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हाथ पर बंधा कलावा कितने दिन तक रखना शुभ होता है?

कलावा बांधना धार्मिक रूप से शुभ और मंगलकारी माना गया है, हिंदू धर्म में कलावा विशेष महत्व रखता है. कलाई पर बंधा कलावा कितने दिन बाद उतारें, जानें कलावा उतारने की विधि और धार्मिक महत्व. कलावा यानी मौली या धागा, इसे कई बार पूजा के समय बांधा जाता है. हिंदू धर्म में मौली या कलावा बांधना शुभ माना गया है. इसे पूजा-पाठ, व्रत और धार्मिक कार्यों के समय बांधा जाता है. कलावा बांधने से नकारात्मक ऊर्जा दूर रहती है. साथ ही भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है. कलावा बांधने का अर्थ है भगवान आपकी रक्षा कर रहे हैं, साथ ही सौभाग्य आएगा और देवी-देवताओं का आशीर्वाद आप पर बना रहेगा. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कलावा को उतारने का कोई निश्चित दिन नहीं बताया गया है. यह व्यक्ति की श्रद्धा और अवसर पर निर्भर करता है. ऐसा माना जाता है किसी भी धार्मिक कार्य पूरा होने के बाद कलावा उतारा जा सकते हैं. कई बार लंबे समय तक कलावा फट जाए या गंदा हो जाने पर या टूट जाने पर इसे उतार देना चाहिए.कलावे को उतारने के बाद बहते जल या पवित्र पेड़ के पास रखना शुभ माना जाता है. ऐसा करना शुभ होता है. ध्यान रखें कलावे को किसी के पैरों में ना आने दें और ही कूड़े में फेंके. अगर आप किसी नई पूजा में बैठे हैं तो नया कलावा पहनने से पहले पुराने कलावे को जरूर उतार दें और उसके बाद नए कलावे को बंधवाना चाहिए.

श्राद्ध का आख़िरी दिन: सर्वपितृ अमावस्या पर जानें तर्पण का शुभ समय

रविवार, 21 सितंबर को पितृ पक्ष का अंतिम दिन है. श्राद्ध पक्ष के आखिरी दिन सर्व पितृ अमावस्या मनाई जाती है, जिसे आमतौर पर महालया अमावस्या भी कहते हैं. हिंदू धर्म में सर्व पितृ अमावस्या का विशेष महत्व माना जाता है, क्योंकि यह पितरों को विदाई देने का दिन होता है. पितृ पक्ष के दौरान हमारे पूर्वज 15 दिनों के लिए धरती पर आते हैं और सर्व पितृ अमावस्या के दिन वापस अपने लोक लौट जाते हैं. ऐसे में इस दिन का महत्व और अधिक बढ़ जाता है. अगर आप भी अपने पितरों को सर्व पितृ अमावस्या के दिन प्रसन्न करना चाहते हैं, तो चलिए आपको बताते हैं शुभ मुहूर्त और इस अमावस्या से जुड़ी जरूरी जानकारी. सर्व पितृ अमावस्या 2025 मुहूर्त     अमावस्या तिथि शुरू – 21 सितंबर को रात 12:16 बजे.     अमावस्या तिथि समाप्त – 22 सितंबर को रात 1:23 बजे.     कुतुप मुहूर्त – 21 सितंबर को दोपहर 12:07 से दोपहर 12:56 बजे तक.     रौहिण मुहूर्त – 21 सितंबर को दोपहर 12:56 से दोपहर 1:44 बजे तक.     