलीफोटो लेंस होगा। इन कलर्स में आ सकते हैं फोन iPhone 17 और iPhone 17 Pro में एल्यूमिनियम बॉडी हो सकती है, जो पिछले टाइटेनियम फ्रेम की तुलना में हल्की होगी।Pro मॉडल में बेहतर वायरलेस कनेक्टिविटी के लिए नया एंटीना सिस्टम हो सकता है। रंगों की बात करें तो स्टैंडर्ड iPhone 17 ब्लैक, व्हाइट, स्टील ग्रे, ग्रीन, पर्पल और लाइट ब्लू कलर्स में आ सकता है। जबकि Pro मॉडल्स ब्लैक, व्हाइट, ग्रे, डार्क ब्लू और ऑरेंज जैसे शानदार कलर्स में मिल सकते हैं। एल्यूमिनियम बॉडी हो सकती है iPhone 17 और iPhone 17 Pro में एल्यूमिनियम बॉडी हो सकती है, जो पिछले टाइटेनियम फ्रेम की तुलना में हल्की होगी।Pro मॉडल में बेहतर वायरलेस कनेक्टिविटी के लिए नया एंटीना सिस्टम हो सकता है।

भारत में बढ़ रहा जूनोटिक खतराः इंसानी स्वास्थ्य को गंभीर चुनौती

नई दिल्ली पिछले दो दशकों के आंकड़े उठाकर देखें तो पता चलता है कि दुनियाभर में कई प्रकार की संक्रामक बीमारियों के मामले तेजी से बढ़े हैं। इसके कारण न सिर्फ स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर अतिरिक्त दवाब बढ़ा है, बल्कि बड़ी संख्या में लोगों की मौतें भी हुई हैं। कोरानावायरस हो या मंकीपॉक्स, निपाह हो या इबोला, इन सभी ने इंसानी स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। पर क्या आपने कभी सोचा है कि कई बार ये बीमारियां अचानक कैसे फैल जाती हैं? शोधकर्ताओं की मानें तो हाल के वर्षों में इंसानों में फैली ज्यादातर बड़ी बीमारियों की जड़ जानवरों से जुड़ी हुई है। इस तरह की बीमारियों का जूनोटिक बीमारियां कहा जाता है। इंसानों में देखी जा रही करीब 60% बीमारियां किसी न किसी रूप में जानवरों से आई हैं। यानी अगर दुनिया में कोई नया वायरस या बैक्टीरिया फैलता है, तो बहुत संभावना है कि उसकी शुरुआत इंसानों से नहीं बल्कि जानवरों से हुई हो। इस तरह के रोगों का खतरा और भी बढ़ता जा रहा है। इसी को लेकर हाल ही में हुए एक शोध में वैज्ञानिकों की टीम ने विश्वभर के लोगों को जूनोटिक बीमारियों के खतरे को लेकर सावधान किया है। वैज्ञानिकों ने कहा कि दुनिया की नौ फीसदी जमीन पर जूनोटिक संक्रमण का खतरा है, हर पांचवे इंसान को इस तरह की बीमारियों की चपेट में आने का खतरा हो सकता है। चूंकि इसके मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं इसलिए सभी लोगों को अलर्ट रहने की आवश्यकता है। दुनिया की लगभग तीन फीसदी आबादी गंभीर खतरे में जर्नल साइंस एडवांसेज में प्रकाशित अध्ययन की इस रिपोर्ट में शोधकर्ताओं ने कहा, दुनिया की लगभग तीन फीसदी आबादी बेहद जोखिम वाले क्षेत्रों में रहती है। वहीं, हर पांच में से एक इंसान मध्यम जोखिम वाले क्षेत्रों में रह रहा है। इटली स्थित यूरोपीय आयोग के संयुक्त अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में इन बीमारियों का बढ़ते जोखिमों को लेकर लोगों को अलर्ट रहने की सलाह दी है। शोधकर्ताओं ने वैश्विक संक्रामक रोग और महामारी विज्ञान नेटवर्क डाटासेट और विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्राथमिकता वाली बीमारियों की सूची का विश्लेषण किया। डब्ल्यूएचओ की