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6 महीने का कोर्स: बिहार के इंजीनियर्स अब IIT दिल्ली से सीखेंगे पुल बनाना

पटना एक के बाद एक पुल टूटने के हादसों के बाद अब बिहार सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। नीतीश कुमार की सरकार अपने इंजीनियर्स को खास ट्रेनिंग दिलवाने जा रही है। कोशिश है बिहार सड़क निर्माण विभाग (BRCD) के इंजीनियर्स को तकनीकी रूप से और बेहतर बनाने की। इसके लिए रोड कंस्ट्रक्शन डिपार्टमेंट बिहार ने देश के टॉप इंजीनियरिंग कॉलेजों में से एक IIT Delhi के साथ टाय-अप किया है। 6 महीने का सर्टिफिकेट कोर्स इस पार्टनरशिप के तहत आईआईटी दिल्ली 6 महीने का एक सर्टिफिकेट प्रोग्राम लॉन्च कर रहा है। इस कोर्स के अंतर्गत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से पुल का डिजाइन तैयार करना, उसके निर्माण की देखरेख करना और बनने के बाद उसका मेंटेनेंस करना सिखाया जाएगा। बताया जा रहा है कि 100 से ज्यादा सरकारी इंजीनियर ये ट्रेनिंग करेंगे। उन्हें ड्रोन्स यूज करने, सेंसर्स और एआई टूल्स के इस्तेमाल से पुलों की हालत समझने की ट्रेनिंग दी जाएगी। सितंबर 2025 से शुरुआत आईआईटी दिल्ली द्वारा तैयार किया गया ये सर्टिफिकेट प्रोग्राम बिहार राज्य पुल प्रबंधन एवं रखरखाव नीति 2025 के तहत है, जिसे नीतीश सरकार ने हाल ही में मंजूरी दी थी। इस नीति का उद्देश्य है प्राइवेट कंसल्टेंट्स पर निर्भरता कम करना। अपने खुद के इंजीनियरों को ज्यादा काबिल बनाना। साथ ही साथ राज्य में पुलों की सुरक्षा सुनिश्चित करना। IAHE भी कराएगा एक ट्रेनिंग प्रोग्राम? बताया जा रहा है कि ऐसे ही एक और ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए इंडियन एकेडेमी ऑफ हाईवे इंजीनियर्स (IAHE) के साथ चर्चा चल रही है। ताकि रोड एंड ब्रिज स्ट्रक्चर्स के डिजाइन के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम्स तैयार किए जा सकें। इस तरह से पुल निर्माण के लिए स्पेशलाइज्ड इंजीनियर्स की पूरी टीम रेडी की जा सके। सरकार का कहना है कि इस ट्रेनिंग के अलावा राज्य में एक ब्रिज डिजाइन सेल भी बनाया जाएगा। ये बिहार राज्य पुल निर्माण निगम लिमिटेड (BRPNNL) के अंतर्गत होगा। इसका काम होगा ब्रिज के डिजाइन, कल्वर्ट और रिटेनिंग वॉल्स के डिजाइन तैयार करना। सरकार के अनुसार इससे राज्य सालाना 65 करोड़ रुपये बचेंगे, पुल बनाने में लगने वाला लंबा समय कम हो सकेगा।

