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दशहरे पर करें ये दिव्य मंत्रों का जाप, हर बाधा होगी समाप्त

दशहरा भारत के सबसे पवित्र और विजय उत्सवों में से एक है। यह दिन अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक माना जाता है। यही वह दिन है जब भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर धर्म की स्थापना की थी और मां दुर्गा ने महिषासुर जैसे राक्षस का संहार किया था। इस दिन को शक्ति, विजय, साहस और सकारात्मक ऊर्जा के रूप में मनाया जाता है। दशहरे के दिन यदि सही मंत्रों का जाप किया जाए, तो न सिर्फ आध्यात्मिक उन्नति मिलती है बल्कि जीवन में चल रही बाधाएं भी दूर होती हैं। आइए जानते हैं दशहरे पर किए जाने वाले महत्त्वपूर्ण मंत्रों, उनके लाभ और जाप की विधि के बारे में। इन मंत्रों का करें जाप ॐ ह्रां ह्रीं रां रामाय नमः दशहरे के दिन ही श्री राम ने रावण का वध कर देश में शांति और सच्चाई का राज्य स्थापित किया। ऐसे में यदि आप इस मंत्र का जाप करते हो तो आपको मनचाही सफलता मिलेगी। ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।। यह शक्ति, साहस और रक्षा प्रदान करता है। दशहरे के दिन इस मंत्र के जाप से मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और जीवन की हर बुराई का अंत होता है। ॐ हनुमते नमः श्रीराम भक्त हनुमान दशहरा के अवसर पर विशेष पूजनीय होते हैं। यह मंत्र जीवन से डर, भय, और नकारात्मक शक्तियों को दूर करता है। विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है जो कर्ज, कोर्ट-कचहरी, या शत्रु बाधा से पीड़ित हैं। ॐ अपराजितायै नमः  इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को हर कार्य में सफलता मिलती है। यदि कोई भी शुभ कार्य करने जा रहे हो तो इस मंत्र का जाप कर के घर से बाहर निकलें। ऐसा करने के बाद आपको कभी भी निराशा का मुंह नहीं देखना पड़ेगा। मंत्र जाप की सही विधि दशहरा के दिन विजय मुहूर्त जो दोपहर के समय आता है और अपराह्न काल मंत्र जाप के लिए सबसे शुभ माने जाते हैं। स्नान के बाद, स्वच्छ वस्त्र पहनकर पूजा स्थल पर बैठें। यदि संभव हो तो लाल या पीले रंग के आसन का प्रयोग करें। जाप शुरू करने से पहले हाथ में जल, फूल और चावल लेकर अपने उद्देश्य  का संकल्प लें। मंत्र जाप के लिए रुद्राक्ष या तुलसी की माला का प्रयोग करें। जाप करते समय अपना मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखें।

दशहरे पर इन चीजों का दान करने से बढ़ेगी आपकी खुशहाली और समृद्धि

भारत में दशहरा या विजयादशमी (Dussehra 2025) का पर्व सिर्फ उत्सव ही नहीं, बल्कि धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्रीराम ने लंका के राक्षसराज रावण का वध कर अधर्म का अंत किया था। यही नहीं, इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध कर देवताओं और समस्त प्रजा को भयमुक्त किया था। हर वर्ष आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को यह पर्व बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। लोग घरों में विशेष पूजा-पाठ करते हैं, शस्त्र पूजन का आयोजन होता है, और शाम को रावण दहन के माध्यम से बुराई को प्रतीकात्मक रूप से समाप्त किया जाता है। इसके साथ ही इस दिन दान-पुण्य करने का विशेष महत्व बताया गया है।    इन वस्तुओं का करना चाहिए दान शास्त्रों में वर्णित है कि विजयादशमी के दिन किया गया दान अक्षय फल देने वाला होता है। यानी इस दिन जो भी पुण्य कार्य किया जाए, उसका फल लंबे समय तक बना रहता है। आइए विस्तार से जानते हैं कि दशहरे के दिन किन वस्तुओं का दान करना शुभ माना गया है। अन्न और वस्त्र का गुप्त दान धार्मिक ग्रंथों में गुप्त दान को सर्वोत्तम माना गया है। विजयादशमी के दिन यदि कोई व्यक्ति किसी जरूरतमंद, गरीब अथवा ब्राह्मण को चुपचाप अन्न और वस्त्र का दान करता है, तो इससे घर की दरिद्रता दूर होती है। कहा जाता है कि इससे परिवार में स्थायी सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है। झाड़ू का दान भारतीय परंपरा में झाड़ू को मां लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है। यह न केवल घर की सफाई का साधन है बल्कि नकारात्मक ऊर्जा और दरिद्रता को दूर करने का प्रतीक भी है। दशहरे के दिन किसी धार्मिक स्थल पर या किसी जरूरतमंद को नई झाड़ू दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इससे घर के वास्तु दोष दूर होते हैं और आर्थिक स्थिति में मजबूती आती है। पीले वस्त्र और मिठाई ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, दशहरे पर पीले वस्त्रों का दान करना विशेष फलदायी होता है। पीला रंग सौभाग्य और समृद्धि का द्योतक है। इस दिन यदि कोई व्यक्ति पीले वस्त्र अथवा पीली मिठाई का दान करता है, तो उसके जीवन में रुके हुए कार्य पूरे होते हैं। यह कारोबार और करियर में आ रही बाधाओं को दूर करने में भी सहायक माना गया है। सुहाग की सामग्री दशहरे पर विवाहित महिलाओं को सुहाग की सामग्री जैसे चूड़ी, बिंदी, सिंदूर, काजल, मेहंदी आदि का दान करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से मां दुर्गा और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। इस दान से पारिवारिक जीवन में खुशहाली और वैवाहिक जीवन में स्थिरता आती है। दान करते समय ध्यान रखने योग्य बातें दान हमेशा ब्राह्मणों, साधुओं, या फिर वास्तव में जरूरतमंद लोगों को ही करना चाहिए। इस दिन धारदार वस्तुओं, नुकीली चीजों और चमड़े से बनी वस्तुओं का दान करने से बचना चाहिए क्योंकि इन्हें अशुभ माना गया है। दान हमेशा विनम्र भाव से करना चाहिए। दान देने के बाद उसका दिखावा या घोषणा नहीं करनी चाहिए। दान करते समय मन में अहंकार या घमंड नहीं होना चाहिए।

