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मध्य प्रदेश इलेक्ट्रॉनिक्स निगम ने युवाओं को दिया सिंहस्थ के लिए तकनीकी समाधान प्रस्तुत करने का मौका

उज्जैन   सिंहस्थ-2028 के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डेटा-आधारित तकनीकों के माध्यम से भीड़ प्रबंधन, सार्वजनिक सुरक्षा, गतिशीलता, स्वास्थ्य और स्वच्छता जैसी चुनौतियों का समाधान किया जाएगा। इसके लिए उज्जैन महाकुंभ हैकाथान का आयोजन किया गया था। भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान भोपाल में उज्जैन महाकुंभ हैकाथान-2025 के दो दिन के सत्र में प्रौद्योगिकी, नवाचार और संस्कृति का संगम देखने को मिला। मध्य प्रदेश राज्य इलेक्ट्रानिक्स विकास निगम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा आयोजित इस आयोजन में देशभर के युवाओं को एक मंच पर सिंहस्थ-2028 के लिए स्मार्ट, सुरक्षित और समावेशी समाधान प्रस्तुत करने का अवसर मिला। यह सिंहस्थ-2028 के लिए समाधान विकसित करने की दिशा में ऐतिहासिक पहल है। देश के 26 राज्यों से पंजीकरण और 11 राज्यों की 36 चयनित टीमों की भागीदारी ने इस हैकाथान को भारत की नवाचार विविधता का प्रतीक बनाया। टीमों ने नवाचार और तकनीक के अलग-अलग प्रस्तुतीकरण प्रस्तुत किए। चयनित टीमें अगले दो महीनों के परिशोधन अवधि में अपने समाधानों को और विकसित करेंगी, जिससे सिंहस्थ-2028 के लिए एक सशक्त, समावेशी और टिकाऊ तकनीकी आधार तैयार हो सके। कार्यक्रम में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के अपर मुख्य सचिव संजय दुबे, आयुक्त, नगरीय प्रशासन संकेत एस. भोंडवे सहित गणमान्य व्यक्तियों ने प्रतिभागियों के रचनात्मक, तकनीकी और सामाजिक रूप से प्रासंगिक समाधानों की सराहना की। किसी ने यूनिफाइड प्लेटफार्म तो किसी ने भीड़ नियंत्रण प्रणाली की विकसित सिंहस्थ जैसे बड़े आयोजनों के लिए डिजाइन नवाचारों में जंगोह (इंदौर) ने 'सिंहथा यूनिफाइड' प्लेटफार्म प्रस्तुत किया। यह स्थानीय भाषाओं में एआइ-संचालित सहायता, रीयल-टाइम अपडेट्स प्रस्तुत करता है। सेल्फ सर्व बूथ ने एक 6डी वर्चुअल रियलिटी अनुभव प्रस्तुत किया, जो कुंभ के वातावरण को वैश्विक दर्शकों के लिए सजीव बनाता है। संचार वारियर ने एक रीयल-टाइम भीड़ निगरानी और चेतावनी प्रणाली विकसित की जो आपात स्थिति में मूक रिपोर्टिंग को भी सक्षम बनाती है। सेफ क्लाक ने भारतीय भाषाओं में डेटा भंडारण माडल पर ध्यान केंद्रित किया। मेडीवेंड ने रियल-टाइम वाइस इंटरफेस से युक्त एक चिकित्सा वेंडिंग प्लेटफार्म प्रदर्शित किया। उज्जैन महाकुंभ हैकाथान ने न केवल भविष्य की तकनीकी शासन प्रणाली की झलक दी, बल्कि मध्य प्रदेश के डिजिटल ट्रांसफार्मेशन विजन को भी मजबूती प्रदान की।

