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डीके शिवकुमार के करीबी विधायक इकबाल हुसैन ने बड़ा दावा-हम सभी की मांग है कि अब बदलाव हो

बेंगलुरु
कर्नाटक में सीएम बदलने की मांग फिर से जोर पकड़ रही है और इस बार तो मामला दिल्ली दरबार तक जा पहुंचा है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोमवार को ही इसका संकेत दिया था। इस बीच दिल्ली से आए प्रतिनिधि के तौर पर रणदीप सुरजेवाला ने कर्नाटक के कई विधायकों से मुलाकात की है। फिलहाल सोनिया और राहुल गांधी चाहते हैं कि विधायक शांत हो जाएं और खींचतान सार्वजनिक तौर पर न दिखे। वहीं डीके शिवकुमार के समर्थक अब आर-पार के मूड में दिख रहे हैं। कर्नाटक में 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत हुई थी। इस इलेक्शन के बाद चर्चा थी कि डीके शिवकुमार सीएम होंगे, लेकिन सिद्धारमैया को मौका मिला।

किसी ने खुलकर कुछ नहीं कहा था, लेकिन तब से ही डीके शिवकुमार के समर्थक दोहरा रहे हैं कि सिद्धारमैया को ढाई साल के लिए ही सीएम बनाया गया है। इसी के चलते अब वे बदलाव की मांग कर रहे हैं। इस बीच डीके शिवकुमार के करीबी विधायक इकबाल हुसैन ने बड़ा दावा किया है। हुसैन का कहना है कि करीब 100 कांग्रेस विधायक डीके शिवकुमार के साथ हैं और ये सभी लोग अब मुख्यमंत्री के तौर पर उन्हें देखना चाहते हैं। हम सभी की मांग है कि अब बदलाव हो जाए। यही नहीं उन्होंने चेतावनी दी कि यदि शिवकुमार को सत्ता नहीं सौंपी गई तो फिर कांग्रेस 2028 में वापसी नहीं कर पाएगी।

शिवकुमार के करीबी ने कहा कि मैं इस बारे में दिल्ली से आए रणदीप सुरजेवाला से भी बात करूंगा। उन्होंने कहा कि यदि अभी बदलाव नहीं हुआ तो फिर देर हो जाएगी। पार्टी के हित में है कि शिवकुमार को अब सत्ता दी जाए। दरअसल मल्लिकार्जुन खरगे ने बढ़ते विवाद को लेकर सोमवार को कहा था कि इस बारे में कोई फैसला पार्टी हाईकमान ही ले सकता है। इस पर हुसैन ने कहा कि हमने तो हमेशय़ा ही हाईकमान का सम्मान किया है। पार्टी में अनुशासन भी है। लेकिन हम हर बात हाईकमान को बताएंगे। कर्नाटक के बारे में सारे तथ्य उनके आगे रखेंगे।

अंदर सुलग रही आग, पर सब नॉर्मल दिखाने में जुटे सिद्धारमैया
कर्नाटक में डीके शिवकुमार के समर्थक विधायक ऐक्टिव हैं, लेकिन सीएम सिद्धारमैया सब नॉर्मल दिखाने की कोशिश में हैं। उन्होंने मीडिया के सवालों पर कहा कि सिद्धारमैया के साथ कोई मतभेद नहीं हैं। इसके सुरजेवाला ने भी कहा कि मैं संगठन मजबूत करने के लिए मीटिंग के लिए आया हूं। इसको किसी भी तरह के नेतृत्व परिवर्तन की चर्चाओं से न जोड़ा जाए।

 

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