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आज भारत में लॉन्च होगी Oppo K13 Turbo सीरीज, कीमत और फीचर्स का बड़ा खुलासा

नई दिल्ली Oppo K13 Turbo: Oppo आज यानी 11 अगस्त को भारत में अपनी नई Oppo K13 Turbo सीरीज लॉन्च करने जा रही है. इस सीरीज में दो मॉडल शामिल होंगे, ओप्पो K13 टर्बो और ओप्पो K13 टर्बो Pro. लॉन्च से पहले कंपनी ने कुछ खास फीचर्स और स्पेसिफिकेशन का खुलासा भी किया है. खास बात यह है कि इस सीरीज में एक्टिव कूलिंग सिस्टम दिया गया है, जो फोन को गर्म होने से बचाने के लिए बिल्ट-इन सेंट्रिफ्यूगल फैन का इस्तेमाल करता है. आइए जानते हैं इस नई सीरीज के बारे में विस्तार से. Oppo K13 Turbo सीरीज की कीमत ओप्पो K13 टर्बो Pro के दो वेरिएंट भारत में लॉन्च हो सकते हैं, 8GB RAM + 256GB स्टोरेज वाला मॉडल जिसकी कीमत लगभग 37,999 रुपये होगी, जबकि 12GB RAM + 256GB स्टोरेज वाला मॉडल 39,999 रुपये के करीब हो सकता है. वहीं ओप्पो K13 टर्बो के 8GB RAM + 128GB स्टोरेज मॉडल की कीमत लगभग 27,999 रुपये होगी और 8GB RAM + 256GB स्टोरेज वेरिएंट 29,999 रुपये के आसपास मिल सकता है. यह फोन Flipkart और Oppo की आधिकारिक वेबसाइट दोनों पर बिक्री के लिए उपलब्ध होंगे. फीचर्स और स्पेसिफिकेशन ओप्पो K13 टर्बो सीरीज में 6.80 इंच की AMOLED डिस्प्ले होगी, जिसका रिज़ॉल्यूशन 1280×2800 पिक्सल (1.5K) और 120Hz का रिफ्रेश रेट दिया गया है. इसके अलावा 240Hz टच सैंपलिंग रेट और 1,600 निट्स तक की ब्राइटनेस भी मिलती है. K13 Turbo Pro में Qualcomm Snapdragon 8s Gen 4 प्रोसेसर लगा होगा, जबकि K13 Turbo में MediaTek Dimensity 8450 प्रोसेसर दिया गया है. दोनों फोन में 16GB तक LPDDR5X RAM और 512GB तक स्टोरेज मौजूद होगी. ये फोन एंड्रॉयड 15 पर आधारित ColorOS 15 पर काम करेंगे. कैमरा और बैटरी ओप्पो K13 टर्बो सीरीज में रियर कैमरा सेटअप में 50 मेगापिक्सल का प्राइमरी कैमरा और 2 मेगापिक्सल का सेकेंडरी कैमरा होगा. सेल्फी और वीडियो कॉल के लिए फोन में 16 मेगापिक्सल का फ्रंट कैमरा मिलेगा. बैटरी के मामले में, दोनों फोन 7,000mAh की दमदार बैटरी के साथ आएंगे, जो 80W वायर्ड फास्ट चार्जिंग को सपोर्ट करती है. कनेक्टिविटी और अन्य फीचर्स इस सीरीज के दोनों मॉडल में 5G, 4G, Wi-Fi 7, ब्लूटूथ 5.4, GPS, NFC और USB Type-C पोर्ट जैसे आधुनिक कनेक्टिविटी ऑप्शंस मिलेंगे. इसके अलावा Oppo की वेबसाइट के मुताबिक, K13 Turbo सीरीज IP6/8/9 रेटिंग के साथ पानी और धूल से सुरक्षा भी प्रदान करेगी. अगर आप नई टेक्नोलॉजी के साथ दमदार बैटरी और बढ़िया कैमरे वाला स्मार्टफोन खरीदना चाहते हैं, तो ओप्पो K13 टर्बो सीरीज आपके लिए अच्छा विकल्प साबित हो सकती है. लॉन्च के बाद फोन की उपलब्धता और ऑफिशियल कीमत का भी खुलासा होगा.  