हैकाथॉन में दिखा परंपरा और प्रौद्योगिकी का अभिनव संगम

भोपाल  भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान भोपाल में उज्जैन महाकुंभ हैकाथॉन-2025 के दो दिन के सत्र में प्रौद्योगिकी, नवाचार और संस्कृति का अद्भुत संगम देखने को मिला। मध्यप्रदेश राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा आयोजित इस अनूठे आयोजन में देशभर के युवाओं को एक मंच पर सिंहस्थ-2028 के लिए स्मार्ट, सुरक्षित और समावेशी समाधान प्रस्तुत करने का अवसर मिला। यह सिंहस्थ-2028 के लिए समाधान विकसित करने की दिशा में ऐतिहासिक पहल है। देश के 26 राज्यों से पंजीकरण और 11 राज्यों की 36 चयनित टीमों की भागीदारी ने इस हैकाथॉन को भारत की नवाचार विविधता का प्रतीक बनाया। प्रतिभागियों ने सिंहस्थ-2028 के लिये ऑर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डेटा-आधारित तकनीकों के माध्यम से भीड़ प्रबंधन, सार्वजनिक सुरक्षा, गतिशीलता, स्वास्थ्य और स्वच्छता जैसी चुनौतियों के समाधान प्रस्तुत किए। 36 उत्कृष्ट टीम को मिला दो माह का परिशोधन समय हैकाथॉन के अंतिम दिन निर्णायक मंडल ने सभी टीम के उन्नत समाधानों का मूल्यांकन किया। पहले दिन दिए गए सुझावों को शामिल करते हुए प्रतिभागियों ने अपने प्रस्तावों को और बेहतर रूप में प्रस्तुत किया। नवाचार की गहराई और समाधानों की मापनीयता को देखते हुए निर्णायकों ने एक अभूतपूर्व निर्णय लेते हुए सभी 36 टीम को दो माह का अतिरिक्त समय प्रदान किया, जिससे वे अपने विचारों को और परिष्कृत कर सकें। यह कदम राज्य सरकार की दीर्घकालिक नवाचार के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। कार्यक्रम में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के अपर मुख्य सचिव श्री संजय दुबे, आयुक्त, नगरीय प्रशासन श्री संकेत एस. भोंडवे, प्रबंध निदेशक एमपीएसईडीसी श्री आशीष वशिष्ठ और मुख्य महाप्रबंधक एमपीएसईडीसी शिवांगी जोशी सहित गणमान्य व्यक्तियों ने प्रतिभागियों के रचनात्मक, तकनीकी और सामाजिक रूप से प्रासंगिक समाधानों की सराहना की। सिंहस्थ जैसे बड़े आयोजनों के लिये डिजाइन किये गये नवाचारों में जंगोह (इंदौर) ने “सिंहथा यूनिफाइड” प्लेटफॉर्म प्रस्तुत किया जो स्थानीय भाषाओं में एआई-संचालित सहायता, रीयल-टाइम अपडेट्स प्रस्तुत करता है। सेल्फ सर्व बूथ ने एक 6डी वर्चुअल रियलिटी अनुभव प्रस्तुत किया जो कुंभ के वातावरण को वैश्विक दर्शकों के लिए सजीव बनाता है। संचार वॉरियर ने एक रीयल-टाइम भीड़ निगरानी और चेतावनी प्रणाली विकसित की जो आपात स्थिति में मूक रिपोर्टिंग को भी सक्षम बनाती है। सेफ्टी और सिक्योरिटी ट्रेकिंग यूनिट ने लोरा-आधारित सुरक्षित संचार नेटवर्क का प्रस्ताव रखा जो फील्ड टीमों और कमांड सेंटर्स के बीच समन्वय को सुनिश्चित करता है। क्राफ्टआई ने एआई -आधारित तीर्थयात्री निगरानी प्रणाली प्रस्तुत की, जबकि सेफ क्लॉक ने भारतीय भाषाओं में डेटा भंडारण मॉडल पर ध्यान केंद्रित किया।मेडीवेंड ने रियल-टाइम वॉइस इंटरफेस से युक्त एक चिकित्सा वेंडिंग प्लेटफॉर्म प्रदर्शित किया। दर्शिनी एआई टीम WAPPGO ने भीड़भाड़ को रोकने और सार्वजनिक सुरक्षा को बढाने के लिए एआई आधारित ट्रैकिंग और निगरानी उपकरणों को एकीकृत करने वाले एक स्मार्ट गतिशीलता और भीड़ प्रबंधन प्लेटफॉर्म का प्रस्ताव रखा। अमृतशरणम ने एक एकीकृत गतिशीलता और सुरक्षा निगरानी प्रणाली प्रस्तुत की, जो भीड़भाड़ को रोकने और एक एकीकृत कमांड प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से पुलिस, स्वास्थ्य और नगरपालिका विभागों के बीच वास्तविक समय समन्वय को सक्षम करने के लिए पूर्वानुमानित विश्लेषण का लाभ उठाती है। इस बीच, केरल की एल्विक्टो टेक्नोलॉजीज ने एक स्मार्ट पार्किंग प्रबंधन प्रणाली प्रस्तुत की, जिसे सुगम यातायात प्रवाह के लिए कई पार्किंग क्षेत्रों को एक जुड़े हुए नेटवर्क में एकीकृत करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, और रोबस्ट रोबोटिक्स ने अग्नि का पता लगाने, जोखिम प्रबंधन और वास्तविक समय प्रतिक्रिया के लिए इसरो नाविक उपग्रह डेटा और ड्रोन इमेजरी को मिलाकर एआई-संचालित सटीक मानचित्रण समाधान से निर्णायक मंडल को प्रभावित किया। इन सभी नवाचारों ने यह स्पष्ट किया कि भारत की युवा तकनीकी शक्ति, सामाजिक चेतना के साथ मिलकर परंपरागत आयोजनों को आधुनिक तकनीक से जोड़ने में सक्षम है। उज्जैन महाकुंभ हैकाथॉन-2025 ने न केवल भविष्य की तकनीकी शासन प्रणाली की झलक दी, बल्कि मध्यप्रदेश के डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन विजन को भी मजबूती प्रदान की। चयनित टीमें अगले दो महीनों के परिशोधन अवधि में अपने समाधानों को और विकसित करेंगी, जिससे सिंहस्थ-2028 के लिए एक सशक्त, समावेशी और टिकाऊ तकनीकी आधार तैयार हो सके। 

