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सरकार की बड़ी सफलता: 208 नक्सलियों ने BGL लॉन्चर, AK-47, 153 हथियार समेत किया सरेंडर

जगदलपुर छत्तीसगढ़ के जगदलपुर आज नक्सलियों ने सबसे बड़ी संख्या में हथियार डालकर सरेंडर किया है. बस्तर संभाग के अबूझमाड़ और कांकेर के जंगलों से निकलकर कुल 208 नक्सलियों ने हिंसा छोड़कर मुख्यधारा से जुड़ने का फैसला किया है. इनमें 110 महिला नक्सली है और 98 पुरुष नक्सली शामिल हैं, जो सीसी मेंबर के साथ दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी जन जनमिलिसिया कमेटी के अलावा अन्य कैडर पर पदस्थ रहे हैं. नक्सली प्रवक्ता रूपेश के साथ-साथ अन्य सभी माओवादियों ने जगदलपुर पुलिस लाइन में मुख्यमंत्री साय के समक्ष हथियार डाले हैं. नक्सलियों ने डाले कुल 153 हथियार मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, उप मुख्यमंत्री व गृह मंत्री विजय शर्मा, बस्तर रेंज आईजी सुंदरराज पी समते पुलिस प्रशासन के अन्य अधिकारियों की मौजूदगी में नक्सलियों ने 9 प्रकार के 153 हथियार डालकर सरेंडर किया. इनमें 19 AK 47, 17 SLR राइफल, 23 INSAS राइफल, एक INSAS LMG, 36 नग 303 राइफल, 4 कार्बाइन, 11 BGL लॉन्चर, 41 नग 12 बोर/ सिंगल शॉट और 1 पिस्टल शामिल हैं. मुख्यधारा से जुड़ने वाले नक्सलियों को अच्छी पुनर्वास नीति का मिलेगा लाभ : CM साय देश के सबसे बड़े नक्सली को लेकर रायपुर से रवाना होने के दौरान सीएम साय ने बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि विकास की मुख्यधारा से जुड़ने वाले नक्सलियों का स्वागत है. उन्हें हमारी (राज्य सरकार) अच्छी पुनर्वास नीति का लाभ मिलेगा. हमने शुरू से ही हथियार छोड़ने का नक्सलियों से आह्वान किया था. खाली हो जाएगा माड़ डिविजन भैरगगढ़ से सरेंडर होने वाले नक्सलियों में नक्सली प्रवक्ता रूपेश के अलावा 1 सेंट्रल कमेटी मेंबर (सीसीएम), 2 दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी मेंबर (डीकेएसजेडसी), 15 डिविजनल कमेटी मेंबर (डीवीसीएम), एक माड़ एसीएम और 121 अन्य कैडर के माओवादी शामिल हैं. इसी के साथ अधिकतम अबूझमाड़ नक्सल मुक्त होगा और उत्तर बस्तर से लाल आतंक समाप्त हो जाएगा। इसके बाद दक्षिण बस्तर में नक्सलवाद का सूपड़ा साफ होना रह गया है. इन 7 कैडरों के नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण 1) CCM 01 कैडर 2) DKSZC 04 कैडर 3) रीजनल कमेटी मेंबर 01 कैडर 4) DVCM 21 कैडर 5) ACM लेवल 61 कैडर 6) पार्टी मेंबर 98 कैडर 7) PLGA मेंबर/ RPC मेंबर/ अन्य 22.  

IG का दावा: कांकेर-सुकमा समेत बस्तर में 1,800 से ज्यादा नक्सलियों ने छोड़ा हथियार