अपराह्न काल – 21 सितंबर को दोपहर 1:44 से शाम 4:10 बजे तक. सर्व पितृ अमावस्या का क्या महत्व है? धार्मिक मान्यता के अनुसार, सर्वपितृ अमावस्या पर किए गए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान से पितरों की आत्मा को तृप्ति और शांति मिलती है. कहते हैं कि इस दिन किए गए कर्मकांड सीधे पितृ लोक तक पहुंचते हैं, जिससे पितृ प्रसन्न होकर अपने वंशजों को लंबी उम्र, धन-धान्य और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं. सर्व पितृ अमावस्या क्यों मनाई जाती है? सर्व पितृ अमावस्या को पितृ मोक्ष अमावस्या या सर्व मोक्ष अमावस्या भी कहा जाता है. यह दिन बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि अगर आपने अभी तक अपने पितरों का श्राद्ध नहीं किया है या उनकी श्राद्ध की तिथि पता नहीं है, तो आप इस दिन उनका श्राद्ध कर अपने पितरों को तृप्त कर सकते हैं. ऐसा करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है. सर्व पितृ अमावस्या के लिए कौन से मंत्र हैं? सर्व पितृ अमावस्या के दिन पितृ दोष से मुक्ति और पितरों को प्रसन्न करने के लिए आप नीचे दिए गए मंत्रों का जाप कर सकते हैं:-     पितृ गायत्री मंत्र:- ॐ पितृ गणाय विद्महे जगतधारिणे धीमहि तन्नो पित्रो प्रचोदयात्.     दूसरा पितृ मंत्र:- ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:.     पितृ देवता मंत्र:- ॐ पितृ देवतायै नमः. सर्वपितृ अमावस्या को क्या करना चाहिए? सर्व पितृ अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण करने के बाद श्रद्धानुसार दान किया जाता है. सर्व पितृ अमावस्या के दिन पूजा के बाद अपनी आर्थिक स्थिति अनुसार दान करें और आप दान में अन्न, धन और कपड़े दे सकते हैं. इस दिन दान करने से व्यक्ति को अमोघ फल की प्राप्ति होती है. सर्व पितृ अमावस्या के दिन क्या दान करना चाहिए? सर्व पितृ अमावस्या के दिन अन्नदान, गौदान और वस्त्र दान का विशेष महत्व माना जाता है. सर्व पितृ अमावस्या पर ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को भोजन कराने, गुड़, चावल, गेहूं और घी का दान करने और गरीबों की सेवा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं. सर्व पितृ अमावस्या के दिन क्या नहीं करना चाहिए? सर्व पितृ अमावस्या के दिन बाल और नाखून नहीं काटने चाहिए, तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए, यात्रा और कपड़े धोने से बचना चाहिए और किसी से वाद-विवाद या मन में गलत विचार नहीं लाने चाहिए. ऐसा माना जाता है कि इन कार्यों को करने से नकारात्मक ऊर्जा आती है और शुभ फलों की प्राप्ति नहीं होती है. सर्व पितृ अमावस्या पर पितरों को खुश करने के क्या उपाय हैं? सर्व पितृ अमावस्या के दिन अपने पितरों को खुश करने के लिए पवित्र नदी में स्नान, श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करें. इसके अलावा, ब्राह्मणों को भोजन कराएं और जरूरतमंदों को दान-दक्षिणा दें. अमावस्या की शाम को पीपल के वृक्ष के नीचे चौमुखी दीपक जलाकर पितरों से क्षमा याचना करें और उन्हें विदाई दें.

