samacharsecretary.com

मध्यप्रदेश में महिला नेतृत्व के स्टार्टअप 47 प्रतिशत तक बढ़े

विशेष समाचार विनिर्माण इकाइयों की संख्या 4 लाख 26 हजार पहुंची महिला नेतृत्व के स्टार्टअप 47 प्रतिशत तक बढ़े एमएसएमई सेक्टर जीडीपी में दे रहा 30% का योगदान भोपाल मध्यप्रदेश में निवेश मित्र नीतियों और उद्योग समर्थित प्रावधानों के परिणाम स्वरूप पिछले तीन वर्षों में विनिर्माण इकाइयों की संख्या बढ़कर 4,26,230 तक पहुंच गई है। वर्ष 2022-23 में 67332 विनिर्माण एमएसएमई पंजीकृत हुई थी 2023-24 में 89,317 और 2024-25 में 1,13,696 हुई। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव प्रदेश में विनिर्माण क्षेत्र में नई इकाइयों की स्थापना को हर प्रकार से प्रोत्साहित कर रहे है। प्रदेश में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों की संख्या भी बढ़ रही है। वर्तमान में प्रदेश में 20.43 लाख एमएसएमई इकाइयाँ है। इसमें 20.22 लाख सूक्ष्म उद्यम है, 19508 लघु उद्योग और 1178 मध्यम उद्यम हैं। एमएसएमई सेक्टर में 21% विनिर्माण श्रेणी की, 29% सेवा श्रेणी और 50% व्यवसाय श्रेणी की इकाइयां हैं। इस प्रकार एमएसएमई सेक्टर राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में 30% का योगदान दे रहा है। इस क्षेत्र में लगभग 66 हजार करोड रुपए से अधिक का निवेश वर्तमान में है। इनमें एक करोड़ से ज्यादा लोगों को रोजगार मिला है। बढ़ते स्टार्टअप मध्यप्रदेश की स्टार्टअप नीति के परिणामस्वरूप अब अधिमान्य स्टार्टअप की संख्या 6000 से अधिक हो गई है। इनमें से लगभग 2900 यानी 47% स्टार्टअप महिला उद्यमियों के हैं। इसके अलावा कुल इनक्यूबेटर की संख्या 100 से ज्यादा है। स्पष्ट है कि प्रदेश में स्टार्टअप परिस्थिति तंत्र में बहुत तेजी से सुधार हो रहा है। प्रदेश में स्मार्ट सिटी इनक्यूबेटर 7, अटल इनक्यूबेटर सेंटर 4, टेक्नोलॉजी बिजनेस इंटर इनक्यूबेटर दो, एक एपेरल इनक्यूबेटर ग्वालियर में, दो एग्री इनक्यूबेटर सेंटर ग्वालियर और जबलपुर में, तीन सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क ग्वालियर, भोपाल और इंदौर में स्थापित है। RAMP (Raising and Accelerating MSME Performance) योजनांतर्गत प्रदेश के सभी जिलों में इन्‍क्‍यूबेशन सेंटर स्‍थापित करने की योजना है। इनमें से 7 जिलों नर्मदापुरम्, विदिशा, हरदा, राजगढ़, रायसेन, अशोकनगर एवं भोपाल में एमएसएमई इन्‍नोवेशन-सह-इन्‍क्‍यूबेशन सेंटर की स्‍थापना की स्‍वीकृति प्रदान की गई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विजन है कि स्टार्ट-अप को अधिक से अधिक प्रोत्साहन दें जिससे भारत के युवा नौकरी देने वाले बनें। मध्यप्रदेश में इस सोच को मूर्त रूप देने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव स्टार्टअप अधोसंरचना को मजबूत बनाकर कार्य कर रहे हैं। नई स्टार्ट-अप नीति बन जाने से प्रदेश ग्लोबल स्टार्ट-अप हब बनने की ओर बढ़ रहा है। भविष्य में युवा उद्यमियों को ग्लोबल मंच मिलेगा और लाखों रोजगार सृजित होंगे। स्टार्टअप ईको सिस्टम राज्य की आर्थिक प्रगति और युवाओं के लिए रोजगार के अवसर सृजित करने में अहम भूमिका निभा रहा है। मध्यप्रदेश स्टार्टअप सीड फंड सहायता तथा 100 करोड़ रुपए का कैपिटल फंड स्टार्टअप्स के युवा