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निमिषा प्रिया की जिंदगी बचाने मुस्लिम धर्मगुरुओं ने उठाया कदम, साढ़े 8 करोड़ रुपए भी लेने को क्यों राजी नहीं पीड़ित परिवार!

 कोझिकोड  यमन में फांसी की सजा का सामना कर रही भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को बचाने के लिए अब सुन्नी मुस्लिम धर्मगुरु कंथापुरम ए. पी. अबूबकर मुसलियार आगे आए हैं। सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी और कहा कि मुस्लिम धर्मगुरु उसे बचाने के लिए ‘हर संभव प्रयास’ कर रहे हैं। नर्स को दो दिन बाद यानी 16 जुलाई की फांसी देने की तारीख तय की गई है। सूत्रों ने बताया कि 94 वर्षीय मुसलियार ने यमन में इस्लामिक धार्मिक नेतृत्व के साथ बातचीत की है। इसके अलावा वह मृतक तलाल अब्दो मेहदी के परिजनों के संपर्क में भी हैं। तलाल अब्दो मेहदी यमनी नागरिक था, जिसकी भारतीय नर्स ने 2017 में कथित तौर पर हत्या कर दी थी। मुसलियार को भारत के मुफ्ती ए आजम की उपाधि प्राप्त है और उन्हें आधिकारिक तौर पर शेख अबूबक्र अहमद के नाम से भी जाना जाता है। फांसी में अब बचे हैं सिर्फ दो दिन केरल निवासी नर्स निमिषा प्रिया को अपने यमनी व्यापारिक साझेदार मेहदी की हत्या करने के मामले में 16 जुलाई को फांसी की सजा दी जानी है। सूत्रों ने बताया कि दियात (ब्लड मनी) दिए जाने को लेकर बातचीत हो चुकी है और केरल में संबंधित पक्षों को इसकी जानकारी दे दी गई है। हालांकि, बातचीत की स्थिति के बारे में कोई आधिकारिक सूचना नहीं दी गई है। यमन में लागू शरिया कानून के अनुसार, दियात कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त क्षमादान वित्तीय मुआवजा है जो दोषी की तरफ से मारे गए व्यक्ति के परिजन को दिया जाता है। इस बीच, सूत्रों ने बताया कि बातचीत को सुगम बनाने के लिए मुसलियार के मुख्यालय में एक कार्यालय खोला गया है। निमिषा प्रिया पर अपने बिजनेस पार्टनर अब्दो महदी की हत्या का आरोप है. इसी मामले में निमिषा को फांसी की सजा सुनाई गई है. यमन के शरिया कानून के मुताबिक अगर महदी का परिवार ब्लड मनी को लेकर राजी हो जाता है तो निमिषा को जेल से रिहा कर दिया जाएगा. परिवार 8.5 करोड़ रुपए देने को राजी निमिषा के परिवार ने बतौर ब्लड मनी 8.5 करोड़ रुपए (1 मिलियन डॉलर) देने की पेशकश की है. पैसे जुटा भी लिए गए हैं, लेकिन अब्दो का परिवार इसको लेकर अब तक राजी नहीं है. सवाल उठ रहा है कि आखिर अब्दो का परिवार इसे क्यों नहीं मान रहा है? क्या अब्दो महदी के परिवार को यह रकम कम लग रही है या उस पर कोई और ही दबाव है? पूरे केस में हूती विद्रोही एक्टिव निमिषा प्रिया केस में हूती विद्रोहियों का एक्टिव होना मुश्किलों का कारण बन गया है. सोमवार (14 जुलाई) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल ने इसके संकेत भी दिए. अटॉर्नी ने कहा कि हूती विद्रोहियों ने इसे सम्मान से जोड़ लिया है. अब्दो महदी परिवार और हूती के विद्रोही ब्लड मनी पर बात नहीं कर रहे हैं. इसलिए यह मामला आगे नहीं बढ़ पा रहा है. सरकार की कोशिश