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एम्स भोपाल में नया हृदय सर्जरी केंद्र, मरीजों के लिए तेज और बेहतर इलाज संभव

भोपाल
 अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के हार्ट पेशेंट का इलाज पहले से आधुनिक और त्वरित होने वाला है। हृदय रोगियों, गर्भ में बच्चों का हृदय दोष और ऑपरेशन के लिए 6 एडवांस मशीनें आने वाली है। करीब 22 करोड़ रुपए की लागत से एम्स में एक नया कार्डियक सेटअप तैयार किया जाएगा। साथ ही हाई-टेक बाइप्लेन कार्डियक कैथलैब लगाई जाएगी। इस व्यवस्था से इलाज के लिए ज्यादा समय तक इंतजार नहीं करना पड़ेगा और हार्ट अटैक जैसी गंभीर बीमारियों का तत्काल इलाज मिल पाएगा।

एम्स के उपसंचालक संदेश जैन ने नवभारत टाइम्स डॉट कॉम को बताया कि यह सुविधा कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के तहत प्रारंभ की जाएगी। नवंबर से रोगियों को इस सुविधा का लाभ मिलने की उम्मीद है। एम्स में आएगी ये 6 अत्याधुनिक मशीनें

बाई प्लेन कार्डियक कैथलैब
यह एक नई लैब है जो एक साथ दो अलग-अलग एंगल से एक्सरे वाली इमेज देती है। इस रिपोर्ट को देखकर डॉक्टर हार्ट और धमनियों का दो तरह का दृश्य देख सकता है। बच्चों में जन्मजात हृदय रोग जटिल ब्लॉकेज, वाल्व रिपेयर, ब्रेन स्ट्रोक जैसी बीमारियों के बारे में आसानी से जानकारी लग पाती है।

होल्टर मशीन
इस मशीन के द्वारा लगातार 24 से 48 घंटे तक हार्टबीट को रिकॉर्ड किया जाता है। इससे हार्ट की धड़कन में अनियमितता जैसी समस्याओं का पता चल जाता है। वर्तमान में इस जांच में मरीजों को दो महीने तक इंतजार करना पड़ता है।

आधुनिक ट्रेडमिल एक्सरसाइज मशीन
यह मशीन हार्ट और फेफड़ों की क्षमता की जांच करती है। जब किसी रोगी का हार्ट सर्जरी होती है तो उसकी रिकवरी का आकलन किया जाता है। अभी इस जांच के लिए करीब 3 से 4 महीने इंतजार करना पड़ता है।

ट्रांस ईसोफेगल इकोकार्डियोग्राफी मशीन
इस मशीन के द्वारा हृदय की 2D, 3D और 4D तस्वीर निकाल कर आती हैं। जन्मजात हृदय दोष, हार्ट वाल्व ऑपरेशन के लिए यह बेहद कारगर है।

ऑप्टिकल कोहरेंस टोमोग्राफी
इस तंत्र के द्वारा धमनियों का 3D दृश्य मिलता है। रक्त का प्रवाह को मापा जाता है। दवा देने के दौरान मरीज को इसका असर होगा या नहीं? इस जांच में आसानी होती है।

इंट्रावैस्कुलर अल्ट्रासाउंड तंत्र
इस तंत्र के द्वारा धमनियों के अंदर की बहुत ही हाई डेफिनेशन वाली फोटो मिल जाती है। इससे ब्लॉकेज का सही आकलन किया जा सकता है। इस मशीन के द्वारा डॉक्टर अनुमान लगाते हैं कि क्या स्टंट के द्वारा इलाज संभव है या दवा देने जरूरत है।

मरीजों की लंबी कतार
आपको बता दें कि वर्तमान में भोपाल एम्स में दो कैथलैब हैं। लेकिन यहां मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। कई बार हार्ट अटैक के पेशेंट को तुरंत इलाज नहीं मिल पाता। 22 करोड़ से मिलने वाली 6 मशीन से मरीज का इंतजार खत्म होगा।वर्तमान में एम्स भोपाल में हर दिन करीब 200 से 300 एंजियोग्राफी, एंजियोप्लास्टी और पेसमेकर जैसी इलाज होते हैं।

मशीनों की कमी के चलते मरीजों को इको और कैथलैब प्रोसीजर के लिए ढाई से तीन माह तक इंतजार करना पड़ता है। नई कैथ लैब और मशीनों के जुड़ने से वेटिंग टाइम लगभग आधा रह जाएगा। इसके साथ ही हमीदिया में भी नई कैथलेब शुरू होने दिल के रोगियों को काफी मदद मिलेगी

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