भविष्य का लैपटॉप: AI टेक्नोलॉजी के आगे माउस-कीबोर्ड होंगे इतिहास

दुनिया हाईटेक होती जा रही है, AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) के आने के बाद तो गति और बढ़ गई है। क्या आपने कभी कल्पना की है कि बिना कीबोर्ड और माउस के लैपटॉप चला रहे हैं? सुनने में ये थोड़ा अजीब लगता है, लेकिन 5 साल के भीतर ही आपको ये बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। 2030 तक आपको ऐसे लैपटॉप देखने को मिल जाएंगे जिनमें कीबोर्ड या माउस की जरूरत नहीं होगी। ये लैपटॉप आपकी आवाज या इशारों पर ही काम करने लगेंगे। यह फिलहाल भले कल्पना से परे लगता हो, लेकिन माइक्रोसॉफ्ट के कॉर्पोरेट वाइस प्रेसिडेंट डेविड वेस्टन का कहना है आने वाले टाइम में माउस और कीबोर्ड का इस्तेमाल पुराना हो जाएगा। माइक्रोसॉफ्ट का सपना दरअसल, माइक्रोसॉफ्ट ने हाल ही में यूट्यूब पर एक नया वीडियो जारी किया है। इसमें बताया गया है कि अगले पांच सालों में हम विंडोज का इस्तेमाल किस तरह करेंगे। वीडियो का नाम है 'माइक्रोसॉफ्ट विंडोज 2030 विजन'। इसमें दिखाया गया है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हमारे कंप्यूटर और लैपटॉप के साथ बातचीत को और आसान बनाएगा। माउस और कीबोर्ड की जरूरत नहीं होगी माइक्रोसॉफ्ट से जुड़े डेविड वेस्टन का दावा है कि माउस और कीबोर्ड का इस्तेमाल फ्यूचर में पुराना लगने लगेगा। जैसे आज की Gen Z को पुराने DOS सिस्टम का इस्तेमाल करने में अजीब महसूस होता है, कुछ साल बाद हमें भी माउस और कीबोर्ड का इस्तेमाल करते हुए ऐसा ही लगेगा। 2030 तक लोग अपने कंप्यूटर में आवाज या इशारों से ही काम करवाना शुरू कर देंगे। यह बातचीत का एक आसान तरीका होगा। कोपायलट AI चैटबॉट शुरू हुआ माइक्रोसॉफ्ट चाहता है कि लोग अपने डेस्कटॉप और लैपटॉप से दोस्त की तरह बात करें। ऐसा करने के लिए माइक्रोसॉफ्ट इस तकनीक पर अरबों रुपये खर्च कर रहा है। कंपनी ने हाल ही में अपने प्रोडक्ट्स, जैसे- विंडोज और ऑफिस में कोपायलट AI चैटबॉट जोड़ा है। इसका इस्तेमाल करते हुए यूजर्स 'Hey Copilot' कहकर अपने कंप्यूटर से काम कर सकते हैं। इससे सिस्टम सेटिंग्स बदलना या इंटरनेट पर जानकारी ढूंढना बेहद आसान हो जाएगा। AI सिक्योरिटी एक्सपर्ट मिलेगा वेस्टन का कहना है कि आगामी पांच सालों में AI की मदद से एक ऐसा सिक्योरिटी एक्सपर्ट मिलेगा, जो इंसानों की तरह बात करेगा। फिलहाल ऐसी सुरक्षा केवल बड़ी कंपनियों के लिए है, छोटे कारोबारियों के लिए भी ये सुविधा लाई जाएगी।