जारी है. परिवार भी वहीं पर है और बात चल रही है. हूती विद्रोहियो को मनाने के लिए सुन्नी समुदाय के ग्रांड मुफ्ती ने केरल में डेरा डाल दिया है. ग्रांड मुफ्ती अबूबकर मुसलियार ने यमन के धर्मगुरु के साथ बंद कमरे में मुलाकात की है. इसलिए भी हूती केस में बड़ा अड़ंगा निमिषा प्रिया को भारत इसलिए भी नहीं बचा पा रहा है. क्योंकि हूती यमन में एक्टिव है और उसकी वजह से यमन की राजधानी में भारत का कोई दूतावास नहीं है. हूती के विद्रोही पिछले 6 साल से यमन और उसके आसपास तांडव मचा रहे हैं. भारतीय दूतावास सऊदी के रियाद से इस पूरे प्रकरण को मॉनिटर करने की कवायद कर रहा है, लेकिन हूती के रिश्ते सऊदी से भी ठीक नहीं है. हूती सऊदी को अमेरिका का पिट्ठू मानता है और उसके खिलाफ हर वक्त मोर्चा खोले रखता है. निमिषा प्रिया को 2020 में मौत की सजा सुनाई गई थी पलक्कड़ जिले की रहने वाली निमिषा प्रिया को 2020 में मौत की सजा सुनाई गई थी और 2023 में उसकी अंतिम अपील खारिज कर दी गई थी। वह वर्तमान में यमन की राजधानी सना की जेल में कैद है। इससे पहले दिन में केंद्र ने उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि 16 जुलाई को फांसी की सजा का सामना कर रही नर्स के मामले में सरकार कुछ खास नहीं कर सकती। अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि ने न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ को बताया कि सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है।

यमन में झेली दरिंदगी, निमिषा प्रिया ने खोले तलाल के जुल्मों के राज, दोस्तों के साथ संबंध बनाने को मजबूर करता था

 पलक्कड़ केरल के पलक्कड़ जिले की रहने वाली नर्स निमिषा प्रिया को 16 जुलाई को यमन में फांसी होने वाली है। भारत सरकार उनकी जान बचाने की पुरजोर कोशिश में जुटी है। निमिषा ने गलती से बिजनेस पार्टनर की हत्या कर दी थी। यमन का रहने वाला तलाल अब्दो महदी निमिषा का बिजनेस पार्टनर था, लेकिन बाद में उसकी बुरी नजर प्रिया पर पड़ गई और खूब प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। यहां तक कि वह रात में अपने घर पर दोस्तों को बुलाता और निमिषा को उनके साथ भी संबंध बनाने के लिए मजबूर करता। उसने अस्पताल में सभी के सामने कई बार निमिषा को प्रताड़ित किया और यहां तक कि उस पर थूकता भी था। जब निमिषा को तलाल की हत्या के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई, तब जेल से उसने तलाल की कई पोल खोली थी। 'द न्यूज मिनट' वेबसाइट से बात करते हुए निमिषा ने पूर्व में बताया था कि तलाल ने सभी लोगों से यहां तक बताना शुरू कर दिया था कि वह उसकी पत्नी है, जबकि निमिषा की पहले ही केरल में थॉमस नामक शख्स से शादी हो चुकी थी और दोनों के एक बच्ची थी। साल 2015 में यमन में सिविल वॉर शुरू होने के बाद तलाल में बदलाव आने लगे और फिर दोनों के बीच अक्सर लड़ाई होने लगी। निमिषा ने बताया था, ''क्लिनिक की शुरुआत अच्छी रही थी। महीनेभर के अंदर ही मुझे अच्छी कमाई होने लगी। तलाल ने शुरू में मेरी मदद की थी, जैसे कि पैसे और सामान को लाने में। पर जब मेरी अच्छी कमाई होने लगी तो तलाल ने उसमें से हर महीने शेयर मांगना शुरू कर दिया। यहां तक कि उसने क्लिनिक के शेयरहोल्डर में भी अपना नाम जुड़वा लिया।'' 