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पायलट का मंच से संदेश– सोचकर बोलें, शब्द लौटते नहीं

जयपुर

राजधानी जयपुर में मंगलवार को एनएसयूआई द्वारा छात्रसंघ चुनाव की मांग को लेकर धरना-प्रदर्शन किया गया, जिसमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट ने भी शिरकत की। इस मौके पर उन्होंने छात्र राजनीति, संयम और भाषा की मर्यादा को लेकर युवाओं को महत्वपूर्ण संदेश दिया।

सचिन पायलट ने कहा कि जो शब्द मुंह से निकलते हैं, वे वापस नहीं आते। राजनीति में भाषा और व्यवहार का बहुत महत्व होता है और इसकी शुरुआत छात्र राजनीति से होती है। उन्होंने बिना किसी का नाम लिए स्पष्ट किया कि संयम, सौम्यता और सही शब्दों का चयन ही किसी नेता की असली ताकत होती है।

युवाओं को संबोधित करते हुए पायलट ने कहा कि आप में से ही कोई भविष्य में विधायक, मंत्री या मुख्यमंत्री बनेगा लेकिन उस पद की गरिमा आपकी भाषा, संयम और सोच से तय होती है। इसलिए छात्र राजनीति से ही यह सीख लेनी चाहिए कि क्या बोलना है, कैसे बोलना है।

उन्होंने कहा कि राजनीतिक जीवन में कई बार उकसावे की स्थिति आएगी, कई तरह के आरोप लगेंगे, लेकिन संयम नहीं छोड़ना है। जैसे अर्जुन को सिर्फ मछली की आंख दिखती थी, वैसे ही आपको भी सिर्फ लक्ष्य दिखना चाहिए।
पायलट ने कहा कि कोई भी आपकी सहनशीलता, मधुर भाषा और संयम को आपकी कमजोरी न समझे। ताकत क्या है, यह जनता अच्छी तरह जानती है।

हालांकि पायलट ने अपने बयान में किसी का नाम नहीं लिया लेकिन उनके यह शब्द पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बयान की ओर इशारा करते हैं। गौरतलब है कि कुछ दिन पहले बीकानेर दौरे पर अशोक गहलोत ने कहा था कि पार्टी में कोई मतभेद नहीं हैं और अगर कोई मतभेद की बात करता है तो वह मीडिया है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि मानेसर प्रकरण को भुलाकर आगे बढ़ना चाहिए। इस बयान पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने तंज कसते हुए कहा था कि गहलोत तो भूल सकते हैं, लेकिन क्या सचिन पायलट भूल पाएंगे कि उन्हें नकारा और निकम्मा कहा गया था?

अब सचिन पायलट का यह संयमित लेकिन स्पष्ट संदेश न सिर्फ कांग्रेस के भीतर की स्थिति को दर्शाता है बल्कि यह भी बताता है कि वे अपनी राजनीतिक सोच और सार्वजनिक व्यवहार को किस स्तर पर लेकर चल रहे हैं। इन बयानों के बाद लगता है कि आने वाले दिनों में राजस्थान कांग्रेस की राजनीति में और भी दिलचस्प मोड़ देखने को मिल सकते हैं।

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