प्राथमिकता सूची में कोविड- 19, इबोला, कोरोना वायरस, सार्स और निपाह जैसी बीमारियां सबसे खतरनाक और संक्रामक मानी गई हैं। अध्ययन में सामने आई चौंकाने वाली बातें अध्ययन में देखा गया कि बढ़ते तापमान, अधिक वर्षा और जल संकट जैसे जलवायु परिवर्तन के कारक इन बीमारियों के खतरे को और बढ़ा रहे हैं। वैज्ञानिकों ने पाया कि दुनिया की 6.3 फीसदी जमीन इन बीमारियों के उच्च और तीन फीसदी बेहद उच्च जोखिम में है। जानवरों से इंसानों में फैलने वाली बीमारियों का सबसे अधिक खतरा लैटिन अमेरिका (27%) में है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के एक अध्ययन के मुताबिक, साल 2018 से 2023 के बीच भारत में दर्ज की गई 6,948 बीमारियों में से 583 (8.3%) जूनोटिक थीं। द लैंसेट रीजनल साउथईस्ट एशिया में प्रकाशित इस अध्ययन में लोगों को अलर्ट किया गया है। कई जूनोटिक बीमारियां जैसे रेबीज, निपाह वायरस, बर्ड फ्लू, स्वाइन फ्लू, डेंगू, मलेरिया, लेप्टोस्पाइरोसिस और हाल के वर्षों में फैला कोरोनावायरस काफी आम है। इसका संक्रमण अक्सर गंभीर और जानलेवा साबित होता है, क्योंकि इंसानों की रोग प्रतिरोधक क्षमता उसके लिए तैयार नहीं होती। क्यों बढ़ता जा रहा है खतरा? स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, वनों की कटाई और शहरीकरण के चलते इन बीमारियों के मामले बढ़ते जा रहे हैं। जब जंगल काटे जाते हैं, तो जंगली जानवर इंसानों के करीब आ जाते हैं और उनके शरीर में मौजूद वायरस हमारे शरीर तक पहुंच जाते हैं। दूसरा कारण है जलवायु परिवर्तन। बदलते मौसम के कारण मच्छर और अन्य कीड़े, जो कई रोग फैलाते हैं, नई जगहों पर पनपने लगते हैं। इसके अलावा दुनिया की बढ़ती जनसंख्या और इसके हिसाब से स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी ने भी खतरे को पहले की तुलना में काफी बढ़ा दिया है। भारत में जोखिम की स्थिति कई अध्ययन इस बात को लेकर लोगों को सावधान कर रहे हैं कि भारत में जूनोटिक बीमारियों का जोखिम तेजी से बढ़ता जा रहा है। ये इन रोगों का हॉटस्पॉट बनता जा रहा है। उत्तर-पूर्व भारत और दक्षिण भारत इन रोगों से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं, क्योंकि यहां जंगलों और इंसानी बस्तियों का सीधा संपर्क है और मानसून के कारण मच्छर तथा अन्य वाहक तेजी से फैलते हैं।  निपाह से लेकर डेंगू और लेप्टोस्पाइरोसिस तक, भारत में इन बीमारियों की रफ्तार बढ़ रही है जिसको लेकर सभी लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है। समय रहते जागरूकता और रोकथाम के उपाय करके आप इससे बचाव कर सकते हैं।  

Google Pixel 10 सीरीज का बड़ा खुलासा! लॉन्च से पहले जानें फीचर्स और खासियतें

