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फर्जी कॉल से बुजुर्ग महिला से 44 लाख हड़पे, पहलगाम हमले का दिया हवाला

नोएडा गौतमबुद्ध नगर के नोएडा में अलग-अलग घटना के तहत 76 वर्षीय अविवाहित महिला समेत 3 लोगों से धोखाधड़ी करके साइबर अपराधियों ने करीब 84 लाख रुपये की ठगी कर ली। इस मामले में पीड़ितों ने साइबर अपराध थाने में रविवार रात को रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस उपायुक्त (साइबर अपराध) प्रीति यादव ने बताया कि रविवार रात को 76 साल की अविवाहित महिला सरला देवी ने साइबर अपराध थाना में रिपोर्ट दर्ज कराई। सरला ने बताया कि वह अपने घर में अकेले रहती हैं और 18 जुलाई को उनके पास एक फोन कॉल आई थी। सरला ने कहा कि फोन कॉल करने वाली ने खुद को एयरटेल का अधिकारी बताते हुए अपना नाम नेहा शर्मा बताया था। शिकायत के मुताबिक, पीड़िता से कहा गया कि उनके एयरटेल के नंबर का इस्तेमाल जुआ खेलने और ‘ब्लैकमेल’ करने जैसी गतिविधियों में किया गया है। इस दौरान पीड़िता से कहा गया कि उनकी बात मुंबई पुलिस की अपराध शाखा से कराई जा रही है। शिकायत में सरला ने कहा है कि इसी बीच एक व्यक्ति ने एसीपी के रूप में उनसे बात किया और उसने पुलिस की वर्दी पहन रखी थी। उसने खुद को एसीपी संजय सिंह बताया तथा गिरफ्तारी वारंट के नाम पर उन्हें धमकाया। पहलगाम हमले का नाम लेकर ठग लिए 43.70 लाख शिकायत के मुताबिक, सरला से कहा गया कि उनके फोन नंबर का इस्तेमाल ऑनलाइन जुआ खेलने और पहलगाम हमले के आतंकवादियों को पैसा मुहैया कराने सहित विभिन्न मदों में किया गया है। उनसे कहा गया कि अगर आप गिरफ्तारी से बचना चाहते हैं तो हमारे बताए हुए खाता में रकम भेज दें। पीड़िता के अनुसार, उन्होंने विभिन्न खातों में करीब 43 लाख 70 हजार रुपये भेज दिए, लेकिन आरोपी उनसे 15 लाख रुपये की और मांग कर रहे हैं। महिला को जब शक हुआ तो उन्होंने एक वकील से बात की। डीसीपी ने बताया कि वकील ने महिला को बताया कि उनके साथ साइबर ठगी की गई है। इसके बाद उन्होंने बीती रात को थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई। पिता का दोस्त बनकर ठगे 24 हजार पुलिस उपायुक्त ने बताया की बीती रात को यीशु मित्तल ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई कि वह सेक्टर 75 में रहते हैं। पीड़ित के अनुसार, एक व्यक्ति ने उन्हें 28 अगस्त को फोन कॉल करके कहा कि वह उनके पिता का दोस्त है। शिकायत के मुताबिक, आरोपी ने यीशु मित्तल से कहा कि वह उनके पिता को कुछ रकम देना चाहता है इसलिए वह उसे अपने बैंक खाते का नंबर बता दें। आरोपी ने उन्हें अपने जाल में फंसाकर उनके खाते में कुछ रकम भेजी और कहा कि उनके खाते में गलती से ज्यादा रकम चली गई है, इसलिए अतिरिक्त राशि को वापस भेज दें। पीड़ित ने उसकी बात पर विश्वास करके उसके बताए गए खाते में 24 हजार 68 रुपये वापस भेज दिया। उन्होंने बताया कि घटना की रिपोर्ट दर्ज कर पुलिस मामले की जांच कर रही है। शेयर मार्केट के नाम पर 40 लाख ठगे पुलिस उपायुक्त (साइबर अपराध) प्रीति यादव ने बताया कि साइबर अपराध थाने में ग्रेटर नोएडा के शाहबेरी निवासी 63 वर्षीय सूर्य मोहन धर ने बीती रात को रिपोर्ट दर्ज कराई कि दो जुलाई को एक महिला ने वॉट्सऐप पर उनसे संपर्क करके खुद को एक कंपनी का कर्मचारी और शेयर मार्केट का जानकार बताया। शिकायत के मुताबिक, शुरुआत में महिला ने उन्हें शेयर की खरीद-बिक्री के बारे में सलाह दी और कुछ मुनाफा दिखाया। इसके बाद महिला पर विश्वास करके सूर्य मोहन ने 21 जुलाई से 12 अगस्त के बीच करीब 40 लाख 50 हजार रुपये उसके बताए गए अलग-अलग बैंक खातों में जमा कर दिए। इसके बाद जालसाजों ने अपने-अपने नंबर बंद कर लिए और पीड़ित को वॉट्सऐप ग्रुप से बाहर कर दिया। पुलिस मामले की जांच कर रही है।  