पटना मेट्रो को मिली रफ्तार: डिपो तैयार, तय हो गई ट्रायल रन की तारीख

पटना  राजधानी पटना के लोगों का इंतजार खत्म होने वाला है। मेट्रो परियोजना से जुड़े ताजा अपडेट सामने आ रहे हैं। अपडेट के मुताबिक पटना मेट्रो का ट्रायल रन 20 अगस्त के बाद कभी भी शुरू होने की संभावना है, जबकि संचालनकारी एजेंसी PMRCL का लक्ष्य सितंबर के अंत तक सेवाएं जनता के लिए चालू करने का है। पहले 15 अगस्त से ट्रायल का शेड्यूल था, लेकिन डिपो और अन्य जरूरी कार्य पूरे न होने के कारण इसे टाला गया। मगर अब तैयारियां अपने अंतिम चरण में हैं। कहां होगा पहला ट्रायल रन पहला ट्रायल प्रायोरिटी कॉरिडोर पर होगा, जो मलाही पकड़ी से न्यू ISBT (पटलिपुत्र बस टर्मिनल) के बीच है। इस 6–6.5km के एलीवेटेड सेक्शन में पांच स्टेशन शामिल हैं। न्यू ISBT, मलाही पकड़ी, खेमनीचक, भूतनाथ रोड और जीरो माइल/बाईपास, जहां सिविल वर्क 90 फीसद से अधिक हो गया है। बाकि काम प्रगति पर है। क्या-क्या होगी जांच ट्रायल के दौरान मेट्रो की सिग्नलिंग, स्पीड, ट्रैक की सुरक्षा और प्रणालियों की विश्वसनीयता की व्यापक जांच होगी। ट्रायल सफल होने के बाद ही मेट्रो को यात्री सेवाओं के लिए  शुरू किया जाएगा। क्यों हुई देरी, अब स्थिति क्या है PMRCL के अधिकारियों के अनुसार डिपो के कुछ अहम कार्य लंबित थे, जिन्हें पूरा करने में समय लगा। अब इन कार्यों को अंतिम रूप दिया जा चुका है और रेक को पटरी पर उतारने की तैयारी पूरी बताई गई है। शहरी विकास मंत्री ने भी जुलाई में प्रगति की समीक्षा करते हुए कहा था कि सभी सुविधाओं और सुरक्षा मानकों की बारीकी से जांच की जा रही है। कब मिलेगी सवारी की सौगात लक्ष्य है कि सितंबर के अंत राजधानी पटना के लोगों के लिए मेट्रो की सेवा शुरू कर दी जाए। लेकिन ऐसा ट्रायल की सफलता और नियामकीय अनुमतियों पर ही निर्भर करेगा। शुरुआती संचालन प्रायोरिटी कॉरिडोर पर ही होगा, जबकि ब्लू लाइन के शेष हिस्से चरणबद्ध तरीके से खुलेगा। किसे होगा सबसे ज्यादा फायदा मलाही पकड़ी से न्यू ISBT के बीच रोजाना सफर करने वालों को सबसे ज्‍यादा फायदा मिलने वाला है। मेट्रो से यात्रा करने वालों का न केवल समय बचत बचेगा बल्कि ट्रैफिक और प्रदूषण में सांस लेने की मजबूरी से आजादी मिलेगी। बताते चलें कि, मेट्रो आने से शहर में सड़क जाम और प्रदूषण में कमी आने की उम्मीद है। ब्लू लाइन और आगे की राह पटना मेट्रो की ब्लू लाइन कुल 14.56km है। ये पटना जंक्शन से न्यू ISBT तक जाएगी। इसका लगभग 6.6km हिस्सा एलीवेटेड है। जबकि बाकी भूमिगत है। प्रायोरिटी कॉरिडोर के बाद बाकी सेक्शन चरणों में खोले जाने की योजना है। मलाही पकड़ी स्टेशन प्रायोरिटी कॉरिडोर का प्रमुख प्‍वाइंट है। बताते चलें कि 15 अगस्त 2025 के आसपास परिचालन लक्ष्यित किया गया था, जिसे अब ट्रायल समय-सारिणी के अनुरूप समायोजित किया जा रहा है।

राजद में इस्तीफों का दौर शुरू, चुनाव से पहले जिलाध्यक्ष और प्रधान महासचिव ने छोड़ा पद