रायपुर   बीते 24 घंटे में नक्सल सरेंडर के सारे रिकॉर्ड टूट गए। महाराष्ट्र से छत्तीसगढ़ तक 138 नक्सलियों ने सरेंडर कर दिया। सरेंडर करने वालों में सबसे बड़ा नाम नक्सलियों के पोलित ब्यूरो मेंबर भूपति उर्फ सोनू दादा का है। सोनू ने महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के के सामने सरेंडर किया। उसके सरेंडर की खबर एक दिन पहले मंगलवार को ही सामने आ गई थी। नक्सल प्रभावित इलाकों से एक बड़ी खबर आई है. बस्तर रेंज के आईजी सुंदरराज पी. ने बताया कि बीते 20 महीनों में कुल 1,876 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण (सरेन्डर) किया है. इनमें कई कुख्यात नक्सली शामिल हैं, जिन पर लाखों रुपए के इनाम थे. नक्सल विरोधी अभियान में लगातार सफलता के बीच शनिवार को कांकेर और सुकमा जिलों में एक बार फिर 127 माओवादियों ने हथियार डाल दिए. इनमें कांकेर जिले में 100 और सुकमा में 27 नक्सली शामिल हैं. यह सभी नक्सली अलग-अलग संगठनात्मक स्तर पर सक्रिय थे और वर्षों से पुलिस व सुरक्षा बलों की नजर में थे. बड़े कमांडर कर रहे सरेंडर  छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के बड़े कमांडरों ने सरेंडर करना शुरू कर दिया है.चर्चा है कि बड़े कमांडर रुपेश और रनिता भी सरेंडर कर सकते हैं, बताया जा रहा है कि उनकी छत्तीसगढ़ के पुलिस अधिकारियों से बातचीत आखिरी दौर में पहुंच गई है. अगर ऐसा होता है तो यह नक्सल संगठनों के लिए बड़ा झटका माना जाएगा, क्योंकि यह दोनों माओवादी बडे़ नेता माने जाते हैं. इससे पहले माओवादी रणनीतिकार मल्लोजुला वेणुगोपाल राव उर्फ ​​सोनू या भूपति ने हथियार डाल दिए हैं. उसने महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस की मौजूदगी में समर्पण कर दिया था, जबकि सुकमा और कांकेर जिले में भी नक्सलियों ने कल छत्तीसगढ़ में सरेंडर किया था.  आईजी सुंदरराज ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को बसों के जरिए BSF कैंप तक लाया गया, जहां उन्होंने अपने हथियार सुरक्षा बलों को सौंपे. इसके बाद सभी से नियमों के मुताबिक पूछताछ की गई और पुनर्वास की प्रक्रिया शुरू की गई है. उन्होंने कहा कि यह सरेंडर सिर्फ आंकड़ा नहीं है, बल्कि यह साबित करता है कि सरकार की विकास और विश्वास की नीति जमीनी स्तर पर असर दिखा रही है. पहले जहां नक्सली खौफ और हथियार के सहारे शासन चलाने की कोशिश करते थे, वहीं अब गांवों में सड़कें, स्कूल और स्वास्थ्य केंद्र खुलने लगे हैं जिसकी वजह से लोग मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं. बस्तर में अब डर नहीं, भरोसा बढ़ा है आईजी सुंदरराज पी. ने आगे कहा कि बस्तर में अब डर नहीं, भरोसा बढ़ा है. जो कभी जंगल के रास्तों में बंदूक लेकर घूमते थे, वे अब अपने बच्चों के भविष्य की बात कर रहे हैं. ये बदलाव आसान नहीं था, लेकिन सुरक्षा बलों, प्रशासन और स्थानीय लोगों के संयुक्त प्रयास से यह संभव हुआ. बिखर रहा नक्सलवाद  छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद बिखरना शुरू हो गया है. कांकेर जिले में जिन 100 नक्सलियों ने सरेंडर किया है, उनमें टॉप कमांडर राजू सलाम, कमांडर प्रसाद और मीना ने भी हथियार डाले हैं, जो नक्सल संगठनों के लिए सबसे ज्यादा आगे रहते थे. राजू सलाम डिवीजनल कमेटी मेंबर था और वह 5 नंबर का कमांडर था, जो कई बड़ी घटनाओं में भी शामिल रहा है, बताया जाता है कि पिछले 20 सालों के दौरान जो बड़ी नक्सली घटनाएं हुई थी, उसमें कही न कही राजू सलाम का हाथ था. इसी तरह कमांडर प्रसाद और मीना भी नक्सल संगठनों में बड़े नाम थे, जो नक्सल संगठन के लिए कई चीजें उपलब्ध कराते थे.   