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रिलायंस का मिडिल ईस्ट मोड़: रूस प्रतिबंधों के बाद नए साझेदार बने ये देश

वाशिंगटन 
अमेरिका द्वारा दो प्रमुख रूसी तेल उत्पादकों पर प्रतिबंध लगाने के बाद रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) ने मिडिल ईस्ट और अमेरिका से लाखों बैरल कच्चा तेल खरीद लिया है। ईटी की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि रिलायंस ने सऊदी अरब के खफजी, इराक के बसरा मीडियम, कतर के अल-शाहीन जैसे कई ग्रेड के कच्चे तेल के साथ-साथ अमेरिकी वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (डब्ल्यूटीआई) कच्चे तेल की खरीदारी की है। ये माल दिसंबर या जनवरी में पहुंचने की उम्मीद है।

रिलायंस इस साल मात्रा के हिसाब से भारत का सबसे बड़ा रूसी तेल आयातक रहा है। कंपनी ब्लैक लिस्ट में शामिल रोसनेफ्ट पीजेएससी के साथ लॉन्ग-टर्म कॉन्ट्रैक्ट के जरिए कच्चा तेल ले रही है। व्यापारियों के अनुसार, हालांकि रिलायंस सामान्यतः मध्य पूर्वी ग्रेड के कच्चे तेल की खरीदारी करता है, लेकिन हाल की ये डीलें जिनमें अमेरिकी प्रतिबंधों से ठीक पहले इस हफ्ते की शुरुआत में हुईं कुछ लेन-देन भी शामिल हैं, सामान्य से कहीं अधिक सक्रिय रहीं।

इस महीने 1 करोड़ बैरल से ज्यादा खरीदा तेल
कुल मिलाकर, रिलायंस ने इस महीने हाजिर बाजार से कम से कम 1 करोड़ बैरल तेल खरीदा है, जिसमें मिडिल ईस्ट का तेल सबसे अधिक है। ज्यादातर खरीदारी अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद हुई। कंपनी की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। व्यापारियों ने बताया कि अन्य भारतीय रिफाइनर भी बाजार में सक्रिय हैं और मिडिल ईस्ट, अमेरिका तथा ब्राजील से खरीदारी कर रहे हैं। गुरुवार को ओमान जैसे ग्रेड के तेल की कीमतों में मजबूती देखी गई।

रूसी तेल आयात पर पड़ा असर
खास बात यह है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाड़ी देशों का कच्चा तेल ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतों में 5% से ज्यादा का इजाफा हो चुका है। रोसनेफ्ट और लुकोइल पीजेएससी पर प्रतिबंध लगने के बाद, रोसनेफ्ट समर्थित नायरा एनर्जी लिमिटेड को छोड़कर, प्रमुख भारतीय रिफाइनर्स को रूसी तेल का प्रवाह तेजी से गिरने की उम्मीद है। कुछ चीनी कंपनियां भी अमेरिकी प्रतिबंधों के प्रभाव का आकलन कर रही हैं और खरीदारी रोक चुकी हैं।
 
4 दिनों में ब्रेंट कीमतों में 8% उछाल
20 अक्टूबर के बाद से खाड़ी देशों के कच्चे तेल की कीमतों में करीब 8% का इजाफा हो चुका है। आंकड़ों के मुताबिक, 20 अक्टूबर को ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतें 61.01 डॉलर प्रति बैरल पर थीं, जो बढ़कर 66 डॉलर प्रति बैरल के आसपास पहुंच गई हैं। इसका मतलब है कि मात्र 4 दिनों में ब्रेंट ऑयल की कीमतों में करीब 6 डॉलर प्रति बैरल का इजाफा हुआ है। इसका प्रमुख कारण दुनिया के बड़े आयातकों द्वारा खाड़ी देशों के कच्चे तेल की बढ़ती मांग है। यह घटनाक्रम वैश्विक तेल बाजार में भू-राजनीतिक तनाव को और गहरा रहा है, जिससे भारतीय रिफाइनर्स को वैकल्पिक स्रोतों पर निर्भरता बढ़ रही है। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले महीनों में कीमतों पर दबाव बने रह सकता है।

 

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