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एमवाय अस्पताल की हालत चिंताजनक, PWD ने बताया – रखरखाव में लापरवाही, अब सिर्फ 25 साल की उम्र बाकी

इंदौर इंदौर का 77 साल पुराना एमवाय अस्पताल अब खुद बीमार और जर्जर होता जा रहा है। यह अस्पताल अंदर और बाहर दोनों ही ओर से कई समस्याओं से घिरा हुआ है। 1948 में महाराजा यशवंतराव होल्कर प्रथम द्वारा स्थापित इस गौरवशाली अस्पताल की हालत अब इतनी खराब हो गई है।  यह खुलासा लोक निर्माण विभाग (PWD) की 300 पेज की रिपोर्ट में हुआ है। यह रिपोर्ट चूहा कांड के बाद सामने आई है, जिसमें हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया था। फिलहाल इस मामले में सुनवाई चल रही है। डीन और स्टाफ ने कोर्ट में पेश की रिपोर्ट राज्य शासन ने कोर्ट में रिपोर्ट पेश की है, जिसमें एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन और सुपरिटेंडेंट सहित स्टाफ व एग्जाइल कंपनी की लापरवाही की जानकारी दी गई है। डीन ने अपने प्रतिवेदन में 31 अगस्त और 1 सितंबर को अस्पताल में चूहे द्वारा काटे जाने की घटनाओं का विवरण दिया है। डीन की रिपोर्ट में PWD के मेंटेनेंस पर जताई चिंता     नवजात शिशुओं की मौत चूहे के काटने से नहीं, बल्कि जन्मजात विकृतियों (मल्टिपल कॉन्जेनिटल मॉलफॉर्मेशन्स) से हुई।     अस्पताल में कर्मचारियों की भारी कमी है।     PWD द्वारा भवन का रखरखाव बेहद खराब है।     पेस्ट कंट्रोल का अनुबंध HLL Infra Tech Services Ltd (HITES) के साथ समाप्त कर दिया गया है।     नर्सिंग स्टाफ पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है। हाई कोर्ट ने PWD से मांगी विस्तृत जानकारी हाई कोर्ट ने भवन की जर्जर स्थिति को गंभीरता से लिया और 15 सितंबर को राज्य शासन को निर्देश दिए कि PWD इन बिंदुओं पर रिपोर्ट दे,     एमवाय अस्पताल और एमजीएम कॉलेज की आंतरिक और बाहरी स्थिति     दोनों भवनों की अनुमानित शेष उम्र     ड्रेनेज सिस्टम और बिजली आपूर्ति की स्थिति     मरम्मत और सुधार के लिए अनुमानित लागत     स्टाफ क्वार्टर्स और परिसर के नवीनीकरण का विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) PWD ने कोर्ट में पेश की 300 पेज की रिपोर्ट PWD के कार्यपालन यंत्री जे.जे. गौतम ने 7 अक्टूबर को रिपोर्ट कोर्ट में पेश की। रिपोर्ट में अस्पताल से जुड़ी कई गंभीर समस्याओं का जिक्र किया गया। PWD ने दिए ये सुझाव     पूरे ड्रेनेज सिस्टम को दोबारा डिजाइन किया जाए।     पानी भराव की स्थायी समस्या का हल निकाला जाए।     सभी टॉयलेट्स को फिर से प्लान किया जाए।     कचरे की मात्रा बहुत अधिक है, इसके प्रबंधन के लिए ठोस उपाय हों।     अस्पताल के सभी दरवाजे लकड़ी के हैं, जिनका रंग उतर चुका है।     बाहर बगीचों के ब्लॉक्स उखड़े हुए हैं।     परिसर की सड़कें टूटी हुई हैं और कई जगह गड्ढे हैं।

चूहों के हमले से मचा हड़कंप: इंदौर अस्पताल में अधीक्षक छुट्टी पर, विभागाध्यक्ष की छुट्टी