कई महिला नक्सली भी शामिल आत्मसमर्पण करने वालों में कई महिला नक्सली भी शामिल हैं, जो वर्षों से भूमिगत थीं. कुछ पर 5 लाख से 10 लाख रुपए तक के इनाम भी घोषित थे. पुलिस ने इन्हें सामाजिक पुनर्वास योजना के तहत लाभ देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.कांकेर में 100 और सुकमा में 27 नक्सली सरेंडर करने वालों में कई वारदातों में शामिल रहे हैं इनमें पुलिस कैंप पर हमले, सड़क निर्माण में बाधा और ग्रामीणों को डराने जैसे अपराध शामिल हैं.बस्तर पुलिस का कहना है कि अभी भी कई इलाके ऐसे हैं जहां नक्सली सक्रिय हैं, लेकिन अब उनका जनाधार तेजी से कमजोर हो रहा है. पिछले कुछ महीनों में सुरक्षा बलों ने नक्सल इलाकों में लगातार सफल सर्च ऑपरेशन चलाए हैं, जिससे संगठन का नेटवर्क कमजोर पड़ा है. जानकारी के मुताबिक, राजू सलाम डिवीजनल कमेटी मेंबर (DVCM) कंपनी नंबर 5 का कमांडर था। वह रावघाट एरिया में सक्रिय था। राजू सलाम कांकेर में पिछले 20 साल में घटी सभी बड़ी घटनाओं का मास्टरमाइंड रहा है। इतनी बड़ी संख्या में नक्सलियों के मुख्यधारा में लौटने से इलाके में नक्सलवाद के खात्मे की उम्मीदें बढ़ गई हैं। फिलहाल, कांकेर पुलिस आत्मसमर्पण करने वाले सभी नक्सलियों की पहचान करने में जुटी हुई है। संभावना है कि इन्हें जल्द ही जिला मुख्यालय या संभागीय मुख्यालय में मीडिया के सामने पेश किया जाएगा। इसके अलावा एक दिन पहले ही 6 करोड़ के इनामी और पोलित ब्यूरो सदस्य भूपति ने 60 साथियों के साथ महाराष्ट्र में सरेंडर किया था। सुकमा में भी 50 लाख के इनामी 27 नक्सलियों ने सरेंडर किया है। इनमें 10 महिलाएं और 17 पुरुष शामिल हैं। कोंडागांव जिले में 5 लाख की इनामी महिला नक्सली गीता उर्फ कमली सलाम (40) ने भी हथियार छोड़ दिए हैं। बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने कहा कि पिछले 20 महीनों में अब तक 1,876 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। समाज की मुख्यधारा से जुड़ कर सरकार की पुनर्वास नीति का लाभ ले रहे हैं। हमें पूर्ण विश्वास है कि आने वाले समय में और भी माओवादी इस सकारात्मक रास्ते को अपनाएंगे। 20 महीने में 1876 का सरेंडर  बस्तर रेंज के आईजी सुंदरराज पी ने नक्सलियों के सरेंडर को लेकर बड़ी जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि 20 महीने में अब तक 1876 नक्सलियों ने हथियार डाले हैं और सभी पुनर्वास नीति का लाभ उठाते हुए मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं. जबकि आने वाले दिनों में भी और नक्सलियों का सरेंडर हो सकता है, जिससे उम्मीद की जा रही है कि माओवादी अब मुख्यधारा में लौट रहे हैं.  2026 तक नक्सलवाद खात्में का प्लान  दरअसल, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने नक्सलवाद खात्में को लेकर डेडलाइन … Read more