मुंगेर बिहार में विधानसभा चुनाव की तिथि जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे पार्टियों में उलटफेर भी शुरू हो गया है। इस क्रम में राजद को मुंगेर में बड़ा झटका लगा है। राजद के जिलाध्यक्ष त्रिलोकी नारायण शर्मा तथा प्रधान महासचिव संतोष कुमार यादव ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। पत्र जारी कर इस्तीफा प्रदेश अध्यक्ष को भेजा है। इसे लेकर यह कयास लगाया जा रहा है कि वे इन दिनों राजद में अपनी पूछ को घटता देख खुद को अपमानित महसूस कर रहे थे तथा इसके कारण पार्टी नेतृत्व से खफा चल रहे थे। बताते चलें कि पिछले दो बार से राजद ने मुंगेर जिले में केवल एक समुदाय की पार्टी होने का दाग मिटाने के खयाल से पिछड़ा व अति पिछड़ा वर्ग से आने वाले कार्यकर्ता को जिलाध्यक्ष बनाया था। इसके तहत पहले बरियारपुर प्रखंड निवासी देवकीनंदन सिंह को तथा इस बार सदर प्रखंड निवासी त्रिलोकी नारायण शर्मा को जिलाध्यक्ष बनाया था, पर त्रिलोकी नारायण शर्मा के साथ ही पार्टी के प्रधान महासचिव संतोष कुमार यादव ने भी एक साथ इस्तीफा दिया है। इससे कहीं न कहीं यह जरूर लग रहा है कि शायद पार्टी में उन्हें वह सम्मान नहीं मिल रहा था, जो एक जिलाध्यक्ष तथा प्रधान महासचिव को मिलना चाहिए। हालांकि, अंदरखाने से यह बात सामने आ रही है कि 21 अगस्त को कांग्रेस नेता राहुल गांधी तथा नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव वोट अधिकार यात्रा के तहत मुंगेर आने वाले हैं, तथा इस कार्यक्रम को लेकर दोनों ही नेताओं को इसमें उचित स्थान नहीं दिया गया अथवा उन्हें इस कार्यक्रम से दूर रखा गया है।  

राज्य में IPS अफसरों का बड़ा फेरबदल, 6 अधिकारियों के स्थानांतरण के आदेश

पटना  विधानसभा चुनाव से पहले बिहार में प्रशासनिक फेरबदल का सिलसिला जारी है। अगस्त में दूसरी बार भारतीय पुलिस सेवा अधिकारियों का स्थानांतरण किया गया है। एक साथ 6 आईपीएस अधिकारियों को नए पद का प्रभार सौंपा गया है। इसके अलावा 26 बिहार पुलिस सेवा अफसरों को भी नई जिम्मेदारी मिली है। ट्रांसफर और नियुक्ति को लेकर 7 अगस्त गुरुवार गृह विभाग ने आदेश जारी कर दिया है। आदेश के तहत बैच 2022 की आईपीएस अधिकारी शैलजा को अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी-1 हिलसा नालंदा के पद पर भेजा गया है। इससे पहले वह सहायक पुलिस अधीक्षक, वैशाली पद पर कार्यरत थी। मोहिबुल्लाह अंसारी, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी-1 नगर पटना को अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी-2 विधि व्यवस्था पटना के पद पर भेजा गया है। बता दें कि इससे पहले 2 अगस्त को भी बिहार सरकार ने 10 आईपीएस और एक बीपीएस अधिकारी का तबादला किया था।  कई जिलों के एसपी बदले गए थे।   इन आईपीएस अधिकारियों को भी मिली नई जिम्मेदारी  संकेत कुमार, सहायक पुलिस अधीक्षक सारण को स्थानांतरित कर अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी बिक्रमगंज रोहतास पद की जिम्मेदारी सौंप गई है। गरिमा, सहायक पुलिस अधीक्षक मुजफ्फरपुर को अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी सरैया मुजफ्फरपुर के पद पर नियुक्त किया गया है। साक्षी कुमारी सहायक पुलिस अधीक्षक, बेगूसराय को अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी, बलिया बेगूसराय पद की जिम्मेदारी सौंपी गई है। कमल मीणा, सहायक पुलिस अधीक्षक दरभंगा को अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी मसौढ़ी पटना के पद पर भेजा गया है। 25 से अधिक BPS अफसर इधर से उधर  सुनीता कुमारी, अपर पुलिस अधीक्षक, अपराध अनुसंधान विभाग को स्थानांतरित करके अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी पुपरी सीतामढ़ी के पद की जिम्मेदारी सौंप गई है। सुमित कुमार अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी-1 हिलसा नालंदा को स्थानांतरित करके वरीय पुलिस उपाधीक्षक बिहार पुलिस अकादेमी राजगीर के पद पर भेजा गया है। राजेश कुमार पुलिस उपाधीक्षक निगरानी अन्वेषण ब्यूरो को स्थानांतरित कर अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी झाझा, जमुई के पद की जिम्मेदारी दी गई है। ज्योति शंकर पुलिस उपाधीक्षक (साइबर क्राइम) नालंदा को अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी-1 सदर पूर्णियां के पद पर नियुक्त किया गया है। गोपाल कृष्ण को पुलिस उपाधीक्षक (साइबर क्राइम) जहानाबाद के पद पर भेजा गया है। नवल किशोर को पुलिस उपाधीक्षक (साइबर क्राइम) पटना की जिम्मेदारी मिली है। कुमार संजय को पुलिस उपाधीक्षक विधि व्यवस्था शाखा बिहार पुलिस मुख्यालय पटना के पद पर नियुक्त किया गया है। अतनु दत्ता, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी पुपरी सीतामढ़ी को स्थानांतरित कर पुलिस उपाधीक्षक यातायात बेतिया के पद पर नियुक्त किया गया है। शैलेश प्रीतम पुलिस उपाधीक्षक यातायात सिवान को अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी बनमनखी पूर्णियां के पद पर नियुक्त किया गया है। सुशील कुमार को अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी अररिया पद पर भेजा गया है। नरेंद्र कुमार पुलिस उपाधीक्षक निगरानी अन्वेषण ब्यूरो पद की जिम्मेदारी संभालेंगे। सुनील कुमार सिंह को पुलिस उपाधीक्षक मुख्यालय शिवहर पद पर नियुक्त किया गया है।

