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छत्तीसगढ़ के सूरजपुर में गणेश चतुर्थी अवकाश कैंसिल, तय हुई नई तारीख पर स्थानीय छुट्टी

सूरजपुर  छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले में गणेश चतुर्थी के दिन घोषित स्थानीय अवकाश की छुट्टी कैंसिल कर दी गई है. अब 27 अगस्त को अवकाश नहीं रहेगा. इसकी जगह कलेक्टर ने नई तारीख को स्थानीय अवकाश की घोषणा की है. कलेक्टर एस जयवर्धन ने इसके लिए आदेश भी जारी कर दिया है.  27 अगस्त को छुट्टी तय थी दरअसल सूरजपुर जिले में इस साल कैलेंडर वर्ष में कलेक्टर ने स्थानीय अवकाशों की घोषणा की थी. इसमें 27 अगस्त को गणेश चतुर्थी पर अवकाश दिया गया था. यानि इस दिन जिले के सभी सरकारी दफ्तरों की छुट्टियां थीं. लेकिन अब इस आदेश में संशोधन कर दिया गया है. अब 27 अगस्त बुधवार को गणेश चतुर्थी की छुट्टी कैंसिल कर दी गई है.  अब इस दिन रहेगा अवकाश  जारी आदेश के मुताबिक 27 अगस्त की जगह अब 3 सितम्बर बुधवार को स्थानीय अवकाश होगा. दरअसल इस दिन करमा पर्व है. ऐसे में गणेश चतुर्थी की जगह अब करमा पर्व पर स्थानीय अवकाश रहेगा. संशोधन का आदेश जारी हो गया है. इस दिन जिले के सरकारी दफ्तर बंद रहेंगे. आदेश के मुताबिक कोषागार व उपकोषागारों के लिए अवकाश लागू नहीं होगा. 

धन और सफलता की होगी बारिश! गणेश चतुर्थी पर बने दुर्लभ योग से इन राशियों को मिलेगा लाभ

इस साल गणेश चतुर्थी (27 अगस्त 2025) पर एक दुर्लभ ज्योतिषीय संयोग बन रहा है, जो कुछ राशियों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लेकर आएगा. ज्योतिषाचार्य  के अनुसार, इस दिन शुक्र और वरुण ग्रह के बीच नवपंचम योग का निर्माण होगा. यह योग केवल आर्थिक समृद्धि ही नहीं, बल्कि करियर, स्वास्थ्य, प्रेम और पारिवारिक जीवन में भी शुभ परिणाम देने वाला माना जाता है. शुक्र को धन, ऐश्वर्य, प्रेम और सामाजिक प्रतिष्ठा का कारक माना जाता है, जबकि वरुण ग्रह अवसर, रहस्य और जीवन में नए बदलाव लाने के लिए प्रसिद्ध है. जब ये दोनों ग्रह 120 डिग्री पर स्थित होते हैं, तो नवपंचम योग बनता है, जो शुभ अवसरों और अनुकूल परिस्थितियों को जन्म देता है. डॉ. मिश्रा के अनुसार, “इस योग के प्रभाव से विशेष रूप से मेष, कर्क और मीन राशि के जातकों के जीवन में कई महत्वपूर्ण बदलाव और लाभ देखने को मिलेंगे.” मेष राशि: रुके कार्य होंगे पूरे मेष राशि वालों के लिए यह योग अत्यंत शुभ रहने वाला है. डॉ. मिश्रा बताते हैं कि लंबे समय से अटके कार्य पूरे होंगे. करियर में नई ऊंचाइयां हासिल होंगी और नए अवसर मिलेंगे. व्यापारियों और नौकरीपेशा जातकों को आर्थिक लाभ की संभावना है. पारिवारिक जीवन सुखमय रहेगा और आत्मविश्वास में वृद्धि होगी. कर्क राशि: आय और वैवाहिक जीवन में वृद्धि कर्क राशि के जातकों के लिए यह संयोग विशेष रूप से लाभकारी साबित होगा. नए आय स्रोत प्राप्त होंगे और वित्तीय स्थिति मजबूत होगी. वैवाहिक जीवन में खुशहाली आएगी और पारिवारिक संबंधों में सामंजस्य बढ़ेगा. कार्यक्षेत्र में की गई मेहनत का उचित परिणाम मिलेगा. डॉ. मिश्रा कहते हैं कि “कर्क राशि वालों के लिए यह समय निवेश और नई योजनाओं को सफल बनाने के लिए अनुकूल है.” मीन राशि: कारोबार और सामाजिक मान-सम्मान में लाभ मीन राशि के जातकों को इस दुर्लभ योग का सबसे अधिक लाभ होगा. कारोबार में अप्रत्याशित सफलता मिल सकती है. जीवन के हर क्षेत्र में तरक्की की संभावना है. नई योजनाओं में सफलता हासिल होगी और सामाजिक प्रतिष्ठा व मान-सम्मान में वृद्धि होगी. प्रेम जीवन में भी मधुरता आएगी. अन्य राशियों पर सामान्य प्रभाव यद्यपि नवपंचम योग का मुख्य लाभ मेष, कर्क और मीन राशि के जातकों को होगा, लेकिन यह संयोग अन्य राशियों के लिए भी सकारात्मक परिवर्तन और अवसर ला सकता है. नए प्रोजेक्ट्स में सफलता, सामाजिक संपर्कों में लाभ और व्यक्तिगत विकास के अवसर बढ़ सकते हैं.  “गणेश चतुर्थी का यह योग न केवल आर्थिक लाभ देगा बल्कि मानसिक संतुलन और पारिवारिक सुख-शांति को भी बढ़ावा देगा. जो लोग अपने लक्ष्यों और योजनाओं पर ध्यान देंगे, वे अधिकतम लाभ उठा पाएंगे.”