झारखंड: गुमला में सुरक्षाबलों और उग्रवादियों के बीच मुठभेड़, जेजेएमपी के 3 मारे गए

रांची  झारखंड में नक्सलियों के खिलाफ सुरक्षाबलों का अभियान जारी है. केंद्र सरकार ने नक्सवाद के खात्मे का ऐलान किया है. राज्य के गुमला जिले में स्थानीय पुलिस और जेजेएमपी (JJMP) के नक्सलियों के साथ मुठभेड़ हुई. इस एनकाउंटर में तीन नक्सली ढेर कर दिए गए हैं. मुठभेड़ आज सुबह जिले के बिशनपुर थाना क्षेत्र के केचकी जंगल में हुई. मारे गए नक्सलियों की पहचान लोहरदगा के सेनहा के रहने वाले लालू लोहरा व सुजीत उरांव और लातेहार के होशिर का रहने वाला छोटू उरांव के रूप में हुई है.  सर्च अभियान के दौरान उग्रवादियों ने की फायरिंग पुलिस सूत्रों ने बताया कि गुमला एसपी हरिश बिन जमा को सूचना मिली थी कि जेजेएमपी संगठन के कुछ नक्सली किसी बड़ी घटना को अंजाम देने के लिए बिशनपुर इलाके में जमा हुए हैं. सूचना के बाद झारखंड जगुआर और गुमला जिला बल की एक संयुक्त टीम का गठन किया गया. गठित टीम ने इलाके में सर्च अभियान चलाया. इसी दौरान पुलिस की टीम जैसे ही केचकी जंगल में पहुंची, नक्सलियों ने उन पर फायरिंग शुरू कर दी. पुलिस ने भी जवाबी कार्रवाई की, जिसमें तीन नक्सली मारे गये और एक को गिरफ्तार कर लिया गया. 5 लाख इनामी दो नक्सल ढेर इस मुठभेड़ में पुलिस ने 5 लाख रुपये के दो इनामी उग्रवादी सहित तीन उग्रवादियों को ढेर किया है. जेजेएमपी सुप्रीमो ब्रजेश यादव मौके से भाग निकला. पुलिस ब्रजेश की घेराबंदी में लगी हुई है. मारे गए तीनों प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन जेजेएमपी के इनामी कमांडर लालू लोहरा और छोटू उरांव है. जबकि तीसरे उग्रवादी की पहचान नहीं हुई है. इन लोगों क पास से घातक हथियार सहित कई चीजें समान बरामद हुआ है. गुप्त सूचना पर पहुंची सुरक्षा बल इस संबंध में मिली जानकारी के अनुसार गुमला पुलिस अधीक्षक को गुप्त सूचना मिली थी कि बिशुनपुर प्रखंड के जंगली इलाका केचकी जंगल में जेजेएमपी के उग्रवादी कैंप लगाकर बैठे हुए हैं. ये लोग किसी बड़ी घटना को अंजाम देने की तैयारी में हैं. इस सूचना पर पुलिस की एक टीम गठित कर जंगल की घेराबंदी की गयी. सुरक्षा बलों को देखते ही उग्रवादियों ने क्यूआरटी टीम पर फायरिंग कर दी. इसी दौरान जवाबी कार्रवाई में तीन उग्रवादियों को सुरक्षा बलों ने मार गिराया. उग्रवादियों के पास से भारी मात्रा में हथियार बरामद  गुमला एसपी हरिश बिन जमा ने कहा कि दोनों ओर से हुई मुठभेड़ में तीन नक्सली मारे गए हैं. इनके पास से एक-एक-56 राइफल, एक एसएलआर और एक इंसास राइफल बरामद हुए हैं. सुरक्षा बलों द्वारा जंगल में सर्च अभियान चलाया जा रहा है. यह अभियान आगे भी जारी रहेगा.

अपने ही गढ़ में डर से जी रहे माओवादी, जानिए वो 5 बड़े कारण जिन्होंने तोड़ दिया नक्सलियों का हौसला

