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‘नायसा’ के पीछे कौन? संजय पाठक ने कर्मचारी के नाम पर बनाई कंपनी, खरीदी करोड़ों की सहारा ज़मीन

जबलपुर  कटनी जिले से विधायक संजय पाठक ने जमीनों की खरीद फरोख्त के लिए न सिर्फ आदिवासियों की मदद ली, बल्कि अपने कर्मचारियों के नाम पर भी कंपनियां बनाईं। आदिवासियों के नाम पर करीब 1100 एकड़ जमीन खरीदने के आरोप से घिरे संजय पाठक सायना ग्रुप के मालिक हैं, इसलिए उन्होंने मिलते-जुलते नाम वाली नायसा देव बिल्ड प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बना ली। इस कंपनी का कर्ताधर्ता अपने ही कर्मचारी सचिन तिवारी को बनाया। इस कंपनी से सहारा सिटी की जमीन खरीदी, वो भी औने-पौने दाम पर। सूत्रों की माने सचिन तिवारी के पास विधायक संजय पाठक के लिए जमीन खरीदने-बेचने से लेकर जनसंपर्क आदि कार्यों की जिम्मेदारी है। जबलपुर के तेवर स्थित सहारा सिटी की जमीन का सौदा करने और उसका भुगतान करने की पूरी जिम्मेदारी सचिन और उसके सहयोगियों ने संभाली। दोनों ही संजय पाठक से जुड़ी फर्म सूत्र बताते हैं कि कटनी और जबलपुर की दो फर्मों को सहारा सिटी की करीब 110 एकड़ जमीन खरीदी का काम दिया गया। ये दोनों ही संजय पाठक से जुड़ी फर्म हैं। इस जमीन को कमर्शियल के बजाय कृषि भूमि बताकर पंजीयन शुल्क की चोरी की गई। इतना ही नहीं, सूत्रों का कहना है कि यह जमीन 50 करोड़ में बेची गई, जबकि बाजार मूल्य 200 करोड़ था। इधर ग्रुप से जुड़े लोगों का कहना है कि यह मूल्य कलेक्ट्रेट गाइडलाइन के मुताबिक तय किया गया था। वहीं 2014 में सुप्रीम कोर्ट में पेश किए गए दस्तावेजों में इस जमीन की कीमत 125 करोड़ रुपये तक दिखाई गई थी। माइनिंग कान्क्लेव में निवेश के बाद जांच ठंडी दरअसल, मेसर्स नायसा देव बिल्ड प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने सहारा कंपनी से जमीने खरीदीं। 2022 में हुए इस सौदे के दौरान नायसा देव बिल्ड के तत्कालीन डायरेक्टर्स और प्राधिकृत अधिकारी को ईओडब्ल्यू ने नोटिस देकर पूछताछ के लिए बुलाया भी था। जानकार बताते हैं कि रजिस्ट्री के दस्तावेजों की जांच में तीन पदाधिकारियों के नाम थे। जांच अधिकारियों ने यह पता लगाया कि नायसा कंपनी ने सहारा से खरीदी गई जमीन के एवज में कितनी रकम और किस माध्यम से सहारा को दी। इसके लिए ईओडब्ल्यू ने इनके बैंक खातें भी खंगाले, जिनसे जमीन के पैसों का भुगतान किया गया। हालांकि कंपनी में माइनिंग कान्क्लेव में सायना ग्रुप के बड़े निवेश के बाद मामला ठंडा करने में कई जुट गए, जिससे ईओडब्ल्यू की जांच ठंडी पड़ गई। खनिज से कलेक्टर के बीच घूम रही फाइल खनिज विभाग के प्रमुख सचिव द्वारा बनाई गई जांच टीम ने जब सिहोरा, घुघरी कला समेत कई जगहों की जांच की तो वे भी हैरान हो गए। विभागीय सूत्र बताते हैं कि जांच के दौरान यह देखा गया कि जिस जमीन के उत्खनन का लाइसेंस लिया गया है, उससे लगी हजारों एकड़ जमीन में भी अवैध उत्खनन कर दिया गया। इस जमीन को जब गूगल और सैटेलाइट के माध्यम से खंगाला गया तो पता चला कि यह काम आज का नहीं बल्कि पिछले 10 सालों से जारी है। विभाग ने संजय पाठक की तीनों कंपनी निर्मला मिनरल, आनंद माइनिंग कार्पोरेशन और मेसर्स पेसिफिक एक्सपोर्ट के नाम पर जारी आठ खदानों को खंगाला तो करीब 443 करोड़ का अवैध उत्खनन पाया गया। इसे वसूलने का काम जबलपुर कलेक्टर को दिया है। भोपाल से फाइल आए हुए करीब 10 दिन से ज्यादा समय हो गया है, लेकिन अब तक कुल जुर्माने की राशि का आकलन नहीं हो सका है।

संजय पाठक पर संकट: जज को फोन विवाद में कांग्रेस ने उठाई बर्खास्तगी की मांग

भोपाल मध्य प्रदेश के कटनी जिले की विजयराधवगढ़ विधानसभा सीट से भाजपा विधायक संजय पाठक की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। अवैध खनन से जुड़े मामले में हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति को फोन कर सुर्खियों में आए विधायक पाठक पर कांग्रेस ने कदाचरण(अनुचित आचरण) का आरोप लगाते हुए विधानसभा सदस्यता से बर्खास्त करने की मांग की है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि प्रमाण सामने हैं। 30 दिन जेल में रहने पर सदस्यता समाप्त करने का कानून लाने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अब इस घटना का संज्ञान लेकर विधायक पाठक पर कार्रवाई करानी चाहिए। मुख्यमंत्री मोहन यादव और विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर इस प्रकरण का संज्ञान लेकर विधानसभा की सदस्यता समाप्त करें। इस मामले को लेकर पार्टी का प्रतिनिधिमंडल शीघ्र ही राज्यपाल मंगुभाई पटेल और विधानसभा अध्यक्ष से भेंट भी करेगा।    बता दें कि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में करोड़ों के अवैध खनन से जुड़ी एक याचिका में विधायक पाठक के परिवार ने हस्तक्षेप याचिका दायर कर खुद को सुने जाने की मांग की है। अवैध खनन का आरोप विधायक पाठक के परिवार से जुड़ी कंपनियों पर है। याचिकाकर्ता ने याचिका में कहा है कि उन्होंने ही अवैध खनन की शिकायत आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) से की थी, लेकिन ठोस कार्रवाई न करके मामले को निपटा दिया गया। याचिका में ईओडब्ल्यू को ही पक्षकार बनाया गया है। इसी कारण विधायक पाठक की पत्नी निर्मला पाठक व पुत्र यश पाठक तरफ से हस्तक्षेप याचिका दायर की गई है। सुनवाई न्यायमूर्ति विशाल मिश्र की एकल पीठ में चल रही थी। विधायक पाठक ने न्यायमूर्ति को फोन कर इस मामले में बातचीत करने का प्रयास किया। इसके बाद न्यायमूर्ति इस सुनवाई से हट गए। उन्होंने नोट शीट में विधायक के फोन आने का उल्लेख किया है। मप्र बार काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष रामेश्वर नीखरा कहते हैं कि जनप्रतिनिधि से अच्छे आचरण की अपेक्षा की जाती है। जो प्रकरण सामने आया है, वह नैतिकता की दृष्टि से सबसे बड़ा अपराध है।