इंदौर इंदौर के महाराजा यशवंतराव अस्पताल में चूहों के हमले में दो नवजात बच्चियों की मौत के बाद सरकारी अस्पताल ने शिशु शल्य चिकित्सा विभाग के प्रमुख को उनके पद से हटा दिया, जबकि अधीक्षक अचानक 15 दिन की छुट्टी पर चले गए.   महाराजा यशवंतराव अस्पताल में चूहों के हमले की घटनाओं की जांच करने वाली राज्य स्तरीय जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर अस्पताल प्रशासन ने प्रोफेसर डॉ. ब्रजेश लाहोटी को एमवायएच के शिशु शल्य चिकित्सा विभाग के प्रमुख पद से हटा दिया है. लाहोटी की जगह एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अशोक लड्ढा को नियुक्त किया गया है. इसी क्रम में, एमवायएच के अधीक्षक डॉ. अशोक यादव अपने 'बेहद खराब स्वास्थ्य' का हवाला देते हुए 15 दिन की छुट्टी पर चले गए हैं. चूहों के काटने से नवजात शिशुओं की मौत के मामले में एमवायएच प्रशासन पहले ही 6 अन्य अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई कर चुका है, जिसमें निलंबन और उनके संबंधित पदों से निष्कासन भी शामिल है. बता दें कि 31 अगस्त और 1 सितंबर की दरम्यानी रात को एमवायएच के आईसीयू में चूहों ने जन्मजात विकृतियों से ​​पीड़ित दो नवजात बच्चियों पर हमला कर दिया. बाद में दोनों की मौत हो गई. अस्पताल के अधिकारियों ने चूहों के काटने के बजाय, पहले से मौजूद गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं और जन्मजात विकृतियों को इसका कारण बताया. इनमें से एक बच्ची का परिवार देवास जिले में रहता है, जबकि दूसरी नवजात के परिजन धार जिले के रहने वाले हैं. देवास और धार, इंदौर के पड़ोसी जिले हैं. उधर, आदिवासी संगठन 'जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस)' शासकीय महात्मा गांधी स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय के डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया और एमवायएच अधीक्षक यादव को निलंबित करने और मौत के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज करने की मांग कर रहा है.

बच्चों की मौत के बाद इंदौर में चूहों पर अभियान, ऑपरेशन रैट किल में मारे और पकड़े गए चूहों की जांच

इंदौर इंदौर के सरकारी एमवाय अस्पताल में चूहों के काटने से दो नवजातों की मौत के बाद पेस्ट कंट्रोल एजाइल कंपनी को हटाने की जानकारी सामने आई है। अब इस काम की मॉनिटरिंग के लिए मंगलवार रात डॉ. महेश कछारिया को असिस्टेंट सुपरिटेंडेंट की नियुक्ति कर विशेष जिम्मेदारी।  अस्पताल में चूहों को पकड़ने के लिए चूहामार दवाइयां (कुछ विशेष तरह का पॉयजन, जिसका तुरंत असर हो) डाली जा रही हैं। साथ ही हर यूनिट में बड़े पिंजरे और रोडेंट ग्लू ट्रेप (जिसमें कुतरने वाले जीव, खासकर चूहे, फंस जाते हैं) लगाए जा रहे हैं। बता दें, नवजातों की मौत के मामले में डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया और सुपरिटेंडेंट डॉ. अशोक यादव सहित अन्य पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। कितने चूहे पकड़ाए, इसकी जवाबदेही