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फेसलेस सर्विस प्रोजेक्ट के तहत परिवहन विभाग ने सेवाओं की संख्या बढ़ाकर 51 की, लाइसेंस बनाना हुआ आसान

भोपाल  अब ड्राइविंग लाइसेंस, वाहन पंजीयन, ट्रांसफर सर्टिफिकेट या बैंक कर्ज अदा होने के बाद अनापत्ति प्रमाण पत्र जैसी सेवाओं के लिए परिवहन कार्यालय के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं होगी। परिवहन विभाग ने फेसलेस सर्विस एक्सटेंशन प्रोजेक्ट के तहत सेवाओं की संख्या 51 कर दी है।इसकी शुरुआत परिवहन मंत्री उदय प्रताप सिंह ने की। कार्यक्रम में परिवहन आयुक्त विवेक शर्मा, सचिव मनीष सिंह, क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी जितेंद्र शर्मा मौजूद रहे। परिवहन मंत्री सिंह ने कार्यक्रम के दौरान राहवीर योजना के तहत घायलों की मदद करने वालों को सम्मानित किया गया। ऐसे ले सकेंगे ऑनलाइन सेवाओं का लाभ     आवेदन और स्वीकृति अब ‘वाहन’ और ’सारथी’ पोर्टल से।     आवेदक के मोबाइल पर ओटीपी और आपत्तियों की सूचना मिलेगी।     शादी, पार्टी या सीजनल बिजनेस के लिए बसों के अस्थाई परमिट ऑटो-अप्रूवल सिस्टम से मिलेंगे।     वाहन कर जमा करना हो या अन्य राज्यों के वाहनों का टैक्स सब कुछ ई-चेकपोस्ट मॉड्यूल से होगा।     प्रदूषण जांच को पारदर्शी बनाने के लिए पीयूसी 2.0 सिस्टम लागू किया गया है।     जल्द ही प्रदेश में ई-डिटेक्शन चालान प्रणाली लागू होगी। नियम उल्लंघन पर स्वत: चालान कटेगा। 51 सेवाएं हुईं फेसलेस नई व्यवस्था में लर्निंग लाइसेंस, डुप्लीकेट ड्राइविंग लाइसेंस, पता-नाम बदलवाना, इंटरनेशनल ड्राइविंग परमिट, कंडक्टर लाइसेंस, वाहन रजिस्ट्रेशन, डुप्लीकेट फिटनेस सर्टिफिकेट, कमर्शियल परमिट, अस्थाई परमिट जैसे काम ऑनलाइन होंगे। आवेदकों को सभी प्रमाणपत्र व दस्तावेज कोरियर के माध्यम से घर भेजे जाएंगे। पायलट प्रोजेक्ट के रूप में फेसलेस सेवा की शुरुआत भोपाल से हुई है। विभाग जल्द ही इसे पहले प्रदेश के बड़े शहर इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर में लागू करेगा, इसके बाद पूरे प्रदेश में विस्तार होगा। मंत्री बोले- विभाग के कई पद खाली पड़े उदय प्रताप सिंह ने कहा कि परिवहन विभाग में कई पद खाली पद खाली पड़े हुए हैं। इन हालात में काम करना आसान नहीं है। यह विभाग प्रदेश के उन विभागों में गिना जाता है, जहां कर्मचारियों की संख्या बेहद कम है। आज भी केवल 1100 कर्मचारी कार्यरत हैं, जिनमें से आधे से ज्यादा पद पदोन्नति, रिटायरमेंट और अन्य कारणों से खाली पड़े हुए हैं। पहले लाइसेंस या वाहन पंजीयन जैसी साधारण सेवाओं के लिए लोगों को दफ्तरों के कई चक्कर लगाने पड़ते थे। दलालों और बिचौलियों का बोलबाला था। आने वाले समय में विभाग में 175 कंप्यूटर ऑपरेटर नियुक्त किए जा रहे हैं।

RTO ने कसा शिकंजा: कानपुर देहात में 1400 वाहन मालिकों पर नोटिस, बकाया रोड टैक्स ₹47 करोड़

