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रायपुर में स्थापित होगा अत्याधुनिक बायोटेक इंक्युबेशन सेंटर: मुख्यमंत्री साय की विशेष पहल पर 20.55 करोड़ की स्वीकृति

रायपुर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के दूरदर्शी नेतृत्व में छत्तीसगढ़ राज्य जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि की ओर अग्रसर हो रहा है। भारत सरकार एवं राज्य शासन के सहयोग से रायपुर में जैव प्रौद्योगिकी पार्क परियोजना की स्थापना की जा रही है। इस परियोजना के प्रथम चरण के अंतर्गत इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय परिसर में अत्याधुनिक बायोटेक इंक्युबेशन सेंटर का निर्माण किया जाएगा। इस सेंटर की स्थापना के लिए भारत सरकार, राज्य शासन एवं इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के मध्य त्रिपक्षीय अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए हैं। परियोजना की क्रियान्वयन एजेंसी कृषि एवं जैव प्रौद्योगिकी विभाग के अधीन छत्तीसगढ़ जैव प्रौद्योगिकी प्रोत्साहन सोसायटी है। इस बायोटेक इंक्युबेशन सेंटर का मुख्य उद्देश्य राज्य में जैव संसाधनों के दोहन के साथ-साथ नवाचार और स्टार्टअप संस्कृति को बढ़ावा देना है। यहां युवाओं को जैव प्रौद्योगिकी आधारित उद्योगों की स्थापना हेतु प्रशिक्षण, तकनीकी सहायता एवं बुनियादी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। इस इंक्युबेशन सेंटर में कुल 23 आधुनिक प्रयोगशालाएं स्थापित की जाएंगी, जिनमें बीएस-4 स्तर की जैव सुरक्षा सुविधाएं उपलब्ध होंगी। साथ ही दो सेंट्रल इंस्ट्रूमेंटेशन एवं एनालिटिकल टेस्टिंग लैब की भी स्थापना की जा रही है। इंक्युबेशन सेंटर में 17 सूक्ष्म एवं लघु और 6 वृहद उद्योगों के संचालन की व्यवस्था की जाएगी। कुल 23 स्टार्टअप कंपनियों के लिए कार्यालय स्थापित किए जाएंगे, जो तीन वर्षों तक सेंटर में कार्यरत रह सकेंगी। कृषि और फार्मा बायोटेक्नोलॉजी से संबंधित स्टार्टअप को विशेष प्राथमिकता दी जाएगी। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के निर्देश पर बायोटेक इंक्युबेशन सेंटर के निर्माण एवं फर्निशिंग कार्य के लिए 20 करोड़ 55 लाख रुपये की द्वितीय पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति भी प्रदान की गई है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की इस पहल से छत्तीसगढ़ जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक अग्रणी राज्य के रूप में उभरेगा। इससे जहां एक ओर शोध और उद्योगों के बीच समन्वय स्थापित होगा, वहीं दूसरी ओर रोजगार और उद्यमिता के नए द्वार खुलेंगे। यह परियोजना न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था और युवाओं के भविष्य को भी नई दिशा देगी।