नई दिल्ली अगले 2 दिनों मे गूगल अपना Made by Google इवेंट करने जा रहा है। इसमें गूगल अपनी नई पिक्सल 10 सीरीज लॉन्च करेगा। लॉन्च से पहले गूगल लगातार अपने छोटे-छोटे टीजर जारी कर रहा है। इन टीचर्स में गूगल ने संकेत दिए हैं कि पिक्सल 10 में और भी ज्यादा पर्सनल AI फीचर्स मिलने वाले हैं। दरअसल गूगल स्मार्टफोन में AI फीचर्स को तेज़ी से आगे बढ़ा रहा है। ऐसे में अगर आप AI पावर्ड फोन का मज़ा लेना चाहते हैं, तो पिक्सल 10 आपके लिए खास हो सकता है। चलिए लॉन्च से दो दिन पहले एक बार उन तमाम चीजों को दोहरा लें, जो अभी तक पिक्सल 10 सीरीज के बारे में हमें पता है। Google Pixel 10 में मिलेंगे नए AI फीचर्स दो दिन बाद लॉन्च होने वाली पिक्सल 10 सीरीज में नए और जबरदस्त AI फीचर्स देखने को मिलेंगे। इसे लेकर गूगल ने एक टीजर में कहै है कि “क्या होगा अगर कैमरा बहुत-बहुत दूर से भी बहुत-बहुत पास दिखा सके?” इससे साफ है कि Pixel 10 में AI और computational photography की मदद से जबरदस्त ज़ूम क्वालिटी मिलेगी। इसके अलावा गूगल ने अपने टीजर में यह भी कहा है कि “क्या होगा अगर आप ग्रुप फोटो में खुद भी दिखें, भले ही आपने फोटो खींची हो?” इसका मतलब है Pixel 10 में ऐसा AI फीचर भी होगा जो फोटोग्राफर को भी स्मार्ट तरीके से ग्रुप फोटो में जोड़ देगा। अपने वीडियो टीजर के आखिर में गूगल यह भी कहता है कि “जहां पहले आप कैमरे के दूसरी तरफ थे, अब कैमरा आपकी तरफ है।” इससे साफ है कि पिक्सल 10 सीरीज में AI की मदद से कई नई और अनोखी स्मार्ट कैमरा ट्रिक्स देखने को मिलेंगी। कुल मिलाकर इसमें बेहतर फोटो, ज्यादा पर्सनलाइजेशन और दमदार AI एक्सपीरियंस पर फोकस रहेगा। कैसे देखेंगे लाइव इवेंट अगर आप गूगल का इवेंट लाइव देखना चाहते हैं, तो इसे आप गूगल के ऑफीशियल यूट्यूब चैनल पर भारतीय समय के अनुसार रात 10:30 बजे से देख पाएंगे। इस इवेंट को जल्द गूगल अपने यूट्यूब चैनल पर शेड्यूल भी कर देगा। ऐसे में आप चाहें, तो इस इवेंट का नोटिफिकेशन भी अपने लिए सेट कर सकते हैं। ऐसा करने पर इवेंट शुरू होते ही आपको इसका नोटिफिकेशन मिल जाएगा। Google Pixel 10 के संभावित स्पेसिफिकेशंस फिलहाल लीक्स से Google Pixel 10 के संभावित स्पेसिफिकेशंस की कुछ जानकारी सामने आ चुकी है। रिपोर्ट्स के अनुसार Google इस बार Pixel 10 सीरीज में बड़े बदलाव करने जा रहा है। इस सीरीज के सभी मॉडल्स में Google Tensor G5 प्रोसेसर मिलेगा, जो 3nm टेक्नोलॉजी पर बना होगा। यह फोन आउट ऑफ दे बॉक्स एंड्रॉयड 16 के साथ आ सकता है। Google Pixel 10 में पहली बार ट्रिपल रियर कैमरा सेटअप दिया जा सकता है, जिसमें पेरिस्कोप टेलीफोटो लेंस भी शामिल होगा। बता दें कि यह पिछले मॉडल में नहीं था। इसमें प्राइमरी कैमरा 50MP का, अल्ट्रा-वाइड सेंसर 48MP का और अल्ट्रा-वाइड सेंसर 12MP का रहने की संभावना है। इसके अलावा कुछ जानकारी Pixel Fold Variant की भी निकल कर आई है कि इसमें 48MP का प्राइमरी कैमरा, 10.8MP का टेलीफोटो लेंस और 10.5MP का अल्ट्रा-वाइड लेंस दिया जा सकता है। इन सभी फोन में FHD+ डिस्प्ले और 120Hz रिफ्रेश रेट मिलने की पूरी संभावना है। इससे स्क्रॉलिंग और गेमिंग और भी स्मूद हो सकती है।

ध्रुव राठी का बड़ा कदम: AI Fiesta लॉन्च, सभी एआई टूल्स एक ही जगह उपलब्ध

