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पड़ोसी की नीतियों का नतीजा! PoK में दमन और अशांति पर भारत का तीखा रुख

नई दिल्ली  पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में शहबाज शरीफ सरकार की दमनकारी नीति के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन हो रहा है। आवामी ऐक्शन कमेटी ने पाकिस्तान सरकार के खिलाफ बिगुल फूंक दिया है। पीओके में हो रहे प्रदर्शनों को लेकर भारत ने शहबाज सरकार पर जमकर निशाना साधा है। भारत ने साफ किया है कि ये प्रदर्शन पाकिस्तान के दमनकारी रवैये का नतीजा है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि हमने पीओके में विरोध प्रदर्शनों की रिपोर्ट देखी हैं, जिनमें पाकिस्तानी सेना द्वारा नागरिकों पर की गई बर्बरता भी शामिल है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, ''पीओके में पाकिस्तान की कार्रवाई उसके दमनकारी रवैये और इन क्षेत्रों से संसाधनों की व्यवस्थित लूट का स्वाभाविक परिणाम है।'' वहीं, प्रदर्शनकारियों पर पाकिस्तान की कार्रवाई पर विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान को उसके भयानक मानवाधिकार उल्लंघनों के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।  

इस्लामाबाद में प्रेस क्लब पर पुलिस छापा, PoK के बगावत की खबरें दबाने की कोशिश

इस्लामाबाद  पाकिस्तान ऑक्यूपाइड जम्मू-कश्मीर (PoJK) में जारी असंतोष की लहर अब इस्लामाबाद तक पहुंच गई है. नेशनल प्रेस क्लब में पुलिस के बर्बर हमले और लाठीचार्ज की खबर है. यह कार्रवाई कश्मीर एक्शन कमेटी द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई. मानवाधिकार समूहों और मीडिया संगठनों ने इसकी कड़ी निंदा की है. इस्लामाबाद पुलिस ने गुरुवार को नेशनल प्रेस क्लब (NPC) पर छापा मारा है. पुलिस ने परिसर में जबरन प्रवेश कर पत्रकारों के साथ-साथ PoJK (पाकिस्तान अधिकृत जम्मू और कश्मीर) के प्रदर्शनकारियों पर हमला किया.  यह घटना PoJK में कथित अत्याचारों और इंटरनेट ब्लैकआउट के विरोध में किए जा रहे एक प्रदर्शन के दौरान हुई. पुलिस ने लाठीचार्ज किया और मीडिया उपकरणों को नष्ट कर दिया. इस कार्रवाई से देश भर में आक्रोश फैल गया है. प्रदर्शनकारियों पर पुलिस का कड़ा प्रहार पुलिस की यह कार्रवाई कश्मीर एक्शन कमेटी द्वारा आयोजित एक प्रदर्शन के दौरान हुई. यह प्रदर्शन कथित अत्याचारों और अधिकृत कश्मीर में चल रहे इंटरनेट ब्लैकआउट के खिलाफ किया जा रहा था. पीओके में शहबाज शरीफ सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन, सेना के दमन के खिलाफ आवाज़ – pok mass protests against shehbaz sharif government army repression demands for … रिपोर्ट्स के मुताबिक, PoJK के एडवोकेट समुदाय के सदस्य NPC के बाहर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. इसी दौरान, पुलिस ने हमला किया और उन्हें निशाना बनाया. चश्मदीदों ने पुलिस द्वारा लाठीचार्ज और मीडिया उपकरणों को नष्ट करने की जानकारी दी. मानवाधिकार संगठनों और पत्रकारों ने की निंदा इस हमले की ह्यूमन राइट्स कमीशन ऑफ पाकिस्तान (HRCP) ने कड़ी निंदा की. HRCP ने सोशल मीडिया पर लिखा कि हम नेशनल प्रेस क्लब पर छापे और पत्रकारों पर हमले की कड़ी निंदा करते हैं. उन्होंने तत्काल जांच की मांग की और कहा कि जिम्मेदार लोगों को कटघरे में लाया जाना चाहिए. इस घटना ने देशव्यापी आक्रोश और मानवाधिकार समूहों से निंदा को जन्म दिया है. राजनीतिक नेताओं ने मांगी जवाबदेही पाकिस्तान के मशहूर पत्रकार ज़ाईद गिशकोरी ने भी अधिकारियों को फटकार लगाई. उन्होंने कहा कि इस्लामाबाद प्रेस क्लब पर पुलिस का बर्बर हमला गंभीर सवाल खड़े करता है. उन्होंने सवाल किया कि पत्रकारों का घर उन लोगों के लिए असुरक्षित कैसे हो गया, जिनके पास विरोध करने की कोई जगह नहीं है. संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की पूर्व दूत मलीहा लोधी ने भी इस छापे को "निंदनीय" बताया और जवाबदेही की मांग की. अवाम बोली- PAK को हमें मारने का कोई हक नहीं पाक अधिकृत कश्मीर में स्थानीय लोगों के प्रदर्शन के दौरान पाकिस्तानी सेना का अत्याचार अब संयुक्त राष्ट्र तक तक पहुंच गया है. पीओके के राजनीति दलों ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से मांग की है कि UN तुरंत यहां दखल दे और यहां की जनता को पाकिस्तानी सेना के अत्याचार से बचाए. यहां 29 सितंबर से चल रहे नागरिकों के प्रदर्शन में अब तक 12 लोग मारे जा चुके हैं. स्विटजरलैंड के जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद 60वें सेशन के दौरान पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर की पार्टी (UKPNP-यूनाइटेड कश्मीर पीपुल नेशनल पार्टी) ने इस मुद्दे को उठाया. UKPNP ने कहा कि पाकिस्तान को कश्मीरियों को मारने, हमारी जमीन और हमारे संसाधनों पर कब्जा करने, हमारे लोगों पर अत्याचार करने और उन्हें खत्म करने का कोई हक नहीं है. UKPNP के प्रवक्ता सरदार नासिर अजीज खान ने जिनेवा में कहा कि पाक अधिकृत कश्मीर में कई लोग गायब हो गए हैं, लेकिन हाल ही में तथाकथित 'आज़ाद कश्मीर' में जो हो रहा है, उससे लोग अपनी जान को लेकर चिंतित हैं क्योंकि 29 सितंबर से अब तक 12 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है. नासिर अजीज खान ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान यहां के लोगों पर क्रूर बल प्रयोग कर रहा है और प्रदर्शनकारियों पर अंधाधुंध गोलियां चला रहा है जिससे लोग मारे जा रहे हैं. सैकड़ों लोग जेल में हैं और उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है.  उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में इस अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के जमावड़े के माध्यम से हम आग्रह करते हैं कि संयुक्त राष्ट्र उन कश्मीरियों की जान बचाने के लिए हस्तक्षेप करे जो पाकिस्तानी कब्जे में रह रहे हैं. कश्मीरियों के साथ बहुत बुरा व्यवहार किया जा रहा है. इसके बाद उन्होंने इस्लामाबाद प्रेस क्लब में इस मुद्दे पर प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पुलिस के एक्शन की निंदा की.  सरदार नासिर अजीज खान ने कहा कि हमारी पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सरदार तानिया, पूर्व उपाध्यक्ष सरदार आफ़ताब ख़ान और कई अन्य लोगों को आज मुज़फ़्फ़राबाद में गिरफ़्तार कर लिया गया. वे पाकिस्तान द्वारा की गई इन हत्याओं और गिरफ़्तारियों के खिलाफ इस्लामाबाद प्रेस क्लब के सामने विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. और पाकिस्तान का कश्मीर में कोई अधिकार नहीं है. उन्हें कश्मीरियों को मारने, हमारी जमीन और हमारे संसाधनों पर कब्जा करने हमारे लोगों पर अत्याचार करने और उन्हें खत्म करने का कोई हक नहीं है. इस्लामाबाद प्रेस क्लब में क्या हुआ? 2 अक्टूबर 2025 को पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद के नेशनल प्रेस क्लब में एक गंभीर घटना घटी. पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के जॉइंट अवामी एक्शन कमिटी (JKJAC) के सदस्य इस्लामाबाद प्रेस क्लब के बाहर प्रदर्शन कर रहे थे. इस दौरान इस्लामाबाद पुलिस प्रेस क्लब में घुस गई. पुलिस ने प्रदर्शन को तितर-बितर करने के लिए बल प्रयोग किया. पुलिस ने क्लब के अंदर घुसकर पत्रकारों और स्टाफ पर लाठीचार्ज किया, कैफेटेरिया को तोड़ा-फोड़ा, कैमरे और मोबाइल फोन तोड़े और कुछ लोगों को गिरफ्तार किया.  वीडियो फुटेज में पुलिस को पत्रकारों को घसीटते और पीटते हुए दिखाया गया है. यह घटना PoK में चल रहे पांचवें दिन के विरोध प्रदर्शनों के बीच हुई, जहां बाजार बंद हैं और इंटरनेट कटा हुआ है. 

