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बाढ़ से बेहाल यूपी के 17 जिले, 402 गांव डूबे – राहत के लिए 11 मंत्री पहुंचे ज़मीन पर

कानपुर उत्तर प्रदेश इन दिनों बाढ़ के विकराल संकट से जूझ रहा है. गंगा, यमुना और अन्य नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है और इसकी चपेट में अब तक 17 जिलों के 402 गांव आ चुके हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद राहत कार्यों की मॉनिटरिंग शुरू कर दी है. अब उन्होंने अपने कैबिनेट के 11 मंत्रियों को सीधे ग्राउंड ज़ीरो पर भेजकर बाढ़ राहत की निगरानी का जिम्मा सौंपा है. ये सभी मंत्री प्रभावित जिलों में पहुंच चुके हैं और राहत शिविरों, बांधों और जलभराव वाले गांवों का दौरा कर रहे हैं. 17 जिले बाढ़ की चपेट में, हजारों परिवार विस्थापित राज्य सरकार की रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में उत्तर प्रदेश के जिन जिलों में बाढ़ का सर्वाधिक असर दिख रहा है, उनमें कानपुर नगर, लखीमपुर खीरी, आगरा, औरैया, चित्रकूट, बलिया, बांदा, गाज़ीपुर, मीरजापुर, प्रयागराज, वाराणसी, चंदौली, जालौन, कानपुर देहात, हमीरपुर, इटावा और फतेहपुर शामिल हैं. इन जिलों की 37 तहसीलों के 402 गांव बाढ़ की चपेट में हैं. राहत आयुक्त भानु चंद्र गोस्वामी के अनुसार, कुल 84,392 लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं, जिनमें से अब तक 47,906 पीड़ितों को राहत सहायता दी जा चुकी है. ये आंकड़े खुद में संकट की गंभीरता को बयां करते हैं. 11 मंत्री पहुंचे मोर्चे पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी प्रभावित जिलों की सतत निगरानी के साथ ही अपने मंत्रियों को सीधे फील्ड में भेजा है. इनमें से कई मंत्री अपने प्रभार वाले जिलों में पहुंच चुके हैं और कई वहीं रात्रि विश्राम कर रहे हैं ताकि अगले दिन का दौरा भी निर्बाध रूप से हो सके. वाराणसी शहर दक्षिणी के विधायक एवं पूर्व मंत्री डॉ. नीलकंठ तिवारी ने बाढ़ग्रस्त घरों तक स्वयं राहत सामग्री पहुंचाई। यहां जानिए कौन मंत्री किस जिले की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं: – नंद गोपाल गुप्ता ‘नंदी’ : प्रयागराज –  स्वतंत्र देव सिंह और संजय गंगवार : जालौन – स्वतंत्र देव सिंह और प्रतिभा शुक्ला : औरैया – रामकेश निषाद : हमीरपुर – जयवीर सिंह : आगरा – सुरेश खन्ना : वाराणसी – संजय निषाद : कानपुर देहात -धर्मवीर प्रजापति : इटावा – अजीत पाल : फतेहपुर – दयाशंकर सिंह 'दयालु' : बलिया 47 हजार से अधिक पीड़ितों को पहुंचाई गई मदद सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अब तक 493 नावों और मोटरबोट्स की मदद से राहत सामग्री बांटी जा चुकी है. 6,536 खाद्यान्न पैकेट और 76,632 लंच पैकेट वितरित किए गए हैं. इसके अतिरिक्त, बाढ़ के कारण संकट में आए 2,759 मवेशियों को भी सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया है. बाढ़ की वजह से 343 मकानों को नुकसान पहुंचा है, जिनमें से 327 मामलों में पीड़ितों को सहायता राशि दी जा चुकी है. इसके साथ ही 4,015 हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि जलमग्न हुई है. 905 शरणालयों में 11 हजार से ज्यादा लोग ले रहे हैं आश्रय राज्य सरकार द्वारा बनाए गए 905 बाढ़ शरणालयों में फिलहाल 11,248 लोग अस्थायी रूप से रह रहे हैं. इन स्थानों पर भोजन, पीने का पानी, बिजली, शौचालय और चिकित्सा सुविधा की व्यवस्था की गई है. 757 मेडिकल टीमों को प्रभावित क्षेत्रों में लगाया गया है, जो शरणार्थियों का नियमित स्वास्थ्य परीक्षण कर रही हैं. इसके अलावा 1,29,571 क्लोरीन टैबलेट और 37,089 ओआरएस पैकेट वितरित कर बाढ़ के बाद संभावित जलजनित बीमारियों से सुरक्षा सुनिश्चित की जा रही है. 500 क्विंटल भूसा और 29 लंगर, मवेशियों और लोगों दोनों की भूख का समाधान प्रभावित इलाकों में सिर्फ इंसानों की नहीं, मवेशियों की भूख का भी ध्यान रखा जा रहा है. अब तक 500 क्विंटल भूसा वितरित किया गया है. वहीं, पीड़ितों को गर्म और पौष्टिक भोजन मिले, इसके लिए 29 लंगर शिविर लगाए गए हैं जो दिन-रात काम कर रहे हैं. इसके अलावा 1,193 बाढ़ चौकियां स्थापित की गई हैं, जो पूरे समय इलाके की निगरानी कर रही हैं और जरूरत के अनुसार अलर्ट जारी कर रही हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कोई भी पीड़ित मदद से वंचित न रह जाए. उनका स्पष्ट संदेश है आपदा राहत में किसी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी.