WhatsApp स्टेटस में बड़ा बदलाव: क्रिएटिव कोलाज से लेकर म्यूजिक स्टीकर तक सब कुछ

नई दिल्ली भारत समेत दुनिया भर में करोड़ों लोग WhatsApp का इस्तेमाल करते हैं. मेटा समय-समय पर इस इंस्टेंट मैसेजिंग ऐप में नए फीचर्स लाता रहता है ताकि यूजर का अनुभव और बेहतर हो सके. अब कंपनी ने WhatsApp के स्टेटस सेक्शन में कुछ नए धमाकेदार फीचर्स जोड़े हैं, जिनसे स्टेटस लगाना पहले से ज्यादा मजेदार हो गया है. लेआउट फीचर नए अपडेट में WhatsApp ने लेआउट फीचर पेश किया है. इसकी मदद से आप सीधे ऐप में ही फोटो का कोलाज बना सकते हैं. यानी अब किसी थर्ड पार्टी ऐप की जरूरत नहीं होगी. अपनी खास ट्रिप, पार्टी या रोजमर्रा की तस्वीरों को इंस्टाग्राम स्टाइल में यहीं से बनाकर शेयर किया जा सकता है. म्यूजिक स्टीकर पहले WhatsApp स्टेटस में म्यूजिक ऐड करने का ऑप्शन आया था, लेकिन अब कंपनी ने इसमें म्यूजिक स्टीकर भी जोड़ दिया है. इससे आप अपनी फोटो में म्यूजिक का एक छोटा स्पीकर आइकन डाल सकते हैं, जो आपके स्टेटस को नया और आकर्षक लुक देगा. फोटो स्टीकर यह फीचर इंस्टाग्राम जैसा है, जिसमें आप अपनी किसी भी फोटो को कस्टम स्टीकर में बदल सकते हैं. फोटो को क्रॉप, रिसाइज या शेप बदलकर सीधे स्टेटस में जोड़ा जा सकता है. ऐड योर फीचर अब WhatsApp पर “ऐड योर” फीचर भी आ गया है, जो पहले फेसबुक और इंस्टाग्राम पर मौजूद था. इसके जरिए आप किसी कैप्शन जैसे “बेस्ट कॉफी मोमेंट” के साथ अपनी फोटो शेयर कर सकते हैं, और आपके दोस्त भी उसी कैप्शन पर अपनी फोटो या वीडियो डालकर रिप्लाई कर सकते हैं. इन नए फीचर्स से WhatsApp स्टेटस पहले से ज्यादा क्रिएटिव और इंटरैक्टिव हो गया है. अब स्टेटस लगाना सिर्फ फोटो या वीडियो तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसमें मस्ती और पर्सनल टच भी जुड़ जाएगा.

ग्लोइंग स्किन के लिए पुरुष अपनाएं यह आसान 5 मिनट का नुस्खा

नई दिल्ली  अक्सर लोग स्किन केयर (Skin Care) को महिलाओं तक सीमित मानते हैं, लेकिन अब पुरुष भी अपनी त्वचा की देखभाल (Men Skin Routine) में रुचि ले रहे हैं। स्वस्थ और निखरी त्वचा पाने के लिए घंटों खर्च करने की जरूरत नहीं, सिर्फ 5 मिनट का डेली रूटीन काफी है।     स्किन की सफाई– सुबह और रात फेस वॉश का इस्तेमाल करें। अपनी स्किन टाइप (ऑयली, ड्राई या कॉम्बिनेशन) के अनुसार फेस वॉश चुनें। ऑयली स्किन के लिए सैलिसिलिक एसिड और ड्राई स्किन के लिए हाइड्रेटिंग फेस वॉश (एलोवेरा या हाइल्यूरोनिक एसिड) बेहतर हैं।   मॉइस्चराइज़ और सन प्रोटेक्शन– चेहरा धोने के बाद मॉइस्चराइज़र लगाएं। बाहर निकलते समय SPF 30+ सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें ताकि टैनिंग और पिग्मेंटेशन से बच सकें। लिप केयर– होंठों को फटने से बचाने के लिए लिप बाम लगाएं।     शेविंग के दौरान– दाढ़ी बनाते समय शेविंग क्रीम का इस्तेमाल करें ताकि ठंड में स्किन रूखी न हो।     हाइड्रेशन और डाइट– दिन में 7-8 गिलास पानी पिएं और आहार में फल, हरी सब्जियां, नट्स, मछली और नारियल पानी शामिल करें।     नींद और तनाव प्रबंधन– रात में 7-9 घंटे की नींद लें और योग, मेडिटेशन या एक्सरसाइज से तनाव कम करें।     प्रोडक्ट चयन– ऑयली स्किन के लिए ऑयल-फ्री, ड्राई स्किन के लिए हाइड्रेटिंग और सेंसिटिव स्किन के लिए फ्रेगरेंस-फ्री, जेंटल प्रोडक्ट्स अपनाएं।     धूम्रपान से बचें – यह त्वचा को बेजान और झुर्रियों से भर देता है, साथ ही शराब का अधिक सेवन स्किन को डिहाइड्रेट कर सकता है।

