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सरकारी बैठक या शाही भोज? अफसरों ने उड़ाए 13 किलो काजू-बादाम और पी गए 2 किलो घी

 शहडोल

 शहडोल जिले में 4 लीटर पेंट के लिए 165 मजदूरों का बिल निकालने के मामले के बाद एक और चौंकाने वाला बिल सामने आया है. मई महीने में जब गांव-गांव जल संरक्षण के लिए ग्रामीणों को जागरूक करने का अभियान चलाया जा रहा था, तब भदवाही गांव में कुछ और ही खेल चल रहा था. सामने आए बिल के अनुसार, मात्र एक घंटे के कार्यक्रम में जिले के आला अधिकारियों ने 13 किलो ड्राई फ्रूट खा लिया और 19,000 रुपये का बिल बनाया गया.

दरअसल, मध्य प्रदेश सरकार ने बारिश के पानी को बचाने और लोगों को जागरूक करने के लिए 'जल गंगा संवर्धन' अभियान चलाया था. मई में शुरू हुए इस अभियान के तहत, सरकार की जानकारी के अनुसार, प्रदेश के सभी गांवों में प्रशासन और ग्रामीणों ने जल संरक्षण के लिए चौपाल लगाई. लोग कितने जागरूक हुए, यह तो पता नहीं, लेकिन सरकारी रुपए पानी की तरह बहाए गए. जब गांव के कुएं, तालाब और नाले सूखे हैं, तब सरकारी चौपाल की छांव में अफसरों की मेज पर काजू-बादाम, दूध-घी और नमकीन की बरसात हो रही है.

शहडोल जिले के गोहपारू जनपद की ग्राम पंचायत भदवाही में पिछले महीने जल चौपाल का आयोजन किया गया था, जिसमें जिले के वरिष्ठ अधिकारियों से लेकर कनिष्ठ कर्मचारी और ग्रामीण मौजूद थे. चौपाल का उद्देश्य गांव-गांव जाकर जल संरक्षण की सीख देना था. लेकिन चौपाल के नाम पर पंचायत रजिस्टर में दर्ज खरीदारी किसी शादी-ब्याह की दावत से कम नहीं है. 

इस मेहमान नवाजी पर काजू 5 किलो, बादाम 5 किलो, किशमिश 3 किलो,नमकीन 30 किलो, बिस्कुट पैकेट 20, दूध 6 किलो, शक्कर 5 किलो लगी. वहीं, अफसरों को 2 किलो घी भी पिलाया गया. इस मेहमाननवाजी पर 19,010 रुपये खर्च हुए और इसके अलावा 5 हजार 260 रुपये का एक और बिल निकाला गया, जिसमें घी विशेष रूप से शामिल है. अब सवाल उठता है कि जल संरक्षण के नाम पर अफसरों की थाली में काजू-बादाम कैसे आ गए? 

इस पूरे मामले में जिला पंचायत प्रभारी सीईओ मुद्रिका सिंह का कहना है कि जल गंगा संवर्धन कार्यक्रम का आयोजन हुआ था, जिसमें हम लोग और ग्रामीण शामिल थे. चाय-नाश्ते और खाने की व्यवस्था की गई थी, लेकिन काजू, बादाम, किशमिश जैसे बिलों का मामला संज्ञान में आया है. इसकी जांच कराई जाएगी.

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