शारदीय नवरात्रि में खास योग, रवि-अमृत और सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ मां दुर्गा का भव्य आगमन

इस साल शारदीय नवरात्रि बेहद खास रहने वाली है। आमतौर पर नवरात्रि 9 दिनों की होती है, लेकिन 2025 में यह पर्व पूरे 10 दिनों तक चलेगा। यह अद्भुत संयोग करीब 9 साल बाद बन रहा है। ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास बताते हैं कि इस बार नवरात्रि 22 सितंबर से शुरू होकर 2 अक्टूबर तक चलेगी। खास बात यह है कि इस बार तृतीया तिथि की वृद्धि हुई है, जिसकी वजह से नवरात्रि में एक अतिरिक्त दिन जुड़ गया है। किस देवी की होगी दो दिन पूजा? तृतीया तिथि दो दिन होने से इस बार मां चंद्रघंटा की पूजा लगातार 24 और 25 सितंबर को होगी। यानी भक्तों को मां के तृतीय स्वरूप की उपासना के लिए दो दिन का अवसर मिलेगा। नवरात्रि में वैसे तो नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री। लेकिन इस साल भक्तों को एक अतिरिक्त दिन का सौभाग्य मिलेगा। नवरात्र में नौ दिन शैलपुत्री ब्रह्मचारिणी चंद्रघंटा कूष्मांडा स्कंदमाता कात्यायनी कालरात्रि महागौरी सिद्धिदात्री नौ देवियों की पूजा हाेती हैं। 10 विधाओं में काली, तारा, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, छित्रमस्ता, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी, और कमला की आराधना करते हैं। मंदिर में होगा श्रीमद् देवी भागवत कथा का आयोजन शारदीय नवरात्रों के अवसर पर श्री दुर्गा कीर्तन महिला मंडल रानियां की ओर से श्री दुर्गा कीर्तन मंदिर में श्रीमद् देवी भागवत कथा का आयोजन किया जाएगा। मंदिर कमेटी उप प्रधान संजय आहूजा ने बताया कि 22 सितंबर को कथा का प्रारंभ होगा और 30 सितंबर तक चलेगी। कथा का समय शाम 5 बजे से 7 बजे तक रहेगा। रवि, अमृत व सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग संकल्प विशेष की साधना के लिए योग-संयोग का बड़ा महत्व होता है। इस बार नवरात्रि पर्व के दौरान रवि योग, अमृत सिद्धियोग, सर्वार्थ सिद्धि योग सभी रात्रि में आएंगे जो साधना उपासना की दृष्टि से विशेष माने जाते हैं। 24 व 25 सितंबर की मध्य रात में अमृत सिद्धियोग व रवि योग बनेगा। 26 और 27 सितंबर को रवि योग और 28 सितंबर को सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा। ऐसी मान्यता है कि नवरात्रि जब बढ़ते क्रम में हो तो वह शुभ मानी जाती है। इस दौरान आदि शक्ति की कृपा प्राप्त करने के लिए उपासना करनी चाहिए। मां दुर्गा का आगमन हाथी पर नवरात्रि के प्रारंभ में मां दुर्गा किस वाहन पर आती हैं, यह भी बहुत शुभ संकेत देता है। इस बार नवरात्रि की शुरुआत रविवार से हो रही है, और मान्यता है कि जब नवरात्रि रविवार या सोमवार से शुरू होती है तो मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं। हाथी को समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक माना जाता है। इसका मतलब है कि इस साल नवरात्रि देश और समाज में सुख-समृद्धि और उन्नति लेकर आएगी। नवरात्रि घटस्थापना मुहूर्त अमृत मुहूर्त : सुबह 6:19 से 7:49 बजे तक शुभ मुहूर्त : सुबह 9:14 से 10:49 बजे तक अभिजीत मुहूर्त : सुबह 11:55 से 12:43 बजे तक  कलश स्थापना का विशेष महत्व है। इसे घट स्थापना भी कहते हैं, और इसी से नवरात्रि व्रतों की शुरुआत होती है। सही समय पर की गई कलश स्थापना को मां दुर्गा की कृपा प्राप्त करने का मुख्य साधन माना जाता है। क्यों है यह नवरात्रि खास? इस बार 9 नहीं बल्कि पूरे 10 दिन तक मां दुर्गा की पूजा होगी। खासकर मां चंद्रघंटा की उपासना दो दिन तक करने का यह अद्वितीय संयोग भक्तों को दुगुना आशीर्वाद देगा। इसके साथ ही 2 अक्टूबर को विजयादशमी (दशहरा) मनाकर नवरात्रि का समापन होगा। शारदीय नवरात्रि तिथि     22 सितंबर, सोमवार : प्रतिपदा तिथि     23 सितंबर, मंगलवार : द्वितीय तिथि     24 सितंबर, बुधवार : तृतीया तिथि     25 सितंबर, गुरुवार : तृतीया तिथि     26 सितंबर, शुक्रवार : चतुर्थी तिथि     27 सितंबर, शनिवार : पंचमी तिथि     28 सितंबर, रविवार : षष्ठी तिथि     29 सितंबर, सोमवार : सप्तमी तिथि     30 सितंबर, मंगलवार : अष्टमी तिथि     01 अक्टूबर, बुधवार : नवमी तिथि     02 अक्टूबर, गुरुवार : दशहरा हरसिद्धि मंदिर में नवरात्रि में नहीं होगी शयन आरती देश के 52 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ हरसिद्धि मंदिर सहित अन्य देवी मंदिरों में नवरात्रि पर्व की तैयारी हो गई है। देवी आराधना का पर्व शारदीय नवरात्र 22 सितंबर से शुरू होगा। शक्ति पीठ हरसिद्धि मंदिर में परंपरा अनुसार नवरात्र के दौरान मंदिर में शयन आरती नहीं होती है। वहीं मंदिर के गर्भगृह में दर्शनार्थियों का प्रवेश बंद रहेगा। शहर में देवी के प्रसिद्ध मंदिर गढ़कालिका माता मंदिर, हरसिद्धि मातामंदिर व भूखी माता मंदिर में नवरात्रि में प्रतिदिन भक्तों के सहयोग से मंदिर के आंगन में लगी दीप मालिका प्रज्ज्वलित की जाएगी। 10 दिन रहेगी गरबों की धूम शारदीय नवरात्रि पर्व इस बार 10 दिन होने से शहर में गरबा पंडालों में दस दिन गरबा आयोजन होगा। शहर में कई स्थानों पर गरबा पंडाल बनाए गए हैं। कुछ बड़े मैदान में बने पंडाल पर भी नवरात्रि पर्व के दौरान गरबा का आयोजन प्रतिदिन होगा। गरबा प्रशिक्षण का दौर पिछले 15 दिनों से कई स्थानों पर चल रहा है।

आज का राशिफल: किस्मत देगी साथ या आएंगी चुनौतियाँ? जानें 21 सितंबर की राशियों का हाल

