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भारतीय विज्ञापन जगत के दिग्गज पीयूष पांडे का निधन, प्रणव अदाणी ने कहा- हमेशा खलेगी कमी

मुंबई, भारतीय विज्ञापन जगत के दिग्गज और ओगिल्वी इंडिया के क्रिएटिव लीडर पीयूष पांडे अब हमारे बीच नहीं रहे। 70 साल की उम्र में गुरुवार को उनका निधन हो गया। पांडे को सिर्फ एक विज्ञापन विशेषज्ञ के रूप में ही नहीं बल्कि ऐसी शख्सियत के रूप में याद किया जाता था, जिन्होंने भारतीय विज्ञापन को उसकी अपनी भाषा और आत्मा दी। पीयूष पांडे के निधन को लेकर लेखक और कमीडियन सुहेल सेठ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर गहरी संवेदना व्यक्त की। उन्होंने लिखा, “मेरे सबसे प्यारे दोस्त पीयूष पांडे जैसे प्रतिभाशाली व्यक्ति के निधन से मैं बेहद दुखी और स्तब्ध हूं। भारत ने विज्ञापन जगत की एक महान हस्ती ही नहीं, बल्कि एक सच्चे देशभक्त और एक सज्जन इंसान को खोया है। अब जन्नत में भी गूंजेगा ‘मिले सुर मेरा तुम्हारा।’ अदाणी ग्रुप में एग्रो और ऑयल एंड गैस के मैनेजिंग डायरेक्टर प्रणव अदाणी ने पीयूष पांडे के निधन पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने लिखा, ”मेरे प्रिय मित्र पीयूष पांडे के निधन से स्तब्ध हूं, वह रचनात्मक प्रतिभा जिन्होंने भारतीय विज्ञापन जगत को एक वैश्विक शक्ति के रूप में आकार दिया। उनके विचार उद्योग के मानक बने। उन्होंने कई पीढ़ियों के कहानीकारों को प्रेरित किया। उनकी गर्मजोशी और बुद्धिमता की बहुत कमी खलेगी। ओम शांति।” वहीं फिल्ममेकर हंसल मेहता ने भी ‘एक्स’ पोस्ट में लिखा, ”फेविकोल का जोड़ टूट गया। विज्ञापन जगत ने आज अपनी चमक खो दी। पीयूष पांडे, आप हमेशा याद आएंगे।” पीयूष पांडे का जन्म 1955 में जयपुर में हुआ था। उनके परिवार में नौ बच्चे थे, जिनमें सात बहनें और दो भाई शामिल थे। उनके भाई प्रसून पांडे फिल्म निर्देशक हैं, जबकि बहन ईला अरुण गायिका और अभिनेत्री थीं। उनके पिता राजस्थान राज्य सहकारी बैंक में कार्यरत थे। उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से इतिहास में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की और 1982 में विज्ञापन जगत में कदम रखा और ओगिल्वी इंडिया में क्लाइंट सर्विसिंग एक्जीक्यूटिव के रूप में शामिल हुए। उनका पहला प्रिंट विज्ञापन सनलाइट डिटर्जेंट के लिए लिखा गया। छह साल बाद वे क्रिएटिव विभाग में आए और लूना मोपेड, फेविकोल, कैडबरी और एशियन पेंट्स जैसे ब्रांड्स के लिए कई प्रसिद्ध विज्ञापन बनाए। इसके बाद उन्हें क्रिएटिव डायरेक्टर और फिर राष्ट्रीय क्रिएटिव डायरेक्टर बनाया गया। 