कुत्तों का बढ़ता खतरा! अमेठी में आधे साल में 18 हजार से ज्यादा लोग घायल

अमेठी उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले में भीषण गर्मी के बीच आवारा कुत्तों का आतंक लोगों के लिए नई मुसीबत बन गया है। शहर की गलियों से लेकर गांव की पगडंडियों तक कुत्तों के झुंड राहगीरों पर हमला कर रहे हैं। जनवरी से जून माह के बीच 18 हजार से ज्यादा ‘डॉग बाइट’ के मामले काफी डराने वाले हैं। लोग प्रशासनिक व्यवस्था से भी नाखुश हैं। जिला अस्पताल में हर दिन 8 से 10 लोग कुत्तों के काटने की शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं। गर्मी बढ़ने के साथ इन कुत्तों का व्यवहार और आक्रामक हो रहा है, जिससे लोगों में दहशत है। मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. अंशुमान सिंह ने बताया कि 1 जनवरी से 30 जून तक जिले में 18,907 लोग कुत्तों के हमले का शिकार हुए हैं। इस दौरान अस्पताल में 18,907 एंटी-रेबीज इंजेक्शन लगाए गए। उन्होंने कहा कि कुत्ते के काटने पर समय रहते इंजेक्शन लगवाने से रेबीज से बचाव संभव है। जिला अस्पताल में एंटी-रेबीज इंजेक्शन की पर्याप्त व्यवस्था है, लेकिन बढ़ते मामलों ने चिंता बढ़ा दी है। स्थानीय निवासी सतीश श्रीवास्तव ने बताया कि आवारा कुत्तों का आतंक दिन-ब-दिन बढ़ रहा है। बच्चे, बुजुर्ग और राहगीर हर दिन इनके निशाने पर हैं। उन्होंने प्रशासन से तुरंत कार्रवाई की मांग की है। लोगों का कहना है कि न तो गांवों में और न ही शहर में कुत्तों को पकड़ने की कोई व्यवस्था है। स्थानीय लोग थोड़े नाराज भी हैं। आरोप है कि बड़े शहरों में आवारा कुत्तों की समस्या से निपटने के लिए पशु नियंत्रण टीमें और स्टेरलाइजेशन कार्यक्रम हैं, लेकिन अमेठी में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं दिखती। वहीं, लोग प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि कुत्तों को पकड़ने और उनके टीकाकरण के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो हालात और बिगड़ सकते हैं। यह समस्या केवल अमेठी तक सीमित नहीं है, बल्कि कई छोटे शहरों और कस्बों में भी ऐसी स्थिति है।  

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का फैसला दो डिग्रियों की परीक्षा तिथि में संशोधन की याचिका पर विचार का अधिकार नहीं

बिलासपुर  छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने परीक्षा कार्यक्रम बदलवाने की याचिका के मामले में एक अहम निर्णय दिया है। निर्णय में स्पष्ट किया है कि दो शैक्षणिक पाठ्यक्रमों की पढ़ाई कर रहे छात्रों को परीक्षा कार्यक्रम में बदलाव के लिए विश्वविद्यालयों को निर्देश देने का कोई वैधानिक अधिकार नहीं है। अदालत ने याचिका को रिट क्षेत्राधिकार के अंतर्गत विचार योग्य नहीं मानते हुए खारिज कर दिया। यह आदेश 20 जून 2025 को न्यायमूर्ति अरविंद कुमार वर्मा की एकलपीठ ने पारित किया। याचिका सत्येन्द्र प्रकाश सूर्यवंशी द्वारा दायर की गई थी, जो स्वयं कोर्ट में उपस्थित हुए। उन्होंने बताया कि वे पं. सुंदरलाल शर्मा (ओपन) विश्वविद्यालय से एमएसडब्ल्यू और अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय से एलएलबी (तृतीय वर्ष, द्वितीय सेमेस्टर) की पढ़ाई साथ-साथ कर रहे हैं। ऐसे में दोनों संस्थानों में एक साथ परीक्षा होने से समस्या हो रही है। लेकिन जब परीक्षा का समय आया, तो दोनों विश्वविद्यालयों की चार परीक्षाएं एक ही दिन और समय पर आ गईं. सत्येन्द्र के सामने एक बड़ी दुविधा थी कि अब वह किस परीक्षा में बैठे? इस पर उन्होंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और अदालत ने छात्र के खिलाफ फैसला लिया. कोर्ट में दायर की याचिका समस्या का समाधान ढूंढते हुए सत्येन्द्र ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. उन्होंने कोर्ट में खुद उपस्थित होकर अपनी बात रखी. सत्येन्द्र ने यूजीसी की अधिसूचना और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि एक-साथ दो डिग्रियां ली जा सकती हैं. इतना ही नहीं, याचिकाकर्ता ने बताया कि एक-साथ दोनों एग्जाम डेट का होना उनके जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता (अनुच्छेद 21) का उल्लंघन है. विश्वविद्यालयों और राज्य का पक्ष राज्य सरकार और दोनों विश्वविद्यालयों के वकीलों ने याचिका का कड़ा विरोध किया. उनका कहना था कि परीक्षा कार्यक्रम बनाना विश्वविद्यालय का प्रशासनिक अधिकार है और इसमें दखल देना न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है. कोर्ट का फैसला: अधिकार की सीमाएं 20 जून 2025 को न्यायमूर्ति अरविंद कुमार वर्मा की एकलपीठ ने इस याचिका पर फैसला सुनाते हुए साफ किया कि यदि कोई छात्र एक साथ दो शैक्षणिक पाठ्यक्रमों की पढ़ाई कर रहा है, तो उसे यह अधिकार नहीं है कि वह परीक्षा तिथियों में टकराव होने पर विश्वविद्यालयों से बदलाव की मांग करे. अदालत ने यह भी कहा कि इस प्रकार की मांग को लेकर दाखिल की गई रिट याचिका न्यायिक क्षेत्राधिकार के अंतर्गत विचार योग्य नहीं है. याचिका खारिज, लेकिन सवाल कायम अंततः सत्येन्द्र की याचिका खारिज कर दी गई. हालांकि, इस फैसले ने उन हजारों छात्रों के सामने बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है, जो एक साथ दो डिग्रियां करने का सपना देख रहे हैं. क्या भविष्य में विश्वविद्यालय ऐसे छात्रों के लिए परीक्षा कार्यक्रम में लचीलापन दिखाएंगे? यह तो वक्त ही बताएगा.

