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डोनाल्ड ट्रंप का बड़ा कदम: यूक्रेन को लेकर बदल रही नीति, रूस से रिश्तों पर नया मोड़

वाशिंगटन  ऐसा लगता है कि यूक्रेन को लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का नजरिया काफी बदल गया है। पहली नजर में तो ऐसा लगता है कि उन्होंने पूरी तरह से इस आशावादी रुख को अपना लिया है कि कीव ‘‘पूरे यूक्रेन को उसके मूल स्वरूप में वापस लाने के लिए लड़ने और जीतने की स्थिति में है’’। इसके साथ यह संदेश भी आया कि इसे साकार करने के लिए यूरोपीय देशों को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। ट्रंप के अनुसार यूक्रेन की जीत “समय, धैर्य और यूरोप तथा विशेष रूप से उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के वित्तीय समर्थन” पर निर्भर करती है। अमेरिका की एकमात्र प्रतिबद्धता ‘‘नाटो को हथियार उपलब्ध कराना है ताकि नाटो उनके साथ जो चाहे कर सके।’’ सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ट्रंप ने ‘ट्रुथ सोशल’ पर अपने संदेश के अंत में लिखा, ‘‘सभी को शुभकामनाएं!’’ यह शायद अब तक का सबसे स्पष्ट संकेत है कि अमेरिकी राष्ट्रपति शांति समझौते के अपने प्रयासों से पीछे हट रहे हैं। इससे यह भी पता चलता है कि उन्होंने रूस के अपने समकक्ष व्लादिमीर पुतिन के साथ एक अलग समझौते का विचार छोड़ दिया है। लेकिन यहीं पर अच्छी खबर समाप्त हो जाती है और यहीं पर यूरोपीय नेतृत्व वाले गठबंधन को इस महाद्वीप को और अधिक अस्थिर वातावरण में सुरक्षा और स्थिरता प्रदान करने की आवश्यकता होगी। नाटो हवाई क्षेत्र में रूसी घुसपैठ के कई सप्ताह बाद, ड्रोनों ने – जिनके रूस से जुड़े होने की अत्यधिक संभावना है – कोपेनहेगन हवाई अड्डे के आसपास के क्षेत्र में दो बार डेनमार्क के हवाई क्षेत्र को बाधित किया। ऐसा लगा जैसे कि यह यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की द्वारा 24 सितंबर को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिए गए उनके भाषण में की गई भविष्यवाणी का पूर्वाभास था। पुतिन की लगातार उकसावे वाली गतिविधियां कीव के यूरोपीय सहयोगियों के लिए एक खुली चुनौती हैं। इस गठबंधन के केंद्र में, यूरोपीय संघ ने निश्चित रूप से यह प्रदर्शित किया है कि वह इस चुनौती का सामना करने के लिए अपनी वाक्पटुता दिखाने को तैयार है। ब्रसेल्स में यूरोपीय संघ के संस्थानों ने अपने दृढ़ संकल्प के बारे में कभी कोई संदेह नहीं छोड़ा है कि यूक्रेन के खिलाफ रूस के आक्रामक युद्ध को ‘‘यूक्रेन के लिए एक न्यायसंगत और स्थायी शांति के साथ समाप्त करने की आवश्यकता है’’। यूरोपीय संघ आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने हाल में अपने संबोधन में इसका जिक्र किया था। सबसे पहले, इच्छुक देशों का गठबंधन एक सुसंगत निकाय नहीं है। इसके सदस्यों में नाटो और यूरोपीय संघ के सदस्य, साथ ही ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, जापान और दक्षिण कोरिया शामिल हैं। लेकिन अमेरिका इसमें शामिल नहीं है। फरवरी में आठ देशों, यूरोपीय संघ और नाटो से बढ़कर, अप्रैल में 33 और सितंबर में 39 सदस्य हो गए। कीव को सैन्य उपकरणों से सहायता देने वाले 57 सदस्यीय यूक्रेन रक्षा संपर्क समूह, जिसकी 30वीं बैठक सितंबर की शुरुआत में हुई थी, के साथ इसका संबंध पूरी तरह स्पष्ट नहीं है। यह भी पूरी तरह साफ नहीं है कि यूरोपीय संघ और नाटो के नेता अपने संगठन के सभी सदस्यों की ओर से बोल रहे हैं या नहीं। उदाहरण के लिए यूरोपीय संघ और नाटो के सदस्यों में हंगरी और स्लोवाकिया ने रूस के विरुद्ध यूरोप की रक्षा के मामले में अस्पष्ट रुख अपनाया है। नाटो के यूरोपीय सदस्य अमेरिका के इस कदम से बेहद चिंतित हैं और यह चिंता गलत भी नहीं है कि अमेरिका ने नाटो को छोड़ दिया है। यूरोप को अपना धन बढ़ाने, अपनी सैन्य शक्ति विकसित करने तथा निर्णय लेने की ऐसी व्यवस्था बनाने की आवश्यकता है जो टालमटोल में न फंसी हो, ताकि वह उस छद्म युद्ध को जीत सके जिसे क्रेमलिन ने यूक्रेन और उसके सहयोगियों पर थोपा है। ऐसा करने से यह सुनिश्चित हो जायेगा कि यूरोपीय देश रूस को यूक्रेन के विरुद्ध युद्ध को पश्चिम के साथ पूर्ण सैन्य टकराव में बदलने से रोकने में बेहतर स्थिति में हैं।  

