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हाईकोर्ट में अफसरों ने मांगी माफी, संस्कृत विद्यालयों के छात्रों के लिए विशेष परीक्षा का आदेश

जबलपुर 

 मध्य प्रदेश में अवमानना याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट में उपस्थित हुए महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान भोपाल के संचालक प्रभात राज तिवारी एवं असिस्टेंट डायरेक्टर रेशमा लाल ने पूर्व में पारित आदेश का पालन नहीं करने पर बिना शर्त माफी मांगी। उन्होंने हाईकोर्ट में अभिवचन दिया कि संस्कृत विद्यालयों के जो विद्यार्थी परीक्षा में शामिल होने से वंचित हुए हैं, उनके लिए विशेष परीक्षा का आयोजन करवाया जाएगा। छात्रों को परीक्षा के लिए आवेदन करने 7 दिन के लिए पोर्टल खोला जाएगा। जस्टिस विशाल मिश्रा की एकलपीठ ने दोनों अधिकारियों के अधिकारियों के बयान को रिकॉर्ड पर लेते हुए 45 दिन के भीतर प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दिये हैं।

पुष्पांजली संस्कृत विद्यालय सिंगरौली और अन्य की तरफ से दायर की गई। अवमानना याचिका में कहा गया था कि महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान भोपाल ने पूर्व में एक आदेश जारी कर यह शर्त रखी थी कि उनके संस्थान से संबद्ध जिन विद्यालयों के छात्रों ने माशिमं या सीबीएससी से नौवीं या ग्यारहवीं परीक्षा उत्तीर्ण की है, उन्हें दसवीं और बारहवीं में परीक्षा में शामिल नहीं किया जाएगा। जिसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। हाईकोर्ट ने उक्त आदेश को मनमाना मानते हुए निरस्त कर दिया था।

हाईकोर्ट द्वारा आदेश निरस्त किये जाने के बावजूद भी संस्थान ने याचिकाकर्ता विद्यालयों के करीब 22 सौ विद्यार्थियों को परीक्षा में शामिल नहीं किया। जिसके कारण उक्त अवमानना याचिका दायर की गई थी। अवमानना याचिका की सुनवाई करते हुए विगत 14 अगस्त को हाईकोर्ट ने उक्त अधिकारियों को नोटिस जारी कर पूछा था कि नियम स्थगित करने के बावजूद याचिकाकर्ता संस्कृत विद्यालयों के विद्यार्थियों को परीक्षा में शामिल क्यों नहीं किया गया। पिछली सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने महर्षि पतंजली संस्कृत संस्थान भोपाल के दोनों अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से तलब किया था। याचिकाकर्ता विद्यालयों की तरफ से अधिवक्ता एनएस रूपराह और मुस्कान आनंद ने पक्ष रखा।

 

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