मेहंदीपुर बालाजी धाम पहुंचे, राजस्थान के जल संसाधन कैबिनेट मंत्री सुरेश सिंह रावत

दौसा राजस्थान के जल संसाधन कैबिनेट मंत्री सुरेश सिंह रावत गुरुवार को मेहंदीपुर बालाजी धाम पहुंचे। उन्होंने बालाजी महाराज और प्रेतराज सरकार की विशेष पूजा-अर्चना कर प्रदेशवासियों की खुशहाली की कामना की। मंदिर समिति और स्थानीय श्रद्धालुओं द्वारा मंत्री रावत का प्रसादी देकर स्वागत किया गया। इससे पहले बालाजी मोड़ से लेकर मुख्य बाजार तक भी मंत्री रावत का माला व साफा पहनाकर भव्य स्वागत किया। कैबिनेट मंत्री रावत ने एसआई भर्ती परीक्षा 2021 में पेपर लीक मामले को लेकर कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि यह पेपर लीक कांग्रेस शासनकाल की देन है और अब कांग्रेस उसी मुद्दे पर राजनीति कर रही है, जिसे उन्होंने ही जन्म दिया। कांग्रेस को युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ करने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने दावा किया कि राजस्थान का युवा अब जागरूक हो चुका है। वो आगामी पंचायतीराज व नगर निकाय चुनावों में कांग्रेस को करारा जवाब देने के लिए तैयार है। मंत्री सुरेश रावत ने खाद-बीज घोटाले को लेकर मंत्री किरोड़ी लाल मीणा की छापेमारी की कार्रवाई की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ मंत्री मीणा की तत्परता से नकली खाद व बीजों का बड़ा खुलासा हुआ है। सरकार ऐसे मामलों में सख्ती से कार्रवाई कर रही है ताकि किसानों और आमजन के साथ किसी तरह का अन्याय न हो। उन्होंने कहा कि भविष्य में किसी भी दाता या किसान के साथ ऐसा खिलवाड़ नहीं होने दिया जाएगा।पूरे कार्यक्रम में धार्मिक आस्था, प्रशासनिक सक्रियता और राजनीतिक बयानबाजी का अनूठा संगम देखने को मिला।  