इंचार्ज की चूहों को पकड़ने को लेकर तुरंत फीडबैक लिया जा रहा है कि रातभर में कितने चूहे पकड़े गए और कितने मारे गए। इसके लिए हर यूनिट के इंचार्ज की जवाबदेही तय की गई है कि 24 घंटे में क्या नतीजे रहे। इसमें NICU (Neonatal Intensive Care Unit) और PICU (Pediatric Intensive Care Unit) पर खास फोकस है। नवजातों को शिकार बनाते हैं चूहे दूसरी मंजिल पर इन NICU और PICU में पूरे कॉरिडोर में गार्डों को सख्त हिदायत दी गई है कि यहां किसी भी हालत में चूहों की एंट्री नहीं होनी चाहिए। इस संबंध में सख्त निर्देश जारी किए गए हैं। दरअसल, इन दोनों यूनिट्स में उन गंभीर नवजात शिशुओं को रखा जाता है, जिनकी स्थिति काफी क्रिटिकल रहती है। इनमें से अधिकतर वेंटिलेटर पर रहते हैं। कम वजनी इन नवजातों का हर अंग नाजुक होता है। जिन गंभीर बीमारियों के कारण उन्हें इन यूनिट्स में एडमिट किया जाता है, उनकी वजह से वे पहले से ही काफी कमजोर रहते हैं और बीमारियों से लड़ने की क्षमता (Immunity Power) बहुत कम होती है। ऐसे में इन दूधमुंहे नवजातों को बड़े चूहे आसानी से अपने भोजन का शिकार बना लेते हैं। हाल की दो घटनाओं में, चूहों ने एक नवजात की चारों उंगलियां तक खा लीं। अस्पताल के बाहर बम चेक करने जैसी चेकिंग चूहों के आतंक को खत्म करने के लिए अस्पताल के और भी ज्यादा सख्ती की गई है। यहां तीन-तीन गार्डों की ड्यूटी लगाई गई है। वे दिन-रात एंट्री करने वाले अटेंडर्स के सामान को बारीकी से चेक कर रहे हैं कि उसमें कोई खाद्य पदार्थ तो नहीं है। इसके अलावा परिसर के बाहर, जहां सार्वजनिक पार्किंग और अस्पताल के बगीचे हैं, वहां किसी भी जूठन या अन्य वेस्ट खाद्य पदार्थ तो नहीं है, उस पर भी कड़ी नजर रखी जा रही है। सीढ़ियों और 6 लिफ्टों में चूहों पर नजर मुख्य सीढ़ियों सहित छह लिफ्टों में चूहो नजर आते हैं तो इसकी जानकारी तुरंत इंचार्ज को देने के लिए कहा गया है। इसे लेकर हर फ्लोर और अन्य स्थानों पर पर्चे चिपकाए गए हैं, जिनमें लिखा है कि यदि किसी स्टाफ को चूहे दिखें तो वे तुरंत इन नंबरों पर सूचना दें। आखिरी तक झूठ बोलते रहे जिम्मेदार केस में जिम्मेदार कहते रहे कि चूहों ने मामूली काटा है। मौत का कारण नवजात का हीमोग्लोबिन कम होना और अंदरूनी अंगों का पूरी तरह से विकसित न होना बताया गया। इन सारे झूठों का खुलासा शनिवार को तब हुआ, जब धार निवासी मंजू के नवजात का शव लेकर परिवार अपने गांव पहुंचा। वहां रात को लाइट नहीं थी, तो उन्होंने मोबाइल की रोशनी में शव की पैकिंग खोली। देखा तो एक हाथ की चारों उंगलियां गायब थीं और घाव देखकर सभी सिहर उठे। दरअसल, चूहों के लिए भोजन के रूप में नवजातों की उंगलियां ही सबसे पहले रहती हैं। वहां से वे धीरे-धीरे शरीर का बड़ा हिस्सा कुतर सकते हैं। अंदाजा लगाया जा सकता है कि चूहों ने दो दिनों में उसे कितना जख्मी किया होगा। सीसीटीवी कैमरों से 24 घंटे मॉनिटरिंग चूहों की धरपकड़ के लिए हर कॉरिडोर, वार्ड और यूनिट में लगे सीसीटीवी कैमरों से भी नजर रखी