रायपुर  छत्तीसगढ़ का बस्तर इलाका कभी नक्सलियों का गढ़ माना जाता था लेकिन अब यहां फोर्स की गतिविधियां बढ़ गई हैं। फोर्स नक्सलियों के उन ठिकानों में पहुंच गई है जिसे सबसे सुरक्षित माना जाता था। जिसके बाद माओवादी संगठन बैकफुट पर हैं।  नक्सलियों की केंद्रीय कमेटी ने सरकार के सामने सरेंडर करने और हथियार डालने को लेकर लेटर लिखा है। यह लेटर CPI (माओवादी) के द्वारा जारी किया गया है। जो लेटर सामने आया है उस लेटर के सत्यता की जांच की जा रही है। आइए जानते हैं वो पांच कारण जिस कारण से नक्सलियों ने हथियार छोड़ने का फैसला किया है। ताबड़तोड़ एनकाउंटर से टूटी कमर छत्तीसगढ़ में बीते डेढ़ सालों में सुरक्षाबल के जवानों की गतिविधियां बढ़ गई हैं। सुरक्षाबल के जवानों बस्तर और नक्सल प्रभावित जिलों में लगातार एनकाउंटर कर रहे हैं। एनकाउंटर के कारण नक्सलियों की रीढ़ टूट गई है। सुरक्षाबल के जवान केवल बस्तर ही नहीं उस सभी जिलों में कार्रवाई कर रहे हैं जहां नक्सली गतिविधियों की जानकारी मिल रही हैं। छत्तीसगढ़ में इस साल अलग-अलग मुठभेड़ों में 244 नक्सली मारे जा चुके हैं। इनमें से 215 नक्सली बस्तर संभाग में मारे गए। जबकि 27 गरियाबंद जिले में मारे गए। इसके अलावा दुर्ग संभाग के मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी जिले में दो नक्सली मारे गए हैं। आपूर्ति को किया प्रभावित छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबल के जवानों ने नक्सलियों के उन ठिकानों पर भी धावा बोला जो उनके लिए सुरक्षित माने जाते हैं। सुरक्षाबल के जवानों ने नक्सलियों की आपूर्ति को प्रभावित किया है। जिस कारण से नक्सली संगठनों तक हथियार और राशन नहीं पहुंच पा रहा है। सुरक्षाबलों ने माओवादियों द्वारा छिपाए गए भारी मात्रा में हथियार और गोला बारूद बरामद किया है। हथियारों की बरामदगी माओवादियों के खिलाफ बड़ा झटका मानी जा रही है। जवानों ने माओवादियों द्वारा छिपाए गए हथियारों, विस्फोटक सामग्री और रसद के बड़े डंप का पता लगाकर उन्हें जब्त किया है। जवानों ने नक्सलियों के ठिकानों से बीजीएल लांचर, मजल लोडिंग बंदूक, बीजीएल सेल, बैरल पाइप, बैटरी, इलेक्ट्रिक डेटोनेटर, डायरेक्शनल माइंस, पिठ्ठू बैग, बीजीएल पोच, माओवादी वर्दी, केरिपु पैटर्न की कॉम्बैट ड्रेस, बेल्ट, बेडशीट, माओवादी साहित्य, पटाखे और राशन सामग्री बरामद की है। नियद नेल्लानार योजना का प्रभाव छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ जहां सुरक्षाबल के जवान नक्सलियों के साथ सीधे तौर पर मुकाबला कर रहे हैं वहीं, सरकार भी रणनीति तौर पर बड़ी तैयारी कर रही है। नक्सल प्रभावित गांवों में विकास पहुंचाने के लिए सरकार ने नियद नेल्लानार योजना की शुरुआत की है। इस योजना का लाभ बस्तर जिले के नक्सल प्रभावित लोगों को मिल रहा है। जिस कारण से ग्रामीणों ने नक्सलियों के खिलाफ आवाज उठाई है। जिन इलाकों में विकास नहीं पहुंचा था वहां जिला प्रशासन, सुरक्षाबल के जवान के माध्यम से सरकार योजनाएं तेजी से पहुंच रही हैं। लोगों के आधारकार्ड बनाए जा रहे हैं। उनको अलग-अलग योजनाओं का लाभ मिल रहा है जिससे नक्सलवाद के खिलाफ उनका मोहभंग हुआ है और सुरक्षाबल के जवानों को सहयोग दे रहे हैं। बड़े लीडरों के मारे जाने से संगठन कमजोर छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबल के जवानों ने रणनीति बदली है। जवानों ने नक्सलियों के टॉप लीडरों को टारगेट करते हुए ऑपरेशन शुरु किए हैं। सुरक्षाबल के जवानों ने नक्सलियों के कई टॉप लीडरों को मार गिराया है। जिन लीडरों को मारा गया है उनमें माओवादी संगठन का महासचिव भी शामिल है। सुरक्षाबल के जवानों ने सेंट्रल कमेटी मेंबर मोडेम बालकृष्ण, डेढ़ करोड़ के इनामी बसवाराजू, सेंट्रल कमेटी मेंबर जयराम उर्फ चलपति, सेंट्रल रीजनल ब्यूरो रेणुका जैसे नक्सलियों का एनकाउंटर किया है। नक्सली संगठनों को सबसे बड़ा झटका तब लगा जब पालित ब्यूरो का मेंबर और डेढ़ करोड़ रुपये का इनामी बसवाराजू मारा गया है। माओवादी विचारधारा छोड़ रहे हैं नक्सली एक तरफ जहां नक्सलियों के खिलाफ जवान सैन्य कार्रवाई कर रहे हैं वहीं, दूसरी तरफ बड़ी संख्या में माओवादी सरेंडर भी कर रहे हैं। सरेंडर करने वाले नक्सलियों को नई सरेंडर पॉलिसी के तहत नई शुरुआत करने का मौका दिया जा रहा है। जिसके बाद बस्तर इलाके में बड़े पैमाने पर नक्सली सरेंडर कर रहे हैं। नक्सलियों के सरेंडर और नए कैडरों की भर्ती में कमी के कारण भी नक्सली संगठन कमजोर हो रहे हैं। छत्तीसगढ़ में 2023 में नई सरकार के गठन के बाद से अभी तक 1704 माओवादी आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा से जुड़ चुके हैं।  

महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में दो महिला नक्सली ढेर, सुरक्षाबलों की बड़ी कार्रवाई

गढ़चिरौली  महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में पुलिस कमांडो और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ में 2 महिला नक्सली को ढेर कर दिया गया है. साथ ही मौके से एके 47 समेत कई हथियार बरामद किए गए हैं. जानकारी के मुताबिक गढ़चिरौली पुलिस ने एटापल्ली तालुका के जाम्बिया जंगल में एक भीषण मुठभेड़ में दो महिला माओवादियों को मार गिराया है. खुफिया जानकारी के आधार पर, सी-60 टीमों और सीआरपीएफ की 191वीं बटालियन ने इलाके की घेराबंदी की और एक एके-47, एक पिस्तौल, गोला-बारूद और भारी मात्रा में माओवादी साहित्य बरामद किया है. अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सत्य साईं कार्तिक के नेतृत्व में चल रहे अभियान के तहत क्षेत्र में माओवादी गतिविधियों के खिलाफ ये कार्रवाई की गई. इसे बड़ी सफलता के तौर पर देखा जा रहा है. मृत्युंजय सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं, जिनका पत्रकारिता में 18 वर्षों का अनुभव है. वर्तमान में ABP News में कार्यरत हैं और महाराष्ट्र में डिप्टी ब्यूरो चीफ के रूप में कार्यरत हैं. वे अपराध, राजनीति और सामाजिक मुद्दों पर गहरी रिपोर्टिंग करते हैं. उनकी डिफेंस में काफी रुचि है. 

झारखंड में नक्सलियों पर बड़ी कार्रवाई, हजारीबाग एनकाउंटर में तीन ढेर, एक पर था 1 करोड़ का इनाम