मेष आज आपको अपनी फीलिंग्स को कंट्रोल में रखने की जरूरत है। खर्च के कारण मन परेशान हो सकता है। आर्थिक स्थिति उतार-चढ़ाव भरी रहेगी। लव लाइफ में अच्छा समय देखने को मिलेगा। दोस्तों के साथ अच्छा समय बिताएंगे। करियर में उन्नति मिल सकती है। वृषभ आज वृषभ राशि वालों की पठन-पाठन में रुचि बढ़ेगी। लिखने पढ़ने से जुड़े कार्यों के लिए दिन अनुकूल रहने वाला है। आय में वृद्धि होगी। परिवार में सुख-शांति रहेगी। मान-सम्मान की प्राप्ति हो सकती है। आर्थिक रूप से आप बेहतर रहेंगे। मिथुन आज आपको अपनी डाइट को लेकर सतर्क रहना चाहिए। आपके परिवार में किसी सदस्य के बीमार पड़ने से आपको आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। परिवार के किसी सदस्य के व्यवहार के कारण आपका मूड खराब हो सकता है। सिंगल जातकों की किसी खास शख्स से मुलाकात होने की संभावना है। कर्क आज कर्क राशि वालों को नौकरी में अफसरों का सहयोग मिलेगा। ऑफिस में तरक्की के मार्ग प्रशस्त होंगे। कार्यक्षेत्र में बदलाव हो सकता है। परिवार से दूर किसी जगह की यात्रा करनी पड़ सकती है। व्यापारिक स्थिति मजबूत होगी। सिंह आज आपको बच्चों की सेहत को लेकर सतर्क रहना चाहिए। अपना आर्थिक पक्ष मजबूत करने के लिए कोई महत्वपूर्ण फैसला लेना पड़ सकता है। पारिवारिक तनाव आपको परेशान कर सकता है। जीवनसाथी का साथ मिलेगा। एनर्जी में वृद्धि होगी और आत्मविश्वास बढ़ेगा। कन्या आज दोस्तों की मदद से कारोबार में वृद्धि हो सकती है। परिवार के किसी सदस्य का साथ मिलने से आर्थिक स्थिरता प्राप्त होगी। आज कोई सपना पूरा करने में सफल हो सकते हैं। आपका जीवनसाथी आज आपको खुश करने की भरपूर कोशिश करेगा। व्यापार में विस्तार के योग हैं। तुला आज आपकी सेहत अच्छी रहने वाली है। दोस्तों के साथ एक अच्छी शाम बिताएंगे। आपको पैसों की अहमियत का पता चलेगा और आप पैसों की बचत करने पर जोर देंगे। आपका पार्टनर सहयोगी और मददगार रहेगा। जीवनसाथी की मदद से किसी महत्वपूर्ण काम में सफलता मिल सकती है। वृश्चिक आज आप अपने नजरिए से आसपास के लोगों को प्रभावित करेंगे। आज दूसरों की बातों में आकर निवेश करने से आर्थिक नुकसान हो सकता है। महत्वपूर्ण कार्यों को समय न देना और बेकार की बातों में अपना समय गुजारना आज आपके लिए खतरनाक हो सकता है। जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा। धनु आज आपको बेवजह मानसिक तनाव नहीं लेना चाहिए। भाई-बहन का साथ मिलेगा। आर्थिक लाभ मिलने की संभावना है। वैवाहिक जीवन के लिए यह समय अच्छा रहने वाला है। किसी करीबी व्यक्ति से आपको सरप्राइज मिल सकता है। करियर में उन्नति मिल सकती है। मकर आज आपकी एनर्जी में वृद्धि होगी, जिसका प्रयोग आप महत्वपूर्ण कार्यों को पूरा करने में लगाएंगे। आपकी वित्तीय स्थिति में सुधार होगा। परिवार का साथ मिलेगा। जीवनसाथी की जरूरतें आपको मानसिक तनाव दे सकती हैं। व्यापारियों को नई पार्टनरशिप करने के मौके मिलेंगे। कुंभ आज आपका आत्मविश्वास भरपूर रहेगा। लेकिन धन की स्थिति को लेकर मन परेशान हो सकता है। नौकरी में बदलाव के मौके मिल सकते हैं। तरक्की के मार्ग प्रशस्त होंगे। आय में वृद्धि होगी। लव लाइफ बढ़िया रहेगी। बेवजह गुस्से से बचें। मीन आज मीन राशि वालों का मन परेशान हो सकता है। धैर्य के काम लें। क्रोध से बचें। माता की सेहत का ध्यान रखें। परिवार का साथ मिलेगा। शैक्षिक कार्यों में सफल रहेंगे। निवेश के अच्छे अवसरों की प्राप्ति हो सकती है। व्यापारियों को धन जुटाने में सफलता मिलेगी।

