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खुशखबरी: पंजाब सरकार ने ‘कोटा’ किया दोगुना, लाखों लोगों को मिलेगा सीधा लाभ

चंडीगढ़ पंजाब सरकार ने खिलाड़ियों को दी जाने वाली डाइट मनी का कोटा दोगुना करने का अहम फैसला लिया है। इस फैसले के बाद, खिलाड़ियों को अब 240 रुपये की बजाय 480 रुपये मिलेंगे। राज्य सरकार लगभग छह साल के अंतराल के बाद खिलाड़ियों की डाइट मनी में बढ़ोतरी कर रही है। इस फैसले के बारे में बताते हुए वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि पिछली सरकारों ने खिलाड़ियों को दी जाने वाली सुविधाओं और डाइट मनी को लेकर कभी गंभीरता नहीं दिखाई। उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों ने डाइट मनी में केवल 48 रुपये की बढ़ोतरी की थी। मंत्री चीमा ने स्पष्ट किया कि मौजूदा फैसला डाइट से जुड़े विशेषज्ञों से चर्चा के बाद लिया गया है। जरूरत के हिसाब से डाइट चार्ट तैयार किया जाएगा सरकार के इस कदम के तहत, पंजाब सरकार लगभग 13 खेल विंगों में खिलाड़ियों की डाइट के लिए ठेकेदारों की नियुक्ति कर रही है। खिलाड़ी की जरूरतों और वह किस खेल में कितनी मेहनत करता है, इसके आधार पर डाइट चार्ट प्लान तैयार किया जा रहा है। इस डाइट में प्रोटीन समेत खिलाड़ी की जरूरत की हर चीज शामिल होगी। इस बढ़ोतरी की मांग हाल ही में सरकार द्वारा कराए गए एक सर्वेक्षण में सामने आई थी, जिसमें कहा गया था कि महंगाई के इस दौर में खिलाड़ियों को 240 रुपये में पर्याप्त और प्रचुर चीजें नहीं मिल रही हैं। 

पंजाब में बाढ़ राहत पर दोबारा मंथन, चीफ सेक्रेटरी की मीटिंग जारी; केंद्र से मांगे 1600 करोड़

चंडीगढ़  पंजाब में बाढ़ से कितना नुकसान हुआ है, इसके लिए अब सरकार नए सिरे से स्टडी कर मेमोरेंडम तैयार कर रही है। इसको लेकर पंजाब के चीफ सेक्रेटरी के.ए.पी. सिन्हा आज (8 अक्टूबर) के.आई.पी. सिंह और विभिन्न विभागों के अधिकारियों से मीटिंग कर रहे हैं।  जल्दी ही इसे केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजा जाएगा। सिंचाई मंत्री वरिंदर कुमार गोयल का कहना है कि प्रधानमंत्री खुद हेलिकॉप्टर से स्थिति का जायजा ले चुके हैं। उनका कहना है कि 1,600 करोड़ की बात बीच में रह गई है। पहले टोकन मनी तो भेज दें। पंजाब को इस समय मदद की जरूरत है। 1987 के बाद आई भीषण बाढ़ पंजाब में 1987 के बाद पहली बार भीषण बाढ़ आई है। इस वजह से राज्य के 23 जिलों में नुकसान हुआ है। सरकार का अनुमान है कि 20,000 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हुआ है। स्कूल, कॉलेजों से लेकर लोगों के घर तक बह गए हैं। 60 के करीब लोगों की मौत हो चुकी है। बाढ़ प्रभावितों के लिए पंजाब सरकार ने दिवाली तक मुआवजा देने का ऐलान तक किया है। वहीं, राज्य में बाढ़ से हुए नुकसान का जायजा खुद प्रधानमंत्री ले चुके हैं। उन्होंने 10 सितंबर को पंजाब का दौरा किया था। वह बाढ़ प्रभावितों से मिले थे। इस दौरान उन्होंने फौरी मदद के रूप में 1,600 करोड़ रुपए का ऐलान किया था, जबकि कहा था कि एसडीआरएफ के 13,000 करोड़ रुपए पंजाब के पास हैं। जिसको लेकर पंजाब की राजनीति गरमा गई है। केंद्र सरकार के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया गया है। ​​​​दिल्ली में गृहमंत्री से मिले थे पंजाब के सीएम भगवंत मान ने 30 सितंबर को गृहमंत्री अमित शाह से दिल्ली में मुलाकात की थी। करीब 25 मिनट की मीटिंग चली थी। इस दौरान उन्होंने पंजाब में हुए नुकसान के बारे में बताया था। साथ ही पंजाब की मदद करने के लिए कहा था। सीएम ने मीडिया से कहा था कि गृहमंत्री ने विश्वास दिलाया है कि पंजाब को हर संभव मदद दी जाएगी।