परफेक्ट नेल्स के लिए आसान मेनीक्योर टिप्स

  आपके हाथ आपकी उम्र का आईना होते है। इसलिए चेहरे की ही तरह उनकी भी देखभाल जरूरी होती है। अपनाएं सखी के ये टिप्स और पाएं सुंदर और आकर्षक हाथ। अगर आपके हाथ या नाखून अत्यधिक रूखे है तो तेज खुशबू वाला कोई हैड लोशन लगा लिया करे। आजमाएं अपने एसीटोन बेस्ड नेलपॉलिश रिमूवर में कुछ बूंद जोजोबा ऑयल डालकर अछी तरह मिलाएं। यह आपके नाखूनों को नेलपॉलिश हटने के बाद रूखेपन से बचाने में मदद करेगा। इससे बचें नेलपॉलिश लगाने के आधे घंटे के अंदर हैडक्रीम लगाने से बचें क्योंकि इससे आपकी नेलपॉलिश फीकी नजर आएगी। आजमाएं अपने नेल एनेमल को ज्यादा दिनों तक बचाए रखने के लिए शीशी बंद करने से पहले खुली बोतल के रिम पर थोड़ा सा क्यूटिकल ऑयल लगाएं। इससे शीशी ठीक से बंद भी रहेगा और हवा के दबाव से उसका ढक्कन टूटेगा भी नहीं। न ही अतिरिक्त नेल एनेमल शीशी के बाहर लगा रहा जाएगा। इससे बचें पूरी तरह फैट फ्री खाना खाने से जहां तक हो सके बचें। यह आपके स्वास्थ्य के साथ-साथ आपके नाखूनों के लिए भी हानिकारक हो सकता है। इससे बचें नहाने के तुरंत बाद अपने नाखूनों को फाइलिंग से बचाएं। क्योंकि उस समय वे ज्यादा कमजोर हो जाते है। हमेशा याद रखें कि अपने नाखूनों को सिर्फ एक ही दिशा में फाइल करना है, क्योंकि गलत दिशा में ऐसा करने से वे टूट भी सकते है।  

नए लोगों से बातचीत में हिचकिचाहट दूर करने के आसान तरीके

कॉन्फिडेंट पर्सनेलिटी हर किसी को अट्रैक्ट करती है। वो लोग जो हर महफिल की जान बन जाते हैं, किसी से भी आसानी से खुलकर बात कर लेते हैं और भीड़ में अपनी अलग पहचान छोड़ जाते हैं; हर कोई उनके जैसा ही बनना चाहता है। लेकिन कई लोगों के लिए ये सब तो छोड़ो, दूसरों से बात करना भी बड़ा मुश्किल होता है। अनजाने लोगों से घुलने-मिलने में इन्हें बड़ी परेशानी होती है, अपनी बात भी ये कभी खुलकर नहीं रख पाते। अगर आप भी इन्हीं लोगों में से एक हैं, तो आप ठीक से समझ सकते हैं कि ऐसे लोगों के लिए नई जगह एडजस्ट करना कितना मुश्किल होता है। तो चलिए कुछ टिप्स जानते हैं, जिनकी मदद से आप लोगों के बीच कॉन्फिडेंटली अपनी बात रख पाएंगे। अजनबियों से बातचीत करना और घुलना-मिलना भी आपके लिए आसान हो जाएगा। हमेशा परफेक्ट बनने की कोशिश ना करें जब भी हम नए लोगों के बीच होते हैं तो सबसे बड़ी गलती यही करते हैं कि हमें हर चीज में परफेक्ट दिखना होता है। परफेक्ट स्माइल हो, परफेक्ट अंग्रेजी के शब्द बोलें, कहीं कुछ अजीब ना बोल दें; ऐसे कई सवाल हमारे मन में लगातार चल रहे होते हैं। इससे हम खुद पर इतना प्रेशर डाल लेते हैं कि बात बनने के बजाए बिगड़ जाती है। हम करना या कहना कुछ चाहते हैं और हो कुछ और जाता है। इसलिए किसी से बातचीत करने से पहले खुद पर फालतू के दबाव ना डालें और आराम से बात शुरू करें जैसा आप अपने किसी करीबी से करते हैं। बॉडी लैंग्वेज का ध्यान रखना है सबसे जरूरी सबसे पहला इंप्रेशन आपकी बॉडी लैंग्वेज से बनता है। इसलिए बात शुरू करने से पहले अपनी बॉडी लैंग्वेज से कॉन्फिडेंट लगने की प्रैक्टिस करें। लोगों की आंखों में आंखे डालकर बात करें, हल्का सा स्माइल करें, हंसकर ग्रीट करें। सीधा पोस्चर, खुली बाहें, चेहरे पर हल्की सी स्माइल; ये सभी बातें दिखाती हैं कि आप बहुत मिलनसार व्यक्ति हैं। ऐसे में सामने वाला भी आपके साथ फ्रेंडली हो कर बातें करता है और आप कन्वर्सेशन की अच्छी शुरुआत कर पाते हैं। सवाल से कर सकते हैं बातचीत शुरू किसी के साथ बातचीत शुरू करना सबसे ज्यादा मुश्किल होता है। यहीं ज्यादातर लोग नर्वस फील करते हैं। इसके लिए सबसे आसान तरीका है कि आप किसी सवाल से बातचीत को शुरू करें। कोई बड़ा कॉम्प्लेक्स सवाल पूछना जरूरी नहीं है, छोटे सवाल से बातचीत शुरू हो सकती है। आसपास की चीजों से जुड़ा सवाल बेस्ट रहेगा, जैसे – ये जगह या प्रोग्राम कैसा लग रहा है, आपने ये ड्रेस कहां से ली बहुत संदर है। कोई भी ऐसा रैंडम सवाल सामने वाले को आपके साथ कंफर्टेबल फील कराएगा और बातचीत खुद शुरू हो जाएगी। सिर्फ बोलना नहीं सुनना भी है जरूरी नए लोगों के साथ घुलने-मिलने का यह मतलब नहीं है कि आप कुछ भी बस बोलते ही रहें। याद रखें जितना जरूरी बोलना है उससे कहीं गुना जरूरी सामने वाले को सुनना भी है। इसलिए जबरदस्ती बोलने के बजाए सामने वाले को अच्छी तरह सुनें। उनकी बातों पर ध्यान दें, ऑब्जर्व करें और बीच में चाहें तो उससे जुड़े सवाल भी करें। हर किसी को ऐसे लोग पसंद होते हैं, जो उन्हें अच्छी तरह सुनते हैं। इस तरह आप बिना खुद पर ज्यादा दवाब डाले भी लोगों के साथ अच्छी बॉन्डिंग बना सकते हैं।  