शमी पूजा क्यों है दशहरे पर विशेष? जानें ऐतिहासिक और धार्मिक कारण

दशहरा यानी विजयादशमी का पर्व साल का सबसे शुभ दिन माना जाता है. इस दिन भगवान राम ने रावण का वध कर धर्म की रक्षा की थी. लेकिन यह दिन सिर्फ रावण दहन तक सीमित नहीं है. दशहरे पर एक और खास परंपरा निभाई जाती है शमी वृक्ष की पूजा. शमी पूजन को धर्म, पुराण और ज्योतिष—तीनों ही स्तर पर बेहद शक्तिशाली और फलदायी बताया गया है. महाभारत से जुड़ी कथा: पांडव और शमी वृक्ष शमी का महत्व महाभारत काल से जुड़ा है. जब पांडव अज्ञातवास पर निकले तो उन्होंने अपने सभी शस्त्र एक शमी के पेड़ में छिपा दिए थे. बारह साल बाद जब वे लौटे तो उनके शस्त्र वैसे ही सुरक्षित मिले. इसी वजह से शमी को शक्ति और विजय का प्रतीक माना गया. तभी से दशहरे के दिन शमी पूजन और शस्त्र पूजन की परंपरा चली आ रही है. शमी के पत्ते क्यों कहलाते हैं ‘सोना’ दशहरे पर शमी वृक्ष के पत्ते आपस में बांटने की परंपरा कई राज्यों में प्रचलित है. खासकर महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में इसे सोना बांटना कहा जाता है. मान्यता है कि शमी के पत्ते असली सोने के समान शुभ होते हैं. इन्हें घर में रखने से लक्ष्मी का वास होता है और धन-समृद्धि बढ़ती है. यही कारण है कि दशहरे पर लोग शमी के पत्ते घर ले जाकर पूजाघर या तिजोरी में रखते हैं. शमी और ज्योतिषीय महत्व ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शमी वृक्ष शनि ग्रह का प्रिय है. दशहरे पर शमी की पूजा करने से शनि दोष शांत होता है, साथ ही करियर और व्यापार में आ रही रुकावटें दूर होती हैं. कहा गया है कि जो व्यक्ति नियमित शमी वृक्ष की पूजा करता है, उसके जीवन में स्थिरता आती है और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है. शमी पूजन से मिलने वाले लाभ     शत्रु बाधा और संकटों से मुक्ति     शनि ग्रह के अशुभ प्रभाव का नाश     घर में सुख-शांति और सौभाग्य की वृद्धि     धन और समृद्धि की प्राप्ति     कार्यक्षेत्र और व्यापार में सफलता     हर क्षेत्र में विजय और न्याय की प्राप्ति रावण और शमी का संबंध कहा जाता है कि लंका में रावण ने शमी वृक्ष की विशेष पूजा की थी. इसी कारण इसे युद्ध और विजय से जोड़ा जाता है. दक्षिण भारत में आज भी दशहरे के अवसर पर लोग शमी के वृक्ष के नीचे पूजा कर उसे प्रणाम करते हैं और युद्ध या कार्य की सफलता के लिए आशीर्वाद मांगते हैं. दशहरा सिर्फ बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व नहीं है, बल्कि यह शक्ति और समृद्धि को आमंत्रित करने का अवसर भी है. इस दिन शमी पूजन करने से शत्रु पर विजय, शनि दोष का नाश और धन की प्राप्ति होती है. यही कारण है कि दशहरे पर शमी की पूजा करना शुभ और आवश्यक माना गया है.

महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता, पटना में दुर्गा पूजा-दशहरा के दौरान पटाखों पर प्रतिबंध: पटना जिला प्रशासन

पटना दुर्गा पूजा, दशहरा और रावण वध के पावन अवसर पर पटना में भव्य मेले और सांस्कृतिक आयोजनों की तैयारियां जोरों पर हैं और इसी कड़ी में पटना जिला प्रशासन ने आमजन की सुरक्षा और सुविधा को ध्यान में रखते हुए शनिवार को एडवाइजरी जारी की है। प्रशासन ने अपील की है कि मेला क्षेत्र में आने वाले अभिभावक अपने बच्चों के पॉकेट में उनका नाम, पता और मोबाइल नंबर अवश्य रखें। साथ ही बच्चों का हाथ न छोड़ें और उन्हें अकेले घूमने न दें। जारी एडवाइजरी में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने की बात कही गई है। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे किसी भी प्रकार की अफवाह न फैलाएं और न ही उन पर ध्यान दें। सार्वजनिक स्थानों पर शांति बनाए रखें और सुरक्षा मानकों का पालन करें। किसी भी तरह के पटाखे, ज्वलनशील पदार्थ या नशीले पदार्थों को मेले में ले जाने पर रोक है। मेले में भीड़- भाड़ के दौरान सड़क पर धीरे चलें, कतारबद्ध रहें और जल्दबाज़ी न करें। इमरजेंसी मार्ग को कभी अवरुद्ध न करें। किसी भी प्रकार की अव्यवस्था फैलाने से बचें। अगर किसी को कोई लावारिस या संदिग्ध वस्तु दिखाई दे तो उसे छूने से बचें और तत्काल निकटतम दंडाधिकारी, पुलिस पदाधिकारी या नियंत्रण कक्ष को सूचित करें। इसके लिए प्रशासन ने 2437 हेल्पलाइन नंबर 0612-2219810, 2219234 और डायल 112 जारी किए हैं। प्रशासन का कहना है कि सुरक्षा जांच आपके और आपके परिवार की सुरक्षा के लिए है, इसलिये उसमें पूर्ण सहयोग करें। आम नागरिकों से अपील की गई है कि वे इस पर्व को आस्था, अनुशासन और सुरक्षा का प्रतीक बनाएं।  

वास्तु मंत्र: दशहरा 2025 पर अपने घर में लाएँ समृद्धि और सफलता

सनातन धर्म में दशहरे के पर्व को बहुत शुभ और खास माना जाता है। दशहरा को विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है। पूरे देश में दशहरे के पर्व को बहुत धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है। दशहरा या विजयदशमी का पर्व असत्य पर सत्य की विजय और बुराई पर अच्छाई के प्रतीक है। दशहरे का दिन धार्मिक दृष्टि से ही नहीं बल्कि वास्तु और ज्योतिष की दृष्टि से भी बहुत शुभ माना जाता है। दशहरे के अवसर पर किए गए कुछ विशेष वास्तु उपाय न केवल धन की वृद्धि करते हैं, बल्कि घर-परिवार में सुख, शांति और समृद्धि को भी स्थायी बनाते हैं। तो आइए जानते हैं  दशहरे के पावन अवसर पर कौन से वास्तु उपायों का पालन करना चाहिए। घर में झाड़ू और तिजोरी की पूजा दशहरे के दिन झाड़ू और तिजोरी की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन पूजा स्थान पर झाड़ू की पूजा करने से घर से दरिद्रता दूर होती है और वहीं तिजो पर हल्दी, कुमकुम और चावल से स्वस्तिक बनाकर दीपक जलाने पैसों से जुड़ी समस्या दूर होती है और कारोबार में मनचाही सफलता मिलती है। शमी के पेड़ की पूजा दशहरे के दिन शमी के पेड़ की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन शमी के पेड़ के नीचे घी का दीपक जलाने और जल चढ़ाने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है और धन में वृद्धि होती है। घर के मुख्य द्वार पर विशेष सजावट वास्तु शास्त्र में घर का मुख्य द्वार ऊर्जा का प्रवेश द्वार माना गया है। दशहरे के दिन दरवाजे पर आम्रपल्लव, गेंदे के फूल और स्वास्तिक का चिन्ह बनाना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और लक्ष्मी माता का वास बना रहता है।