बरकट्ठा  झारखंड में चल रहे नक्सल अभियान के तहत हजारीबाग जिला अंतर्गत बरकट्ठा के गोरहर पांतितीरी गांव में आज सोमवार की सुबह पुलिस को बहुत बड़ी सफलता हासिल हुई है. हजारीबाग पुलिस और कोबरा बटालियन के संयुक्त अभियान में 1 करोड़ के इनामी सहित तीन नक्सली ढेर हो गये हैं. भाकपा माओवादी सेंट्रल कमेटी सदस्य 1 करोड़ का इनामी सहदेव महतो उर्फ प्रवेश, सैक सदस्य 25 लाख का इनामी रघुनाथ हेंब्रम उर्फ चंचल और 10 लाख का इनामी जोनल कमांडर बिरसेन गंझू एनकाउंटर में मारे गये. पुलिस मुख्यालय सूत्रों के द्वारा तीनों नक्सलियों के मारे जाने की पुष्टि की गयी है. बरही कोबरा के तीन जवान घायल इस अभियान में बरही कोबरा के तीन जवानों के घायल होने की खबर है. बरकट्ठा के गोरहर थाना क्षेत्र में यह मुठभेड़ हुई है. सर्च अभियान में तीनों नक्सलियों के शव बरामद कर लिए गये हैं. साथ ही मौके से तीन एके-47 भी बरामद किए गए हैं. नक्सलियों ने शुरू की फायरिंग उक्त कार्रवाई हजारीबाग एसपी अंजनी अंजन के नेतृत्व में हुई. हजारीबाग पुलिस और कोबरा बटालियन के जवान ने गोरहर थाना क्षेत्र में गुप्त सूचना के आधार पर जंगल में छापामारी की. इसकी भनक लगते ही नक्सलियों ने फायरिंग शुरू कर दी. पुलिस और कोबरा बटालियन के जवानों की जवाबी कार्रवाई में तीनों नक्सली ढेर हो गये.

बालाघाट के जंगलों में गोलियां गूंजीं! सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच चल रही मुठभेड़

 बालाघाट  बालाघाट से बड़ी खबर सामने आ रही है जहां सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच भीषण मुठभेड़ जारी है। यह मुठभेड़ जिले के घने जंगलों में उस समय शुरू हुई जब सुरक्षा बलों द्वारा एक विशेष सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा था। प्रारंभिक जानकारी के मुताबिक, ऑपरेशन के दौरान सुरक्षाबलों की टीम का सामना नक्सलियों से हो गया, जिसके बाद दोनों ओर से फायरिंग शुरू हो गई। घटना की पुष्टि करते हुए सुरक्षा एजेंसियों ने बताया कि मुठभेड़ अभी भी जारी है और मौके पर अतिरिक्त बलों को रवाना किया गया है। फिलहाल, किसी प्रकार के हताहत या गिरफ्तारी की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। प्रशासन ने क्षेत्र में अलर्ट जारी कर दिया है और मुठभेड़ से संबंधित विस्तृत जानकारी का इंतजार किया जा रहा है। बालाघाट जिले लांजी थाना अंतर्गत मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ सीमा से लगे झुलनापाठ के जंगल में शनिवार सुबह माओवादियों और सुरक्षा जवानों के बीच मुठभेड़ हुई है। इसमें कुछ माओवादियों के मारे जाने की सूचना आ रही है। पुलिस अधीक्षक आदित्य मिश्रा ने मुठभेड़ की घटना की पुष्टि की है। उन्होंने मुठभेड़ में माओवादियों के मारे जाने की बात से इनकार किया है, लेकिन ये स्पष्ट किया है कि जंगल में मुठभेड़ हुई है और मौके पर हाकफोर्स और कोबरा बटालियन के जवान तैनात हैं। वहीं, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (बैहर) आदर्शकांत शुक्ला ने बताया कि मुठभेड़ शनिवार सुबह नौ बजे के आसपास शुरू हुई थी। दो-तीन घंटे के बाद मुठभेड़ रुक गई। फिलहाल सुरक्षा जवान इलाके की सर्चिंग कर रहे हैं। मुठभेड़ में माओवादी के मारे जाने की भी जानकारी सामने आ रही है, लेकिन पुलिस का कहना है कि अभी किसी भी माओवादी का शव नहीं मिला है। इसलिए मुठभेड़ में माओवादी मारे गए हैं या नहीं, ये शव मिलने के बाद ही स्पष्ट होगा। 14 जून को मारी गईं थीं चार हार्डकोर महिला माओवादी बता दें कि 36 दिन पहले 14 जून को रूपझर थाना क्षेत्र के कटेझिरिया के जंगल में हाकफोर्स के जवानों ने चार हार्डकोर महिला माओवादियों को मार गिराया था। इसके बाद इस महीने हट्टा थाना क्षेत्र के ठाकुरटोला के नैनसिंह धुर्वे को पुलिस ने माओवादियों को विस्फोटक सामग्री उपलब्ध कराने के आरोप में गिरफ्तार किया था। इस मामले में पुलिस अब तक पांच संदेहियों को भी हिरासत में लेकर पूछताछ कर चुकी है। हाकफोर्स और कोबरा बटालियन के जवान मौके पर तैनात है। आशंका है कि फायरिंग में कुछ माओवादियों जान बचाकर जंगल में भाग गए हैं। अभी कोई शव बरामद नहीं हुआ है, लेकिन यह बताया जा रहा है कि कई माओवादियों को इसमें गोली लगी है। सर्चिंग पर निकले थे जवान जानकारी के मुताबिक हाकफोर्स और कोबरा बटालियन के जवान इलाके में सर्चिंग पर निकले थे। इसी दौरान वहां मौजूद माओवादियों ने गोलियां चलाना शुरू कर दी। बदले में जवानों ने भी डटकर उनका मुकाबला किया, इस दौरान कई माओवादी भागने पर मजबूर हो गए। छत्तीसगढ़ से भागकर आने की आशंका जिस इलाके में यह मुठभेड़ हुई वह छत्तीसगढ़ की सीमा के काफी करीब है, आशंका जताई जा रही है कि माओवादी वहीं से भागकर मध्य प्रदेश के बालाघाट में आए हैं। छत्तीसगढ़ में माओवादियों के खिलाफ सुरक्षाबलों का एक्शन लगातार जारी है। केंद्र सरकार ने अगले साल तक देश को माओवाद से मुक्त करने का निर्णय लिया है। ऐसे में मध्य प्रदेश में भी उनके छिपने के संभावित ठिकानों पर लगातार सर्चिंग की जा रही है।