राजौरी में मूसलाधार बारिश से बाढ़ जैसे हालात, जलभराव के चलते स्कूलों में छुट्टी

जम्मू जम्मू-कश्मीर में भारी बारिश से बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। जहां एक ओर बारिश से जगह-जगह भूस्खलन (Jammu Kashmir Flood) हो रहा है तो वहीं, राजौरी में लगातार बारिश के बाद धरहाली और सकतोह नदियों का जलस्तर बढ़ने से बाढ़ जैसी स्थिति बन गई है। राजौरी जिला प्रशासन ने आज जिले के सभी सरकारी और निजी स्कूलों को बंद करने की घोषणा की है। अगले 72 घंटे मुश्किल भरे होंगे आईएमडी ने अगले 72 घंटों में जम्मू संभाग और उधमपुर जिले में भारी से बहुत भारी बारिश का अनुमान लगाया है। प्रशासन ने लोगों के लिए एडवाइजरी भी जारी की है। जिसमें जनता को बाढ़/भूस्खलन संभावित क्षेत्रों से बचने और सतर्क रहने की सलाह दी गई। सहायता के लिए प्रशासन ने कुछ नंबर भी जारी किए हैं। डीईओसी: 01992-272727, 01992-272728। पीसीआर: 01992-276915 | ईआरएसएस: 112 पर संपर्क कर सकते हैं। जम्मू में भूस्खलन में पुलिस अधिकारी घायल अधिकारियों ने बताया कि सोमवार को एक पुलिस अधिकारी अपनी निजी कार के जम्मू के पास बारिश के कारण हुए भूस्खलन की चपेट में आने से घायल हो गए। अधिकारियों ने बताया कि प्रोबेशनरी डीएसपी सांबा में अपनी तैनाती स्थल जा रहे थे, तभी जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर नगरोटा इलाके में बान टोल प्लाजा के पास एक सुरंग के बाहर भूस्खलन से उनकी कार क्षतिग्रस्त हो गई। उन्होंने बताया कि अधिकारी को बचा लिया गया और अस्पताल ले जाया गया, जहाँ उनकी हालत स्थिर बताई गई है।  सामान्य जनजीवन अस्त-व्यस्त अधिकारी स्थिति पर कड़ी नज़र रख रहे हैं क्योंकि लगातार बारिश के कारण कई निचले इलाकों में जलभराव हो गया है और सामान्य जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। अभी तक किसी के हताहत होने या किसी बड़े नुकसान की सूचना नहीं है। अधिकारियों ने बताया कि लगातार बारिश के कारण कई निचले इलाकों में जलभराव हो गया है और सामान्य जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। नालियां जाम रहने से जलभराव की समस्या इस बीच, सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) राजौरी के पीर पंजाल क्षेत्र के पहाड़ी इलाकों में सड़क निर्माण कार्य कर रहा है ताकि संपर्क में सुधार हो और कोटरंका, समोट और बुधल जैसे बाजार क्षेत्रों में जलभराव को कम किया जा सके। बीआरओ के एक इंजीनियर संजय शर्मा ने कहा, “जहाँ भी जलभराव की समस्या है, खासकर बाज़ार वाले इलाकों में, हम कंक्रीट के फुटपाथ बना रहे हैं।” उन्होंने आगे कहा, “बाज़ार में नालियाँ अक्सर जाम रहती थीं, जिससे सड़कों पर पानी भर जाता था। अब हमने उन इलाकों को कंक्रीट के फुटपाथों से ढक दिया है और क्षतिग्रस्त सड़कों की मरम्मत भी कर रहे हैं।” भूस्खलन में दो लोगों की मौत शर्मा ने आगे कहा कि इस पहल का उद्देश्य सुगम यात्रा सुनिश्चित करना और नियमित रखरखाव के साथ सड़क सुरक्षा बनाए रखना है। इसके अलावा, पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश में, सोमवार को चंबा ज़िले में बारिश के कारण हुए भूस्खलन में दो लोगों की मौत हो गई। भारी बारिश के दौरान एक घर पर एक पत्थर गिर गया। पटवारी अश्वनी ने एएनआई से बात करते हुए कहा, “बारिश के कारण कल रात भूस्खलन हुआ। परिणामस्वरूप, एक घर पर एक बड़ा पत्थर गिर गया और इस घटना में दो लोगों की दुखद मौत हो गई। पुलिस की मदद से उनके शव मलबे से निकाले गए और चंबा अस्पताल ले जाया गया। सरकार ने पीड़ितों को तत्काल राहत भी प्रदान की। वर्तमान में, हम क्षेत्र में खतरे का आकलन कर रहे हैं और नुकसान पर एक रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं।”