छत्तीसगढ़ में महिला ने 3 बच्चों को दिया जन्म, 2 अलग-अलग अस्पतालो में हुआ प्रसव

अंबिकापुर  बलरामपुर जिले के रामानुजगंज क्षेत्र के एक छोटे से गांव देवीगंज की रहने वाली सूरजमणी ने हाल ही में एक जटिल परिस्थिति में तीन शिशु को जन्म दिया। इस प्रसव को चिकित्सकीय दृष्टिकोण से रेयर केस माना जा रहा है। महिला ने 3 बच्चों को जन्म दिया, उससे खास बात यह है कि प्रसूता ने 3 बच्चों को दो अलग-अलग अस्पतालों में जन्म दिया है। बता दें, इस महिला ने एक शिशु को बलरामपुर जिला अस्पताल में जन्म दिया और दो अन्य शिशुओं को अंबिकापुर के नए बस स्टैंड स्थित संजीवनी अस्पताल में जन्म दिया है। तीनों बच्चे स्वस्थ हैं और प्रसूता भी स्वस्थ है। तीनों बच्चों को पाकर पूरा परिवार गदगद है। यह परिवार पूर्व महापौर डॉक्टर अजय तिर्की के गृह ग्राम के हैं। जटिल परिस्थितियों में लाया गया अंबिकापुर डॉक्टर अजय तिर्की ने बताया कि प्रसव की जिम्मेदारी संजीवनी अस्पताल की डॉ भावना गार्डिया की टीम ने संभाली थी। नर्सिंग स्टाफ की तत्परता और अनुभव ने इस चुनौतीपूर्ण केस को सफल बनाया। इससे पहले सुरजमणी का पहला प्रसव बलरामपुर में हुआ था, लेकिन स्थिति काफी जटिल थी। लेकिन परिस्थिति की जटिलता को देखते हुए प्रसूता को जल्दी से अंबिकापुर लाया गया। डॉक्टरों के अनुसार, ग्रामीण परिवेश, सीमित संसाधनों और चिकित्सा सुविधाओं की कमी के बावजूद बलरामपुर के डाक्टरों की सूझबूझ के कारण एक बच्चा वहीं जन्म लिया, किंतु गंभीर स्थिति को देखते हुए अंबिकापुर रेफर किया गया। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए यहां के चिकित्सकों ने प्रसूता के साथ बच्चों की भी जान बचाई है। जच्चा-बच्चा दोनों सुरक्षित अब मां और बच्चा दोनों सुरक्षित हैं। तीनों बच्चे व प्रसूता को लेकर परिवार वापस लौट गया है। स्थानीय लोगों ने डाक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों की प्रशंसा की है। इसे इस क्षेत्र की स्वास्थ्य सेवाओं के लिए एक मिसाल बताया है। प्रसूता की डिलीवरी करवाने वाली डॉक्टर भावना गार्डिया ने बताया कि यह एक बड़ा चुनौती भरा काम था। ऐसा केस कम ही आता है कि एक शिशु 80 किलोमीटर दूर अस्पताल में जन्में और दो शिशु दूसरे अस्पताल में जन्में, लेकिन समय रहते उचित निर्णय और टीम की मेहनत से सब कुछ ठीक हुआ।