30 पूर्व नक्सलियों को नया जीवन शुरू शुरू करने राजमिस्त्री का प्रशिक्षण देकर स्वालंबी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया

  सुकमा  नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में जिला प्रशासन की ओर से आत्म समर्पण कर मुख्यधारा में लौटे 30 पूर्व नक्सलियों को नया जीवन शुरू करने का अवसर प्रदान किया गया है। प्रशासन द्वारा इन युवाओं काो राजमिस्त्री का व्यवसायिक प्रशिक्षण देकर उन्हें आर्थिक रूप से स्वालंबी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। छत्तीसगढ़ सरकार की नक्सल पुनर्वास नीति के तहत नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में आत्मसमर्पित नक्सलियों के लिए सुनहरे भविष्य की राह तैयार की की जा रही है। जिला कलेक्टर देवेश कुमार ध्रुव के निर्देशन और एसपी किरण चव्हाण के मार्गदर्शन में इस पहल की शुरूआत की गई है। सफलतापूर्वक प्रशिक्षण पूरा करने के बाद सभी लाभार्थियों को एसपी किरण चव्हाण ने कार्यालय में प्रमाण पत्र प्रदान किया। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए पुनर्वास केंद्र में रखकर उनके कौशल विकास और रोजगार के अवसर सुनिश्चित कराए जा रहे हैं। इस योजना से नक्सली गतिविधियों से दूरी बनाने वालों को न केवल सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर मिलेगा, बल्कि उनके परिवारों को राज्य सरकार द्वारा आत्म समर्पित नक्सलियों के लिए आजीविका के साधन भी उपलब्ध होंगे। शांति और विकास की राह में सम्मानजनक पहल की जा रही है। लाइवलीहूड कालेज के तत्वाधान में आरसेटी के तहत चलने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रम में आत्मसमर्पित नक्सलियों को समाज की मुख्यधारा में शामिल होने की दिशा में यह एक अहम प्रयास माना जा रहा है। प्रशासन का मानना है कि इस तरह की योजनाएं बाकी सक्रिय नक्सलियों को भी हिंसा का रास्ता छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित करेगी। प्रशिक्षण हासिल करने वाले सभी आत्मसमर्पितों को एसपी के द्वारा प्रमाण पत्र का वितरण किया गया। प्रमाण पत्र पाकर प्रशिक्षित युवाओं में आत्मविश्वास साफ नजर आया। प्रशासन ने भरोसा जताया कि इस पहल से न सिर्फ उनका भविष्य सवंरेगा बल्कि सुकमा में स्थायी शांति और स्वरोजगार स्थापित करने में मदद मिलेगी।