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65 लाख का राशन गायब! छत्तीसगढ़ में चावल, शक्कर और चना घोटाले में 6 पर FIR

सरगुजा छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में राशन घोटाला का मामला सामने आया है। यहां गरीबों के हक का करीब 65 लाख रुपए का चावल, शक्कर और चना का घोटाला किया गया है। इसका खुलासा तब हुआ जब भाजपा नेता आलोक दुबे की शिकायत के बाद कलेक्टर ने पूरे मामले की जांच कराई। जांच के बाद खाद्य विभाग के इंस्पेक्टर की रिपोर्ट पर पुलिस ने सहकारी समिति के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष समेत 6 लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी और आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत FIR दर्ज किया है। अंबिकापुर में 62 सरकारी राशन दुकाने हैं। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में दूसरे राशन दुकानों के संचालकों के खिलाफ भी बड़ी कार्रवाई हो सकती है। जानकारी के मुताबिक, अंबिकापुर में जनकल्याण खाद्य सुरक्षा पोषण एवं उपभोक्ता सेवा सहकारी समिति सरकारी राशन दुकान संचालित कर रही थी, लेकिन लंबे समय से शिकायत मिल रही थी कि समिति द्वारा संचालित राशन दुकानों में चावल, चना और शक्कर की बड़े पैमाने पर अफरा तफरी की जा रही है. भाजपा नेता आलोक दुबे ने इस मामले की शिकायत कलेक्टर से की थी। जांच में 1631 क्विंटल चावल, 48 क्विंटल चना और शक्कर घोटाले का खुलासा शिकायत मिलने पर कलेक्टर अजीत वसंत ने खाद्य विभाग के इंस्पेक्टर से राशन दुकानों की भौतिक रूप से जांच कराई. जांच में फूड इंस्पेक्टर को पता चला कि राशन दुकानों में जितना राशन का स्टॉक होना चाहिए उतना नहीं है। मतलब साफ था कि सरकारी राशन निजी दुकानों और राशन माफिया को बेच दिया गया है। जांच में खुलासा हुआ कि 1631 क्विंटल चावल और 48 क्विंटल चना का घोटाला किया गया है। यहां तक कि शक्कर का भी घोटाला सामने आया। इसके बाद फूड इंस्पेक्टर शिव कुमार मिश्रा ने राशन दुकान संचालन एजेंसी जनकल्याण खाद्य सुरक्षा पोषण एवं उपभोक्ता सेवा सहकारी समिति के अध्यक्ष पवन सिंह निवासी घुटरापारा, उपाध्यक्ष सुनिता पैकरा, सहायक विक्रेता फरहान सिद्धीकी और प्रिंस जायसवाल, सहायक विक्रेता सैफ अली, मुकेश यादव के खिलाफ अपराध दर्ज कराया है. आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस की टीम गठित एफआईआर दर्ज होने के बाद आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने तीन टीम का गठन किया है। यह भी बात सामने आई है कि आरोपियों के खिलाफ ऐसे धाराओं के तहत अपराध दर्ज हुआ, जिससे उन्हें थाना से ही जमानत दिया जा सकेगा, लेकिन कलेक्टर से राशन घोटाला की शिकायत करने वाले भाजपा नेता ने पुलिस अधिकारियों को इसकी जानकारी दी। फिर धारा 409 भी जोड़ा गया।

ई-केवायसी में खुली पोल: मृतकों के नाम पर हुआ करोड़ों का राशन घोटाला, 1570 फर्जी लाभार्थी हटाए गए

खंडवा  जो इस दुनिया में नहीं रहे परिजन उनके नाम से भी तीन साल में 8.64 करोड़ रुपए का 27 लाख किलो राशन खा गए। विभाग ने जब ई-केवायसी कराई तो हकीकत सामने आई। विभाग ने अब ऐसे नाम गरीबों की राशन सूची से बाहर कर दिए हैं। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत जिले में शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित कंट्रोल दुकानों से गरीब परिवारों सहित चयनित कैटेगरी के पात्र हितग्राही परिवार के सदस्यों को पांच किलो मुफ्त राशन का वितरण किया जाता है। योजना का लाभ पात्र हितग्राहियों को ही मिले इसके लिए शासन ने कंट्रोल दुकान, पंचायत सहित अन्य माध्यमों से राशन लेने वाले प्रति परिवार के एक-एक सदस्य की ई-केवायसी कराई। ऐसे लोग भी सामने आए जिनकी आय सालाना 6 लाख रुपए से अधिक है, वे आयकरदाता हैं, शासकीय नौकरी में हैं, अधिकारी व कर्मचारी हैं। विभाग ने ऐसे लोगों को तत्काल नोटिस दिए और राशन की सूची से बाहर कर दिया। 15 हजार मृतक के परिजन ले रहे थे राशन विभाग के अनुसार ई-केवायसी के दौरान 15 हजार सदस्य ऐसे थे जो दो से तीन साल पहले मृत हो चुके हैं, परिजन उनके नाम से अब तक राशन ले रहे थे। जबकि 110 उपभोक्ता ऐसे थे जिनकी आयु 18 साल से कम थी, इनमें 25 नहीं मिले, इन्हें भी राशन की सूची से बाहर किया गया। 35 नाबालिग ऐसे थे, जिन्हें राशन नहीं मिल रहा था। विभाग ने उनके नाम परिवार के साथ जोड़े। 50 हजार सदस्य कम हुए ई-केवायसी में जिले की 487 राशन दुकानों से 50 हजार उपभोक्ता कम हुए हैं। खाद्य विभाग के अनुसार जिले में ई-केवायसी से पहले गरीबों का राशन लेने वाले सदस्यों की संख्या 10 लाख 33 हजार थी। जबकि अब इनकी संख्या घटकर 9.88 लाख हो गई है। ^जिले में 10 लाख 33 हजार उपभोक्ताओं की ई-केवायसी का काम पूरा हो गया है। इनमें 1570 परिवार ऐसे थे जो आयकरदाता होकर राशन की पात्रता नहीं रखते थे, उन्हें नोटिस देकर राशन की सूची से बाहर किया गया है। -अरुण तिवारी, जिला खाद्य एवं आपूर्ति अधिकारी