यूपी में औद्योगिक विकास को मिलेगी रफ्तार, इंटीग्रेटेड क्लस्टर्स बदलेंगे तस्वीर

लखनऊ उत्तर प्रदेश अब सिर्फ एक बड़ा उपभोक्ता राज्य नहीं, बल्कि भारत के सबसे बड़े औद्योगिक और लॉजिस्टिक हब के रूप में खुद को स्थापित करने की दिशा में आगे बढ़ चुका है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश सरकार ने इंटीग्रेटेड मैन्युफैक्चरिंग एंड लॉजिस्टिक्स क्लस्टर्स (आईएमएलसी) की परिकल्पना को साकार रूप देना शुरू कर दिया है। उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) द्वारा राज्य के 26 जिलों में 27 आईएमएलसी विकसित किए जा रहे हैं, जो राज्य की औद्योगिक प्रगति में मील का पत्थर साबित होंगे। यूपीडा के इस बड़े प्रयास से न केवल राज्य की अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी, बल्कि भारत के औद्योगिक भविष्य में उत्तर प्रदेश एक निर्णायक भूमिका निभाएगा। योगी सरकार की स्पष्ट औद्योगिक नीति और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस पर फोकस के चलते इन क्लस्टर्स में निवेश के लिए देश-विदेश के उद्योगपतियों और डेवलपर्स को आमंत्रित किया जा रहा है। यूपीडा ने इन आईएमएलसी में रक्षा उद्योग, भारी विनिर्माण इकाइयों और लॉजिस्टिक्स कंपनियों के लिए विशेष रूप से अनुकूल प्लॉट्स उपलब्ध कराए हैं। इसके साथ ही, पीपीपी मोड पर इंडस्ट्रियल पार्क्स के विकास हेतु एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (ईओआई) और भू-आवंटन के लिए भी आवेदन मांगे गए हैं। इन लॉजिस्टिक्स क्लस्टर्स की सबसे बड़ी खासियत है, इनकी रणनीतिक अवस्थिति। सभी आईएमएलसी नोड्स प्रमुख एक्सप्रेसवेज के किनारे स्थित हैं और डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) से एक किमी के दायरे में आते हैं। इससे न केवल प्रदेश के अंदर बल्कि देश के अन्य औद्योगिक क्षेत्रों से त्वरित और सुगम संपर्क सुनिश्चित होगा। वहीं, प्रमुख कनेक्टिविटी लाभ में एक्सप्रेसवे से प्रत्यक्ष जुड़ाव, रेलवे और हवाई संपर्क की सुविधा, ईस्टर्न और वेस्टर्न डीएफसी तक आसान पहुंच और मल्टी सिटी कनेक्टिविटी के लिए उपयुक्त नेटवर्क शामिल हैं। प्रत्येक आईएमएलसी नोड में आधुनिक और समर्पित बुनियादी सुविधाएं सुनिश्चित की जा रही हैं। इनमें चौड़ी आंतरिक सड़कों का निर्माण, 24×7 विद्युत आपूर्ति व्यवस्था, आंतरिक स्ट्रीट लाइटिंग, डेडिकेटेड जल आपूर्ति एवं जल निकासी प्रणाली, पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए पर्याप्त हरित क्षेत्र, पारदर्शी ऑनलाइन भू-आवंटन प्रणाली और निवेशकों के लिए केंद्रीकृत सेवाएं सम्मिलित हैं। आईएमएलसी के विकास से राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में संतुलित औद्योगिक विस्तार होगा। इससे उन जिलों को भी मुख्यधारा से जोड़ा जा सकेगा, जो अब तक औद्योगिक विकास में पिछड़े हुए थे। इन क्लस्टर्स के माध्यम से लाखों लोगों को स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जा सकेंगे। इस पहल के माध्यम से सरकार का लक्ष्य है कि क्षेत्रीय प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिले और शहरी केंद्रों के पास उद्योगों को कुशल श्रम बल सुलभ हो। इसके साथ ही, लॉजिस्टिक और सप्लाई चेन नेटवर्क को अधिक सक्षम बनाना भी मुख्य उद्देश्य है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की स्पष्ट सोच, मजबूत इच्छाशक्ति और “नए उत्तर प्रदेश” की परिकल्पना के चलते आज प्रदेश का औद्योगिक मानचित्र तेजी से विस्तार पा रहा है। आईएमएलसी परियोजना, डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर, मेगा फूड पार्क्स, मेडिकल डिवाइसेज पार्क और टेक्सटाइल हब जैसी योजनाओं से प्रदेश का आर्थिक आधार अभूतपूर्व रूप से मजबूत हो रहा है।  

खैरागढ़ में मजदूरों से भरी तेज रफ्तार पिकअप वाहन हादसे का शिकार, , 21 घायल, 3 गंभीर