31 सितंबर से 14 अगस्त तक राज्य में चलाया गया ऑपरेशन नया सवेरा

इस अभियान में 28 पुरुष और 22 महिला यानी 50 मानव तस्करों को किया गया गिरफ्तार पटना पूरे राज्य में मानव तस्करी, अनैतिक देह व्यापार, ऑर्केस्ट्रा या थियेटर ग्रुप समेत ऐसे अन्य स्थानों में फंसे 112 नाबालिग लड़के या लड़कियों को मुक्त कराया गया है। इसके लिए पूरे राज्य में 31 जुलाई से 14 अगस्त तक विशेष अभियान ऑपरेशन नया सवेरा चलाया गया। इस दौरान मुक्त कराए गए 112 पीड़ितों में 41 नाबालिग लड़कियों, 7 महिलाओं और 64 नाबालिग लड़कें शामिल हैं। इस दौरान 28 पुरुष और 22 महिला समेत 50 मानव तस्करों को गिरफ्तार किया गया है। यह जानकारी एडीजी (कमजोर वर्ग) अमित कुमार जैन ने दी। पुलिस मुख्यालय सरदार पटेल भवन के सभागार में आयोजित इस प्रेस वार्ता में उन्होंने कहा कि इस दौरान 24 एफआईआर दर्ज की गई है।        एडीजी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मानव व्यापार निरोध दिवस (30 जुलाई) के अवसर पर यह विशेष अभियान शुरू करके मानव व्यापार, बाल श्रम, अनैतिक देह व्यापार और ऑर्केस्ट्रा या थियेटर से पीड़ितों को मुक्त कराया गया है। इनके पुनर्वास के लिए यह अभियान चलाया गया है। इसके तहत पटना जिले से 2, किशनगंज से 7, पूर्णिया से 3, रोहतास से 3, मधुबनी से 1 और अररिया से 3 समेत कुल 19 ऑर्केस्ट्रा या थियेटर ग्रुप तथा मानव व्यापार के मामले में सारण जिला से 29 और बेतिया से 1 यानी कुल 30 को मुक्त कराया गया है। इसके साथ ही बाल श्रम मामले में पटना से 23, सीतामढ़ी से 21, वैशाली से 4, कटिहार से 3, बगहा से 1, मधुबनी से 3, नरकटियागंज रेलवे स्टेशन से 2 और सासाराम रेलवे स्टेशन से 6 यानी कुल 63 को बाल श्रम के चंगुल से मुक्त कराया गया है। मुक्त कराए गए पीड़ितों में नेपाल के 3, पश्चिम बंगाल के 13, उत्तरप्रदेश के 4, उड़ीसा एवं झारखंड के 1-1 पीड़ित शामिल हैं।         एडीजी अमित कुमार जैन ने बताया कि इस वर्ष जनवरी से अब तक सभी जिलों में मानव व्यापार से संबंधित विभिन्न मामलों में छापेमारी की गई। इसमें पुलिस के स्तर से 329 एफआईआर दर्ज की गई है। इसमें 217 नाबालिग लड़कियों, 77 महिलाओं और 722 नाबालिग लड़कों समेत कुल 1016 पीड़ितों को शोषण से मुक्त कराया गया है। इस दौरान 250 मानव तस्करों को गिरफ्तार किया गया, जिसमें 197 पुरुष और 53 महिलाएं शामिल हैं। इनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की सुसंगत धाराओं के तहत मामले दर्ज कराकर जेल भेजा गया है।  सारण को पहला और पटना को दूसरा स्थान मिला ऑपरेशन नया सवेरा के अंतर्गत बेहतरीन कार्य करने के लिए सारण जिला को पहला और पटना को दूसरा पुरस्कार मिला है। वर्ष 2021 में सीआईडी के कमजोर वर्ग में परामर्श प्रकोष्ठ की स्थापना की गई। तब से 17 अगस्त 2025 तक पारिवारिक विवाद से संबंधित 157 आवेदन इस प्रकोष्ठ को प्राप्त हुए हैं। इसमें 142 मामलों का निपटारा कर दिया गया है। इनमें 56 मामलों में आपसी समझौते के जरिए पारिवारिक विवाद का निपटारा कराया गया है। ट्रांस वुमेन हेल्पडेस्क कमजोर वर्ग के स्तर से उभयलिंगी महिलाओं (ट्रांस वुमेन) के साथ होने वाले भेदभाव के समाधान के लिए हेल्पडेस्क बनाया गया है। इनके मामलों का निपटारा कर उनकी थाना स्तर तक पहुंच को सुगम बनाने के लिए 855 थानों में पहले से स्थापित महिला हेल्पलाइन को ट्रांस वुमेन हेल्पडेस्क का कार्य करने की अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी गई है। इनके मामलों का निपटारा करने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया जारी की गई है।

