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मोहन भागवत का पाकिस्तान को करारा संदेश, जानें क्या कहा

सतना  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने सतना में आयोजित एक कार्यक्रम में इशारों ही इशारों में पाकिस्तान को कड़ा संदेश देते हुए अखंड भारत का संकल्प दोहराया। उन्होंने कहा कि कई सिंधी भाई यहां बैठे हैं। बेहत खुशी की बात है कि वे अविभाजित भारत में आए। परिस्थितियों ने हमें उस घर (पाकिस्तान) से यहां भेजा है क्योंकि वह घर और यह घर (भारत) अलग नहीं हैं। पूरा भारत एक घर है, लेकिन किसी ने हमारे घर का एक कमरा हटा दिया और उस पर कब्जा कर लिया है। मुझे इसे वापस लेना है। ऐसे में हमें अखंड भारत याद रखना होगा। सतना में बीटीआई ग्राउंड में आयोजित एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि बहुत सारे सिंधी भाई यहां बैठे हैं। मुझे बड़ा आनंद है कि वो पाकिस्तान नहीं गए। वो अविभाजित भारत आए। ये आदत नई पीढ़ी तक जानी चाहिए क्योंकि हमारा घर है। परिस्थितियों ने हमें उस घर से यहां भेजा है। वह घर और यह घर अलग नहीं है। इसके बाद आगे अपने संबोधन में RSS प्रमुख मोहन भागवत ने इशारों ही इशारों में बड़ा संकेत दिया। उन्होंने कहा कि पूरा भारतवर्ष एक घर है। लेकिन हमारे घर का एक कमरा, जिसमें मेरा टेबल, कुर्सी और कपड़ा आदि सामान रहता था उसे किसी ने कब्जा लिया। कल मुझे उसे वापस लेकर वहां फिर से अपना डेरा डालना है। हमें अविभाजित भारत याद रखना है। मोहन भागवत ने आगे कहा कि वैसे ही हमारी एक भाषा है। भारत में सबकी एक भाषा है और वह है हृदय भाषा… हमें तय कर लेना है कि भाषा-भूषा, भजन, भवन, भ्रमण और भोजन सभी हमें हमारा चाहिए। हमारी पंरपरा में यह जैसा है वैसा चाहिए। दुनिया का इतिहास बहुत पुराना है लेकिन किसी देश के पास इतना गौरवपूर्ण इतिहास नहीं है जितना भारत के पास है। हमारे महापुरुष आज भी हमारे आदर्श हैं। आज भी गुरुओं और गुरुपुत्रों के बलिदान को पूरे देश में माना जाता है। RSS प्रमुख मोहन भागवत ने सतना जिले में रविवार को सिंधी समाज के आध्यात्मिक गुरु बाबा मेहरशाह के नवनिर्मित दरबार का उद्घाटन किया। इस अवसर पर एक सभा को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि एक अंग्रेज ने टूटा हुआ दर्पण दिखाकर हमारे बीच फूट डाली थी जबकि हम सभी सनातनी हैं। अब हमें गुरुओं के दिखाए आध्यात्मिक दर्पण से खुद को देखना चाहिए।  

टैरिफ और भारत की शक्ति पर मोहन भागवत की खुली टिप्पणी, जानें असर

नागपुर  टैरिफ और रूस से तेल आयात के चलते भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में गिरावट आई है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगा दिया है, जिसके चलते दुनियाभर में उनकी किरकिरी हो रही है। इस बीच, राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने अमेरिका का बिना नाम लिए हुए टैरिफ को लेकर उनपर निशाना साधा है। उन्होंने कहा है कि दुनिया में लोगों को डर लगता है कि ये बड़ा हो जाएगा तो मेरा क्या होगा? मोहन भागवत ने एक कार्यक्रम में कहा, ''भारत बड़ा होगा तो हमारा स्थान कहां होगा, इसलिए लागू करो टैरिफ। हमने तो कुछ किया नहीं। जिसने किया था, उसको पुचकार रहे हैं, क्योंकि ये साथ रहेगा तो भारत पर थोड़ा दबाव बना सकते हैं। यह क्यों है, सात समंदर पार आप लोग हैं, हम यहां पर हैं। कोई संबंध तो है नहीं, लेकिन डर लगता है। मैं, मेरा के चक्कर में ये सारी बातें हो रही हैं। जब समझ में आता है कि मैं मेरा, हम हमारा है। ये सारी समस्याएं दूर हो जाती हैं। दुनिया को आज हल चाहिए। उन्होंने अपनी अधूरी दृष्टि के आधार पर हल निकालने का बहुत प्रयास किया, लेकिन नहीं मिला, क्योंकि मिलना संभव नहीं है।'' भागवत ने कहा कि भारत महान है और भारतीयों को भी महान बनने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत बड़ा है तथा वह और बड़ा होना चाहता है। आरएसएस प्रमुख ने कहा कि अगर मनुष्य अपना रवैया ‘‘मैं’’ से ‘‘हम’’ में बदल लें तो सभी मुद्दे सुलझ जाएंगे। दुनिया समाधान तलाश रही है। भागवत ने कहा कि मनुष्य और राष्ट्र जब तक अपने वास्तविक स्वरूप को नहीं समझेंगे, तब तक वे समस्याओं का सामना करते रहेंगे। नागपुर में ब्रह्माकुमारी विश्व शांति सरोवर के सातवें स्थापना दिवस समारोह में भागवत ने कहा कि ब्रह्माकुमारी की तरह ही आरएसएस भी आंतरिक चेतना को जागृत करने के लिए काम करता है। जब तक मनुष्य और राष्ट्र अपने वास्तविक स्वरूप को नहीं समझेंगे, तब तक वे समस्याओं का सामना करते रहेंगे। अगर हम करुणा दिखाएं और भय पर विजय पाएं, तो हमारा कोई शत्रु नहीं रहेगा। बता दें कि ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में सिर्फ भारत से ही नहीं, बल्कि चीन-रूस समेत तमाम देशों के साथ अमेरिका के रिश्ते खराब हुए हैं। दरअसल, रेसिप्रोकल टैरिफ के नाम पर ट्रंप दुनियाभर पर शुल्क लगा रहे हैं। पहले भारत पर 25 फीसदी टैरिफ लगाया, लेकिन बाद में रूस से तेल खरीदने के चलते 25 फीसदी और शुल्क लगा दिया। इससे भारत, चीन और रूस एक बार फिर से करीब आते हुए दिखाई दिए। ट्रंप को अपनी यह गलती समझ आई और हाल ही में भारत के प्रति उन्होंने अपना रुख नरम किया। ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी को अपना दोस्त बताते हुए कहा कि अमेरिका और भारत के बीच व्यापार वार्ता सफल निष्कर्ष पर पहुंचेगी।  