उद्यमियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती प्रारंभिक पूंजी की व्यवस्था करना होती है। इस बाधा को दूर करने के लिए प्रदेश के नए स्टार्टअप्स के लिये 30 लाख रुपये तक का सीड फंड अनुदान तथा 100 करोड़ रुपए के कैपिटल फंड का मध्यप्रदेश स्टार्टअप नीति 2025 में प्रावधान किया गया है। यह कोष उभरते स्टार्ट-अप्स को उनके शुरुआती चरणों में वित्तीय सहायता प्रदान करेगा तथा उन्हें अपने व्यापार को आगे बढ़ाने में सहायता प्रदान करेगा। इससे वे अपने स्टार्टअप का विस्तार कर सकेंगे साथ ही विस्तार की चुनौतियों का सामना कर सकेंगे। मेगा इनक्यूबेशन सेंटर और नवाचार को बढ़ावा राज्य में मेगा इनक्यूबेशन सेंटर स्थापित किया जाएगा, जिसके सेटेलाइट सेंटर प्रदेश के अन्य उपयुक्त स्थानों में स्थापित किए जायेंगे। इनसे स्टार्टअप्स को आवश्यक संसाधन, मार्गदर्शन और ग्लोबल बाजार तक पहुंचने में मदद मिलेगी। बौद्धिक संपदा सुरक्षा को भी प्राथमिकता दी गई है। इसके लिये घरेलू पेटेंट के लिए 5 लाख रुपये और अंतर्राष्ट्रीय पेटेंट के लिए 20 लाख रुपए तक की वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। इससे स्टार्टअप्स को नवाचार करने और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में आगे बने रहने में मदद मिलेगी। महिला उद्यमिता को बढ़ावा नई नीति के अनुसार राज्य में 47% महिला-नेतृत्व वाले स्टार्ट-अप्स है तथा प्रदेश के स्टार्टअप ईकोसिस्टसम में महिलाओं का योगदान बढ़-चढ़ कर आ रहा है। महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मध्यप्रदेश स्टार्टअप नीति में महिला नेतृत्व वाले स्टार्टअप्स को विशेष सहायता प्रदान करने का प्रावधान किया गया है। स्टार्टअप परिचालन हेतु वित्तीय सहायता स्टार्ट-अप्स संचालन के खर्चों को कम करने के लिए किराया सहायता योजना भी लागू की गई है। स्टार्ट-अप्स को 50 प्रतिशत तक किराया भत्ता अधिकतम 10 हजार रुपए प्रति माह दिया जाएगा। साथ ही प्रोटोटाइप डेवलपमेंट, ऑनलाइन विज्ञापन आदि हेतु भी वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जा रही है। नये क्षेत्रों में स्टार्ट-अप्स को प्राथमिकता नीति में कृषि, फूड प्रोसेसिंग, डीप टेक, बॉयोटेक और नवीनतम तकनीकों के क्षेत्र में स्टार्ट-अप्स को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है। इससे राज्य में विविध और सशक्त स्टार्ट-अप ईको सिस्टम विकसित होगा, जिससे प्रदेश के आर्थिक विकास में सहायता मिलेगी। एंटरप्रेन्योर-इन-रेजिडेंस ईआईआर प्रोग्राम और कौशल विकास सहायता राज्य में स्टार्ट-अप्स को प्रोत्साहित करने के लिए एंटरप्रेन्योर-इन-रेजिडेंस ईआईआर प्रोग्राम लागू किया गया है, जिसके अंतर्गत नए स्टार्टअप्स को 10 हजार रुपए प्रति माह (अधिकतम एक वर्ष के लिए) की वित्तीय सहायता दी जाती है। स्टार्ट-अप एडवाइजरी कॉउंसिल और ऑन लाइन पोर्टल नीति को प्रभावी ढंग से लागू करने और क्रियान्वयन की मॉनिटरिंग के लिए "स्टार्ट-अप एडवाइजरी काउंसिल" का गठन किया जाएगा, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल होंगे। इसके साथ ही स्टार्ट-अप्स के लिए एक समर्पित ऑन लाइन पोर्टल और हेल्प लाइन भी बनाई गई है। इससे उन्हें वित्तीय सहायता, सरकारी योजनाओं और अन्य संसाधनों की जानकारी आसानी से मिल