नई दिल्ली यूट्यूबर ध्रुव राठी ने AI Fiesta के नाम से अपना स्टार्टअप लॉन्च किया है। इसे लेकर उन्होंने रविवार को एक वीडियो भी अपने चैनल पर पोस्ट किया। AI Fiesta को आप AI का एग्रीगेटर समझ सकते है। यानी कि आप इस एक प्लेटफॉर्म पर तमाम अलग-अलग AI इस्तेमाल कर पाएंगे। यहां खास बात यह है कि इस प्लेटफॉर्म पर आपको सभी AI का प्रो वर्जन उपलब्ध कराया जाएगा। अपने इन नए प्लेटफॉर्म को लेकर ध्रुव राठी ने अपनी वीडियो में बताया कि उन्हें इस स्टार्टअप का आइडिया अपनी रोजमर्रा की एक समस्या से मिला है। चलिए इस नए AI प्लेटफॉर्म के बारे में डिटेल में समझते हैं, और जानते हैं कि इससे आपको क्या फायदे होंगे? क्या है AI Fiesta AI Fiesta एक नए AI प्लेटफॉर्म का नाम है, जो कि यूट्यूबर ध्रुव राठी का स्टार्टअप है। यह अपने आप में एक AI नहीं बल्कि अलग-अलग AI को एक साथ इस्तेमाल करने का मंच है। इसे आप AI एग्रीगेटर की तरह समझ सकते हैं। इस बारे में ध्रुव ने बताया कि वह और उनकी टीम रोजमर्रा के कामों के लिए अलग-अलग AI का इस्तेमाल करते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि अलग-अलग AI अलग-अलग कामों में माहिर होते हैं। इस वजह से उनका और उनकी टीम का ज्यादातर समय अलग-अलग AI से अपना काम लेने में खराब होता था। ऐसे में ध्रुव को तमाम AI चैटबॉट्स एक प्लेटफॉर्म पर लाने का विचार आया। जिसने AI Fiesta को जन्म दिया। क्या हैं AI Fiesta के फायदे? AI Fiesta की मदद से आप लगभग सभी पॉपुलर AI चैटबॉट्स को एक प्लेटफॉर्म पर एक्सेस कर सकते हैं। आप इस प्लेटफॉर्म पर एक बार में सभी AI चैटबॉट्स से अपना सवाल पूछ पाएंगे और ऐसा आप लिखकर और बोलकर दोनो तरीके से कर सकते हैं। एक बार सवाल पूछने पर सभी के सभी AI चैटबॉट्स उसका एक साथ जवाब देना शुरू देते हैं। इसके बाद आपको जिस भी AI चैटबॉट का जवाब अपनी जरूरत के हिसाब से ठीक लगे आप उसके साथ आगे की चैट जारी रख सकते हैं।इस प्लेटफॉर्म की खास बात यह भी है कि जो यूजर्स इसका सब्सक्रिप्शन लेंगे उन्हें सभी AI चैटबॉट्स के पेड या प्रो वर्जन इस्तेमाल करने को मिलेंगे। ध्रुव ने अपने वीडियो में वादा किया है कि वह इस प्लेटफॉर्म में आने वाले तमाम AI बॉट्स और उनके पेड वर्जन का एक्सेस उपलब्ध करवाते रहेंगे। क्या है कीमत? ध्रुव ने अपने वीडियो में बताया कि अगर आप अलग-अलग जरूरतों के मुताबिक सभी पॉपुलर चैटबॉट्स का सब्सक्रिप्शन लें तो उसके लिए आपको महीने के 10 हजार रुपये तक खर्च करने पड़ेंगे। वहीं AI Fiesta का एक महीने के सब्सक्रिप्शन की कीमत सिर्फ 999 रुपये है। इसमें आपको सभी AI चैटबॉट्स के प्रो वर्जन का एक्सेस एक ही जगह पर मिल जाएगा। वहीं इस प्लेटफॉर्म का सालभर का सब्सक्रिप्शन 9,999 रुपये में लिया जा सकता है। इस लिहाज से देखा जाए तो ध्रुव राठी के इस नए प्लेटफॉर्म से उन लोगों को बहुत फायदा होगा, जो अलग-अलग AI चैटबॉट्स का अपने काम में इस्तेमाल करते हैं। कैसे कर पाएंगे इस्तेमाल ध्रुव ने अपने वीडियो में बताया है कि उनका यह प्लेटफॉर्म ऐप के तौर पर फिलहाल Android यूजर्स के लिए उपलब्ध है और जल्द इसका iOS ऐप भी सभी के लिए उपलब्ध होगा। इसके अलावा इसकी साइट पर जाकर भी इस प्लेटफॉर्म को एक्सेस किया जा सकता है। AI Fiesta को इस्तेमाल करने के लिए आपको इसकी साइट पर अपना एक अकाउंट बनाना होगा। इसके बाद कुछ AI जैसे कि ChatGPT 5, Gemini 2.5 Pro और Deepseek मुफ्त में एक जगह इस्तेमाल करने को मिल जाते हैं। वहीं बाकी के AI चैटबॉट्स जैसे कि Perplexity Sonar Pro, Claude Sonnet 4 और Grok 4 का सब्सक्रिप्शन पाने के लिए आपको AI Fiesta का सब्सक्रिप्शन लेना होगा।

