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‘चिराग’ योजना के तहत हरियाणा में EWS बच्चों के लिए फंड जारी, स्कूलों को सीधे मिलेगा भुगतान

चंडीगढ़ 
हरियाणा सरकार ने ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) श्रेणी के विद्यार्थियों की फीस प्रतिपूर्ति के लिए 1 करोड़ 24 लाख 87 हजार 200 रुपये जारी किए हैं। यह राशि मुख्यमंत्री हरियाणा समान शिक्षा राहत, सहायता व अनुदान (चिराग) योजना के अंतर्गत दी जा रही है। इस धनराशि से निजी मान्यता प्राप्त स्कूलों में पढ़ रहे ईडब्ल्यूएस छात्रों की अप्रैल 2024 से मार्च 2025 तक की पूर्ण फीस की प्रतिपूर्ति की जाएगी।

शिक्षा विभाग द्वारा जारी आदेश के अनुसार यह भुगतान जिलेवार किया जाएगा। सबसे अधिक राशि सिरसा जिले को 23 लाख 62 हजार 800 रुपये मिलेगी, जबकि हिसार को 18 लाख 74 हजार 400 और भिवानी को 17 लाख 55 हजार रुपये मिलेंगे। इसके अलावा फरीदाबाद को 7 लाख 12 हजार 800 और जींद को 17 लाख 68 हजार 800 रुपये का भुगातन होगा।

करनाल को 5 लाख 28 हजार, नूंह को 16 लाख 23 हजार 600, सोनीपत को 9 लाख 37 हजार, कुरुक्षेत्र को 3 लाख 16 हजार 800, पानीपत को 5 लाख 1 हजार 600, अंबाला और रेवाड़ी को 52-52 हजार रुपये स्वीकृत किए गए हैं। निजी स्कूल संचालकों का कहना है कि वे लंबे समय से इस प्रतिपूर्ति का इंतजार कर रहे थे। सरकार की ओर से भुगतान में देरी के कारण उन्हें वित्तीय मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था। कई स्कूल संचालकों ने तो हाल ही में सरकार को अल्टीमेटम तक दे डाला था कि यदि शीघ्र राशि जारी नहीं हुई तो वे नए शैक्षणिक सत्र में ईडब्ल्यूएस छात्रों का दाखिला रोकने पर मजबूर होंगे।

शिक्षा विभाग ने आदेश में यह भी स्पष्ट किया है कि यह व्यय स्वीकृत बजट के भीतर ही किया जाएगा और नियमों के अनुरूप खर्च होना चाहिए। यह राशि ‘2202-जनरल एजुकेशन-02 सेकेंडरी एजुकेशन-110 असिस्टेंस टू नॉन-गवर्नमेंट सेकेंडरी स्कूल्स (94) चीफ मिनिस्टर पॉलिसी फॉर इक्वल एजुकेशन रिलीफ, 34 अदर चार्जेज’ हेड से देय होगी।

इस निर्णय से राज्य के हजारों ईडब्ल्यूएस छात्रों और निजी स्कूलों को बड़ी राहत मिलेगी। शिक्षा विभाग के निदेशक जितेंद्र कुमार ने कहा है कि विभाग सुनिश्चित करेगा कि राशि निर्धारित समय में ही स्कूलों तक पहुंचे और छात्र निर्बाध शिक्षा प्राप्त कर सकें। निजी स्कूल संचालक अब उम्मीद कर रहे हैं कि भविष्य में सरकार समय पर प्रतिपूर्ति की राशि जारी करेगी, ताकि गरीब बच्चों की पढ़ाई पर कोई असर न पड़े और स्कूलों को आर्थिक संकट का सामना न करना पड़े।

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