सकेगी। मध्यप्रदेश स्टार्टअप नीति में उत्पाद आधारित स्टार्टअप के लिए विशेष पैकेज की व्यवस्था है। इसके अलावा वित्तीय सहायता, पेटेंट, लीज रेंट, ईआईआर और आयोजनों में सहभागिता के लिए भी सहायता का प्रावधान है। मध्यप्रदेश स्टार्टअप सेंटर में एक समर्पित टीम कार्य कर रही है। राज्य स्टार्टअप पोर्टल को स्टार्टअप इंडिया पोर्टल के साथ एकीकृत किया गया है और वित्तीय सहायता के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया अपनाई गई है।  

एमएसएमई में मध्यप्रदेश की बड़ी छलांग, देश के टॉप 6 राज्यों में शामिल

मध्यप्रदेश में एमएसएमई की संख्या 20 लाख के पार : मंत्री  काश्यप देश के शीर्ष छह राज्यों में शामिल हुआ मध्यप्रदेश मार्च 26 तक 25 लाख एमएसएमई के रजिस्ट्रेशन का लक्ष्य भोपाल  एमएसएमई मंत्री  चेतन्य कुमार काश्यप ने बताया है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मध्यप्रदेश में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम के पंजीयन (MSME) के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धि दर्ज की है। भारत सरकार के उद्यम रजिस्ट्रेशन पोर्टल पर अब तक 20 लाख से अधिक सूक्ष्म, लघु और मध्यम इकाईयां पंजीकृत हो चुकी हैं। उद्यम सहायता पोर्टल के अनुसार प्रदेश में अब तक लगभग 23 लाख इकाईयां (IMEs) स्थापित हुई हैं। मंत्री  काश्यप ने बताया कि वर्तमान में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम इकाइयों की कुल संख्या 43 लाख 32 हजार से अधिक हो गयी है। जिससे मध्यप्रदेश का स्थान देश के शीर्ष छह राज्यों की सूची में दर्ज हो चुका है। उल्लेखनीय है कि फरवरी 2025 में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के दौरान प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी द्वारा घोषित की गई नवीन एमएसएमई नीति के बाद से बड़े पैमाने पर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग स्थापित हुए है। उद्यम रजिस्ट्रेशन पोर्टल     सूक्ष्म     2,026,790                                     लघु            19,524                                    मध्यम         1,174 उद्यम सहायता पोर्टल     अनौपचारिक सूक्ष्म उद्यम     2,284,810 मंत्री  काश्यप ने कहा कि विशेषज्ञों के अनुसार नवीन एमएसएमई विकास नीति 2025, स्टार्ट-अप नीति-2025 ईज ऑफ इइंग बिजनेस जैसी पहल ने उद्यमियों का भरोसा बढ़ाया है। राज्य में उद्यम स्थापना की प्रक्रिया अब पहले से कहीं अधिक आसान और पारदर्शी हो गई है जिससे औद्योगीकरण की प्रक्रिया में तेजी आई है। मंत्री  काश्यप ने कहा है कि इस वृद्धि से रोजगार, स्थानीय निवेश और आत्मनिर्भरता तीनों को एक साथ गति मिली है। महिला उद्यमिता में 15 फीसदी की बढ़ोतरी एमएसएमई मंत्री  चेतन्य कुमार काश्यप ने बताया महिला उद्यमिता में भी पिछले दो वर्षों में 15 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। आंकड़ों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2023-24 की अपेक्षा 2024-25 में पंजीकृत इकाईयों की संख्या में 124279 की वृद्धि हुई है। मध्यप्रदेश सरकार का लक्ष्य अब 2026 तक 25 लाख एमएसएमई इकाइयों का आंकड़ा पार करने का है, जिससे 5 लाख से अधिक नए रोजगार सृजित होने की संभावना है। एमएसएमई मंत्री  