मुश्किल नहीं है मोतियाबिंद का इलाज

वृद्धावस्था में आंखों की रोशनी वैसे भी कम होने लगती है और एक अवस्था ऐसी आती है एकदम से दिखना बन्द हो जाता है। इस अवस्था में परेशानी का प्रारम्भ होता है। भारत वर्ष में अन्धत्व के प्रमुख कारणों में मोतिया बिन्द प्रमुख है। अस्सी प्रतिशत अन्धत्व का कारण मोतियाबिन्द नामक बीमारी है। मोतियाबिन्द एक रोग है जिसका संबंध हमारी आयु से होता है। वृद्धावस्था में आमतौर से मोतियाबिन्द हो जाता है। हमारी आंख में एक पारदर्शी लेन्स होता है। यह लेन्स धुंधला पड़ जाता है और अपनी पारदर्शिता खो देता है। इसी को मोतियाबिन्द कहते हैं। मोतियाबिन्द पुरूष, स्त्री किसी को भी वृद्धावस्था में हो सकता है। इसका कोई विशेष कारण नहीं है लेकिन अत्यधिक धूम्रपान, मदिरा पान, निरन्तर तेज रोशनी में कार्य करने या आंख में चोट लगने से यह रोग कम उम्र मंछ भी हो सकता है। मधुमेह के रोगियों को भी यह कम उम्र में हो सकता है। इसलिए चालीस वर्ष की उम्र के बाद आंखों की जांच के प्रति सावधानी बरतना नितान्त आवश्यक है। यदि आंखों की जांच उसके बाद होती रहे तो अच्छा है। मोतियाबिन्द एक ऐसा रोग है जिसे रोकने के लिए कोई उपचार, सावधानियां नहीं है इसलिए मोतियाबिन्द को उम्र के साथ रोका नहीं जा सकता। मोतियाबिन्द की पदचाप:- मोतियाबिन्द आपको उम्र के साथ आकर घेरे इसके पूर्व उसकी पदचाप सुन लीजिए। मोतियाबिन्द बिना किसी शोर गुल के धीरे-धीरे बिना दर्द के आता है। इसके आगमन पर कम दिखाई देने लगता है। दूर और पास की वस्तु का भेद करने में दिक्कत आती है। पुतली का रंग बदल कर धुंधला अथवा सफेद हो जाता है। कभी-कभी एक वस्तु दो वस्तु के रूप में दिखाई पड़ती है। रंगों के पहचानने में परेशानी आती है। ये संकेत यदि दिखाई दें तो यह समझ लेना चाहिए कि मोतियाबिन्द रोग का आगमन हो गया है। मोतियाबिन्द को ठीक कैसे करें:- मोतियाबिन्द का दवा के रूप में कोई उपचार नहीं है। इसका एकमात्र इलाज एक छोटा सा साधारण आपरेशन है। इस आपरेशन में आंख पर आ गई झिल्ली को (लेंस) हटा देने से पूर्ववत दिखाई देने लगता है। यही एक मात्र हल है। हमारे देश में आपरेशन शब्द का ही बड़ा डर है। हम समझते हैं कि आपरेशन में सदा खतरा रहता है। इसलिए इस भय के कारण निरक्षण ग्रामीण जन आपरेशन को टालते रहते हैं। आपरेशन टालने का खतरा:- मोतियाबिन्द आपरेशन एक छोटा सा साधारण आपरेशन है। लाखों लोग भारत में यह आपरेशन करा चुके हैं। हमारे ग्राम, शहर, मोहल्ले में ऐसे व्यक्ति मिल सकते हैं जो मोतियाबिन्द का आपरेशन कराकर देखने में सक्षम हो गए हैं। अतः मोतियाबिन्द के आपरेशन में कोई खतरा नहीं है, यह हमें समझ लेना चाहिए। लेकिन मोतियाबिन्द का आपरेशन यदि हम नहीं कराएं तो अपारदर्शी लेन्स के न हटाने से व्यक्ति अंधा हो जाता है। इस खतरे से बचने के लिए जैसे ही पता चले कि मोतियाबिन्द है, आपरेशन के लिए स्वयं अस्पताल जाकर जांच करा लेना चाहिए और आपरेशन भी करा लेना सर्वोत्तम होगा। आपरेशन का समय:- उत्तर भारत में यह अन्ध विश्वास व्याप्त है कि आपरेशन के लिए उचित समय शीत ऋतु है