जा रही है। हालांकि अस्पताल में चूहों का ज्यादातर मूवमेंट फ्लोर पर ही रहा है। साथ हा वे पलंग, स्लाइन बोतलों के स्टैंड, वार्डों में मरीजों और ड्यूटी रूम में रखी भोजन की छोटी आलमारियों और बड़ी टेबलों तक पहुंच जाते हैं। वे टेबलों और अलमारियों में रखी दवाइयां तक खा जाते हैं। खाने का लालच देकर घेराबंदी कर रहे चूहों की घेराबंदी के लिए सरकारी कैंसर और चाचा नेहरू अस्पताल की सीमा तक प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए टीमें उन्हें बिस्किट, केक और दानों का लालच देकर पास बुला रही हैं। हालांकि दिन में सक्रियता कम रहती है। कई स्थानों पर रात में रोडेंट ग्लू ट्रैप में अनाज के दाने रखे गए, जिससे चूहे लालच में आकर चिपक गए और मर गए। अलसुबह इन रोडेंट ग्लू ट्रैप में चिपके मृत चूहों को तुरंत उठाकर ठिकाने लगाया जा रहा है। ऐसे में बाहर और सड़कों पर मृत चूहे देखे जा रहे हैं। बड़े स्तर पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं दूसरी ओर, डीन द्वारा एजाइल कंपनी को हटाकर उसे ब्लैकलिस्टेड करने के लिए भोपाल पत्र लिखा गया है। इस मामले में एजाइल कंपनी पर सिर्फ एक लाख रुपए जुर्माना लगाकर खानापूर्ति कर दी गई, जबकि हटाने संबंधी अधिकृत पत्र की पुष्टि नहीं की गई। जिम्मेदार वरिष्ठ अधिकारियों पर भी अब तक कोई एक्शन नहीं लिया गया। इन डॉक्टर्स को कारण बताओ नोटिस मंगलवार को उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने मंत्रालय, भोपाल में इस मामले की कार्रवाई की समीक्षा की। उन्होंने निर्देश दिए कि पूरी कार्यवाही निष्पक्षता, पारदर्शिता और तथ्यों के आधार पर की जाए। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की घटनाएं स्वास्थ्य सेवाओं की छवि को धूमिल करती हैं, दोषी व्यक्तियों की पहचान कर कठोर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने निर्देश दिए कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए प्रभावी रोकथाम उपाय तुरंत लागू किए जाएं। उन्होंने कहा कि अस्पताल सुपरिटेंडेट डॉ. अशोक यादव, डॉ. बृजेश लाहोटी (HOD, PIC), प्रो. डॉ. मनोज जोशी और सहायक प्रभारी नर्सिंग अधिकारी कलावती भलावी को घटना के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं। डॉ. मुकेश जायसवाल (असिस्टेंट सुपरिटेंडेंट और भवन प्रभारी), प्रवीणा सिंह (प्रभारी नर्सिंग ऑफिसर), नर्सिंग ऑफिसर आकांक्षा बेंजामिन और श्वेता चौहान को सस्पेंड किया गया है। नर्सिंग … Read more

एमवाय अस्पताल में भयावह हादसा, नवजात बच्चियों पर चूहों का हमला – स्टाफ ने नहीं लिया कोई कदम