इस बार कब है गणेश चतुर्थी? गणपति स्थापना का सही मुहूर्त और टाइमिंग नोट करें

इस महापर्व की शुरुआत भादो शुक्ल चतुर्थी को होती है और चतुर्दशी तिथि को गणेश विसर्जन के साथ इसका समापन हो जाता है. यह त्योहार भगवान गणेश को समर्पित है. ऐसा माना जाता है कि इस पवित्र घड़ी में भगवान गणेश धरती पर उतरते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं. इस साल ये पर्व 27 अगस्त से 6 सितंबर तक मनाया जाएगा. गणेश चतुर्थी पर गणपति स्थापना का मुहूर्त क्या है?  हिंदू पंचांग के अनुसार, भादो शुक्ल चतुर्थी 26 अगस्त को दोपहर 01.54 बजे 27 अगस्त को दोपहर 03.44 बजे तक रहेगी. उदिया तिथि के चलते गणेश चतुर्थी 27 अगस्त को मनाई जाएगी और इसी दिन गणपति जी की स्थापना होगी. चूंकि गणपति स्थापना मध्याह्न काल में शुभ होती है, इसलिए 27 अगस्त को सुबह 11 बजकर 05 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 40 मिनट तक गणपति जी की स्थापना होगी. अलग-अलग मूर्तियां स्थापित करने का क्या है महत्व?  भगवान गणेश की अलग-अलग मूर्तियां अलग परिणाम देती हैं. पीले और लाल रंग की मूर्ति की उपासना शुभ होती है. नीले रंग के गणेश "उच्छिष्ट गणपति" कहलाते हैं. इनकी उपासना विशेष दशाओं में ही की जाती है. हल्दी से बनी मूर्ति "हरिद्रा गणपति" कहलाती है. यह कुछ विशेष मनोकामनाओं के लिए शुभ मानी जाती है. एकदंत गणपति , श्यामवर्ण के होते हैं. इनकी उपासना से अद्भुत पराक्रम मिलता है. सफेद गणपति को ऋणमोचन कहते हैं. इनकी पूजा से आदमी कर्ज मुक्त होता है. चार भुजाओं वाले रक्त वर्ण गणपति को "संकष्टहरण गणपति" कहते हैं. इनकी उपासना से संकटों का नाश होता है. त्रिनेत्रधारी, रक्तवर्ण और दस भुजाधारी गणेश "महागणपति" कहलाते हैं. इनके अंदर समस्त गणपति समाहित हैं. सामान्यतः घरों में पीले रंग या रक्त वर्ण की मध्यम आकार वाली प्रतिमा ही स्थापित करनी चाहिए. गणपति स्थापना विधि  घर की उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) या पूर्व दिशा में एक चौकी लगाकर उस पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं. चौकी पर हल्दी से स्वस्तिक बनाएं और वहां अक्षत अर्पित करें. इसके बाद गणपति जी की मूर्ति को दूध, दही, शहद, घी और गंगाजल से स्नान कराएं. इसके बाद चौकी पर भगवान की  मूर्ति स्थापित करें. मूर्ति स्थापना के समय "ॐ गं गणपतये नमः" मंत्र का जाप जरूर करें. इसके बाद एक कलश में गंगाजल भरकर उसके मुख पर आम के पत्ते और नारियल रखें. दीपक और अगरबत्ती जलाएं. गणपति जी की दूर्वा, फल, फूल अर्पित करें. उन्हें मोदक या लड्डू का भोग लगाएं. इसके बाद भगवान गणेश की आरती करें. उनके मंत्रों का जाप करें और गणपति बप्पा के जयकारे लगाएं. गणेश महोत्सव में कैसे करें गणपति पूजन? यदि आपने घर में गणेश जी की प्रतिमा स्थापित की है तो नियमित रूप से दोनों वेला उनकी पूजा करें. अन्यथा सामान्य जीवनचर्या में भी दोनों वेला पूजा कर सकते हैं. सुबह और शाम के वक्त दीपक जलाकर गणेश जी की पूजा करें. उन्हें पीले फूल और दूर्वा अर्पित करें. दोनों वेला आरती करें. जितने दिन महोत्सव चल रहा है, उतने दिन पूर्ण सात्विकता का पालन करें. अनंत चतुर्दशी के दिन चाहें तो उपवास रखकर विसर्जन में शामिल हो सकते हैं.