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स्वास्थ्य की नई निगरानी: AI चश्मा अब पलक झपकते ही देगा जानकारी

पेंसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने एक खास डिवाइस बनाया है, जिसे 'ब्लिंकवाइज' कहते हैं। यह डिवाइस साधारण चश्मे पर लगने से ही काम करने लगता है और एआई की मदद से हेल्थ मॉनिटर करता है। छोटे-छोटे गैजेट्स में शामिल होता एआई भविष्‍य में बहुत बड़े पैमाने पर इस्‍तेमाल होने की उम्‍मीद है। बदलाव की इस बयार में पीछे ना रहें। इस क्षेत्र के बारे में और जानने के लिए NBT Upskill AI से करियर ग्रोथ वर्कशॉप में रजिस्टर करें। 'ब्लिंकवाइज' पलक झपकने के तरीके को देखकर हेल्थ की जानकारी देता है। यह तकनीक ड्राइविंग, ऑफिस वर्क और रोजमर्रा की जिंदगी में थकान, मानसिक दबाव और आंखों की समस्याओं का पता लगाने में मदद कर सकती है। जैसे ही चश्‍मा पहना व्‍यक्‍त‍ि अपनी पलक झपकाएगा, यह बता देगा कि उसकी हेल्थ कैसी है। उसे कोई थकान या मेंटल प्रेशर तो नहीं। ऐसे लेता है हेल्थ अपडेट हम दिन में हजारों बार पलक झपकते हैं। हर पलक झपकना हमारे शरीर और दिमाग की स्थिति के बारे में बताता है। यह थकान, फोकस की कमी या आंखों के सूखेपन जैसी समस्याओं का संकेत देता है। इसे ब्लिंक डायनामिक्स कहते हैं। इसमें पलक झपकने की अवधि, पूरी तरह बंद होना या आधा बंद होना और पलक खुलने-बंद होने का समय की जानकारी होती है। इसे एक छोटे से उदाहरण से समझें- अगर पलकें लंबे समय तक बंद रहती हैं तो यह नींद या थकान का संकेत हो सकता है, जो सड़क दुर्घटनाओं का बड़ा कारण है। जबकि बार-बार पलक झपकना आंखों के सूखेपन की बीमारी का लक्षण हो सकता है। हाई-स्पीड कैमरे से ज्यादा तेज पहले पलक झपकने की जानकारी लेने के लिए हाई-स्पीड कैमरे की जरूरत पड़ती थी, जो केवल लैब में इस्तेमाल हो सकते थे। लेकिन ब्लिंकवाइज को चश्मे पर आसानी से लगाया जा सकता है। यह रेडियो सिग्नल्स का इस्तेमाल करके पलक की छोटी-छोटी गतिविधियों को पकड़ता है। यह तकनीक कैमरे से ज्यादा तेज है, क्योंकि कैमरे हर सेकंड 30-60 फ्रेम ही रिकॉर्ड करते हैं, जबकि ब्लिंकवाइज ऐसा हजारों बार कर सकता है। नहीं चाहिए अलग से कोई डिवाइस यह डिवाइस सारी जानकारी को चश्मे पर ही प्रोसेस करता है। इसके लिए किस फोन या क्लाउड सर्वर की जरूरत नहीं होती है। यह एक छोटे से चिप पर काम करता है, जो डाक टिकट से भी छोटा है। यह हल्का है, जिसमें बैटरी लंबे समय तक चलती है। मुमकिन है कि भविष्य में यह तकनीक स्मार्ट चश्मा में उपयोग हो। इस AI डिवाइस में ऊर्जा की खपत भी ज्यादा नहीं है। इस तकनीक को आम लोगों के ल‍िए कब तक लाया जाएगा, अभी जानकारी नहीं है।

