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भारत ने ₹36000 करोड़ की डील के तहत QRSAM सिस्टम की खरीद को मंजूरी दी

नई दिल्ली

पूरी दुनिया ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत की सैन्य ताकत का नजारा देख चुका है. भारत ने तीन दिन के भीतर ही पाकिस्तानी सेना की कमर तोड़ दी थी. ब्रह्मोस मिसाइलों और एस-400 जैसे डिफेंस सिस्टम की बदौलत पाकिस्तान कुछ घंटों की भी मार नहीं झेल पाया था. लेकिन, ऑपरेशन के दौरान भारत को भी कुछ सीखने को मिला. अब भारत ने उस कमी को दूर करने के लिए एक-दो हजार करोड़ नहीं बल्कि एक मुश्त 36 हजार करोड़ रुपये की डील को मंजूरी दी है. इस पैसे से फिलहाल के लिए बेबी एस-400 के तीन रेजिमेंट तैयार किए जाएंगे. हालांकि भारतीय सेना ऐसे 11 रेजिमेंट्स की डिमांड कर रही है. अगर ये पूरे रेजिमेंट्स सेना को मिल जाते हैं तो देश एक तरह से किले में तब्दील हो जाएगा. इस पूरे 11 रेजिमेंट्स पर करीब 1.30 लाख करोड़ खर्च होंगे.

दरअसल, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान ब्रह्मोस ने पाकिस्तान के भीतर घुसकर गंभीर घाव किया था. दूसरी तरफ भारत के आकाश मिसाइल डिफेंस और एस-400 जैसे सुरक्षा कवच ने भारत की किलेबंदी कर दी. बावजूद इसके पाकिस्तान ने तुर्की से हासिल किए ड्रोन से भारत पर खूब हमले किए. एक तरह से उसने ड्रोन की बारिश कर दी, लेकिन भारत का डिफेंस सिस्टम तगड़ा था और करीब 99 फीसदी ड्रोन को समय रहने खत्म कर दिया गया. बावजूद इसके भारत को एक खास डिफेंस सिस्टम की जरूरत महसूस हुई.

भारत के पास जो एस-400 सुरक्षा कवच है वो तो अल्टीमेट है. एस-400 फाइटर जेट्स और मिसाइल हमलों को करीब 400 किमी दूर से डिटेक्ट कर उसे खत्म करने में सक्षम है. लेकिन, आधुनिक युद्ध में ड्रोन एक नई चुनौती बनकर उभरे हैं. ये अपेक्षाकृत कम ऊंचाई पर उड़ते हैं और उनको डिटेक्ट करना थोड़ा मुश्किल काम होता है. ऐसे में भारत देसी बेसी एस-400 की खरीद कर रहा है. इस बेबी एस-400 का नाम है QRSAM सिस्टम.

क्या है QRSAM?

भारत सरकार ने पिछले दिनों अपने एयर डिफेंस को मजबूती देने के लिए QRSAM सिस्टम को खरीद की मंजूरी दे दी. इसे देश में ही विकसित किया गया है. इसका पूरा नाम क्विक रिएक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल यानी QRSAM है. इसे डीआरडीओ ने विकसित किया है. इसके तीन रेजिमेंट की खरीद को मंजूरी दी गई है. इस पर 36 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे. यानी एक रेजिमेंट पर करीब 12 हजार करोड़ रुपये. भारतीय सेना ने सरकार से ऐसे 11 रेजिमेंट्स की मांग की है.

QRSAM एक बेहद एडवांस मोबाइल मिसाइल सिस्टम है. ये मिसाइलों दुश्मन के लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टरों, ड्रोनों और अन्य हवाई खतरों को 30 किमी के दायरे के भीतर नष्ट कर सकती हैं. इन मिसाइलों को इनकी त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता के लिए जाना जाता है. ये सिस्टम युद्ध के मौजूदा तरीकों में बेहद कारगर हैं. QRSAM में बेहद एडवांस रडार सिस्टम, इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल सेंसर और कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम लगे हैं. इससे यह बेहद सटीक तरीके से अपने लक्ष्य को ट्रैक और नष्ट कर सकता है. इसकी सफलता की दर 95 से 100 फीसदी तक है.

ऑपरेशन सिंदूर

इस साल 7 से 10 मई के बीच ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने अपने शानदार डिफेंस सिस्टम का नजारा पेश किया था. इस दौरान पाकिस्तान की ओर से खूब तुर्की निर्मित ड्रोन और चीन निर्मित मिसाइलें दागी गईं लेकिन भारत के मल्टी लेयर डिफेंस सिस्टम ने इन सभी को समय रहते नष्ट कर दिया. इस दौरान भारतीय डिफेंस सिस्टम की सफलता करीब 100 फीसदी थी. इसमें QRSAM ने भी अहम भूमिका निभाई थी. ऑपरेशन के दौरान QRSAM के परफॉर्मेंस ने सभी का दिल जीत लिया था. ऐसे में सेना अब QRSAM के दो-तीन नहीं बल्कि कुल 11 रेजिमेंट बनाने वाली है. इस वक्त भारत के सुरक्षा कवच में QRSAM में आकाश, बराक-8 और अन्य स्वदेशी प्रणालियों के साथ मिलकर एक अभेद्य सुरक्षा कवच प्रदान करेगा.

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