स्मार्ट चरखी संग पतंग उड़ाना हुआ हाई-टेक, इस बार 15 अगस्त पर मिलेगी खास सुविधा

नई दिल्ली 15 अगस्त अब कुछ ही दिन दूर है और बाजार में पतंगों की रौनक दिखने लगी है। पतंगबाजी पसंद करने वालों के लिए इस बार बाजार में कुछ खास आया है। इस बार आप चाहें, तो स्मार्ट चरखी से पेंचे लड़ा पाएंगे। दरअसल आज जब तमाम चीजों में टेक्नोलॉजी की एंट्री हो रही है, तो भला पतंग उड़ाने में इस्तेमाल होने वाली चरखी या जिसे फिरखी भी कहा जाता है, कैसे पीछे रह जाती? इस चरखी को बनाया ही उन लोगों के लिए गया है जिन्हें पतंगबाजी में मजा आता है। यह स्मार्ट चरखी एक हाथ से पतंग उड़ाना बेहद आसान बना देती है। चलिए डिटेल में इसके बारे में बात करते हैं। क्या है स्मार्ट चरखी? आज जब फोन से लेकर टीवी तक और घड़ी से लेकर चश्मे तक सब स्मार्ट है, तो जाहिर तौर पर पतंग उड़ाने के लिए काम में आने वाली चरखी में भी टेक्नोलॉजी का समावेश होना ही था। स्मार्ट चरखी, जिसे कि मोटर वाली चरखी भी कहा जाता है एक यूनिक कॉन्सेप्ट है। इसने पतंग उड़ाने वाली एक नॉर्मल सी चरखी को इंटेलिजेंट बना दिया है। यहां इंटेलिजेंट से मतलब है खुद-ब-खुद काम करने वाली। इस चरखी में एक रिचार्जेबल मोटर का सिस्टम फिट किया गया है जो कि मांझे को एक बटन दबाने पर खुद ही लपेट लेती है। इस चरखी को टाइप सी केबल से चार्ज किया जा सकता है और पतंगबाजी के शौकीन लोगों के यह बहुत काम आ सकती है। कैसे करती है काम? स्मार्ट चरखी में एक मोटर लगी होती है, जो कि चरखी के हैंडल के छोर पर दिए बटन के जरिए चालू होती है। इसकी मदद से अगर कोई शख्स एक हाथ से पतंग उड़ाना चाहे, तो वह काम भी बहुत आसानी से किया जा सकता है। इसके लिए अलग से किसी को अपने साथ मांझा लपेटने के लिए रखने की जरूरत नहीं रह जाती और आप एक बटन के कंट्रोल से पेंचे लड़ा सकते हैं। बता दें कि इसे चार्ज करने के लिए टाइप सी केबल का इस्तेमाल करना पड़ता है और इसके लिए आप अपने मोबाइल को चार्ज करने वाली केबल का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। एक चार्ज में चलेगी कई दिन एक बार फुल चार्ज होने में इसे डेढ़ से दो घंटे का समय लगता है। एक बार की चार्जिंग के बाद इसे 8 से 10 घंटे तक लगातार इस्तेमाल किया जा सकता है। कहने का मतलब है कि एक बार की चार्जिंग आपको दो से तीन दिन की पतंगबाजी का मजा दे सकता है। इस चरखी में हाई क्वालिटी मोटर का भी इस्तेमाल किया गया है। क्या है कीमत मोटर वाली ऑटोमैटिक चरखी को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से खरीदा जा सकता है। हर साइट पर इसका दाम अलग है लेकिन इसे आमतौर पर 2000 रुपये में खरीदा जा सकता है। इस चरखी का एक फायदा और है कि एक बार खरीदने के बाद यह आपके कई बार काम आ सकती है। इसके अलावा इसकी बैटरी को यूजर भी आसानी से रिप्लेस कर सकता है। ऐसे में लंबे समय तक इस चरखी को इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा यह चरखी पूरी तरह से मेड इन इंडिया भी है।