इस शारदीय नवरात्र में भारत को मिलेगी सामरिक, आर्थिक और कूटनीतिक सफलता: शुभ संकेत

उज्जैन  अश्विन शुक्ल प्रतिपदा पर 22 सितंबर को सोमवार के दिन शारदीय नवरात्र का आरंभ हो रहा है। इस बार नवरात्र नौ के बजाय दस दिन के रहेंगे। देवी आराधना के पर्वकाल में तिथि वृद्धि का यह योग विश्व पटल पर भारत को सामरिक, आर्थिक, कूटनीतिक मोर्चों पर सफलता दिलाने वाला माना जा रहा है। ज्योतिष के जानकारों के अनुसार 81 साल में अब तक चार बार दस दिन के नवरात्र का योग बना है और इस योग ने हर बार भारत को विजयश्री का वरण कराया है। ज्योतिषाचार्य  ने बताया श्रीमद् भागवत देवी पुराण के अनुसार देवी दुर्गा की आराधना के नवरात्र के नौ दिन विशेष माने गए हैं। वर्षभर में चार बार नवरात्र का योग बनता है। इनमें दो गुप्त व दो प्राकट्य नवरात्र माने जाते हैं। चैत्र व अवश्विन मास की नवरात्र प्रकट तथा माघ व आषाढ़ मास के नवरात्र गुप्त नवरात्र माने गए हैं। आमतौर पर नवरात्र आठ या नौ दिन के होते हैं। लेकिन बीते 81 साल में चार बार ऐसा संयोग बना है, जब नवरात्र दस दिन के हुए हैं। अब तक ऐसा संयोग वर्ष 1944, 1971, 1998 तथा इस बार वर्ष 2025 में बनने जा रहा है। यह संयोग ही है कि जब-जब दस दिन के नवरात्र आए हैं, इसके आसपास युद्ध की स्थिति निर्मित हुई है। 1944 में विश्व युद्ध, 1971 में पड़ोसी देश से युद्ध, 1998 के बाद कारगिल वार तथा हाल ही में कुछ दिनों पहले आपरेशन सिंदूर की स्थिति निर्मित हो चुकी है। इन सभी के परिणाम किसी ना किसी दृष्टिकोण से भारत के अनुकूल रहे हैं। यह समय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को सुदृढ़ करने वाला भी रहा है। पंचांग के पांच अंगों की स्थिति एक समान 81 साल में चार बार जब-जब दस दिन के नवरात्र योग बना है, पंचांग के पांच अंग तिथि,वार,योग,नक्षत्र, करण एक समान रहा है। इस बार भी अश्विन शुक्ल प्रतिपदा, सोमवार का दिन, उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र, शुक्ल योग, किंस्तुघ्न करण व कन्या राशि के चंद्रमा की साक्षी में नवरात्र का आरंभ होगा। प्रतिपदा तिथि के अधिपति अग्निदेव, सोमवार के अधिपति भगवान शिव, उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के अधिपति अर्यमा, शुक्ल योग की अधिष्ठात्री माता पार्वती तथा किंस्तुघ्न करण के स्वामी वायु देवता हैं। हर बार वैश्विक ऐतिहासिक परिवर्तन जब भी पंचांग के पांच अंगों का एक विशेष तिथि अथवा विशेष पर्वकाल के शुभारंभ पर संयुक्त योग बनता है, वह इतिहास बदल देता है। क्योंकि पंचांग के पांच अंगों का देवत्व अपनी विशिष्ट स्थितियों से यह परिवर्तन चक्र को प्रदर्शित करते हैं और आगाह करते हैं कि सावधानी के साथ सुरक्षा के आयामों को स्थापित करते हुए आगे बढ़ें। विदेश नीति में दूरदर्शिता की आवश्यकता भारत को इस समय संचार, तकनीक व सामरिक नीति के साथ साथ विदेश नीति में दूरदर्शिता रखना चाहिए। यह समय प्रतिद्वंदियों से संभलकर रहने और नए अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर चिंतन का है। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अब तक अपनी सूझबूझ से भारत पर किसी भी आर्थिक दबाव को आने नहीं दिया है। फिर भी पड़ोसी देशों से संभलकर रहने की आवश्यकता है, क्योंकि धोखे की संभावना बन सकती है।  