हड़ताली सर्वे कर्मियों पर विभाग की सख्ती, 10,775 का लॉगिन ब्लॉक

अपर मुख्य सचिव द्वारा जिलों के अपर समाहर्ता राजस्व एवं बंदोबस्त अधिकारी के साथ वीसी कर की गई स्थिति की समीक्षा  हड़ताल पर रहने वालों पर बुधवार से शुरू होगी संविदा समाप्त करने की कार्रवाई पटना  राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने हड़ताल पर गये सर्वे कर्मियों पर कड़ा कदम उठाते हुए कुल 10,775 कर्मचारियों का लॉगिन ब्लॉक कर दिया है। इनमें 446 एएसओ, 656 कानूनगो, 8,759 अमीन और 914 लिपिक शामिल हैं। हड़ताली सभी कर्मियों को तत्काल संबद्ध अंचल कार्यालय में सभी सरकारी कागजात जमा करने का निर्देश दिया गया है। राजस्व मुख्यालय से सभी जिलों के अपर समाहर्ता (राजस्व) एवं बंदोबस्त अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर उपरोक्त निर्देश दिये गये। सभी जिलों के अधिकारियों से हड़ताल पर रहने वाले कर्मचारियों की अद्यतन सूची तत्काल उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है। मंगलवार तक ई मेल के माध्यम से कारण पृच्छा सभी हड़ताली कर्मियों को हस्तगत करा देने की कार्रवाई पूर्ण कर लेने का भी आदेश दिया गया है। विभाग ने स्पष्ट किया है कि जिलों से सूची आने के बाद हड़ताल पर  न रहने वाले सर्वे कर्मियों का लॉगिन फिर से सक्रिय कर दिया जाएगा, जबकि हड़ताल पर डटे कर्मचारियों के खिलाफ सेवा-मुक्ति की कार्रवाई बुधवार से शुरू की जाएगी। अधिकारियों के अनुसार, यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि राजस्व महा-अभियान जैसी जनहितकारी गतिविधियाँ प्रभावित न हों और रैयतों की समस्याओं का समय पर समाधान सुनिश्चित किया जा सके।  राजस्व विभाग के अलावा  इस महा अभियान हेतु ग्रामीण विकास विभाग, अनुसूचित जाति जनजाति कल्याण विभाग तथा पंचायती राज विभाग के कर्मियों का सहयोग भी लिया जा रहा है। साथ ही अपर मुख्य सचिव द्वारा पत्र के माध्यम से शिक्षा विभाग तथा सामाजिक कल्याण विभाग से भी इस कार्य हेतु सहयोग मांगा गया है।  शिक्षा विभाग के टोला सेवकों और तालीमी मरकज से सहयोग मांगा गया है ताकि वे वितरण और आवेदन प्रक्रिया में मदद कर सकें। समाज कल्याण विभाग से आंगनबाड़ी सेविकाओं और सहयोगियों को जमाबंदी पंजी प्रति के वितरण में स्थानीय परिवारों में बेहतर पहचान के कारण शामिल करने का अनुरोध किया गया है। संबंधित अधिकारियों से आंगनबाड़ी सेविकाओं को नियुक्त कर  जमाबंदी वितरण दल के साथ जोड़ने और समन्वय करने को कहा गया है।  बताते चलें कि राजस्व महा–अभियान की शुरुआत 16 अगस्त से हुई है और 20 सितंबर तक चलने है। इस दौरान घर घर में जमाबंदी पंजी की प्रति और आवेदन प्रपत्र पहुंचाया जाना है। इसी के साथ पंचायत स्तर पर दो शिविर लगाकर रैयतों का आवेदन जमा लेना है। सर्वेकर्मियों की हड़ताल को देखते हुए राजस्व विभाग ने अन्य विभागों के समरूप कर्मियों की सेवा लेने का निर्णय लेते हुए वैकल्पिक कार्ययोजना तैयार कर ली है।