इंदौर  एमवाय अस्पताल में चूहों के कुतरने के बाद दो नवजात बच्चियों की मौत हो गई थी। अब प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में हुई लापरवाही पर एक और खुलासा हुआ है। अस्पताल के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के एनआइसीयू में चूहे रातभर नवजातों की अंगुलियां और हथेली कुतरते रहे। छह घंटे तक चले घटनाक्रम के दौरान किसी ने उनकी सुध तक नहीं ली। वेटरनरी डॉक्टरों की मानें तो चूहे जैसा चंचल प्राणी के लिए संभव नहीं कि वह एक स्थान पर बैठकर पूरी अंगुली कुतर दें। उसने चार अंगुलियों को कुतरने में कम से कम छह से आठ घंटे लगाए होंगे। इस दौरान वह दर्जनों बार इंक्यूबेटर में आया-गया होगा, हलचल हुई होगी। अगर नर्सिंग स्टाफ या डॉक्टर मौके पर होते तो निश्चित ही उनकी नजर नवजातों पर पड़ती और चूहे नवजातों की अंगुलियां नहीं कुतर पाते। पहले दिन कुतरने के बाद भी अगले दिन नहीं दिया ध्यान दरअसल, 30 और 31 अगस्त को धार जिले के रूपापाड़ा और देवास जिले के कमलापुर निवासी माता-पिता की दो नवजात बच्चियों को चूहे ने कुतरा। पहले दिन धार जिले के नवजात की पूरी चार अंगुलियां चूहे खा गए, लेकिन इस संबंध में किसी ने ध्यान नहीं दिया। उसे लावारिस बताकर सिर्फ पट्टी बांधकर घाव को छुपाने का प्रयास किया, लेकिन मौके पर मौजूद स्टाफ ने घटना के बाद भी वहां की सुरक्षा बढ़ाने पर ध्यान नहीं दिया, ड्यूटी पर तैनात डाक्टर और नर्स दूसरे दिन भी लापरवाह बनकर ड्यूटी करते रहे। इसका नतीजा यह निकला कि देवास जिले की नवजात की हथेली और एक अंगुली चूहा खा गया। दोनों नवजातों को रातभर में चूहों ने शिकार बनाया, लेकिन कोई वार्ड के अंदर तक राउंड लेने भी नहीं गया। एक साथ अंगुलियां नहीं कुतर सकता चूहा, थोड़ी हलचल में ही भाग जाता महू वेटरनरी अस्पताल और निजी अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि चूहा कभी भी एक साथ अंगुलियां नहीं कुतर सकता है। वह थोड़ी देर कुतरने के बाद दूसरे स्थान पर चले जाता है और वापस उसी स्थान पर कुतरने के लिए आता है। चूहा अंगुलियों को कुतरने के साथ ही उन्हें खा भी सकता है। अगर थोड़ी हलचल भी होती तो चूहा वहां से भाग निकलता। यानी कुतरने के दौरान वार्ड में कोई हलचल नहीं हुई होगी, इसलिए उसे समय मिल गया और आसानी से अंगुलियां कुतर सका। इस दौरान नवजात दर्द के कारण रोएं भी होंगे। डॉ. कुलदीप कुमार ने बताया कि चूहा जब भी किसी चीज को लंबे समय तक नहीं कुतरता है। वह थोड़ी देर कुतरने के बाद दूसरे स्थान पर चले जाता है।

इंदौर के MY अस्पताल में चूहों का कहर, दूसरे नवजात की भी हुई मृत्यु

इंदौर  इंदौर के एमवाय हॉस्पिटल के NICU में चूहों के काटने से दोनों बच्‍चो की मौत हो गई है. ये दोनों बच्‍चे इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती थे. अब इस पूरे मामले में बड़ा एक्शन हुआ है. MY हॉस्पिटल में हुई नवजात बच्ची की मौत के मामले में राज्य मानवाधिकार आयोग ने अस्पताल को नोटिस भेजा है. नोटिस भेज कर MY हॉस्पिटल के सुपरिंटेंडेंट और महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज के डीन से इस पूरे मामले को लेकर जवाब मांगा है. राज्य मानवाधिकार आयोग ने अस्पताल प्रबंधन से साफ पूछा कि आखिर नवजात बच्चे की मौत कैसे हुई? बच्चों को चूहों ने कैसे कुतरा? इस गंभीर लापरवाही का जिम्मेदार कौन-कौन है? चूहे पीडियाट्रिक सर्जिकल वार्ड (NICU) तक कैसे पहुंच गए? 3 दिन के नवजात बच्चे की मौत रैट बाइट का मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया. 