1994 में उन्हें ओगिल्वी इंडिया के निदेशक मंडल में भी स्थान मिला। उनके नेतृत्व में ओगिल्वी इंडिया ने लगातार 12 वर्षों तक भारत की नंबर 1 एजेंसी का दर्जा हासिल किया। पीयूष पांडे द्वारा बनाए गए विज्ञापन आज भी लोगों की यादों में बसे हुए हैं। उन्होंने एशियन पेंट्स के लिए ‘हर खुशी में रंग लाए,’ कैडबरी के लिए ‘कुछ खास है,’ फेविकोल के लिए आइकॉनिक ‘एग’ विज्ञापन और हच के पग वाले विज्ञापन जैसी रचनाएं तैयार कीं। इसके अलावा, उन्होंने 2014 में भारतीय जनता पार्टी के लिए चुनावी नारा ‘अबकी बार, मोदी सरकार’ दिया। उनका योगदान केवल व्यावसायिक विज्ञापन तक सीमित नहीं था। उन्होंने राष्ट्रीय एकता गीत ‘मिले सुर मेरा तुम्हारा’ लिखा और कई सामाजिक अभियान जैसे पोलियो जागरूकता और धूम्रपान विरोधी अभियानों में भी सक्रिय भूमिका निभाई। पांडे को उनके योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उन्हें 2016 में पद्म श्री से नवाजा गया और 2024 में एलआईए लीजेंड अवार्ड दिया गया। इसके अलावा, उन्हें क्लियो लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड, मीडिया एशिया अवार्ड्स और कान्स लायंस में कई प्रतिष्ठित पुरस्कार भी मिल चुके हैं। उनके नेतृत्व में ओगिल्वी इंडिया को वैश्विक स्तर पर सबसे रचनात्मक कार्यालयों में से एक माना गया। उनकी रचनात्मकता, सहजता और भारतीय विज्ञापन को दी गई दिशा उन्हें हमेशा यादगार बनाएगी।  

एड इंडस्ट्री को बड़ा नुकसान: पीयूष पांडेय का निधन, उनके क्रिएटिव कैंपेन ने दिया कई यादगार विज्ञापन

नई दिल्ली इंडियन एडवरटाइजिंग इंडस्ट्री के मशहूर नाम पीयूष पांडे का गुरुवार को निधन हो गया. उन्होंने चार दशकों से ज्यादा वक्त तक ओगिल्वी इंडिया के साथ काम किया. पीयूष पांडे 1982 में ओगिल्वी से जुड़े थे. उन्होंने 27 साल की उम्र में अंग्रेजी-प्रभुत्व वाले विज्ञापन उद्योग में प्रवेश किया और इसे हमेशा के लिए बदल दिया.  बिजनेसमेन सोहेल सेठ ने पीयूष पांडे के निधन पर सोशल मीडिया अकाउंट पर शोक जताया. उन्होंने लिखा, "मेरे सबसे प्यारे दोस्त पीयूष पांडे जैसे जीनियस के खोने से मैं बहुत ज़्यादा दुखी और टूट गया हूं. भारत ने सिर्फ़ एक महान एडवरटाइजिंग माइंड ही नहीं, बल्कि एक सच्चे देशभक्त और एक बहुत अच्छे इंसान को खो दिया है." विज्ञापन की दुनिया में नए रंग भरे थे और उनके कई कैंपेन तो बेहद चर्चित रहे और घर-घर में ब्रांड्स की पहचान बनी। जैसे उन्होंने एशियन पेंट्स का कैंपेन स्लोगन लिखा था- हर खुशी में रंग लाए। इसके अलावा कैडबरी का ऐड 'कुछ खास है' भी उनकी कलम से निकला था। लंबे समय तक भारत की विविधता में एकता को दिखाने वाले गीत 'मिले सुर मेरा तुम्हारा' के लेखक भी वही थे। यह गाना तो दूरदर्शन का थीम सॉन्ग बन गया था। फिर इंटरनेट के प्रसार होने पर लोग यूट्यूब आदि पर जाकर भी इस गीत को सुनते रहे। उन्होंने फेविकोल, हच जैसी कंपनियों के लिए भी कई सफल ऐड कैंपेन को लीड किया था। वह 70 साल के थे। पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के