27.78 करोड़ कोसी बराज के रखरखाव और मरम्मत के लिए स्वीकृत: सम्राट चौधरी

* योजना से कोसी बराज की सुरक्षा और गेटों का सुचारु संचालन, किसानों, कृषि उत्पादन और जनसुरक्षा को लाभ मिलेगा। पटना, बिहार के उपमुख्यमंत्री श्री सम्राट चौधरी ने कहा कि कोसी बराज के 66 गेटों, होइस्टिंग अरेंजमेंट, ईओटी, मोनो क्रेन और संबंधित यांत्रिक उपकरणों के रखरखाव और मरम्मत के लिए सरकार ने 27 करोड़ 78 लाख 54 हजार 336 रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति दी है। यह स्वीकृति अगले पांच वर्षों (2025 से 2030) तक गेटों और संबंधित संरचनाओं के संचालन, अनुरक्षण, रख-रखाव और मरम्मत के कार्यों के लिए दी गई है। उपमुख्यमंत्री ने बताया कि विभागीय बजट के अंतर्गत मरम्मत एवं अनुरक्षण मद में 4320.66 लाख रुपये का प्रावधान है। अब इस स्वीकृति के बाद 2778.54 लाख रुपये इस योजना पर खर्च किए जाएंगे। पहले खर्च का अनुमान 48.55 करोड़ रुपये था। लेकिन बाद में इसे घटाकर बजट के हिसाब से ठीक कर दिया गया है। इस योजना के तहत गेटों, प्लेटफॉर्म, पेंटिंग, होइस्टिंग सिस्टम और अन्य उपकरणों का रखरखाव और मरम्मत की जाएगी।  निविदा प्रक्रिया जल्द ही शुरू होगी, ताकि कार्य तय समयसीमा में पूरा हो सके। इस परियोजना के पूरा होने से कोसी बराज के गेटों का कुशल संचालन सुनिश्चित होगा और उनकी दीर्घकालिक सुरक्षा को मजबूती मिलेगी। यह कदम बिहार के किसानों और प्रदेश के सिंचाई तंत्र के लिए बेहद अहम है। इससे आने वाले वर्षों में कृषि उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और जनसुरक्षा को भी लाभ पहुंचेगा। श्री चौधरी ने कहा कि बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार लगातार किसानों के हित के लिए काम कर रही है। 2005 की तुलना में बिहार में सिंचाई के लिए मजबूत नेटवर्क तैयार हुआ है। इसी कड़ी में कोसी बराज के 66 गेटों, होइस्टिंग अरेंजमेंट, ईओटी, मोनो क्रेन और संबंधित यांत्रिक उपकरणों के रखरखाव और मरम्मत के लिए सरकार ने 27.78 करोड़ रुपये (2778.54 लाख) की प्रशासनिक स्वीकृति दे दी है।