पाकिस्तान की नींद उड़ी! POK में कुछ बड़ा होने की खबर, जॉइंट अवामी कमेटी ने किया ऐलान

इस्लामाबाद  पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (Pok) में जनाक्रोश और विरोध प्रदर्शनों के कारण तनाव चरम पर पहुंच गया है। नीलम वैली पब्लिक एक्शन कमेटी के नेता शौकत नवाज मीर ने जनता की लंबे समय से लंबित मांगों ( जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, बुनियादी ढांचा और स्वच्छ पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं ) को पूरा करने के दबाव में पूरे क्षेत्र को पूरी तरह से बंद करने की घोषणा कर दी है। उन्होंने चेतावनी जारी की है कि लोगों का सब्र अब अपनी हद पार कर चुका है और यह वर्षों की सरकारी उपेक्षा, भ्रष्टाचार तथा संसाधनों के दुरुपयोग का सीधा परिणाम है, जहां राजनीतिक संरक्षण और रिश्वतखोरी पर धन बर्बाद हो रहा है। उनके इस आह्वान पर व्यापक बहस छिड़ गई है कि क्या कुछ बड़ा होने वाला है? शौकत नवाज मीर की अपील के बाद पीओके में तनाव है। दूसरी ओर स्थानीय प्रशासन ने प्रदर्शन को बलपूर्वक दमन करने की धमकी दी है। कमेटी के प्रवक्ता के रूप में मीर ने कहा कि लोगों का सब्र अब अंतिम सीमा पर पहुंच चुका है और यह बंद सरकारी लापरवाही तथा भ्रष्टाचार के खिलाफ सीधा प्रतिकार है। उन्होंने आरोप लगाया कि बुनियादी सुविधाओं जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़कें और स्वच्छ जल से नागरिकों को वंचित रखा जा रहा है, जबकि फंड राजनीतिक संरक्षण और रिश्वतखोरी में उड़ाए जा रहे हैं। दूसरी ओर सरकार की बल प्रयोग की चेतावनी ने आग में घी डालने का काम किया है, जिससे जनता का रोष और भड़क गया। स्थानीय वकीलों ने पब्लिक एक्शन कमेटी का खुला समर्थन किया और हड़ताल को लोकतांत्रिक हक करार दिया। उन्होंने सरकार से दमन के बजाय शिकायतों का निपटारा करने की अपील की। मुफ्तीराबाद के एक वरिष्ठ वकील ने कहा कि लोगों की मांगें पूरी होनी चाहिए, उन्हें कुचलना नहीं। कानूनी बिरादरी प्रदर्शनकारियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रहेगी। बताया जा रहा है कि पूरे पीओजेके में हड़ताल से सामान्य जीवन ठप होने की पूरी आशंका है। दुकानें, बाजार और परिवहन सेवाएं बंद रहेंगी। नागरिक समाज का मानना है कि बल प्रयोग से तनाव और बढ़ेगा, जिससे अशांति फैल सकती है। वहीं कई लोग सरकार के कठोर रवैये को असहमति दबाने की साजिश बता रहे हैं। विभिन्न जिलों की पब्लिक एक्शन कमेटियां पारदर्शी फंड वितरण, आरक्षण और स्थानीय शासन में भ्रष्टाचार खत्म करने जैसी मांगों पर लोगों को एकजुट कर रही हैं। ऐसे में पीओके पर सभी की नजरें टिकी हैं, जहां सरकार और जनता के बीच टकराव तेज होता नजर आ रहा है।