प्रचार का नारा भी उन्होंने दिया था, जो काफी चर्चित रहा। यह नारा था- अबकी बार, मोदी सरकार। पीयूष पांडेय को भारत की विज्ञापन इंडस्ट्री में बड़े बदलाव लाने के लिए जाना जाता है। उन्होंने नामी ऐड कंपनी ओगिल्वी इंडिया के साथ करीब 4 दशकों तक काम किया था। यह कंपनी देश में ऐडवर्टाइजमेंट की दुनिया का पर्याय बनी रही और इसमें अहम भूमिका पीयूष पांडेय की भी मानी जाती है। उनकी निधन के साथ ही विज्ञापन की दुनिया का एक युग समाप्त हो गया है। उनकी शानदार मूंछें और हंसमुख चेहरा हमेशा याद किया जाएगा। उन्हें भारतीय समाज की भाषा, परंपरा की गहरी समझ थी। यही कारण था कि उनके कई कैंपेन तो ऐसे थे, जो लोगों के दिलों को छू गए। प्रोडक्ट लोकप्रिय हुए तो उनके बनाए विज्ञापनों ने भी खूब चर्चा बटोरी और लोग पूरी दिलचस्पी से विज्ञापन देखते रहे। पीयूष पांडेय ने 1982 में ओगिल्वी इंडिया को जॉइन किया था। इससे पहले वह एक क्रिकेटर रहे थे। इसके अलावा चाय बागान में उन्होंने काम किया था और निर्माण क्षेत्र में भी काम कर चुके थे। उन्होंने 27 साल की उम्र में इस इंडस्ट्री में एंट्री ली और अंग्रेजी भाषा के प्रभुत्व वाली विज्ञापन की दुनिया का कलेवर ही बदल डाला। एशियन पेंट्स, कैडबरी समेत कई कंपनियों के कैंपेन्स को उन्होंने नई ऊंचाइयां दी थीं। सोहेल सेठ ने आगे कहा कि अब स्वर्ग में 'मिले सुर मेरा तुम्हारा' पर डांस होगा." फिल्ममेकर हंसल मेहता ने लिखा, "फेविकोल का जोड़ टूट गया. आज एड वर्ल्ड ने अपना ग्लू खो दिया. पियूष पांडे, आप अच्छे से जाएं." 'हमेशा याद रहने वाली कहानियां…' केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, "पद्म श्री पीयूष पांडे के निधन पर अपनी उदासी ज़ाहिर करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं. एडवरटाइजिंग की दुनिया में एक महान हस्ती, उनकी क्रिएटिव जीनियस ने कहानी कहने के तरीके को फिर से परिभाषित किया और हमें यादगार और हमेशा याद रहने वाली कहानियां दीं." उन्होंने आगे कहा कि मेरे लिए, वह एक ऐसे दोस्त थे, जिनकी चमक उनकी सच्चाई, गर्मजोशी और हाज़िरजवाबी में दिखती थी. मैं हमेशा उनके साथ हुई अपनी दिलचस्प बातचीत को याद रखूंगा. वह अपने पीछे एक गहरा खालीपन छोड़ गए हैं, जिसे भरना मुश्किल होगा. उनके परिवार, दोस्तों और चाहने वालों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं. विज्ञापन जगत की दिग्गज शख्सियत पीयूष पांडे का जन्म 1955 में जयपुर के एक परिवार में हुआ था. उनके नौ भाई-बहन थे, जिनमें सात बहनें और दो भाई शामिल थे. पीयूष पांडे के पिता एक बैंक में काम करते थे. पांडे ने कई सालों तक क्रिकेट भी खेला था. उन्होंने एशियन पेंट्स के लिए 'हर खुशी में रंग लाए', कैडबरी के लिए 'कुछ खास है' और फेविकोल और हच जैसे ब्रांडों के लिए विज्ञापन बनाए.