samacharsecretary.com

AIIMS रायपुर और अन्य अस्पतालों की दयनीय स्थिति पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सरकार से सवाल

बिलासपुर
 बिलासपुर हाई कोर्ट ने राजधानी रायपुर के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) सहित प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में व्याप्त अव्यवस्था, लापरवाही और घटिया स्वास्थ्य सेवाओं पर गंभीर नाराजगी जताते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच ने कहा कि प्रदेश की अधिकांश जनता निजी अस्पतालों में महंगा इलाज कराने में सक्षम नहीं। ये सभी सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं पर निर्भर है। ऐसे में वहां की बदहाली बेहद चिंताजनक और गंभीर है। अदालत ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि स्वास्थ्य सचिव के शपथ पत्र के साथ विस्तृत जवाब पेश किया जाए।

अस्पताल में लंबी कतारें लगी रहती हैं। जांच के बाद सर्जरी के लिए 4 महीने रुकना पड़ता है। एक्स-रे जैसी साधारण जांच के लिए भी 3 घंटे का इंतजार करना पड़ता है। कोर्ट ने इन अव्यवस्थाओं के लिए राज्य सरकार से जवाब मांगा है।

कोर्ट ने कहा कि राज्य की अधिकांश आबादी निजी अस्पतालों में महंगा इलाज कराने में सक्षम नहीं है और उनकी स्वास्थ्य सेवाओं का मुख्य आधार सरकारी अस्पताल हैं। ऐसे में वहां की लापरवाही और अव्यवस्था बेहद गंभीर है।

एम्स में रजिस्ट्रेशन के बाद 48 घंटे इंतजार

दरअसल, रायपुर के एम्स में मरीजों को डॉक्टर से मिलने के लिए रजिस्ट्रेशन के बाद करीब 48 घंटे तक इंतजार करने जैसी अव्यवस्थाओं को लेकर मीडिया रिपोर्ट्स को हाईकोर्ट ने जनहित याचिका मानकर सुनवाई शुरू की है।

खबरों के मुताबिक अस्पताल में लंबी कतारें लगी रहती हैं, जिससे मरीजों का समय और ऊर्जा दोनों बर्बाद हो रहे हैं। जांच के बाद सर्जरी के लिए चार-चार महीने की देरी हो रही है, जबकि एक्स-रे जैसी साधारण जांच के लिए भी तीन घंटे का इंतजार करना पड़ता है।

स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल

हाईकोर्ट ने कहा कि गर्भावस्था जांच किट के गलत परिणाम, घटिया गुणवत्ता की सर्जिकल सामग्री और दवाओं की आपूर्ति जैसे मामले सामने आए हैं। यहां तक कि कुछ जीवन रक्षक दवाएं लैब परीक्षण में फेल होने के बावजूद बाजार में बिक रही थीं।

हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि इस तरह की खबरें सही हैं तो यह राज्य के स्वास्थ्य विभाग और छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लगाता है।

डॉक्टरों की लापरवाही पर हाईकोर्ट सख्त

बिलासपुर जिले के एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का भी कोर्ट ने जिक्र किया, जहां रिकॉर्ड में 15 डॉक्टर दर्ज थे। लेकिन, सुबह 11 बजे तक वहां कोई भी डॉक्टर मौजूद नहीं था। 250 से अधिक मरीज सुबह से कतार में खड़े रहे, जबकि एक्स-रे यूनिट जैसी महत्वपूर्ण मशीनें एक साल से अधिक समय से बंद पड़ी थीं।

रीएजेंट की सप्लाई नहीं होने से हमर लैब भी बंद पड़ी थी। इन गंभीर खामियों और लापरवाहियों को लेकर हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग के सचिव को व्यक्तिगत शपथपत्र प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। बता दें कि चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा की डिवीजन बैंच ने सुनवाई की। अब इस मामले की अगली सुनवाई 12 अगस्त को होगी।

डिवीजन बेंच ने यह टिप्पणी मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लेते हुए की। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एम्स रायपुर में मरीजों को डॉक्टर से मिलने के लिए रजिस्ट्रेशन के बाद करीब 48 घंटे तक इंतजार करना पड़ रहा है। अस्पताल में लंबी कतारें लगी रहती हैं, जिससे मरीजों का समय, ऊर्जा और स्वास्थ्य तीनों प्रभावित हो रहा है। कोर्ट ने कहा कि यदि ये तथ्य सही हैं तो यह न केवल राज्य के स्वास्थ्य विभाग, बल्कि छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर प्रश्नचिह्न लगाता है।

इन अव्यवस्थाओं की ओर खींचा ध्यान-

जांच के बाद सर्जरी के लिए चार-चार महीने तक की देरी हो रही है।

साधारण एक्स-रे जांच के लिए भी मरीजों को तीन घंटे तक इंतजार करना पड़ रहा है।

गर्भावस्था जांच किट के गलत परिणाम सामने आ रहे हैं।

गुणवत्ताविहीन सर्जिकल सामग्री और दवाओं की सप्लाई हो रही है।

कुछ जीवन रक्षक दवाएं लैब परीक्षण में फेल होने के बावजूद बाजार में बिक रही हैं।

डॉक्टरों की अनुपस्थिति और बंद मशीनों पर सवाल-

सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने बिलासपुर जिले के एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का भी उल्लेख किया, जहां 15 डॉक्टर पदस्थ हैं, लेकिन सुबह 11:15 बजे तक एक भी डॉक्टर मौजूद नहीं थे। इस दौरान 250 से अधिक मरीज सुबह से कतार में खड़े रहे। यहां अस्पताल की एक्स-रे यूनिट एक साल से अधिक समय से बंद थी। इसके अलावा रीएजेंट सप्लाई नहीं होने से हमर लैब भी लंबे समय से काम नहीं कर रहा था। अदालत ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा कि सरकारी अस्पतालों में इस तरह की लापरवाही अस्वीकार्य है और यह आम नागरिकों के मौलिक स्वास्थ्य अधिकारों का उल्लंघन है।

कोर्ट की टिप्पणी, तुरंत उठाएं ठोस कदम-

हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को स्पष्ट निर्देश दिया कि शपथ पत्र के साथ विस्तृत जवाब दें और बताए कि एम्स रायपुर सहित सरकारी अस्पतालों में अव्यवस्था को दूर करने और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए अब तक क्या कदम उठाए गए हैं। अदालत ने चेतावनी दी कि यदि समय रहते ठोस कार्रवाई नहीं की गई तो यह जनता के भरोसे को तोड़ देगा और स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर असर डालेगा।

Leave a Comment

हम भारत के लोग
"हम भारत के लोग" यह वाक्यांश भारत के संविधान की प्रस्तावना का पहला वाक्य है, जो यह दर्शाता है कि संविधान भारत के लोगों द्वारा बनाया गया है और उनकी शक्ति का स्रोत है. यह वाक्यांश भारत की संप्रभुता, लोकतंत्र और लोगों की भूमिका को उजागर करता है.
Click Here
जिम्मेदार कौन
Lorem ipsum dolor sit amet consectetur adipiscing elit dolor
Click Here
Slide 3 Heading
Lorem ipsum dolor sit amet consectetur adipiscing elit dolor
Click Here