डोनाल्ड ट्रंप की उम्मीदों पर पानी: नोबेल शांति कमेटी ने किया खारिज

ओस्लो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कई बार कह चुके हैं कि उन्होंने 7 युद्ध रुकवाए हैं और इसके लिए तो उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार मिलना चाहिए। उनके इन बयानों से अनुमान लगाया जाता है कि वे नोबेल पुरस्कार के लिए आतुर दिख रहे हैं, लेकिन नोबेल कमेटी पर इसका कोई असर नहीं लगता। नॉर्वे की नोबेल कमेटी का कहना है कि हम पर किसी तरह का दबाव नहीं चलता है। हम पूरी स्वायत्तता और स्वतंत्रता के साथ फैसले लेते हैं। जनवरी में अमेरिका की सत्ता फिर से संभालने वाले डोनाल्ड ट्रंप कई बार कह चुके हैं कि वह नोबेल शांति पुरस्कार के हकदार हैं। वह बराक ओबामा का भी जिक्र कर चुके हैं कि उन्हें तो यह सम्मान बहुत जल्दी मिल गया था। उनका कहना है कि वह 6 से 7 जंग रुकवा चुके हैं और वह नोबेल शांति पुरस्कार के हकदार हैं। यही नहीं उनका कहना है कि मैं रूस और यूक्रेन के अलावा इजरायल और हमास के बीच की जंग भी रुकवाने के लिए तत्पर हूं। एएफपी को दिए इंटरव्यू में नोबेल कमेटी के सचिव क्रिस्टियन बर्ग हार्पविकेन ने कहा, 'यह सही है कि किसी खास कैंडिडेट को लेकर मीडिया में काफी चर्चा है। लेकिन यह भी सच है कि इससे हमारे फैसले पर कोई असर नहीं पड़ता। हम अपने मानकों के अनुसार ही निर्णय लेते हैं। इसमें कोई बाहरी फैक्टर काम नहीं करता और ना ही किसी तरह का प्रेशर चलता है।' 10 अक्टूबर को होने वाला है नोबेल पुरस्कार का ऐलान इस साल के नोबेल पुरस्कारों का ऐलान 10 अक्तूबर को होने वाला है। डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि उनके नाम की सिफारिश बेंजामिन नेतन्याहू और अजरबैजान के इलहाम अलियेव ने भी की है। इसके अलावा पाकिस्तान के फील्ड मार्शल आसिम मुनीर ने भी कहा था कि डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल पुरस्कार मिलना चाहिए। हालांकि डोनाल्ड ट्रंप को इस बार यह पुरस्कार मिलने की संभावना बहुत कम है। 31 जनवरी ही थी नोबेल पुरस्कार के नामांकन की आखिरी तारीख इसकी वजह यह है कि नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकन की आखिरी तारीख 31 जनवरी ही थी, जबकि उससे ठीक 11 दिन पहले ही डोनाल्ड ट्रंप ने पद संभाला था। ऐसे में माना जा रहा है कि यदि डोनाल्ड ट्रंप के नाम पर विचार भी होगा तो वह अगले साल होगा। इस बार उनके नाम के ऐलान की कोई संभावना नहीं है। जुलाई में ही नेतन्याहू ने कहा था कि उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप का नाम आगे बढ़ाया है। इसके लिए उन्होंने नॉर्वे की नोबेल समिति को लेटर भी भेजा था।  