इसलिए अक्तूबर से फरवरी तक अधिकतम मोतियाबिन्द के आपरेशन इस अवधि में होते हैं किन्तु यह एक भ्रम है। यह इतना छोटा और साधारण आपरेशन होता है कि किसी भी समय इसे कराया जा सकता है। सम्पूर्ण दक्षिण भारत में मोतियाबिन्द के आपरेशन साल भर बिना किसी डर के होते हैं। अब उत्तर भारत में भी अन्ध विश्वास टूट रहा है किन्तु अभी व्यापक रूप से ग्रामीण ठंड में आपरेशन को ही उत्तम मान रहे हैं किन्तु वस्तु स्थिति यह है कि मोतियाबिन्द का आपरेशन वर्ष भर में कभी भी कराया जा सकता है। यदि मोतियाबिन्द के आपरेशन में विलम्ब होता है तो लाइलाज अन्धापन अवश्य हो सकता है। जैसे ही कम दिखना प्रारंभ हो, मोतियाबिन्द का आपरेशन कराने के लिए अस्पताल जाना चाहिए। एक समय में एक ही आंख का आपरेशन किया जाता है। जो आंख ज्यादा प्रभावित होती है उसका आपरेशन सबसे पहले किया जाता है। जो आंख ज्यादा प्रभावित होती है उसका आपरेशन सबसे पहले किया जाता है। जब यह आंख पूर्णतया दृष्टि पा जाती है तब ही दूसरी आंख का आपरेशन होता है। मोतियाबिन्द का आपरेशन अत्यन्त साधारण आपरेशन है। इसमें कोई दर्द और कष्ट नहीं है। आपरेशन करते वक्त व्यक्ति को बेहोश नहीं किया जाता। कोई खर्च नहीं:- इस आपरेशन के लिए शासकीय अस्पताल, मेडिकल कालेजों में निःशुल्क व्यवस्था की गई है कुछ सचल इकाइयां भी ग्रामों में जाकर इस आपरेशन की व्यवस्था करते हैं। भारत सरकार ने स्वास्थ्य के राष्ट्रीय कार्यक्रमों में अंधत्व निवारक कार्यक्रम को सम्मिलित कर लिया है। इसलिए इस आपरेशन के लिए हर सरकारी अस्पताल में निःशुल्क सुविधा की गई है। इतना ही नहीं, सम्पूर्ण देश में स्वयं सेवी संगठन नेत्र शिविर भी ग्रामों में आयोजित करते हैं जिसमें अनुभवी डाक्टर ग्राम में ही नेत्रों का आपरेशन कर देते हैं। इन शिविरों में न केवल मोतियाबिन्द का निःशुल्क आपरेशन होता है वरन भोजन, दवा व, चश्मे भी संगठन निःशुल्क वितरण करते हैं। इन शिविरों में रोगी को पांच दिन ठहरना पड़ता है। आपरेशन हो जाने के 4-6 सप्ताह बाद आंख की पुनः जांच करानी चाहिए। रोगी की इस जांच का बड़ा महत्व है। आपरेशन के बाद की सावधानियां:- सफल आपरेशन के बाद भी रोगी को एक माह तक सावधानी रखनी आवश्यक है। नेत्र सर्जन जो दवा देते हैं, उसे नियमित रूप से लेना, आंख को हरी पट्टी से ढक कर रखना, तेज रोशनी, धुंआ, धूल से आंख को बचाना बहुत आवश्यक है। इतना ही नहीं, यदि कोई शिकायत हो तो तत्काल डाक्टर को बताना चाहिए और सलाह अनुसार कार्य करना चाहिए। मोतियाबिन्द के आपरेशन के बाद दो सप्ताह तक सिर न धोने, भारी परिश्रम न करने, अधिक झुकने, मुड़ने के कार्य न करने की सलाह डाक्टर देते हैं। इस आपरेशन वाली आंख को छूना, दबाना, खतरनाक रहता है। आप क्या कर सकते हैं?:- मोतियाबिन्द आपरेशन के इस कार्य में उन व्यक्तियों की बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका है जिन्हें मोतियाबिन्द नहीं हुआ और यही से आपके सेवा कार्य का प्रारम्भ हो जाता है। आप इस सेवा कार्य में निम्नलिखित महत्वपूर्ण भूमिका को निभा सकते हैं। प्रत्येक जिले … Read more