काश्यप ने कहा है कि मुख्यमंत्री डॉ. यादव के नेतृत्व में "यह उपलब्धि केवल एक आंकड़ा नहीं है, बल्कि यह मध्यप्रदेश के प्रत्येक जिले में बढ़ती औद्योगिक आत्मनिर्भरता और उद्यमशीलता का दर्पण है। जहाँ 'मेक इन इंडिया', वोकल फॉर लोकल', 'विकसित भारत 2047' और 'एक जिला, एक उत्पाद' जैसी राष्ट्रीय पहलो को प्रदेश में प्रभावी रूप से लागू किया गया है वहाँ राज्य सरकार द्वारा लागू की गई नवीन एमएसएमई विकास नीति-2025 और स्टार्टअप नीतिः 2025 ने उद्योगों को नई दिशा और गति दी है। उन्होंने कहा कि एमएसएमई विभाग इन प्रयासों को उच्चतम स्तर तक ने जाने के लिए सतत रूप से कार्यरत रहेगा, ताकि प्रदेश के उद्योग क्षेत्र में निवेश, नवाचार और रोजगार सृजन को और अधिक प्रोत्साहन मिले।"  

गांधी चिकित्सा महाविद्यालय, भोपाल में इंडोक्राइनोलॉजी विभाग की स्थापना एवं 20 नवीन पदों के सृजन का निर्णय

मेक इन इंडिया के तहत भोपाल जिले में EMC 2.0 परियोजना की स्थापना की स्वीकृति निवेश और रोजगार को मिलेगा बढ़ावा गांधी चिकित्सा महाविद्यालय, भोपाल में इंडोक्राइनोलॉजी विभाग की स्थापना एवं 20 नवीन पदों के सृजन का निर्णय मध्यप्रदेश सिविल सेवा (अवकाश) नियम 2025 अनुमोदित नगरीय निकायों में "गीता भवन" स्थापना योजना स्वीकृत मुरैना जिले में कैलारस कारखाना को MSME विभाग को हस्तांतरित किये जाने का निर्णय मुख्यमंत्री डॉ. यादव की अध्यक्षता में मंत्रि-परिषद के निर्णय भोपाल  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में मंत्रि-परिषद की बैठक मंगलवार को मंत्रालय में सम्पन्न हुई। मंत्रि-परिषद द्वारा भारत सरकार की इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफेक्चरिंग क्लस्टर्स (EMC) 2.0 परियोजना अंतर्गत सामान्य सुविधाओं (CFC) के साथ विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचे के विकास के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन तथा विनिर्माण (ESDM) क्षेत्र के संवर्धन को बढ़ावा दिये जाने के लिए भोपाल की तहसील बैरसिया के ग्राम बांदीखेड़ी में इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर की स्थापना किये जाने का निर्णय लिया गया है। परियोजना के लिए उपलब्ध 210.21 एकड़ भूमि पर परियोजना लागत 371 करोड़ 95 लाख रूपये की सैद्धांतिक स्वीकृति जारी की गयी है। इसमें से राशि 146 करोड़ 63 लाख रूपये केन्द्रांश एवं 225 करोड़ 32 लाख रूपये राज्यांश होगा। भारत सरकार की प्राथमिकता के अनुसार डिजिटल इंडिया एवं मेक इन इंडिया की अवधारणा को साकार करने में EMC 2.0 इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर्स (EMCs) योजना की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। EMC 2.0 योजना, सामान्य सुविधा केंद्रों (सीएफसी) की स्थापना में भी सहयोगी होगी। उन्हें ऐसे क्षेत्र में स्थापित किया जाएगा, जहां बड़ी संख्या में मौजूदा विनिर्माण इकाइयां स्थित हैं, जिनके अंतर्गत सामान्य तकनीकी बुनियादी ढांचे के उन्नयन और ईएमसी, औद्योगिक क्षेत्रों/पाकों/औद्योगिक गलियारों में इकाइयों के लिए सामान्य सुविधाएं प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। EMC 2.0 परियोजना से इलेक्ट्रॉनिक उद्योग के लिए एक मजबूत बुनियादी ढांचा आधार तैयार