बिहार में उद्यमिता क्रांति, हर विचार बन रहा कारोबार

–    बिहार में उद्यमिता की नई उड़ान –    सरकारी योजनाओं से मिल रहा लाभ पटना, बिहार सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाएं अब प्रदेश के आर्थिक विकास और उद्यमिता को नई दिशा देने लगी हैं। गरीब परिवारों से लेकर नवाचार आधारित स्टार्टअप तक, सभी को सरकार की ओर से आर्थिक सहयोग और प्रोत्साहन उपलब्ध कराया जा रहा है।         उद्योग विभाग की एक ऐसी ही योजना जिसके तहत लोगों को लाभ पहुंचाया जा रहा है। बिहार लघु उद्यमी योजना के तहत गरीब परिवारों को मासिक आय के आधार पर दो लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता अनुदान के रूप में दी जा रही है। अब तक 60,205 लाभार्थियों को 512.33 करोड़ रुपये की राशि वितरित की जा चुकी है। योजना के अंतर्गत अनुदान की राशि तीन किस्तों में दी जाती है, पहली किस्त में 50 हजार, दूसरी में 1 लाख और तीसरी में 50 हजार रुपये।           नए उद्योग स्थापित करने के लिए मुख्यमंत्री उद्यमी योजना भी युवाओं के लिए वरदान साबित हो रही है। इस योजना के तहत परियोजना राशि के रूप में अधिकतम 10 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इसके तहत अब तक 43526 लाभार्थियों को 3072.45 करोड़ रुपये की राशि वितरित की जा चुकी है। इस सहयोग से हजारों युवाओं ने अपना व्यवसाय शुरू कर आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कदम बढ़ाया है।        इसी तरह बिहार स्टार्टअप नीति ने भी नवाचार और नई सोच वाले युवाओं को बड़ा अवसर दिया है। इस योजना में 10 लाख रुपये तक का ब्याजमुक्त ऋण उपलब्ध कराया जाता है। इसमें अब तक 1522 कंपनियां पंजीकृत हो चुकी हैं। 46 स्टार्टअप सेल और 22 इनक्यूबेशन सेंटर स्थापित किए जा चुके हैं। इसके अलावा पिछले वर्ष में 2261 एमएसएमई और स्थानीय उद्योगों को जोड़ा गया।        उद्योग को बढ़ावा देने के लिए राज्यभर में 1903 जागरूकता शिविर और आउटरीच कार्यक्रम आयोजित किए गए। इन कार्यक्रमों में 8099 छात्रों को प्रशिक्षित किया गया और 91 छात्रों को इंटर्नशिप का अवसर मिला। वहीं, स्टार्टअप्स को पूंजी उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने सिडबी के साथ 150 करोड़ रुपये के फंड का एमओयू भी किया है।