पहलगाम अटैक पर भारत की कूटनीति ने दिखाया असर, थरूर आगे, मुनीर पीछे

नई दिल्ली पाकिस्तान ने पहलगाम अटैक कराया. आतंकियों को कश्मीर भेजकर हिंदू टूरिस्टों की हत्या करवाई. सोचा कि वो बच जाएगा. मगर ऐसा हुआ नहीं. पहलगाम अटैक के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाकर उससे बदला लिया. इसके बाद पाकिस्तान को इंटरनेशनल लेवल पर बेइज्जत करने की ठानी. इसके लिए विदेशों में डेलिगेशन भेजा. अब उस ऑपरेशन सिंदूर वाले डेलिगेशन की कोशिशों का परिणाम सामने आया है. अमेरिका ने पाकिस्तानी आतंकी संगठन टीआरएफ यानी द रेजिस्टेंस फ्रंट पर चाबुक चलाया है. अमेरिका ने टीआरएफ को आतंकी संगठन घोषित किया है. अमेरिका के इस कदम से भारत की कूटनीतिक जीत हुई है. यह कदम पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में एक अहम जीत माना जा रहा है. इसमें सबसे बड़ा रोल शशि थरूर का है. जी हां, शशि थरूर ही पीएम मोदी के वो दूत थे, जो ऑपरेशन सिंदूर के डेलिगेशन को लीड कर रहे थे. शशि थरूर ने अमेरिका जाकर सबूत के साथ पाकिस्तान की बैंड बजाई. भारत का पक्ष मजबूती से रखा. इसका असर अब सबके सामने है कि अमेरिका को भी भारत की बात मानने पर मजबूर होना पड़ा. और आखिरकार उसने टीआरएफ को आतंकी संगठन घोषित कर दिया. थरूर ने मुनीर का गेम बिगाड़ा वैसे भारत की कोशिशों पर मिट्टी डालने की पाकिस्तान ने कम कोशिश नहीं की. पहलगाम अटैक के बाद आसिम मुनीर ट्रंप के दरबार पहुंचे थे. वह हलाल वाला मांस खाते ही रह गए. उधर कांग्रेस सांसद शशि थरूर भारत की झोली में बड़ी जीत डाल गए. पाकिस्तान ने आसिम मुनीर को भेजकर चतुराई दिखाई थी. उसने सोचा कि अमेरिका उसका साथ देगा, मगर भारत ने जिस मजबूती से अपना पक्ष रखा, उसके सामने पाकिस्तान की सारी चाल फेल हो गई. यहां बताना जरूरी है कि एलटीएफ लश्कर-ए-तैयबा का एक प्रॉक्सी संगठन है. उसने 2019 में जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद कई आतंकी हमलों को अंजाम दिया है. अमेरिका ने अपने एक्शन में क्या कहा अमेरिका ने बयान जारी कर कहा, ‘आज विदेश विभाग ने द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) को विदेशी आतंकवादी संगठन (फॉरेन टेररिस्ट ऑर्गनाइजेशन ) और विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी (स्पेशल डेजिग्नेटेड ग्लोबल टेररिस्ट) के रूप में नामित किया है. टीआरएफ, लश्कर-ए-तैयबा का एक फ्रंट और मुखौटा संगठन है. उसने 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम हमले की जिम्मेदारी ली थी. उसमें 26 नागरिक मारे गए थे. यह 2008 के मुंबई हमलों के बाद भारत में नागरिकों पर सबसे घातक हमला था, जिसे लश्कर ने अंजाम दिया था. टीआरएफ ने भारतीय सुरक्षा बलों पर कई हमलों की भी जिम्मेदारी ली है.’ कैसे भारत ने पाकिस्तान को दी एक और चोट अमेरिका के इस फैसले से भारत की उस बात पर मुहर लगी है कि पहलगाम अटैक के पीछे पाकिस्तान का हाथ है. पाकिस्तान टीआरएफ को संरक्षण देता है. इससे पहले खुफिया रिपोर्ट में भी यह बात सामने आई थी कि पाकिस्तानी नेता और सैन्य अफसरों ने ही पहलगाम अटैक का आदेश दिया है. बहरहाल, अमेरिका का टीआरएफ को आतंकी संगठन घोषित करना भारत की कूटनीति की जीत है. शशि थरूर की अगुवाई में भारत ने वैश्विक मंच पर पाकिस्तान के आतंकवाद समर्थन को बेनकाब किया, जबकि आसिम मुनीर की मुलाकात केवल औपचारिकता बनकर रह गई. यह भारत की आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक ऐतिहासिक कदम है. पहलगाम अटैक क्या है 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला हुआ था. पहलगाम अटैक में 26 टूरिस्टों की हत्या हुई थी. टीआरएफ ने ही पहलगाम आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली थी. पाकिस्तान से आए इन आतंकियों ने बैसरन घाटी में गोलियों की बौछार की थी. मारने से पहले आतंकियों ने टूरिस्टों से धर्म पूछा था. इसके बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर से पहलगाम अटैक का बदला लिया था.