होगा। इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन एंड मैन्युफैक्चरिंग (ईएसडीएम) क्षेत्र में नए निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा। निर्माण इकाइयों में रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी। निर्माण इकाईयों द्वारा भुगतान किए जाने के फलस्वरूप करों के रूप में शासकीय राजस्व में वृद्धि होगी। उद्यमशीलता पारिस्थितिकी तंत्र के विकास में मदद मिलेगी, साथ ही नवाचार को गति और देश के आर्थिक विकास को उत्प्रेरकता प्राप्त होगी। 5 नवीन शासकीय आयुर्वेद चिकित्सा महाविद्यालय के लिए 1570 पदों की स्वीकृति मंत्रि-परिषद द्वारा नर्मदापुरम, मुरैना, बालाघाट, शहडोल और सागर में नवीन शासकीय आयुर्वेद चिकित्सा महाविद्यालय और वैलनेस सेंटर खोलने के लिए 1570 पदों की स्वीकृति दी गई है। इनमें 715 नियमित पद एवं 855 पद आउटसोर्स के माध्यम से भरे जायेंगे। प्रदेश में संभाग स्तर पर एक आयुर्वेदिक मैडिकल कालेज की स्थापना होगी, जिससे आयुर्वेद उपचार एवं वैलनेस इंडस्ट्री को बढ़ावा मिलेगा। राष्ट्रीय आयुष मिशन के फण्ड से नर्मदापुरम, मुरैना, बालाघाट, शहडोल और सागर में नवीन शासकीय आयुर्वेद चिकित्सा महाविद्यालय शासकीय पद्धति से खोले जाने हैं। इनमें महाविद्यालय भवन, 100 बैड चिकित्सालय परिसर, 100 सीटर बालक एवं बालिका छात्रावास भवन, आवासीय भवन और फार्मेसी भवनों का निर्माण भारतीय चिकित्सा पद्धति के निर्धारित मापदण्ड अनुसार किया जाएगा। संबंधित जिले में शासकीय भूमि आबंटित की जा चुकी है। राष्ट्रीय मिशन अंतर्गत प्रत्येक आयुर्वेदिक चिकित्सा महाविद्यालय के लिए 70 करोड़ रूपये के मान से 350 करोड़ रूपये का 60:40 के अनुपात में प्रावधान किया गया है। गांधी चिकित्सा महाविद्यालय, भोपाल में इंडोक्राइनोलॉजी विभाग की स्थापना एवं 20 नवीन पदों के सृजन का निर्णय मंत्रि-परिषद द्वारा गांधी चिकित्सा महाविद्यालय, भोपाल के अंतर्गत इंडोक्राइनोलॉजी विभाग की स्थापना एवं 20 नवीन पदों के सृजन का निर्णय लिया गया है। विभाग के सुचारू संचालन के लिए विभिन्न संवर्गों के कुल 20 नवीन पदों का सृजन किया जाएगा। इनमें प्राध्यापक का 1, सहायक प्राध्यापक का 1, सीनियर रेसीडेंट के 2, जूनियर रेसीडेंट के 2, सीनियर नर्सिंग ऑफीसर के 2 और नर्सिंग ऑफीसर के 12 पद शामिल हैं। साथ ही 1 डायटीशियन को आउटसोर्स आधार पर निश्चित वेतनमान पर नियुक्त किया जायेगा। इस निर्णय से राज्य में हार्मोन संबंधी रोगों के निदान एवं उपचार में उच्च गुणवत्ता की विशेषज्ञ सेवाएं उपलब्ध हो सकेंगी तथा सुपर स्पेशियलिटी स्वास्थ्य सुविधाओं को और अधिक मजबूती मिलेगी। साथ ही चिकित्सा शिक्षा व प्रशिक्षण का विस्तार होगा। इंडोक्राइनोलॉजी के क्षेत्र में शोध और नवाचार को बढ़ावा भी मिलेगा। जनजातीय कार्य विभाग अंतर्गत संचालित महाविद्यालयीन छात्रावासों में 12 माह के लिए शिष्यवृत्ति दिये जाने की स्वीकृति मंत्रि-परिषद द्वारा जनजातीय कार्य विभाग अंतर्गत संचालित महाविद्यालयीन छात्रावासों में मैस संचालन के लिये 10 माह के स्थान पर 12 माह के लिए शिष्यवृत्ति दिये जाने का निर्णय लिया गया है। यह शिष्यवृत्ति छात्रावासों में विद्यार्थियों की उपस्थिति के आधार पर दी जायेगी। वर्तमान में छात्र को 1650 रूपये प्रतिमाह और छात्राओं को 1700 रूपये