संघ प्रमुख मोहन भागवत बोले, भाजपा पर आरएसएस का नियंत्रण नहीं, कहीं कोई झगड़ा नहीं

नई दिल्ली राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने संघ की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने पर समझाया है कि अपने घरों में अपनी भाषा, परंपरा, वेशभूषा और संस्कृति बनाए रखना जरूरी है। उन्होंने कहा कि तकनीक और आधुनिकता शिक्षा के विरोधी नहीं हैं। शिक्षा केवल जानकारी नहीं है; यह व्यक्ति को सुसंस्कृत बनाने के बारे में है। नई शिक्षा नीति में पंचकोसीय शिक्षा के प्रावधान शामिल हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) सही दिशा में एक कदम है। बेहतर समाज का निर्माण संघ की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने पर आरएसएस द्वारा 100 वर्ष की संघ यात्रा – 'नए क्षितिज' के तहत अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। गुरुवार को संघ प्रमुख मोहन भागवत ने परिवार को एकजुट करने के तरीके भी बताए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एक-दूसरे के पर्व-त्योहारों में शामिल होकर सामाजिक एकता मजबूत होती है, साथ ही प्रेम और करुणा बढ़ती है। कानूनी व्यवस्था पर भरोसा संघ प्रमुख ने कहा कि विवाद या भड़काऊ स्थिति में कानून हाथ में नहीं लेना चाहिए, बल्कि कानूनी व्यवस्था पर भरोसा करना चाहिए। हमारे देश की विविध संस्कृति में विभिन्न जाति, पंथ, और समुदाय के लोग रहते हैं. इन सबके बीच सौहार्द बनाए रखने और संबंध मजबूत करने के लिए एक-दूसरे के पर्व-त्योहारों में सम्मिलित होना बहुत जरूरी है। समाज में समरसता उन्‍होंने समझाया कि ऐसा करने से सामाजिक दूरियां घटती हैं और विश्वास बढ़ता है। इसके साथ ही समाज में प्रेम और करुणा की भावना पनपती है। दूसरों की खुशियों में शामिल होने से समाज में समरसता आती है और आपसी भेद-भाव कम होते हैं। कहीं कोई झगड़ा नहीं: आरएसएस प्रमुख संघ प्रमुख ने कहा, 'हमारा हर सरकार, राज्य सरकारों और केंद्र सरकारों, दोनों के साथ अच्छा समन्वय है। लेकिन कुछ व्यवस्थाएं ऐसी भी हैं, जिनमें कुछ आंतरिक विरोधाभास हैं। कुल मिलाकर व्यवस्था वही है, जिसका आविष्कार अंग्रेजों ने शासन करने के लिए किया था। इसलिए, हमें कुछ नवाचार करने होंगे। फिर, हम चाहते हैं कि कुछ हो। भले ही कुर्सी पर बैठा व्यक्ति हमारे लिए पूरी तरह से समर्पित हो, उसे यह करना ही होगा और वह जानता है कि इसमें क्या बाधाएं हैं। वह ऐसा कर भी सकता है और नहीं भी। हमें उसे वह स्वतंत्रता देनी होगी। कहीं कोई झगड़ा नहीं है।' उन्होंने कहा कि यह सच नहीं है कि आरएसएस भाजपा के लिए फैसले लेता है। जेपी नारायण से लेकर प्रणब मुखर्जी तक, लोगों ने हमारे बारे में अपना नजरिया बदला है। इसलिए हमें किसी के नजरिए में बदलाव की संभावना से कभी इनकार नहीं करना चाहिए। हम भाजपा के लिए फैसले नहीं लेते: संघ प्रमुख आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि हमारे यहां मत भेद हो सकता है, लेकिन मन भेद नहीं है। क्या आरएसएस सब कुछ तय करता है? यह पूरी तरह से गलत है। ऐसा बिल्कुल नहीं हो सकता। मैं कई सालों से संघ चला रहा हूं और वे सरकार चला रहे हैं। इसलिए हम केवल सलाह दे सकते हैं, निर्णय नहीं ले सकते। अगर हम निर्णय ले रहे होते, तो क्या इसमें इतना समय लगता? हम निर्णय नहीं लेते।