'मुझे अपने दोस्तों के साथ संबंध बनाने को कहता था' सजा पाने के बाद जेल से ही बात करते हुए निमिषा ने बताया था, ''उसने मुझे प्रताड़ित करना शुरू कर दिया था। वह क्लिनिक के कर्मचारियों के सामने मुझे पीटता और मुझपर थूकता था। 2016 में मैंने पुलिस थाने में उसकी शिकायत दर्ज करवाई। उसने मेरा पासपोर्ट भी अपने पास रख लिया और अपने साथ रहने पर मजबूर करने लगा। वह नशा करके घर आता और मुझे मारता-पीटता।'' भारतीय नर्स ने आगे कहा, ''वह रात में अपने दोस्तों को भी घर पर लाता और मुझे उनके साथ यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर करता था। मैं खुद को बचाने के लिए बाहर भागती थी। मैं उससे बचने के लिए यमन की सड़कों पर रात में अकेले भागती थी, जबकि यह एक ऐसी जगह है, जहां रात में सड़क पर कोई महिला नहीं दिखाई देती।'' इन सबके बाद साल 2017 में निमिषा ने उसे नशीली दवा देकर बेहोश करने की कोशिश की, जिससे वह अपना पासपोर्ट वापस ले सके। पहली बार में वह इतने नशे में था कि उस पर दवा ने कोई असर नहीं किया। दोबारा नशे की दवा का ओवरडोज ज्यादा होने की वजह से तलाल की मौत हो गई। इसके बाद, पुलिस ने निमिषा को गिरफ्तार किया और बाद में उसे फांसी की सजा सुनाई गई।

ब्लड मनी लेने से परिवार का इनकार, संकट में निमिषा की ज़िंदगी – पेशकश हुई इतनी बड़ी रकम की

पलक्कड़  यमन में मौत की सजा का सामना कर रहीं भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को बचाने की कोशिशें जारी हैं। कहा जा रहा है कि अगर पीड़ित का परिवार ब्लड मनी को स्वीकार कर लेता है, तो उनकी जान बच सकती है। हालांकि, ताजा रिपोर्ट्स से संकेत मिल रहे हैं कि पीड़ित परिवार ने धनराशि स्वीकार करने से मना कर दिया है। फिलहाल, इसे लेकर आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। निमिषा साल 2017 में यमन के नागरिक तलाल अब्दो महदी की हत्या की दोषी पाई गईं थीं। यमन की कानूनी व्यवस्था के तहत अगर पीड़ित परिवार ब्लड मनी स्वीकार करने के लिए तैयार हो जाता है, तो निमिषा को क्षमादान मिल सकता है। ब्लड मनी एक तरह का आर्थिक मुआवजा है, जो दोषी की तरफ से पीड़ित परिवार को दिए जाने की पेशकश की जाती है। टेलीग्राफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, निमिषा प्रिया के मामले में 8 करोड़ रुपये की पेशकश की गई है। खबर है कि Save Nimisha Priya International Action Council ने पूरी धनराशि के साथ तलाल के परिवार को शिक्षा, मेडिकल समेत कई अन्य सहयोग देने का भी वादा किया है। लेकिन कहा जा रहा है कि पीड़ित के परिवार ने सभी पेशकश ठुकरा दी हैं। टेलीग्राफ से बातचीत में काउंसिल की उपाध्यक्ष दीपा जोसेफ ने कहा, 'सारे प्रयास किए जा रहे हैं। हम मानवीय रूप से हर मदद पेश कर रहे हैं, लेकिन परिवार ने अब तक कुछ भी स्वीकार नहीं किया है। हम गुरुवार तक सना से कुछ अच्छी खबर का