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गोविंदपुरा में पोषण माह का भव्य आयोजन, पुरुष बने पोषण चैंपियन

गोविंदपुरा में धूमधाम से मना पोषण माह, पुरुष बने पोषण चैंपियन अन्नप्राशन, जन्मदिन का जश्न और क्विज़ प्रतियोगिता ने बढ़ाया उत्साह भोपाल गोविंदपुरा परियोजना के इंद्रपुरी सेक्टर के आंगनबाड़ी केंद्र क्रमांक 549 में सोमवार को 8वें पोषण माह की गतिविधियों का रंगारंग आयोजन किया गया। इस मौके पर कार्यक्रम की थीम रही – “बच्चों की पोषण देखभाल करने वाले पुरुषों को पोषण चैंपियन से सम्मानित करना और उनकी कहानियां साझा करना।” कार्यक्रम का शुभारंभ परियोजना अधिकारी श्रीमती शुभा श्रीवास्तव ने दीप प्रज्वलन और सरस्वती पूजन से किया। इसके बाद माहौल और भी जीवंत हुआ जब सामाजिक संस्थाओं से जुड़ीं श्रीमती किरण शर्मा (सकारात्मक सोच संस्था), श्रीमती रेणु (आरंभ संस्था) और श्रीमती रेखा श्रीधर (मीत संस्था) ने मंच से महिलाओं और पुरुषों को संबोधित किया। उन्होंने परिवार और समाज में पोषण संबंधी जागरूकता पर जोर देते हुए कहा कि “पोषण केवल महिलाओं की जिम्मेदारी नहीं, पुरुष भी इसमें सक्रिय भूमिका निभाएं।” सेक्टर सुपरवाइजर श्रीमती अनामिका पटेल ने उपस्थित लोगों को पोषण माह की रूपरेखा और उद्देश्य समझाए। वहीं श्रीमती नीति सक्सेना ने पुरुष प्रतिभागियों के लिए क्विज़ प्रतियोगिता का आयोजन किया। सवालों के जवाब देने में पुरुषों का उत्साह देखते ही बनता था। थीम के अनुरूप कार्यक्रम में अन्नप्राशन और जन्मदिन समारोह भी रखा गया। खास बात यह रही कि बच्चों के जन्मदिन का केक टीएचआर (टेक होम राशन) से तैयार किया गया था, जिसे काटकर पूरे उल्लास के साथ बच्चों का जन्मदिन मनाया गया। इसके अलावा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने पोषण व्यंजन प्रदर्शनी भी सजाई। प्रतिभागियों ने इन पौष्टिक व्यंजनों का स्वाद लिया और उनकी महत्ता समझी। अंत में सभी अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत स्वल्पाहार के साथ किया गया। पूरे कार्यक्रम में माहौल उत्साह और जागरूकता से सराबोर रहा।

संकट में आंगनवाड़ी सेवाएं: कर्मियों की कमी से बच्चों का भविष्य अधर में

चंडीगढ़ हरियाणा के गांवों में आंगनवाड़ी केंद्र बच्चों और माताओं के लिए पोषण और शिक्षा का अहम केंद्र होते हैं। लेकिन राज्य के हजारों आंगनवाड़ी केंद्रों में कार्यकर्ता ‘दीदी’ महीनों से नदारद हैं। कहीं एक कार्यकर्ता को दो-दो केंद्र देखने पड़ रहे हैं, तो कई जगह सहायिका अकेले ही बच्चों की देखभाल कर रहीं हैं। इसका सीधा असर केंद्रों पर मिलने वाली सेवाओं की गुणवत्ता और बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। प्रदेश में कुल 25,962 आंगनवाड़ी केंद्र हैं। इन पर कार्यरत 25,962 कार्यकर्ता और 25,450 सहायिकाओं में से 23,106 कार्यकर्ता और 20,641 सहायिकाओं के पद भरे हैं। इसका मतलब है कि 2,856 कार्यकर्ता और करीब 4,800 सहायिकाएं लंबे समय से रिक्त हैं। जिलावार स्थिति देखें तो सबसे गंभीर हाल सोनीपत का है, जहां 252 कार्यकर्ता और 378 सहायिका पद खाली हैं। झज्जर, जींद, करनाल और नूंह में भी बड़ी संख्या में रिक्तियां हैं। हिसार में 146 कार्यकर्ता और 287 सहायिकाओं के पद खाली हैं, जबकि रेवाड़ी और सिरसा में 250 से ज्यादा सहायिका पद रिक्त हैं। सात जिले सोनीपत, झज्जर, जींद, हिसार, करनाल, नूंह और रेवाड़ी में ही आधे से अधिक रिक्तियां केंद्रित हैं। इसके उलट पंचकूला और चरखी दादरी जैसे छोटे जिलों में रिक्तियां अपेक्षाकृत कम हैं। चरखी दादरी में 65 कार्यकर्ता और 109 सहायिका, जबकि पंचकूला में 61 कार्यकर्ता और 111 सहायिका पद रिक्त हैं।   आंकड़े एक नजर 25962 हरियाणा में कुल हैं आंगनवाड़ी केंद्र कार्यकर्ता और 4,800 सहायिका के पद खाली सोनीपत, झज्जर, जींद, हिसार, करनाल, नूंह, रेवाड़ी हैं ज्यादा प्रभावित सरकार की दोहरी रणनीति महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रुति चौधरी ने बताया कि इन रिक्तियों को भरने के लिए दोहरी रणनीति बनाई गई है। पहले, आंगनवाड़ी सहायिकाओं को कार्यकर्ता पद पर प्रमोशन दिया जाएगा। अब तक 25 प्रतिशत प्रमोशन कोटा था, जिसे बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया गया है। इसके बाद शेष रिक्त पदों पर सीधी भर्ती की जाएगी। सरकार का दावा है कि यह कदम रिक्तियां भरने के साथ-साथ लंबे समय से काम कर रही सहायिकाओं को प्रोत्साहन भी देगा। विपक्ष हमलावर- गुणवत्ता पर असर विशेषज्ञों का कहना है कि रिक्तियों के कारण कई कार्यकर्ता तीन-तीन केंद्र संभालने को मजबूर हैं। इससे बच्चों को समय नहीं मिल पाता और पोषण कार्यक्रम भी प्रभावित होते हैं। पूर्व मंत्री और झज्जर विधायक गीता भुक्कल ने सरकार पर निशाना साधा है और कहा कि सरकार बार-बार वादे करती है, लेकिन जमीनी स्तर पर भर्ती की गति बेहद धीमी है। वर्षों से पद खाली हैं और महिलाएं व बच्चे बुनियादी सेवाओं से वंचित हैं।

आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका के पदों की पूर्ति के लिये जारी की गई ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया को अभूतपूर्व प्रतिक्रिया मिल रही

भोपाल महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं आंगनवाड़ी सहायिका के रिक्त पदों की पूर्ति के लिये जारी की गई ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया को अभूतपूर्व प्रतिक्रिया मिल रही है। विभाग द्वारा 19 जून को जारी विज्ञापन के तहत कुल 19,504 पदों पर भर्ती प्रक्रिया चल रही है, जिसमें अब तक 2,70,152 आवेदन प्राप्त हो चुके हैं। भर्ती प्रक्रिया में दस संभागों से आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के लिए 55,730 और आंगनवाड़ी सहायिका के लिए 2,14,422 आवेदन प्राप्त हुए हैं। आवेदन प्रक्रिया की अंतिम तिथि 4 जुलाई निर्धारित की गई है, जबकि भरे गए आवेदन में सुधार की अंतिम तिथि 7 जुलाई है। उल्लेखनीय है कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका के कुल 19 हज़ार 504 पदों की पूर्ति के लिए इंदौर संभाग से सबसे अधिक 47 हज़ार 116 आवेदन प्राप्त हुए हैं जिन में 38 हज़ार 601 सहायिका के पद और 8 हज़ार 515 आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के पद के लिए आवेदन प्राप्त हुए है। जबलपुर संभाग से कुल 44 हजार 258 आवेदन में से 34 हजार 317 सहायिका के और 9 हजार 941 आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के आवेदन प्राप्त हुए है। सागर संभाग से 33 हज़ार 513 में से सहायिकाओं के पद के लिए 27 हज़ार 857 और कार्यकर्ता के लिए 5 हज़ार 656 आवेदन आए है। भोपाल में कुल 28 हज़ार 850 आवेदन प्राप्त हुए है। इनमें सहायिका के पद के लिए 22 हजार 397 और कार्यकर्ता के लिए 6 हज़ार 453 आवेदन प्राप्त हुए है। इसी प्रकार रीवा से 28 हज़ार 519 कुल आवेदन प्राप्त हुए है, जिनमें 23 हज़ार 831 आवेदन सहायिका के और 4 हज़ार 688 आवेदन कार्यकर्ता के लिए प्राप्त हुए है। ग्वालियर संभाग के 28 हज़ार 413 आवेदनों में सहायिका के 22 हज़ार 73 और कार्यकर्ताओं के 6 हज़ार 340 आवेदन प्राप्त हुए है। उज्जैन संभाग से कुल 24 हजार 159 आवेदनों में से सहायिका के 18 हज़ार 711 और कार्यकर्ता के 5 हज़ार 448, चम्बल संभाग के कुल 14 हज़ार 829 आवेदनों में 12 हज़ार 343 सहायिका के और 2 हज़ार 486 आवेदन कार्यकर्ता के पद के लिए प्राप्त हुए है। इसके अतिरिक्त शहडोल संभाग से कुल 10 हज़ार 406 आवेदन प्राप्त हुए है, जिनमें 7 हज़ार 291 सहायिका और 3 हजार 115 कार्यकर्ता के पद के लिए प्राप्त हुए है। नर्मदापुरम से सहायिका के पद के लिए 7,001 और कार्यकर्ता के लिए 3088 कुल 10 हज़ार 89 आवेदन प्राप्त हुए है।