3 दिन के नवजात बच्ची की मौत पर मानवाधिकार भी सख्त है. अब अस्पताल प्रबंधन को इस पूरे मामले को लेकर 1 महीने में अपना जवाब देना होगा. सुरक्षा पर उठे सवाल अस्पताल सूत्रों की मानें तो NICU में लंबे समय से चूहे घूम रहे थे, लेकिन किसी ने रोकथाम नहीं की. रविवार को एक नवजात के हाथ पर चोट आई और सोमवार को दूसरी घटना हुई. दोनों मामलों के सामने आने के बाद अस्पताल प्रशासन ने फौरन पेस्ट कंट्रोल और सुरक्षा के लिए कदम उठाए. मेडिकल कॉलेज के डीन ने मामले में ड्यूटी पर तैनात नर्स को निलंबित कर दिया. इसके साथ ही HOD और एमवाय अधीक्षक को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया. नर्सिंग अधीक्षक को भी हटाया गया है और पांच डॉक्टरों की टीम मामले की जांच करेगी. अस्पताल अधीक्षक डॉ. अशोक यादव ने बताया कि मरीजों के परिजन वार्ड में खाने-पीने का सामान ले आते हैं, जिससे चूहों की संख्या बढ़ रही है. उन्होंने स्वीकार किया कि पिछले लगभग पांच सालों में अस्पताल में कोई बड़ा पेस्ट कंट्रोल नहीं हुआ था. इस मामले में चिकित्सा शिक्षा विभाग ने डीन को नोटिस दिया है। मामला सामने ने पर दो नर्सिंग अधिकारियों ने डीन ने निलंबित कर दिया था। इससे नर्सिंग स्टाॅफ में नाराजगी है। उनका कहना है कि अस्पताल में ठीक से सफाई न होने से चूहे अस्पताल में घूमते है। चूहों की संख्या पर नियंत्रण करने के लिए पेस्ट कंट्रोल कंपनी का स्टाॅफ भी तैनात रहता है। यदि वह ठीक से काम करें तो चूहे अस्पताल में नजर नहीं आएंगे। परिसर में बना रखे है चूहों ने बिल एमवाय अस्पताल के परिसर में चूहों के सैकड़ों बिल है। कई चूहे तो आधा एक किलो के है। वे अस्पताल के वार्डों में नहीं बल्कि आईसीयू, एनआईसीयू में भी नजर आते है। कई बार वायर भी काट देते है। उधर एमवाय अस्पताल में नवजातों को चूहों के कुतरने के मामले में मानव अधिकार आयोग ने अस्पताल अधीक्षक को जांच के निर्देश दिए है। उन्हें जल्दी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा है। उधर कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी ने इस घटना पर कहा है कि अस्पताल में चूहों के मानव अंगों को कुतरने का मामला नया नहीं है। कई बार घटनाएं छुपाई जाती है। भाजपा के 22 साल का असली चेहरा इस तरह की घटनाएं है। प्लेग के समय चलाया था अभियान 30 साल पहले सूरत में प्लेग फैलने के मामला सामने आया था तो इंदौर के एमवाय अस्पताल को भी चूहों से मुक्त करने का अभियान चलाया गया था। पेस्ट कंट्रोल कंपनियों ने हजारों की संख्या में चूहों का सफाया किया था, लेकिन अब फिर चूहों की बढ़ती संख्या परेशानी की वजह बन गई है।

एमवाय अस्पताल में NICU में घुसे बड़े चूहे, नवजातों के हाथ कुतरे