इंतजार कर रहे हैं।' और भी हैं परेशानियां कहा जा रहा है कि यमन में जारी संघर्ष ने निमिषा प्रिया मामले में मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। सना और मुल्क के अधिकांश हिस्से पर हूती विद्रोहियों का नियंत्रण है, जिसके चलते भारतीय अधिकारियों के प्रभाव को कम कर दिया है। जोसेफ बताती हैं, 'प्रेमा कुमारी (निमिषा प्रिया की मां) बीते अप्रैल से यमन में हैं। उन्हें किसी चमत्कार की उम्मीद है। प्रिया के पति और 12 साल की बेटी इडुक्की में हैं।' केरल के पलक्कड़ जिले के कोलेनगोड़े की प्रिया को जुलाई 2017 में यमन के एक व्यक्ति की हत्या का दोषी ठहराया गया था। वह व्यक्ति प्रिया का बिजनेस पार्टनर था। यमन की अदालत ने 2020 में उसे मौत की सजा सुनाई थी और देश की सर्वोच्च न्यायिक परिषद ने नवंबर 2023 में उसकी अपील खारिज कर दी थी। निमिषा यमन की राजधानी सना में जेल में बंद है। सना में इस वक्त ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों का नियंत्रण है। पीटीआई भाषा के अनुसार, प्रिया की मां प्रेमकुमारी अपनी बेटी की रिहाई सुनिश्चित कराने के प्रयासों के तहत पिछले वर्ष यमन गई थीं। बताया जाता है कि भारतीय पक्ष ने प्रिया की रिहाई दियात या ब्लड मनी देकर सुनिश्चित करने के विकल्प पर भी विचार किया था लेकिन इसमें भी कुछ बाधा आई।

केरल की निमिषा प्रिया को 16 जुलाई को यमन की जेल में दी जाएगी फांसी, जाने नर्स कैसे पहुंचीं हूतियों की जेल में, जानें किसकी हत्या में मिली सजा-ए-मौत

सना यमन के एक नागरिक तलाल अब्दो मेहदी की हत्या में दोषी करार दी गईं भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को 16 जुलाई को फांसी दी जाएगी। यहमन में सरकारी अधिकारियों और तलाल के परिवार के साथ बातचीत में शामिल एक सामाजिक कार्यकर्ता सैमुअल जेरोम बास्करन ने बताया है कि निमिषा की फांसी की तारीख मुकर्रर कर दी गई है। क्या अब भी है बिचने का रास्ता? जेरोम ने कहा कि जेल के अधिकारियों ने उन्हें फांसी की तारीख बताई है। कि निमिषा पर जिस शख्स की हत्या का आरोप है उसके परिवार से अब भी बातचीत चल रही है, हालांकि कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिल रही है। यमन के उस परिवार को 10 लाख डॉलर की पेशकश की गई थी। यह रकम चुकाने के लिए स्पॉन्सर्स से मदद ली जा रही है। सूत्रों का यह भी कहना है कि निमिषा की जान बचाने के लिए भारत सरकार भी दखल दे सकती है। कहां रहता है निमिषा का परिवार निमिषा केरल के पलक्कड़ की रहने वाली हैं। उनकी मां का नाम प्रेमा कुमारी है और वह किसी के घर में नौकरी करती हैं। पिछले साल वह यमन में ही थीं। निमिषा कई साल तक यमन में नर्स की नौकरी करती थीं। 