भगवंत सिंह मान ने आनंदपुर साहिब में किया दौरा, जनता के लिए घोषणा किए बड़े लाभ

आनंदपुर साहिब  पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने आज श्री आनंदपुर साहिब का दौरा किया, जहां मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पंजाब के लोगों को एक बड़ा तोहफा देते हुए 25 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली हेरिटेज स्ट्रीट का शिलान्यास किया। इससे गुरु नगरी की अलौकिक सुंदरता और निखरेगी। आपको बता दें कि हेरिटेज स्ट्रीट का शिलान्यास करने से पहले मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने तख्त श्री केसगढ़ साहिब में माथा टेका और सभी के कल्याण के लिए प्रार्थना की।  अपने संबोधन के दौरान सी.एम. भगवंत मान ने कहा कि यह हेरिटेज रोड 55 साल बाद बन रही है। आनंदपुर साहिब को व्हाइट नगरी के रूप में जाना जाता है। उन्होंने कहा कि इसमें सफेद संगमरमर का इस्तेमाल किया जाएगा और 6 द्वार बनाए जाएंगे, जो पुरानी विरासत से जुड़े होंगे। यह एक ऐतिहासिक बात होगी। उन्होंने कहा कि  इस सेवा को पाकर खुद को बहुत भाग्यशाली मानते हैं। यहां होला-मोहल्ला समेत कई ऐतिहासिक मेले लगते हैं। बाढ़ का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि बेशक, पंजाब को बाढ़ से बहुत नुकसान हुआ है, लेकिन पंजाब संकटों से उबरकर संकटों को छोटा कर देता है। पंजाबियों का जज्बा, पंजाबियों के इरादे संकटों को छोटा कर देते हैं।

पंजाब में अफसरों और कर्मचारियों को CM Mann की दो टूक – लापरवाही नहीं चलेगी

चंडीगढ़/जालंधर  पिछले तीन वर्षों के दौरान किसानों को अपनी फसल बेचने में किसी भी प्रकार की समस्या का सामना नहीं करने का दावा करते हुए, मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने कहा कि पिछले वर्षों की तरह, इस वर्ष भी राज्य सरकार पंजाब में सुचारू और समयबद्ध खरीद का इतिहास दोहराएगी। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि किसी भी किसान को कोई समस्या आती है, तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।  यहां एक बैठक के दौरान राज्य में चल रहे खरीद कार्यों की समीक्षा करते हुए, मुख्यमंत्री ने कहा कि एक ओर राज्य सरकार धान की सुचारू और शीघ्र खरीद सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है, वहीं दूसरी ओर किसानों को समय पर भुगतान किया जा रहा है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि राज्य के किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए मंडियों में किसी भी प्रकार की समस्या का सामना नहीं करना चाहिए। धान की खरीद 15 सितंबर से शुरू है और 175 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद के लिए पहले ही व्यापक व्यवस्था की जा चुकी है। धान की सुचारू और निर्बाध खरीद की वकालत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाबी किसानों की कड़ी मेहनत से अर्जित फसल का दाना-दाना खरीदा जाएगा। उन्होंने राज्य की खरीद एजेंसियों को चालू सीजन में धान की खरीद के लिए पूरी तरह तैयार रहने के निर्देश दिए। पंजाब मंडी बोर्ड ने खरीफ खरीद सीजन 2025-26 में धान की खरीद के लिए 1822 रैगुलर खऱीद केंद्र नोटिफाई किए हैं। सभी नोटिफाइड मंडियों को खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामले विभाग, पंजाब को आवंटित कर दिया गया है। उन्होंने किसानों से फसल को पूरी तरह से सुखाकर मंडियों में लाने की भी अपील की। धान की खरीद के लिए राज्य सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता दोहराते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से पूरी खरीद प्रक्रिया की निगरानी करेंगे ताकि किसानों को किसी भी परेशानी का सामना न करना पड़े। पंजाब में फसल खरीद प्रक्रिया को पारदर्शी और सुचारू बनाने के लिए सरकार ने कई अनुकरणीय पहल की हैं। 