इंदौर.  इंदौर शहर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल MYH में लापरवाही का चौंकाने वाला मामला सामने आया है. अस्पताल के NICU वार्ड में 2 नवजात बच्चे भर्ती थे. चूहों ने दोनों शिशुओं को हाथ को बुरी तरह कुतर डाला. बताया जा रहा है कि दोनों बच्चों का जन्म कुछ ही दिन पहले हुआ था. इसके बाद दोनों को NICU में एडमिट किया गया था. चूहे ने रविवार को पहले एक बच्चे को जख्मी किया था. फिर उसका इसका इलाज शुरू किया गया. फिर सोमवार को भी चूहे ने एक दूसरे नवजात को काट लिया. सूत्रों की मानें तो अस्पताल कैंपस में लंबे समय से चूहों को लेकर शिकायतें सामने आती रही है. NICU यूनिट भी चूहों को देखा गया है. मामला सामने आने के बाद अस्पताल प्रशासन भी एक्टिव हो गया. अस्पताल में पेस्ट कंट्रोल की तैयारी शुरू की गई है. NICU में भी चूहों को रोकने की कवायद शुरू कर दी गई है. दोनों बच्चों का इलाज जारी मामला सामने आने के बाद जिला अस्पताल में हड़कंप मच गया. घटना की जानकारी डॉक्टरों ने फौरन सीनियर स्टाफ को दी. फिर सीनियर डॉक्टरों की टीम फौरन पहुंची और बच्चों की जांच की गई. फिलहाल दोनों नवजातों का इलाज किया जा रहा है. डॉक्टरों की टीम बच्चों के हेल्थ को मॉनिटर कर रहे हैं. सीनियर डॉक्टर्स भी NICU में पहुंचे स्टाफ ने तुरंत संबंधित डॉक्टरों को सूचना दी। इस बीच सीनियर डॉक्टर्स यूनिट में पहुंचे और बच्चों की जांच की। उन्होंने तत्काल एचओडी डॉ. ब्रजेश लाहोटी को फोन पर घटनाक्रम बताया। दरअसल डॉ. लाहोटी अभी छुट्टी पर हैं। डॉक्टरों ने उन्हें दोनों बच्चों के बारे में जानकारी दी। इसके बाद डॉ. लाहोटी ने सुपरिटेंडेंट डॉ. अशोक यादव को जानकारी दी। स्टाफ को सतर्कता बरतने को कहा डॉ. लाहोटी ने घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि पूरे अस्पताल और आसपास चूहों की काफी भरमार है। दोनों नवजातों का ट्रीटमेंट चल रहा है। विशेष तौर पर ध्यान रखा जा रहा है। स्टाफ को सतर्कता बरतने के लिए कहा है। साथ ही यूनिट में चूहों की आवाजाही बंद करने के इंतजाम किए जा रहे हैं। सुपरिटेंडेंट बोले- पांच साल पहले हुआ था पेस्ट कंट्रोल उधर, डॉ. अशोक यादव (सुपरिटेंडेंट) अभी भोपाल में है। उन्होंने बताया कि मरीज के परिजन खाद्य सामग्री लेकर वार्ड तक ले आते हैं। इस कारण चूहों की संख्या बढ़ रही है। पांच साल पहले अस्पताल में पेस्ट कंट्रोल किया गया था। इसके बाद अब फिर चूहों की संख्या तेजी से बढ़ी है। खास बात यह कि परिजन घबरा न जाए, इसलिए अभी उन्हें बताया नहीं गया है। सभी नवजातों का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। डीन ने स्टाफ को लगाई फटकार नवजात के हाथों को चूहों द्वारा कुतरने के मामले में सोमवार रात अस्पताल के डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया ने NICU का दौरा किया। उन्होंने स्टाफ को कड़ी फटकार लगाई और नवजातों की हालत जानी। दैनिक भास्कर द्वारा मामले का खुलासा करने के बाद अस्पताल में हड़कंप मचा है। जिन नवजातों के हाथों को चूहे ने कुतरा है उनके परिवार को अभी बताया नहीं गया है। साथ ही दूसरी मंजिल स्थित यूनिट में बाहरी लोगों की एंट्री रोक दी गई है।