तेजी से वजन घटाने के लिए अपनाएं ये फूड्स, मिलेंगे जबरदस्त फायदे

मोटापा ना सिर्फ पर्सनैलिटी को खराब करता है, बल्कि यह कई बीमारियों का कारण भी है. ऐसे में हेल्दी और खुशहाल जीवन के लिए वजन कम करना बेहद जरूरी हो जाता है. वजन कम करने में सबसे बड़ा रोल आपकी डाइट और लाइफस्टाइल का होता है. ऐसे में अगर आप भी अपने बढ़े हुए वजन को कम करना चाहते हैं तो आपको अपनी डाइट में ऐसी चीजें शामिल करनी चाहिए जो न सिर्फ हेल्दी हों, बल्कि पेट को भी लंबे समय तक भरा हुआ रखें. आज हम आपको कुछ ऐसे फूड्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनमें कैलोरी कम होती है लेकिन फाइबर, प्रोटीन और हेल्दी फैट ज्यादा होते हैं. अवोकाडो कैलोरी ज्यादा होने के बावजूद, अवोकाडो में हेल्दी फैट और फाइबर भरपूर मात्रा में होते हैं. ये हेल्दी फैट लंबे समय तक पेट को भरा रखते हैं जिससे अनहेल्दी चीजें खाने का मन नहीं करता.  बेरीज ब्लूबेरी, स्ट्रॉबेरी और रास्पबेरी जैसे फलों में नेचुरल शुगर होती है. इनमें कैलोरी बहुत कम होती है और फाइबर ज्यादा होता है. इन्हें खाने के बाद मीठे की क्रेविंग कम होती है और पेट भी लंबे समय तक भरा रहता है, जिससे वजन कम करने में मदद मिलती है. ओट्स ओट्स में सॉल्युबल फाइबर भरपूर होता है जो पानी सोखकर पेट में जेल जैसा बन जाता है. इससे पेट लंबे समय तक भरा हुआ महसूस होता है और बार-बार खाने का मन नहीं करता.  बीन्स और दालें बीन्स, दालें और चने प्रोटीन और फाइबर के बेहतरीन सोर्स हैं. ये धीरे-धीरे पचते हैं, जिससे पेट लंबे समय तक भरा रहता है और बार-बार भूख नहीं लगती. साथ ही यह ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में भी मदद करते हैं, जिससे ज्यादा खाने का मन नहीं करता. अंडे अंडे हाई-क्वालिटी प्रोटीन से भरपूर होते हैं, जो लंबे समय तक भूख नहीं लगने देते. अगर आप सुबह नाश्ते में अंडे खाते हैं तो लंबे समय तक पेट भरा रहता है और शरीर में एनर्जी बनी रहती है. हरी सब्जियां पालक, केल और दूसरी हरी पत्तेदार सब्जियों में कैलोरी बहुत कम होती हैं, लेकिन इनमें फाइबर, विटामिन और मिनरल्स भरपूर होते हैं. इन्हें खाने से पेट भी भरा रहता है और शरीर को जरूरी पोषण भी मिलता है.