राज्य के सभी 38 जिलों की कुल 17,942 ग्रामीण पथों का कायाकल्प शुरू

–    ग्रामीण सड़कों ने बदली बिहार के गांवों की तस्वीर –    ग्रामीण सड़कों से राज्य के विकास, रोजगार और आर्थिक संभावनाओं को मिल रही गति पटना, मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क उन्नयन योजना (एमएमजीएसयूवाई) के अंतर्गत ग्रामीण पथ सुदृढ़ीकरण एवं प्रबंधन कार्यक्रम के लागू किए जाने से न केवल राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों की बुनियादी संरचना को मजबूती मिल रही है, बल्कि इससे गांवों की तस्वीर भी तेजी से बदल रही है। अब यह योजना सिर्फ ग्रामीण सड़कों के संधारण तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने, रोजगार के नए अवसर सृजित करने और सामाजिक सशक्तिकरण का एक मजबूत आधार बन चुकी है। अबतक इस योजना के तहत राज्य के सभी 38 जिलों की कुल 17,942 ग्रामीण पथों की जिनकी लंबाई 30,627 किलोमीटर है, के पुनर्निर्माण की प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान मिल चुकी है। इन सड़कों से राज्य के हजारों गांवों को हर मौसम में (बारहमासी) निर्बाध संपर्क, बाजारों तक आसान पहुंच, स्कूलों और अस्पतालों तक आवागमन की सुगम सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। उल्लेखनीय है कि बिहार सरकार ने राज्य में मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क सुदृढ़ीकरण एवं प्रबंधन कार्यक्रम लागू कर रखा है। यह कार्यक्रम मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क उन्नयन योजना का एक महत्वपूर्ण अवयव है, जिसे राज्य मंत्रिमंडल द्वारा पिछले साल नवंबर में स्वीकृति मिल चुकी है। इसका उद्देश्य राज्य के ग्रामीण इलाकों में स्थित सड़कों का दीर्घकालिक सुदृढ़ीकरण और प्रभावी रख-रखाव करना है। ग्रामीण कार्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार 17,942 स्वीकृत ग्रामीण सड़कों में से 11,985 सड़कें, जिसकी कुल लम्बाई 20,998 किलोमीटर सड़कों का कार्यारम्भ किया जा चुका है। सभी स्वीकृत सड़कों का प्रारंभिक सुधार का कार्य वित्तीय वर्ष 2025-26 में पूर्ण करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके साथ ही, बिहार सरकार ने मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क सुदृढ़ीकरण एवं प्रबंधन कार्यक्रम भी लागू किया है। यह कार्यक्रम मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क उन्नयन योजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसका उद्देश्य राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित सड़कों का दीर्घकालिक सुदृढ़ीकरण और प्रभावी रखरखाव करना है। इस कार्यक्रम के तहत पथों का दो बार कालीकरण किया जाएगा, ताकि उनकी सतह की मजबूती और सड़क की पर वाहनों के सुगम परिचालन लगातार बनी रहे। इस योजना का एक और अहम पहलू यह है कि सभी संवेदकों को रूरल रोड रिपेयर वाहन रखने का निर्देश दिया गया है, ताकि किसी भी प्रकार की त्रुटि का प्रतिक्रिया समय के अधीन समाधान किया जा सके और सड़क का उपयोग करने वालों को यात्रा के दौरान कोई असुविधा न हो। राज्य सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि हर वित्तीय वर्ष के बाद पंचवर्षीय अनुरक्षण अवधि से बाहर हुए सड़कों का चयन कर उन्हें फिर से उन्नत किया जाएगा, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क नेटवर्क की गुणवत्ता और स्थायित्व बनी रहे तथा इन्हें टूटने से बचाया जा सके। जिन जिलों की ग्रामीण सड़कों को इस कार्यक्रम में शामिल किया गया है, उसमें सबे अधिक मधुबनी और मुजफ्फरपुर की ग्रामीण सड़कें शामिल हैं। इन दोनों ही जिलों की 1001-1001 सड़कों के सुदृढ़ीकरण और प्रबंधन का कार्य जारी है। जिसकी कुल लम्बाई क्रमश: 17,57.146 और 16,56.49 किलोमीटर है। जबकि समस्तीपुर की 926 सड़कों की जिसकी कुल लम्बाई 1422.844 किमी है। इसी तरह गयाजी की 836 सड़कों की (कुल लम्बाई 1599.927 किमी), पूर्व चंपारण की 899 सड़कों की, पटना की 709, वैशाली की 732 और सिवान की 704 सड़कों को शामिल किया गया है।            ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिला पंख इस योजना के कार्यान्वयन से स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर सृजित हुए हैं। किसानों के कृषि उत्पादों को बड़ा बाजार मिला है। गांव से शहरों तक आसान पहुंच होने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नगदी का प्रवाह बढ़ा है और ग्रामीण परिवारों की आय पर इसका सीधा असर देखा जा रहा है। नई सड़कों ने किसानों को अपनी फसल को समय पर बाजारों तक पहुंचाने का सुगम रास्ता दिया है, जिससे कृषि उपज की गुणवत्ता बनी रहती है और किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य भी मिल रहा है। इसके अलावा, ग्रामीण इलाकों में छोटे व्यापार, दुग्ध व्यवसाय और ग्रामीण पर्यटन जैसे क्षेत्रों को भी इससे काफी लाभ हुआ है। इन प्रयासों से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का वह सपना भी साकार हो रहा है कि राज्य के किसी भी सुदूर क्षेत्र से राजधानी पटना तक की दूरी महज चार घंटे में तय की जा सके।