कल लगेगा अंतिम सूर्य ग्रहण 2025, इन राशियों पर होगा खास असर

नई दिल्ली  सूर्य ग्रहण एक अद्भुत खगोलीय घटना है। सूर्य ग्रहण तब होता है, जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है और सूर्य का कुछ या पूरा हिस्सा ढक जाता है। वहीं धार्मिक दृष्टिकोण से सूर्य ग्रहण तब होता है, जब राहु और केतु सूर्य को अपना ग्रास बना लेते हैं, जिससे कुछ समय के लिए सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाता। 21 सितंबर 2025 को साल का आखिरी सूर्य ग्रहण लगेगा। यह आंशिक सूर्य ग्रहण होगा। भारतीय समयानुसार यह ग्रहण रात 10 बजकर 59 मिनट पर शुरू होगा। मध्यकाल रात 1 बजकर 11 मिनट पर आएगा और समाप्ति सुबह 3 बजकर 23 मिनट पर होगी। हालांकि, यह खगोलीय घटना भारत में दिखाई नहीं देगी, क्योंकि उस समय भारत में रात होगी। यह ग्रहण मुख्य रूप से दक्षिणी गोलार्ध के क्षेत्रों जैसे ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, अंटार्कटिका और कुछ प्रशांत द्वीपों में दिखाई देगा। चूंकि भारत में ग्रहण दिखाई नहीं देगा, इसलिए सूतक नहीं लगेगा, जो आमतौर पर ग्रहण से 12 घंटे पहले लगता है। धार्मिक दृष्टि से सूर्य ग्रहण को अशुभ माना जाता है। इस समय भोजन नहीं करना, नए कार्य की शुरुआत न करना, पूजा और ध्यान करना शुभ माना जाता है। ग्रहण के दौरान तुलसी, जल, अक्षत और अन्य पवित्र वस्तुओं से तर्पण करना अत्यंत लाभकारी होता है। ज्योतिषीय दृष्टि से सूर्य ग्रहण का प्रभाव विभिन्न राशियों पर अलग-अलग पड़ता है। इस ग्रहण का प्रभाव विशेष रूप से सिंह, कन्या और मीन राशियों पर पड़ सकता है, जिनके लिए स्वास्थ्य और वित्तीय मामलों में सतर्क रहना आवश्यक है। अन्य राशियों के जातकों को भी ग्रहण के दौरान अनावश्यक कार्यों से बचना चाहिए। सूर्य ग्रहण के तीन प्रकार होते हैं। पहला है पूर्ण सूर्य ग्रहण, जिसमें चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह ढक देता है और दिन के समय कुछ समय के लिए अंधेरा छा जाता है। दूसरा है आंशिक सूर्य ग्रहण, जिसमें चंद्रमा केवल सूर्य के कुछ हिस्से को ढकता है। तीसरा है वृत्ताकार सूर्य ग्रहण, जिसमें चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह ढकने में छोटा रह जाता है और सूर्य के किनारों पर चमक दिखाई देती है।

सर्वपितृ अमावस्या: यहां जलाएं दीपक और पाएं धन-समृद्धि व पितरों का आशीर्वाद

सर्वपितृ अमावस्या साल 2025 में 21 सितंबर को पड़ रही है. सर्वपितृ अमावस्या पितृपक्ष का आखिरी दिन है, इस दिन पितरों की विदाई होती है. पितृपक्ष का आखिरी दिन सबसे महत्वपूर्ण होता है. इस दिन सभी पितरों का श्राद्ध किया जाता है और उनका तर्पण कर उन्हें मोक्ष प्राप्त कराते हैं. सर्वपितृ अमावस्या के दिन किए गए उपाय से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वंशजों को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. साथ ही, लक्ष्मी जी की कृपा से धन-धान्य की वृद्धि होती है. श्राद्ध पक्ष का आखिरी दिन सर्वपितृ अमावस्या होता है. इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इस दिन किए गए श्राद्ध कर्म से पितर प्रसन्न होकर परिवार पर कृपा बरसाते हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है. सर्वपितृ अमावस्या के दिन बहुत से ऐसे कार्य हैं जिनको करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है. जानते हैं इस दिन घर में किन जगह दीपक जलाने से जीवन से अंधकार दूर होता है और जीवन में खुशहाली आती है. इन जगहों पर जलाएं दीपक     घर में दक्षिण दिशा को पितरों का स्थान माना गया है. घर के मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा में दीपक जलाएं. शाम के समय घर के मुख्य द्वार पर 1-3 दीपक जलाएं.यह दीपक तिल के तेल का जलाएं,     एक दीपक तुलसी के पौधे के पास जलाएं. तुलसी में घी के तेल का दीपक जलाएं.     पीपल के पेड़ में पितरों का वास माना गया है. सर्वपितृ अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाएं.     घर में जहां पितरों की तस्वीर लगी हो उनकी तस्वीर के सामने दीपक जलाएं. ऐसा करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है.     पितरों का तर्पण करने के बाद बहते नदी के जल में 1 दीपक जलाकर बहाएं.  