खैरागढ़ छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ जिले में मजदूरों से भरी तेज रफ्तार पिकअप वाहन हादसे का शिकार हो गई. बुधवार शाम ग्राम बोरई के उदयपुर रोड मोड़ पर पिकअप वाहन अनियंत्रित होकर जा पलटी. घटना के बाद मौके पर चीख-पुकार मच गई. इस हादसे में गाड़ी में सवार 24 मजदूर घायल हो गए. घायलों में 3 की हालत गंभीर बनी हुई है. घटना की सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और सभी घायलों को अस्पताल पहुंचाया. फिलहाल सभी का इलाज जारी है. जानकारी के अनुसार, शुरुआती जांच में पता चला है कि पिकअप चालक तेजी से गाड़ी चला रहा था और मोड़ पर ब्रेक नहीं लगाई. इससे तेज रफ्तार पिकअप अनियंत्रित हुई और पलट गई. साथ ही इस हादसे का बड़ा कारण यातायात नियमों का उल्लंघन करना भी है. जिन गाड़ियों का काम सामान ढोने का है, उन्हीं में मजदूरों को भरकर लाया जा रहा था. ऐसे मालवाहक में सवारी कराना कानूनी तौर पर गलत है और जान के लिए खतरा भी है. वहीं घायल मजदूरों ने अस्पताल प्रबंधन पर भी लापरवाही का आरोप लगाया है. घायलों ने अस्पताल पर आरोप लगाते हुए बताया कि डॉक्टर ने रात में एक बार आकर उन्हें देखा. लेकिन इसके बाद अब तक कोई पूछने तक नहीं आया. BMO और जिम्मेदार डॉक्टरों की गैरमौजूदगी ने इलाज में लापरवाही की पोल खोल दी है. ग्रामीणों ने प्रशासन से मोड़ पर स्पीड ब्रेकर लगाने, घायल मजदूरों का अच्छे से इलाज कराने और तेज रफ्तार से गाड़ी चलाने वाले चालक पर सख्त कार्रवाई करने की मांग की है. हादसा बता गया कि रफ्तार और लापरवाही का खेल कई घरों की खुशियां छीन लेता है, और इसे रोकना जरूरी है.

नीति पर सवाल: गाड़ियाँ बंद, पर पुराने जहाज़ उड़ रहे! दोहरे मापदंडों पर मचा हंगामा

नई दिल्ली दिल्ली में 10 साल डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को बैन किए जाने को लेकर घमासान मचा हुआ है। राजधानी में प्रदूषण की समस्या से निजात पाने के लिए रेखा गुप्ता सरकार ने ऐसे वाहनों के लिए पेट्रोल-डीजल बंद कर दिया है। इस फैसले का आम आदमी पार्टी पुरजोर तरीके से विरोध कर रही है तो सोशल मीडिया पर कई लोग अपनी अलग-अलग राय जाहिर कर रहे हैं। पूर्व पायलट का सवाल भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। उन्होंने सवाल उठाया है कि 40 साल पुराने हवाई जहाज अब भी उड़ाए जा रहे हैं और तीन दशक पुराने बस-ट्रेनों को भी चलाया जा रहा है तो निजी गाड़ियों को क्यों प्रतिबंधित किया जा रहा है। रिटायर्ड पायलट संजीव कपूर ने एक्स पर लिखा, 'हम अब भी ऐसे एयरक्राफ्ट उड़ा रहे हैं जो 40 साल पुराने हैं और हमारी कई ट्रेनें, बसें, नावें और व्यावसायिक विमान तीन दशक पुराने हैं, जिनका हर दिन इस्तेमाल हो रहा है। केवल निजी वाहनों पर क्यों प्रतिबंध लगाया जा रहा है? चूंकि अब गैस स्टेशनों पर ईंधन उपलब्ध नहीं है, इसलिए इससे एक समानांतर इको सिस्टम बनेगा, जो ना तो टिकाऊ है और न ही वांछित। ऐसा मेरा मानना ​​है।' गौरतलब है कि एक जुलाई से दिल्ली में 15 वर्ष से ज्यादा पुराने पेट्रोल वाहनों और 10 वर्ष से ज्यादा पुराने डीजल वाहनों में ईंधन भरने पर रोक लगा दी गई है। आदेश के मुताबिक तय अवधि पार कर चुके चार पहिया वाहनों पर 10,000 रुपये और दो पहिया वाहनों पर 5,000 रुपये का जुर्माना शामिल है, साथ ही संभावित जब्ती और गाड़ी उठाकर ले जाने का शुल्क भी देना होगा। आप भी कर रही विरोध रेखा गुप्ता सरकार के इस फैसले का विपक्षी पार्टी 'आप'भी विरोध कर रही है। आप के वरिष्ठ नेता और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने गुरुवार को सरकार के हालिया आदेश को ‘मध्यम वर्ग पर एक और हमला’ करार दिया। सिसोदिया ने कहा, 'भाजपा सरकार ने दिल्ली की सड़कों से 61 लाख वाहनों को हटाने का अत्याचारी आदेश जारी किया है। यह शासन नहीं, यह ‘फुलेरा की पंचायत’ है। जिन परिवारों ने अपने वाहनों का ध्यान रखा है, उन्हें अब दंडित किया जा रहा है। यहां तक ​​कि जो वाहन 10,000 किलोमीटर से भी कम चले हैं, उन्हें भी अयोग्य माना जा रहा है।'  