ट्रंप की सख्त टिप्पणी: यूरोप और चीन को रूस के तेल पर निर्भरता कम करने को कहा

वॉशिंगटन  यूक्रेन के साथ पिछले कई सालों से जारी युद्ध को रुकवाने के लिए अमेरिका ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए हुए हैं। इसके बावजूद यूरोप ने रूस से तेल खरीदना बंद नहीं किया है। इससे नाराज अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को दुनियाभर के नेताओं के साथ एक बैठक में साफ-साफ कह दिया कि यूरोप को रूस से तेल खरीदना बंद करना चाहिए। इसके अलावा, यूक्रेन के साथ युद्ध खत्म करने के लिए चीन पर भी आर्थिक दबाव डालना चाहिए। उल्लेखनीय है कि ट्रंप ने भारत पर रूस से तेल आयात करने को लेकर 25 फीसदी अतिरिक्त (कुल 50%) टैरिफ लगाया हुआ है, जबकि दूसरी ओर यूरोप को कोई सजा नहीं दी है। इसको लेकर दुनियाभर में ट्रंप की किरकिरी हो रही है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप ने यह टिप्पणी गुरुवार को यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की और अन्य यूरोपीय नेताओं के साथ हुई एक बैठक में की। ट्रंप के इस कदम से माना जा रहा कि अमेरिकी प्रशासन युद्ध को रोकने के लिए अपने सहयोगियों को भी शामिल होने के लिए कह रहा है। इसके बाद, फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा कि 26 देशों ने युद्धविराम समझौते के अंतिम रूप दिए जाने पर संभावित शांति सेना में योगदान देने का वादा किया है। मैक्रों ने गुरुवार को इस बात को स्वीकार करते हुए कहा कि यूक्रेन की सशस्त्र सेनाओं को मजबूत करने और यूक्रेन में यूरोपीय सैनिकों की तैनाती के साथ-साथ, यूक्रेन की सुरक्षा गारंटी का तीसरा घटक अमेरिकी सुरक्षा जाल होना चाहिए। फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने कहा, "आने वाले दिनों में हम इन सुरक्षा गारंटियों के लिए अमेरिकी समर्थन को अंतिम रूप देंगे।" रूस की सरकारी समाचार एजेंसी आरआईए की रिपोर्ट के अनुसार, क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने शुक्रवार को कहा कि मॉस्को और कीव के बीच किसी भी शीर्ष-स्तरीय बैठक से पहले काफी काम करने की जरूरत है। व्हाइट हाउस के अधिकारी ने कहा कि मैक्रों और यूरोपीय नेताओं ने ट्रंप को गठबंधन बैठक में बुलाया और उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यूरोप को रूसी तेल खरीदना बंद कर देना चाहिए जिससे युद्ध को फायदा हो रहा है। क्योंकि रूस को एक साल में यूरोपीय संघ से ईंधन की बिक्री में 1.1 अरब यूरो मिले हैं।"