इस अमावस्या पर सूर्य ग्रहण का दुर्लभ संयोग, ऐसे करें पितरों को प्रसन्न

साल 2025 में 21 सितंबर, रविवार का दिन विशेष महत्व रखता है. इस दिन बनने वाले अद्भुत संयोग से इसका महत्व और भी बढ़ गया है. साल 2025 में 21 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या और साल का आखिरी सूर्य ग्रहण एक साथ पड़ रहा है. यह एक दुर्लभ संयोग है. इस दिन को हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है. इस दिन किए जाने वाले विशेष उपाय से जीवन में सुख-समृद्धि का वास हो सकता है, साथ ही पितरों का आशीर्वाद बना रहेगा. सर्वपितृ अमावस्या का महत्व श्राद्ध पक्ष का आखिरी दिन सर्वपितृ अमावस्या होता है. इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इस दिन किए गए श्राद्ध कर्म से पितर प्रसन्न होकर परिवार पर कृपा बरसाते हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है. दुर्लभ संयोग 21 सितंबर को साल का आखिरी सूर्य ग्रहण भी लगने वाला है. हालांकि यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए यहां सूतक काल मान्य नहीं होगा. इसी दिन आश्विन माह की अमावस्या भी है. इस दिन उन सभी पितरों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं है. अतः इस दिन सभी पितरों के नाम से श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण अवश्य करना चाहिए. 21 सितंबर को करें ये उपाय दान इस दिन पितरों की आत्मा की शांति और ग्रहण के बाद पुण्य लाभ के लिए दान अवश्य करें. हिंदू धर्म में दान-पुण्य को अत्यंत महत्व दिया गया है. इस दिन गेहूं, चावल, वस्त्र, दूध और चीनी का दान करना शुभ माना जाता है. इससे पितरों के साथ-साथ भगवान सूर्य देव की कृपा भी प्राप्त होती है. पीपल के पेड़ की पूजा 21 सितंबर को पीपल के पेड़ की पूजा का विशेष महत्व है. मान्यता है कि पीपल में पितरों का वास होता है. इस दिन पीपल की जड़ पर जल अर्पित करें और दीपक जलाएं. पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए यह उपाय अत्यंत फलदायी माना जाता है. पंचबलि करें सर्वपितृ अमावस्या के दिन पंचबलि जरूर करना चाहिए. इस दिन पांच जीवों को भोजन करना चाहिए. ऐसा करना शुभ होता है और यह भोजन पितरों को लगता है. पंचबलि का अर्थ है कि पांच जीवों- गाय, कुत्ता, कौवा, चींटी और मछली को भोजन करवाना.

मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए नवरात्रि में करें ये नियम पालन

शारदीय नवरात्र का पावन पर्व मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना के लिए समर्पित है. हर साल पूरे देश में यह नवरात्र उत्साह और भक्ति के साथ मनाए जाते हैं. इस साल शारदीय नवरात्र 22 सितंबर से प्रारंभ हो रहे हैं. इन नौ दिनों के दौरान भक्त माता की पूजा, हवन, भजन, कीर्तन और ध्यान में लीन रहते हैं. धार्मिक परंपराओं के अनुसार, नवरात्र में कुछ विशेष नियमों का पालन करना जरूरी है. ऐसे में आइए जानते हैं नवरात्र के नियमों के बारे में. तय समय पर पूजा करें धार्मिक मान्यता है कि माता दुर्गा की पूजा हमेशा एक ही समय पर करनी चाहिए. यह समय सुबह के सूर्योदय के आसपास या शाम को संध्या समय में हो सकता है. नियमित समय पर पूजा करने से मानसिक एकाग्रता बढ़ती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है. अखंड ज्योति हमेशा जलती रहे यदि आपने  नवरात्र के दौरान घर में अखंड ज्योति जलाई है, तो उसे नवरात्र के पूरे नौ दिनों तक लगातार जलती रखना चाहिए. मान्यता है कि यदि ज्योति बुझ जाए, तो यह अशुभ संकेत माना जाता है. मान्यता है कि अखंड ज्योति को जलाने से घर में सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है.  सही दिन, सही देवी को भोग अर्पित करें नवरात्र के प्रत्येक दिन माता दुर्गा के अलग-अलग स्वरूप की पूजा होती है. इसलिए उस दिन की देवी के अनुसार भोग, फल, फूल और मिठाई अर्पित करना चाहिए. सही दिन पर सही देवी को भोग अर्पित करने से पूजा का दोगुना फल प्राप्त होता है और जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं. जरूर करें कन्या पूजन नवरात्र में कन्या पूजन अष्टमी या नवमी तिथि पर नौ कन्याओं को देवी का रूप मानकर उनका पूजन होता है. इससे घर में सुख, समृद्धि और शांति आती है. मान्यता है कि इससे नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है और जीवन में मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं.