2017 में उनपर यमनी नागरिक की हत्या के आरोप लगे। यमन में मृतक तलाल के ही सहयोग से निमिषा क्लीनिक चलाती थीं। रिपोर्ट में बताया गया कि मानसिक और शारीरिक शोषण से तंग आकर उन्होंने तलाल की हत्या कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखी थी मौत की सजा यमन की निचली अदालत ने पहले निमिषा प्रिया को मौत की सजा सुनाई थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा। यमन के राष्ट्रपति राशद अल आलिमी ने भी निमिषा की सजा पर मुहर लगा दी। निमिषा की सजा माफ होने का एक ही रास्ता था। अगर तलाल का परिवार पैसे के बदले उन्हें रिहा करने पर राजी हो जाता तब निमिषा की फांसी रुक सकती थी। निमिषा प्रिया 2011 में नर्स के रूप में काम करने के लिए केरल के पलक्कड़ से यमन की राजधानी सना आई थीं। वह अपने परिवार के साथ गई थीं लेकिन साल 2014 में उनके पति और बेटी भारत लौट गए। इसी साल विद्रोही समूह हूती ने सना पर कब्जा कर लिया। यमन में गृहयुद्ध के चलते निमिषा भारत नहीं लौट सकीं और उनके पति और बच्चा यमन नहीं जा सके। निमिषा ने तलाल के साथ खोला क्लीनिक निमिषा ने कई अस्पतालों में नर्स का काम करने के बाद यमन में ही अपना क्लीनिक खोल लिया। इसमें प्रिया के साथ यमन के नागरिक तलाल महदी उनके साझीदार थे। हालांकि जल्दी ही निमिषा और तलाल के बीच अनबन होने लगी। दोनों के बीच तल्खी इतनी बढ़ी कि तलाल ने निमिषा के साथ मारपीट शुरू कर दी। साल 2016 में निमिषा ने तलाल पर मारपीट और शोषण का आरोप लगाते हुए पुलिस रिपोर्ट की और तलाल गिरफ्तार हो गया। तलाल ने 2017 में जेल से बाहर आने पर फिर से निमिषा को फिर परेशान करना शुरू कर दिया। यहां तक कि निमिषा का पासपोर्ट भी तलाल ने रख लिया और उनको परेशान करने लगा। आरोप है कि अपना पासपोर्ट वापस लेने के लिए निमिषा ने तलाल को नशीला इंजेक्शन लगाया लेकिन इसकी ओवरडोज से तलाल की मौत हो गई। पानी के टैंक में डाल दी बॉडी तलाल की मौत के मामले की जांच करते हुए अगस्त, 2017 में पुलिस ने निमिषा और उनके साथी अब्दुल हन्नान को गिरफ्तार किया। मुकदमे की सुनवाई के दौरान कोर्ट में बताया गया कि तलाल की मौत के बाद निमिषा ने अपने दोस्त अब्दुल हनान की मदद से उसकी बॉडी के टुकड़े कर दिए और पानी के टैंक में डिस्पोज कर दिया। पुलिस की जांच और पेश किए गए सबूतों को अदालत ने ठीक माना। यमनी अदालत ने साल 2018 में प्रिया को हत्या का दोषी ठहराया और 2020 में मौत की सजा सुनाई। अब्दुल हनान को उम्रकैद की सजा सुनाई। यमन की सर्वोच्च न्यायिक परिषद ने नवंबर 2023 में प्रिया की सजा को बरकरार रखा। इसके बाद 2024 में राष्ट्रपति ने निमिषा की सजा को बरकरार रखा। ब्लड मनी देने की कोशिश नाकाम निमिषा प्रिया को मौत की सजा के बाद उनके परिवार ने लगातार कई कोशिशें की हैं। निमिषा की मां मां प्रेमा कुमारी ने पीड़ित परिवार के साथ ब्लड मनी पर बातचीत करने की कोशिश की तो भारत सरकार से भी गुहार लगाई। महदी के परिवार से ब्लड मनी बातचीत सफल नहीं हो सकी तो दूसरी ओर यमनी राष्ट्रपति ने भी सजा माफी की अपील खारिज कर दी। हूतियों के साथ औपचारिक राजनयिक संबंध ना होने और यमन में लगातार जारी गृहयुद्ध ने भारतीय अधिकारियों के लिए भी सना में संपर्क साधना मुश्किल किया। इससे प्रिया को फांसी से बचने के सभी रास्ते एक के बाद बंद होते चले गए। बीते आठ साल से जेल में बंद निमिषा की फांसी की तारीख अब आ गई है। निमिषा को 16 जुलाई को फांसी दी जानी है।