आंखों की जांच: आपकी नजर के साथ कैंसर की शुरुआती चेतावनी भी

नई दिल्ली कैंसर के बढ़ते मामले दुनियाभर में स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लिए गंभीर चिंता का कारण बने हुए हैं, चिंता इसलिए क्योंकि इस रोग से सबसे अधिक मौतें होती हैं। पुरुषों में फेफड़े-मुंह और प्रोस्टेट जबकि महिलाओं में स्तन, सर्वाइकल और गर्भाशय के कैंसर के केस सबसे अधिक रिपोर्ट किए जाते रहे हैं। इसके अलावा भी कुछ और प्रकार के कैंसर हैं जो स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चिंता बढ़ा रहे हैं। ब्लड कैंसर उनमें से एक है, जिसके मामले हाल के वर्षों में काफी तेजी से बढ़े हैं। आज पूरी दुनिया कैंसर से परेशान है। अंतर्राष्ट्रीय कैंसर अनुसंधान एजेंसी (आईएआरएस) की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2022 में लगभग 2 करोड़ नए कैंसर के मामले सामने आए और लगभग 97 लाख कैंसर से संबंधित मौतें हुईं। ब्लड कैंसर का खतरा भी तेजी से बढ़ता जा रहा है। साल 2022 में रक्त कैंसर के लगभग 55.7 लाख मामले रिपोर्ट किए गए। डॉक्टर कहते हैं, इस कैंसर की जो रफ्तार देखी जा रही है, उसे लेकर सभी लोगों को सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता है। एक हालिया रिपोर्ट में स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने ब्लड कैंसर का आसानी से पता लगाने का तरीका बताया है। आप रूटीन आई चेकअप के दौरान भी जान सकेगे कि आपको ब्लड कैंसर का खतरा तो नहीं है? पहले जान लीजिए कि ब्लड कैंसर होता क्या है? ब्लड कैंसर यानी खून का कैंसर। हमारा खून लाल कोशिकाओं, सफेद कोशिकाओं और प्लेटलेट्स से मिलकर बना है। जब ये कोशिकाएं गड़बड़ तरीके से बनने लगती हैं और शरीर में अनियंत्रित रूप से फैल जाती हैं, तब इससे ब्लड कैंसर का खतरा हो सकता है। इसके कारण शरीर में ऑक्सीजन ले जाने, इंफेक्शन से लड़ने और खून जमने की क्षमता कम हो जाती है। ल्यूकेमिया (जिसमें खून और बोन मैरो में असामान्य सफेद कोशिकाएं तेजी से बढ़ती हैं), लिम्फोमा (इम्यून सिस्टम और लिम्फ नोड्स को प्रभावित करने वाला) और  मल्टीपल मायलोमा (जिसमें हड्डियों के अंदर मौजूद प्लाज्मा कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं) ये ब्लड कैंसर का सबसे आम प्रकार हैं। ब्लड कैंसर का पता कैसे लगाया जाता है? ब्लड कैंसर की पहचान धीरे-धीरे की जाती है। जिन लोगों में इसका आनुवांशिक खतरा होता है या फिर जोखिम कारक होते हैं, डॉक्टर उन्हें कुछ जांच कराने की सलाह देते हैं। यह अध्ययन यूरोपियन जर्नल ऑफ कैंसर में प्रकाशित हुआ। इस रिपोर्ट में विशेषज्ञों का कहना है कि नियमित नेत्र परीक्षणों के दौरान, ब्लड कैंसर का पता लगाया जा सकता है। शोध में वैज्ञानिकों ने पाया कि आई स्कैन के दौरान विशेषज्ञ उन सूक्ष्म परिवर्तनों का पता लगा सकते हैं जो घातक कैंसर के विकास के बढ़ते जोखिम से जुड़े हैं। इस अध्ययन में ब्रिटेन के 1,300 से ज्यादा मरीजो के आई स्कैन का विश्लेषण करने के लिए एआई का इस्तेमाल किया गया। शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन रोगियों के आई स्कैन में कुछ असामान्य परिवर्तन थे, उनमें मायलोमा नामक रक्त कैंसर होने की आशंका अन्य लोगों की तुलना में सात गुना अधिक थी। इतना ही नहीं अगले 10 साल में इन लोगों में ल्यूकेमिया का होने की आशंका भी दो गुनी देखी गई। रेटिना इमेज से चल सकता है कैंसर का पता ब्लड कैंसर यूके नामक संस्था के अनुसार, फेफड़े और आंत के कैंसर के बाद, ब्लड कैंसर के कारण यूके में कैंसर से तीसरी सबसे ज्यादा मौतें होती हैं। हर साल लगभग 16,000 लोगों की इससे जान जा रही है। इसके लिए कोई आसान स्क्रीनिंग टेस्ट भी नहीं है। अब शोधकर्ताओं का कहना है कि क्रॉनिक इंफ्लेमेशन की स्थिति इसकी एक पहचान हो सकती है। रेटिना की रक्त वाहिकाओं में होने वाले सूक्ष्म परिवर्तन इसका संकेत होते हैं जिसे आई स्कैन के दौरान देखा जा सकता है। क्या कहते हैं विशेषज्ञ? अमेरिका के एमोरी विश्वविद्यालय के वरिष्ठ लेखक डॉ. अनंत मदभुशी कहती हैं, एआई ऑप्टिशियंस द्वारा ली गई नियमित रेटिना इमेज का उपयोग करके पहले से ही मल्टीपल मायलोमा, लिंफोमा और ल्यूकेमिया विकसित होने के जोखिम का अनुमान लगाना आसान हो सकता है। ब्लड कैंसर यूके में अनुसंधान के उप निदेशक डॉ. रिचर्ड फ्रांसिस कहते हैं, नैदानिक अभ्यास में इसके उपयोग से पहले और अधिक शोध की आवश्यकता है। ये निष्कर्ष इस सिद्धांत का एक महत्वपूर्ण प्रमाण प्रदान करते हैं कि एआई-संचालित उपकरण भविष्य में क्रांति लाने वाले हो सकते हैं। किन लोगों को अधिक सावधानी बरतने की जरूरत? स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं,  कुछ लोगों में ब्लड कैंसर का खतरा अधिक हो सकता है। उम्र के साथ यह बीमारी आम हो जाती है। इसके अलावा जिनके परिवार में पहले से किसी को ब्लड कैंसर हुआ हो, उनमें भी रिस्क बढ़ जाता है। रेडिएशन या कीमोथेरेपी भी इस कैंसर को बढ़ाने वाली हो सकती है। ऐसे लोगों को विशेष सावधानी बरतते रहना चाहिए।