प्रतिमाह शिष्यवृत्ति दी जाती है। मध्यप्रदेश सिविल सेवा (अवकाश) नियम 2025 का अनुमोदन मंत्रि-परिषद द्वारा मध्यप्रदेश सिविल सेवा (अवकाश) नियम 2025 का अनुमोदन किया गया है। अनुमोदन अनुसार प्रचलित नियम मध्यप्रदेश सिविल सेवा (अवकाश) नियम 1977 के वर्तमान परिप्रेक्ष्य में परिवर्तन की आवश्यकता के दृष्टिगत नवीन अवकाश नियम मध्यप्रदेश सिविल सेवा (अवकाश) नियम 2025 तैयार किया गया है। नवीन अवकाश नियम 2025 के नवीन प्रावधानों में महिला शासकीय सेवक सेरोगेट / कमीशनिंग मां को भी प्रसूति अवकाश की पात्रता होगी। अवकाश विभागों के शैक्षणिक संवर्ग को एक वर्ष में 10 दिवस के अर्जित अवकाश की पात्रता होगी। दत्तक संतान ग्रहण करने के लिये शासकीय सेवकों को कुल 15 दिवस के पितृत्व अवकाश की पात्रता होगी। इसके साथ ही संतान पालन अवकाश की पात्रता एकल पुरुष शासकीय सेवक को भी होगी। अर्धवेतन अवकाश को अवकाश खाता में अग्रिम रूप से जमा किया जायेगा। यह अवकाश 01 जनवरी को 10 दिवस एवं 01 जुलाई को पुनः 10 दिवस के मान से अवकाश लेखे में अंकित किया जायेगा। अर्जित अवकाश की एक बार प्राप्त करने की अधिकतम अवधि 120 दिन से बढ़ायी जाकर 180 दिवस की गयी है। दिव्यांग अथवा गंभीर अस्वस्थ शासकीय सेवक के अवकाश आवेदन प्रस्तुत करने की प्रक्रिया को सुलभ बनाया गया है, अब परिवार के सदस्य भी आवेदन प्रस्तुत कर सकेंगे। अवकाश स्वीकृत करने के अधिकारों का प्रत्यायोजन के संबंध में नियमों में भी प्रावधान किये गये है। नियम के प्रकाशन एवं अन्य अनुवर्ती कार्यवाही के लिए वित्त विभाग को अधिकृत किया गया है। मध्यप्रदेश सिविल सेवा (अवकाश) नियम 2025 के प्रभावशील होने से राज्य के कोष पर … Read more

18 लाख एमएसएमई इकाइयों में 56 हजार करोड़ का निवेश, 94 लाख से अधिक लोगों को मिला रोजगार

विशेष समाचार मुख्यमंत्री के युवाओं को रोजगार संपन्न बनाने की घोषणा पर अमल एमएसएमई इकाइयों को प्रोत्साहित कर उपलब्ध कराई जा रही है सहायता : मंत्री  काश्यप 18 लाख एमएसएमई इकाइयों में 56 हजार करोड़ का निवेश, 94 लाख से अधिक लोगों को मिला रोजगार भोपाल  सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री श्री चैतन्य कुमार काश्यप ने बताया कि प्रदेश में रोजगार सृजन और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिये राज्य शासन द्वारा निरंतर प्रभावी पहल की जा रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के उद्योग और रोजगार वर्ष की घोषणा के अनुरूप विभाग लगातार एमएसएमई की स्थापना और रोजगार सृजन के लिए गंभीर प्रयास कर रहा है। केंद्र और राज्य की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से युवाओं, महिलाओं और स्व-सहायता समूहों को ऋण, अनुदान और तकनीकी सहायता प्रदान कर उन्हें स्वावलंबी बनाया जा रहा है। मंत्री श्री काश्यप ने बताया कि प्रदेश में 18 लाख पंजीकृत एमएसएमई इकाइयों द्वारा 56 हजार करोड़ रूपये से अधिक निवेश कर 94 लाख से अधिक लोगों को रोजगार दिया गया है। इसी तरह 5,342 स्टार्टअप, 72 इनक्यूबेटर और 2,542 महिला स्टार्टअप्स के माध्यम से 54 हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिला है। वर्ष 2024-25 में मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना और प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के अंतर्गत 10,352 युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ा गया। मंत्री श्री काश्यप ने बताया कि रोजगार सृजन के इस सबसे सशक्त माध्यम को और प्रभावी बनाया गया है। एमएसएमई विकास नीति 2025, स्टार्टअप नीति 2025 और औद्योगिक भूमि आवंटन नियम 2025 के माध्यम से प्राथमिकता क्षेत्रों को विशेष प्रोत्साहन दिया जा रहा है। स्टार्टअप नीति का लक्ष्य 10 हजार डीपीआईआईटी मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स को सहयोग प्रदान करना है। हाल ही में रतलाम में संपन्न हुई रीजनल इंडस्ट्री, स्किल एण्ड एम्प्लॉयमेंट कॉन्क्लेव इसका उदाहरण है, जहां वित्तीय वर्ष 2025-26 में प्रदेश में अभी तक लाभान्वित हुए 2.37 लाख से अधिक लोगों को जिन्हें लगभग 2400 करोड़ रुपये से अधिक का ऋण बैंकों/वित्तीय संस्थाओं के माध्यम से मिला है, उनकी उपलब्धि को प्रदर्शित किया गया। साथ ही विभिन्न स्वरोजगार योजनाओं के तहत प्रदेश के 4 लाख से अधिक हितग्राहियों को 3861 करोड़ रूपये से अधिक का ऋण वितरित किया गया है। इसी तरह 880 एमएसएमई औद्योगिक इकाइयों को 269 करोड़ रूपये की वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाई गई है। इन प्रयासों की अनेक सफल कहानियां भी नवउद्यमियों को प्रेरित कर रही है। राइस मिल के मालिक बने रवि को 53 लाख सब्सिडी पन्ना जिले के गांव गिरवारा निवासी रवि पाठक ने अर्चना राइस मिल नाम से अपना व्यवसाय आरंभ किया। इससे धान प्रसंस्करण के क्षेत्र में उन्हें विशिष्ट पहचान मिली है। रवि ने यह व्यवसाय एमएसएमई प्रोत्साहन योजना की सहायता से प्रारंभ किया। इसमें उन्होंने 133.83 लाख रूपये का निवेश किया, योजना के तहत उन्हें 53.53 लाख रूपये की सहायता मिली। इस योजना के लाभ से रवि का व्यवसाय बहुत अच्छा चल रहा है। 7 जरूरतमंद को रोजगार से जोड़ा इस व्यवसाय के शुरू होने से न सिर्फ रवि ने प्रगति की है बल्कि उन्होंने सात अन्य जरूरतमंद लोगों को रोजगार से जोड़ा है। रवि बताते हैं कि हमारी इकाई में गुणवत्ता का खास खयाल रखा जाता है जिससे कि ग्राहकों को किसी प्रकार की परेशानी न हो। इस पहल से वे आत्मनिर्भर हुए हैं साथ ही गांव के युवाओं को प्रेरणा भी मिली है। अब रवि गांव के अन्य लोगों को योजना की जानकारी दे रहे हैं और आवश्यकता पड़ने पर वे युवाओं को व्यवसाय प्रारंभ कराने में मदद भी कर रहे हैं। उद्यम क्रांति – 50 लाख का टर्नओवर धार जिले के धानमंडी निवासी राकेश गहलोत ने पेंट और हार्डवेयर शॉप प्रारंभ की और आज वे अपने परिवार को आर्थिक संबल प्रदान कर रहे हैं। राकेश ने बताया कि शॉप शुरू करने के लिए उन्होंने जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र से एमसएसएमई विभाग की मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना का लाभ लिया। इसमें उन्हें 25 लाख रूपये का ऋण स्वीकृत हुआ जिससे उन्हें रोजागार स्थापित करने में सहयेाग मिला। धीरे-धीरे व्यवसाय ने गति पकड़ ली। अब उनके व्यवसाय से लगभग 50 लाख रूपये प्रतिवर्ष टर्नओवर मिल रहा है। श्री राकेश बताते हैं, एक समय था जब मैं बहुत हताश हो चुका था। अपने साथियों को जीवन में आगे बढ़ते देख में भी चाहता था कि मेरा भी अच्छा रोजगार स्थापित हो जाए। परिवार की जरूरतें पूरी करना, बच्चों की पढ़ाई और उनके शौक पूरे करना चाहता था। मेरा एक ही उद्देश्य था कि सभी प्रकार की आर्थिक परेशानियों से परिवार को मुक्त करना। इसके बाद मैंने शासन की योजना की सहायता लेकर समस्याओं का समाधान किया। आज श्री गहलोत अपने क्षेत्र में 'आईकान' बन गए हैं। 