धर्म परिवर्तन से वापसी: यूपी में 12 लोगों ने फिर अपनाया हिंदू धर्म, जलालुद्दीन बना केंद्र में

लखनऊ यूपी की राजधानी में कई तरह का प्रलोभन, लालच और डर दिखाकर हिंदू से मुस्लिम बने 12 लोगों की आज हिंदू धर्म में फिर से वापसी हुई। गोमती नगर, विशाल खंड- एक स्थित शिव भोला मंदिर में आयोजित इस कार्यक्रम में साधु-संतों ने वैदिक विधि- विधान के साथ इन सभी लोगों का शुद्धिकरण किया और हिंदू धर्म की वापसी की। इसके साथ ही इन्हें इनके मूल हिंदूनाम फिर से दिए गए। इस दौरान छांगुर बाबा की करतूतों को भी उजागर किया गया। बताया गया कि इकलौती लड़कियों और बेसहारा को लालच देकर टारगेट किया जाता है। विश्व हिंदू रक्षा परिषद के बैनर तले आयोजित घर वापसी के कार्यक्रम के दौरान वापस हिंदू धर्म में लौटने वाली सभी महिला और पुरुष काफी संतुष्ट दिखे। परिषद के लोगो ने शंखनाद करके अपनी खुशी का इजहार किया। इस दौरान मंदिर परिसर और आसपास भारी पुलिस बल मौजूद रहा। घर वापसी करने वालों में छह पुरुष और छह महिलाएं शामिल है।परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोपाल राय ने बताया बलरामपुर के उतरौला मधुपुर गांव का रहने वाला छांगुर बाबा उर्फ जलालुद्दीन और इसके गुर्गे गरीब, बेसहारा, लाचार लोगों को कई तरह के प्रलोभान देकर हिंदू से मुसलमान बनवाते हैं। इन लोगों ने कई बच्चियों का निकाह तक करवा डाला। गोपाल राय ने आरोप लगाया कि यूपी में गज़वा-ए-हिंद का मजबूत चेहरा है छांगुर पीर, मोहम्मद अहमद खान व अब्दुल माबूद रज़ा उर्फ आकिब है। इन लोगो ने देश व विदेश में लगभग तीन हजार हिंदुओं का धर्मांतरण कराया है। जिसकी रिपोर्ट गोमती नगर सहित यूपी व अन्य राज्यों में पंजीकृत है । उन्होंने आरोप लगाया की इन मामलों की जांच कर रही एजंसियों की भूमिका संदिग्ध है । गोपाल राय बताते हैं कि कुछ लड़कियां जो अपने मां – बाप की इकलौती संतान है या कमजोर वर्ग की थी उन्हे टारगेट किया जाता है। उनको बहला फुसलाकर उनकी संपत्ति भी कब्जा कर ली जाती है। उन्होंने बताया की देश के कई प्रदेशों में धोखा धड़ी कर धर्म परिवर्तन कराने व सरकारी ज़मीनों, तालाब नजूल की जमीन पर कब्जा, फंडिग, घुसपैठ व कैंप बनाने के लिए सैकड़ों करोड़ हवाला के जरिये विदेशी फंडिग हो रही है। इस मौके पर संगठन के राष्ट्रीय महासचिव कुलदीप मिश्रा , प्रदेश संगठन मंत्री हिमांशु धवल, प्रदेश अध्यक्ष शिखर गुप्ता, बाबी गुप्ता, राजेश वर्मा, संग्राम सिंह, राजेश गुप्ता, कृष्णा पाण्डेय, पी. के पाण्डेय, पंकज सिंह, पंकज प्रधान, विवेक सिंह एडवोकेट, सरोज पाल सिंह, प्रवीन सिंह आदि सैकड़ों लोग मौजूद रहें | इनकी हुई घर वापसी मांडवी शर्मा (औरैया) सोनू रानी (सहारनपुर) मालती (सिद्धार्थ नगर) रीना (मुरादाबाद) पल्लवी हरजीत कश्यप संचित गौतम राम, नरेश मौर्या( बलरामपुर) नरेंद्र मिश्रा हरजीत सिंह मूर्ति देवी  