बहन की राखी से जुड़ी अनोखी कहानी, जिसने मरने के बाद भी भाई का दिल छू लिया

नई दिल्ली  रक्षाबंधन के पर्व को भाई और बहन के अटूट रिश्ते का प्रतीक माना जाता है। आज जहां पूरे देश में भाई- बहन खुशी- खुशी इस त्यौहार काे मना रहे हैं तो वहीं एक भाई ऐसा है जिसकी आखों से आंसू रूक ही नहीं रहे हैं। इस भाई ने अपनी इकलौती बहन को खो दिया है, हालांकि उसकी बहन ने मरने के बाद भी भाई के हाथों को सूना नहीं रहने दिया। इस कहानी को जिसने भी सुना वह भावुक हो उठा।     9 साल की रिया ने किए थे अंग दान दरअसल पिछले साल गुजरात के रहने वाले 9 साल की रिया मिस्त्री का ब्रेन डेड हो गया था, जिसके बाद उसके अंगों को दान कर दिया गया। रिया का दाहिना हाथ, एक दूसरी लड़की को ट्रांसप्लांट करके लगाया गया था, ऐसे में रिया तो मर गई लेकिन उसका हाथ अभी भी जिंदा है। रिया दुनिया की सबसे कम उम्र की ऑर्गन डोनर थीं। उसका हाथ मुंबई की अनमता अहमद को दिया गया, जो  दुनिया की सबसे कम उम्र की ऐसी लड़की हैं जिनके कंधे तक हाथ का ट्रांसप्लांट हुआ है। बेटी का हाथ देख रो पड़े मातर- पिता अब अनमता ने रिया के हाथ से उसके भाई शिवम काे राखी बांधी।  शिवम ने जब अनमता के हाथों से राखी बंधवाई तब उसे यह एहसास हो रहा था कि जैसे वह अपनी प्यारी बहन से ही राखी बंधवा रहा है। रिया के माता-पिता ने अपनी ही बेटी का हाथ अपने हाथों में लिया तो वह अपने आंसू रोक नहीं पाए। यह काफी भावुक भरा पल था। हर किसी के आंखों से आंसू बहते रहे और वे अपनी भावनाओं को छिपाते रहे।    बेटी की याद में भावुक हुआ परिवार रिया की मां तृष्णा ने बहते आंसुओं संग बताया कि जब अनमता ने शिवम को राखी बांधी तो हमें लगा कि रिया राखी बांधने के लिए जिंदा हो उठी है। मैंने उसकी पसंद की मिठाई गुलाब जामुन बनाया। हमने हर साल की तरह ही रक्षाबंधन मनाया। हम अभी भी बेटी के जाने के दुख से उबर नहीं पाए हैं लेकिन अनमता को देखकर खुशी मिलती है। सुकून मिलता है कि वह कितनी खुश है और एक अच्छी जिंदगी जी रही है।

डेली टास्क के लिए बेस्ट AI मॉडल कौन? ChatGPT, Gemini और Claude का तुलनात्मक विश्लेषण

नई दिल्ली AI टेक्नोलॉजी तेजी से हमारे रोजमर्रा के काम का हिस्सा बन रही है. चैट करने से लेकर पढ़ाई, रिसर्च और कंटेंट बनाने तक, लोग अब ChatGPT, Gemini और Claude जैसे टूल्स पर भरोसा कर रहे हैं. लेकिन इतने ऑप्शन में से सही मॉडल चुनना कई बार मुश्किल हो जाता है. चलिए जानते हैं, डेली यूज के लिए इनमें से कौन-सा AI आपके लिए सबसे बेस्ट हो सकता है. OpenAI का ChatGPT अपनी तेज़ और नेचुरल लैंग्वेज समझने की क्षमता के लिए मशहूर है. कंटेंट राइटिंग, सवाल-जवाब, कोडिंग और आइडिया जनरेशन में ये काफी मददगार है. अगर आपको क्रिएटिव काम या लैंग्वेज बेस्ड टास्क करने हैं, तो ChatGPT बेहतर ऑप्शन है. Gemini Google का Gemini इंटरनेट से डायरेक्ट कनेक्ट होकर लेटेस्ट और रियल-टाइम जानकारी दे सकता है. अगर आपको न्यूज़, डेटा अपडेट या रिसर्च से जुड़े काम करने हैं, तो Gemini आपके लिए सही रहेगा. Claude Anthropic का Claude लंबी और जटिल बातचीत संभालने में माहिर है. ये बड़े डॉक्यूमेंट को समझने, समरी बनाने और स्ट्रक्चर्ड डेटा देने में अच्छा है. अगर आपका काम डिटेल एनालिसिस से जुड़ा है, तो Claude बेहतर साबित हो सकता है. अगर आपको क्रिएटिव और भाषा से जुड़े टास्क चाहिए तो ChatGPT चुनें. लेटेस्ट जानकारी और फैक्ट्स तो Gemini बढ़िया है. गहरे विश्लेषण और लंबे कंटेंट के लिए Claude का इस्तेमाल करें. आखिर में, आपके काम की जरूरत के हिसाब से AI मॉडल चुनना सबसे समझदारी होगी.