20 सितंबर का दिन कैसा रहेगा? जानिए किन राशियों को मिलेगा फायदा और किन्हें सावधानी बरतनी होगी

मेष राशि- आज ऑफिस में आपके लिए स्थिति थोड़ी मुश्किल हो सकती है। हालांकि घर के माहौल से आपको मानसिक शांति मिलेगी। रोमांस अच्छा रहने वाला है। भाग्य का साथ मिलेगा। धन का आगमन होगा और आर्थिक स्थिरता मिल सकती है। व्यापारिक स्थिति अच्छी रहने वाली है। वृषभ राशि- आज अपनी सेहत को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है। आपके आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। धन की स्थिति में सुधार होगा। नौकरी में ग्रोथ के अच्छे अवसरों की प्राप्ति होगी। जीवनसाथी के साथ अच्छा समय बिताने का मौका मिलेगा। व्यवसाय में उन्नति के संकेत हैं। मिथुन राशि- आज आपको अपनी सेहत पर नजर रखने की जरूरत है। आर्थिक लेन-देन के लिए अच्छा दिन है। दोस्तों के साथ अच्छी शाम बिताएंगे क्योंकि इससे काफी फायदा होगा। लव लाइफ में अच्छे पल सामने आएंगे। आज कोई सपना सच हो सकता है। आज आप अपने जीवन का सबसे अच्छा समय अपने जीवनसाथी के साथ बिताएंगे। कर्क राशि– आज आपकी सेहत की चिंता करने की जरूरत नहीं है। निवेश के अच्छे अवसरों की प्राप्ति होगी। आज परिवार के सदस्यों के साथ बातचीत करते समय धैर्य बनाए रखें क्योंकि आप आपा खो सकते हैं। ऑफिस में आज हर कोई आपकी बात ईमानदारी से सुनेगा। आपका जीवनसाथी आपसे झगड़ सकता है। सिंह राशि- आज ऑफिस में आपकी क्षमता की परीक्षा हो सकता है। आपको धन के मामले में सतर्क रहने की जरूरत है वरना आर्थिक नुकसान हो सकता है। आज ऑफिस में सीनियर्स आपके काम पर उंगली उठा सकते हैं। यह आपके वैवाहिक जीवन का सबसे अच्छा दिन रहने वाला है। व्यापार में विस्तार के योग हैं। कन्या राशि– आज आपको दोस्तों का साथ मिलेगा और उनके साथ अच्छा समय बिताएंगे। जल्दबाजी में निवेश न करें। परिवार के सदस्य या जीवनसाथी कुछ तनाव का कारण बनेंगे। अगर आप अपने काम पर फोकस रखेंगे तो सफलता और पहचान आपकी होगी। विद्यार्थियों के लिए आज का दिन अच्छा रहने वाला है। तुला राशि– आज आपको दिन की शुरुआत एक्सरसाइज या योग से करनी चाहिए। आपके ऑफिस का कोई कलीग किसी जरूरी प्रोजेक्ट में आपकी मदद कर सकता है। आपके व्यक्तिगत मोर्चे पर एक महत्वपूर्ण विकास होगा। परिवार में खुशियों का आगमन होगा। आज दूसरों की सलाह पर ध्यान दें। वृश्चिक राशि- स्ट्रेस को दूर भगाने के लिए आज दिन की शुरुआत एक्सरसाइज से करें। मन में उतार-चढ़ाव रहेंगे। आज खर्च पर नजर रखें, नहीं तो आने वाले समय में आपको परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। काम का तनाव आपको परेशान कर सकता है। लोगों के साथ गॉसिप से बचें। धनु राशि– छोटी-छोटी बातों को ज्यादा नहीं सोचें। आपको पैसों की बचत पर जोर देना चाहिए। किसी खास व्यक्ति से सरप्राइज गिफ्ट मिल सकता है। विवाहित जातकों के लिए यह दिन खुशनुमा रहेगा और सिंगल जातकों की लाइफ में किसी खास व्यक्ति की एंट्री हो सकती है। आपका जीवनसाथी आपके जीवन के सबसे महत्वपूर्ण काम में आपका साथ देगा। मकर राशि- आज आपकी सेहत अच्छी रहने वाली है। आपको कोई करीबी व्यक्ति धन की मांग कर सकता है, लेकिन आपको उसकी मदद करना आर्थिक रूप से कमजोर बना सकता है। जीवनसाथी के साथ क्वालिटी टाइम बिताएं। आप कड़ी मेहनत और धैर्य से अपने लक्ष्य तक पहुंचेंगे। यह दिन आपके वैवाहिक जीवन का सबसे अच्छा दिन बन सकता है। कुंभ राशि- आपके व्यक्तित्व में निखार आएगा। आज धन को बढ़ावा देने के अवसरों की प्राप्ति होगी लेकिन साथ ही ख़र्चों में भी वृद्धि होगी। जीवनसाथी की खराब सेहत के कारण आज रोमांस में कमी आएगी। व्यापारिक रूप से स्थिति अच्छी रहेगी। संतान का साथ मिलेगा। मीन राशि- आज परिवार की सेहत को लेकर सचेत रहें। पिता का साथ मिलेगा। शैक्षिक कार्यों में सफलता मिलेगी। संतान की ओर से सुखद समाचार मिल सकता है। कारोबार में वृद्धि होगी। आर्थिक लाभ के अवसरों की प्राप्ति होगी। धर्म-कर्म में रुचि बढ़ेगी।