श्रीमंत झा ने प्रदेश का नाम किया रोशन, नेशनल पैरा आर्म-रेसलिंग चैंपियनशिप में जीता गोल्ड

त्रिशूर छत्तीसगढ़ के होनहार पैरा खिलाड़ी श्रीमंत झा ने एक बार फिर प्रदेश का नाम रोशन किया है। केरल के त्रिशूर में आयोजित नेशनल पैरा आर्म-रेसलिंग चैंपियनशिप में उन्होंने 85 किलोग्राम वजन वर्ग में शानदार प्रदर्शन करते हुए स्वर्ण पदक अपने नाम किया। प्रतियोगिता में देशभर के शीर्ष पैरा आर्म-रेसलर खिलाड़ियों ने भाग लिया था। बता दें कि फाइनल मुकाबले में श्रीमंत ने तमिलनाडु के खिलाड़ी को हराकर गोल्ड मेडल जीता। खास बात यह रही कि उन्होंने अपनी यह जीत अहमदाबाद प्लेन क्रैश में जान गंवाने वाले लोगों को समर्पित की, जो उनके संवेदनशील और मानवीय पक्ष को दर्शाता है। उनकी इस उपलब्धि पर छत्तीसगढ़ प्रदेश आम रेसलिंग एसोसिएशन ने हर्ष जताया है। संगठन के प्रेसिडेंट जी. सुरेश बाबा, जनरल सेक्रेटरी श्रीकांत, कृष्णा साहू सहित अन्य पदाधिकारियों ने श्रीमंत को शुभकामनाएं दीं और भविष्य के लिए ढेर सारी सफलताओं की कामना की। इस गौरवपूर्ण उपलब्धि के बाद यह उम्मीद जताई जा रही है कि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा उन्हें राजीव गांधी खेल सम्मान से नवाजा जा सकता है। श्रीमंत झा की यह सफलता न केवल छत्तीसगढ़ के लिए गर्व का विषय है, बल्कि प्रदेश के युवाओं के लिए भी एक प्रेरणास्रोत बन गई है। उनके समर्पण और संघर्ष की यह कहानी प्रदेश के अन्य खिलाड़ियों को भी अपनी मेहनत से ऊंचाइयों तक पहुंचने का हौसला देगी।