टेक्सटाइल एवं गारमेंट क्लस्टर में मध्यप्रदेश के 22 एमएसएमई उद्यमियों का एक्सपोज़र विजिट

भोपाल सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय, भारत सरकार की रैंप योजना एवं मध्यप्रदेश के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विभाग के नेतृत्व में 3 से 5 जुलाई 2025 तक सूरत के विख्यात टेक्सटाइल एवं गारमेंट क्लस्टर में मध्यप्रदेश के 22 एमएसएमई उद्यमियों का एक्सपोज़र विजिट जारी है। लघु उद्योग निगम इस विजिट की नोडल एजेंसी है। इस एक्सपोज़र विजिट में मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों भोपाल, इंदौर, जबलपुर, उज्जैन, मंदसौर, धार, गुना आदि से चयनित एमएसएमई इकाइयों ने भाग लिया। इनका चयन पूर्व निर्धारित पात्रता मानदंडों के आधार पर किया गया जिससे उच्च विकास क्षमता वाली इकाइयों की भागीदारी सुनिश्चित की जा सके। इस भ्रमण का उद्देश्य एमएसएमई उद्यमियों को देश के प्रमुख औद्योगिक क्लस्टरों से अवगत कराना, सफल व्यावसायिक मॉडल से सीखने का अवसर देना और व्यावहारिक अनुभव के माध्यम से उनके कौशल को विकसित करना है। दौरे के पहले दिन गुरूवार को रैंप योजना के राज्य नोडल अधिकारी तथा उप मुख्य महाप्रबंधक- लघु उद्योग, श्री अनिल थागले ने प्रतिभागियों को योजना और इस दौरे के उद्देश्यों की विस्तृत जानकारी दी। मुख्य महाप्रबंधक ने भी प्रतिभागियों को संबोधित किया और इस प्रकार के अध्ययन दौरों की महत्ता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इस पहल से एमएसएमई इकाइयों को न केवल आधुनिक औद्योगिक प्रक्रियाओं को समझने का अवसर मिलता है बल्कि वे अपनी कार्यप्रणाली में सुधार लाकर प्रतिस्पर्धात्मक रूप से आगे भी बढ़ सकते हैं। दक्षिण गुजरात चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष श्री निखिल मद्रासी, मैन मेड टेक्सटाइल रिसर्च एसोसिएशन (मंत्रा) के अध्यक्ष एवं प्रमुख उद्योगपति श्री रजनीकांत बच्छानीवाला तथा निदेशक श्री अरूप ने औद्योगिक क्लस्टरों पर आधारित उपयोगी जानकारियां साझा कीं। इन विशेषज्ञों ने क्लस्टर आधारित विकास, नवाचार और सहयोग के अवसरों पर प्रकाश डाला। एक्सपोज़र विजिट के दौरान प्रतिभागियों ने श्री योगानंद टेक्सटाइल्स प्रा. लि., प्लस के लाइट फैशन प्रा. लि., मंत्रा, लक्ष्मीपति समूह की इकाइयों आदि का भ्रमण कर बड़े पैमाने पर उत्पादन, ब्रांडिंग और विपणन रणनीतियों को भी समझा। उद्यमियों ने बताया कि विजिट में उन्हें उन्नत उत्पादन तकनीकों और बेहतर प्रबंधन तरीकों की जानकारी मिली। नेटवर्किंग, संभावित सहयोग और विस्तार के नए अवसरों की भी पहचान हुई। यह दौरा इस बात का भी परिचायक बना कि कैसे एमएसएमई इकाइयाँ देश की आर्थिक प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं और अपने क्षेत्रों में रोजगार सृजन व सामाजिक विकास को आगे बढ़ा सकती हैं। यह कार्यक्रम राज्य शासन की ज्ञान आदान-प्रदान एवं क्षमता निर्माण की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।