कानपुर  कानपुर देहात आरटीओ विभाग ने रोड टैक्स बकाया वसूली को लेकर सख्त रुख अपनाया है. जिले में करीब 46 करोड़ रुपये का टैक्स बकाया होने की वजह से विभाग ने 1400 वाहन मालिको को नोटिस थमाया है. विभाग का कहना है कि यदि वाहन मालिक समय पर टैक्स नहीं जमा करेंगे तो उनकी रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (आरसी) निरस्त कर दी जाएगी. आरटीओ प्रशासन प्रशांत तिवारी ने बताया कि जिले में हजारों वाहन टैक्स बकाया सूची में हैं. इनकी नियमित मॉनिटरिंग की जा रही है और नोटिस भेजने की प्रक्रिया को तेज किया गया है. उन्होंने कहा कि यदि बकाया जमा नहीं हुआ तो संबंधित वाहनों की आरसी को भू-राजस्व की भांति वसूली के लिए जिलाधिकारी को भेजा जाएगा. इस स्थिति में वाहन सीज करने या नीलामी की कार्रवाई भी की जा सकती है. टैक्स वसूली को लेकर आरटीओ विभाग हुआ सख्त विभाग ने वाहन मालिकों को सुविधा देने के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों विकल्प उपलब्ध कराए हैं. परिवहन विभाग की वेबसाइट पर वाहन नंबर डालकर ओटीपी और एसबीआई पेमेंट गेटवे से भुगतान किया जा सकता है. वहीं, विभागीय कार्यालयों में ऑफलाइन भुगतान की व्यवस्था भी की गई है. जिले में 1400 वाहन मालिको को नोटिस थमाया आरटीओ विभाग ने साफ कर दिया है कि अब बकाया टैक्स वालों के खिलाफ कड़ाई से कदम उठाए जाएंगे. इसके साथ ही नियमित चेकिंग अभियान चलाया जा रहा है और वाहन मालिकों को समय-समय पर संदेश भेजकर जागरूक भी किया जा रहा है. विभाग का उद्देश्य न केवल राजस्व वसूली बढ़ाना है बल्कि सड़क पर चलने वाले वाहनों की वैधता सुनिश्चित करना भी है.

जांच के घेरे में सौरभ शर्मा: करोड़पति कांस्टेबल की जमानत याचिका खारिज, हाईकोर्ट सतर्क, जांच तेज

भोपाल  जबलपुर हाईकोर्ट में  आरटीओ के पूर्व कॉन्स्टेबल से करोड़पति बिल्डर बने सौरभ शर्मा की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें न्यायमूर्ति प्रमोद कुमार अग्रवाल ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। ईडी ने सौरभ शर्मा और उनके परिवार के सदस्यों समेत 12 लोगों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया है, जिसके बाद शर्मा 4 फरवरी से न्यायिक हिरासत में हैं। जिला न्यायालय से जमानत याचिका खारिज होने के बाद शर्मा ने हाईकोर्ट में अपील की थी। 12 व्यक्तियों के खिलाफ दर्ज है मामला हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति प्रमोद कुमार अग्रवाल ने सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रखने के आदेश जारी किए हैं। लोकायुक्त ने आरटीओ आरक्षक सौरभ शर्मा के घर पर दबिश दी थी। बेनामी संपत्ति मिलने पर ईडी ने सौरभ शर्मा सहित उसके पारिवारिक सदस्यों समेत 12 व्यक्तियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया था। 4 फरवरी से पुलिस की अभिरक्षा में है सौरभ आरोपी सौरभ शर्मा विगत 4 फरवरी से न्यायिक अभिरक्षा में है। ईडी द्वारा दर्ज प्रकरण में जिला न्यायालय ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद आरोपी ने हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट में याचिका की सुनवाई के दौरान सौरभ शर्मा के वकील ने दलील दी कि ईडी द्वारा जब्त की गई संपत्ति सौरभ शर्मा के नाम पर नहीं है और उनका उन संपत्तियों से कोई लेना-देना नहीं है। 108 करोड़ रुपए की संपत्ति अटैच ईडी की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता विक्रम सिंह ने अदालत को बताया कि सह-आरोपियों का कहना है कि सौरभ शर्मा ने उनके नाम पर उक्त संपत्तियां खरीदी हैं। ईडी के अधिवक्ता ने एकलपीठ को बताया कि 108 करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच की गई है, जिसे सौरभ शर्मा ने सह-आरोपियों के नाम पर खरीदा था। अटैच की गई संपत्ति से संबंधित एक सिविल प्रकरण दिल्ली हाईकोर्ट में लंबित है। आरोपी सौरभ शर्मा द्वारा अवैध रूप से अर्जित धन से उक्त संपत्तियां खरीदी गई थीं। जिला न्यायालय में खारिज हुई थी जमानत अर्जी मामला तब शुरू हुआ जब लोकायुक्त ने आरटीओ आरक्षक सौरभ शर्मा के घर पर छापा मारा और बेनामी संपत्ति का पता लगाया। इसके बाद, ईडी ने शर्मा, उनके परिवार और 12 अन्य व्यक्तियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया। शर्मा को 4 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था और तब से वह न्यायिक हिरासत में हैं। शर्मा ने जिला न्यायालय में जमानत के लिए अर्जी दी, लेकिन उसे खारिज कर दिया गया। इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की।