प्रदेश में रीवाइल्डिंग से संतुलित होगी वाइल्डलाइफ इकोलॉजी

मुख्यमंत्री डॉ. यादव की पहल बनेगी अन्य राज्यों के लिये वन संरक्षण का मॉडल भोपाल मध्यप्रदेश में स्वैम्प डियर (बारहसिंगा) सहित कई प्रजातियों के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए पुनर्वास एवं पुनर्प्रवेश कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। वैज्ञानिक पद्धति से इन प्रजातियों को उनके प्राकृतिक आवास में पुनः स्थापित करने का प्रयास हो रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा इन प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिये 'रीवाइल्डिंग'की अभिनव पहल की गई है। रीवाइल्डिंग का उद्देश्य वाइल्डलाइफ इकोलॉजी को संतुलित कर लुप्त होती प्रजातियों को पुनर्जीवित करना, संकटग्रस्त प्रजातियों का संरक्षण करना और जैव विविधता को बढ़ावा देना है। प्रदेश में की गई यह पहल अन्य राज्यों के लिए वन संरक्षण का मॉडल बनेगी। रीवाइल्डिंग का अर्थ है प्रकृति को उसकी मूल अवस्था में लौटाना। इसके लिये जंगलों में उन प्रजातियों को पुनः बसाया जाता है, जिनके बिना पारिस्थितिकी तंत्र अधूरा है। इसमें शिकारी प्रजातियों और शिकार प्रजातियों को शामिल किया जाता है। माना जाता है कि इन प्रजातियों के बिना जंगल का आहार-संतुलन बिगड़ता है और नेचुरल लाइफ साइकिल टूट जाती है। ‘टाइगर स्टेट’ कहलाने वाला मध्यप्रदेश जैव विविधता से समृद्ध है। इसके बावजूद कई प्रजातियाँ विलुप्ति की कगार पर हैं। प्रदेश के वनों में स्वैम्प डियर (बारहसिंगा) की संख्या लगातार घट रही है। साथ ही बाघ और तेंदुए का संतुलन भी प्रभावित हुआ है। विलुप्त होती प्रजातियों को समय रहते पुनर्स्थापित कर जंगलों के साथ प्राकृतिक संतुलन को बनाये रखा जा सकता है। वन विभाग ने रीवाइल्डिंग को चरणबद्ध तरीके से लागू करने की योजना बनाई है। स्वैम्प डियर और अन्य प्रजातियों को पुनः प्राकृतिक आवास में बसाया जाएगा। केवल किसी एक जानवर पर नहीं, बल्कि पूरे जंगल में घास-भूमि और नदी के परिदृश्य पर ध्यान देकर जानवरों को बसाया जाएगा। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA), वन अनुसंधान संस्थान और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञ भी रीवाइल्डिंग के इस मिशन में सहयोग कर रहे हैं। जनजातीय और ग्रामीण समुदायों को भी इस कार्यक्रम से जोड़ा जा रहा है, जिससे उन्हें वन्यजीव पर्यटन के साथ ही आजीविका के नए अवसर मिल सकें। वन्यजीव वैज्ञानिकों का कहना है कि रीवाइल्डिंग केवल जानवरों को बचाने का कार्यक्रम नहीं है। यह जलवायु परिवर्तन से निपटने का सशक्त उपाय भीहै, क्योंकि जंगल कार्बन भंडारण बढ़ाने और कार्बन फुटप्रिंट कम करने में मदद करते हैं। इससे जंगलों के साथ ही जल एवं मृदा संरक्षणभी होता है, क्योंकि इकोलॉजी के संतुलन से प्राकृतिक संसाधन भी सुरक्षित रहते हैं। रीवाइल्डिंग वन्य पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्थाको सशक्त बनाने का भी माध्यम है। इससे जंगल में बिना मानवीय हस्तक्षेप के प्राकृतिक चक्र सक्रिय बना रहेगा। राज्य सरकार की यह पहल राष्ट्रीय स्तर पर भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। अब तक वन संरक्षण की नीतियाँ एक प्रजाति तक सीमित रहती थीं, किंतु रीवाइल्डिंग का फोकस पूरी तरह वाइल्डलाइफ इकोलॉजी पर है। यह प्रक्रिया देश के अन्य राज्यों में भी इकोलॉजी संतुलन के लिए मॉडल बन सकती है। प्रदेश में रीवाइल्डिंग का प्रयास इस बात का संकेत है कि सरकार और समाज के प्रयास अब वन और वन्यजीव संरक्षण से आगे जा कर प्रकृति को उसकी मूल अवस्था में लौटाने की ओर अग्रसर हैं। इस पहल से मध्यप्रदेश वन्य जीवन संरक्षण में अग्रणी राज्य बनेगा।