VR टेक्नोलॉजी से होगी सिंहस्थ की निगरानी, पुलिस 54 हजार कर्मियों को देगी वर्चुअल ट्रेनिंग

उज्जैन  उज्जैन पुलिस ने देशभर के 54 हजार जवानों को वर्चुअल रियलिटी (VR) तकनीक के माध्यम से प्रशिक्षण देने का निर्णय लिया है। यह पहल 2028 के महाकुंभ के दौरान लागू की जाएगी, जो कि देश में अपनी तरह की पहली योजना होगी। उज्जैन पुलिस इस तकनीक का उपयोग करते हुए कुंभ ड्यूटी पर तैनात होने वाले पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षित करेगी। वर्चुअल रियलिटी से कुंभ ड्यूटी का प्रशिक्षण उज्जैन में महाकुंभ की तैयारियां जोरों पर हैं। पुलिसकर्मी वर्चुअल रियलिटी के माध्यम से उज्जैन की गलियों, सड़कों, चौराहों और श्रद्धालुओं के मार्ग को समझेंगे। उन्हें यह प्रशिक्षण अपने शहर में बैठे-बैठे ही मिलेगा। इस तकनीक के जरिए पुलिसकर्मी जान सकेंगे कि उन्हें कहां तैनात किया जाएगा और किस मार्ग का उपयोग करना होगा। जो अपने शहर राज्य में बैठकर उज्जैन की गलियों, सड़क, मार्ग, चौराहे, एंट्री एग्जिट और श्रद्धालुओं को किस मार्ग पर भेजना और रोकने की ट्रेनिंग भी VR के माध्यम से लेंगे। उज्जैन पुलिस ने फिलहाल 200 VR सेट मंगवाए हैं। VR से ट्रेनिंग पुलिस आर्म्स फोर्स होमगार्ड वॉलिंटियर्स को दी जाएगी। उज्जैन में होने वाले महाकुंभ के आयोजन में पुलिस हाईटेक टेक्नोलॉजी का उपयोग करेगी। ऐसा प्रयागराज कुंभ में भी देखने को नहीं मिला था। पहली बार VR टेक्नोलॉजी का उपयोग कर अपने अपने शहर में उज्जैन की सड़कों-गलियों आने-जाने के मार्ग की ट्रेनिंग VR से मिलेगी। पहले उज्जैन में, फिर अपने शहर में लेंगे ट्रेनिंग एसपी प्रदीप शर्मा ने बताया कि ट्रेनिंग में ज्यादा से ज्यादा टेक्नोलॉजी का उपयोग करेंगे। दूसरे प्रदेश और जिले से आने वाले पुलिसकर्मियों की ट्रेनिंग के लिए VR ट्रेनिंग का माध्यम चुना है। सड़कों के 3D वीडियो बनवाए हैं। ये पुलिसकर्मियों को VR के माध्यम से उनके शहर में ही दिखाए जाएंगे। सोमवार को VR सेट का परीक्षण किया है। सबसे पहले पुलिसकर्मी उज्जैन आकर देखेंगे कि उनकी ड्यूटी कहां लगेगी। कौन सा रास्ता कहां से किधर जाएगा। इसके बाद उन्हें बार-बार ट्रेनिंग के लिए उज्जैन नहीं आना पड़ेगा। पुलिसकर्मी अपने प्रदेश में कहीं भी होगा, वह VR के माध्यम से शहर की भौगोलिक स्थिति और रियल टाइम स्थिति जानकर ट्रेनिंग पूरा कर लेगा। ट्रेनिंग प्रक्रिया में टेक्नोलॉजी का अधिकतम उपयोग एसपी प्रदीप शर्मा ने बताया कि ट्रेनिंग में अधिक से अधिक तकनीक का उपयोग किया जाएगा। दूसरे राज्यों और जिलों से आने वाले पुलिसकर्मियों के लिए VR तकनीक का चयन किया गया है। इसके तहत सड़कों के 3D वीडियो तैयार किए गए हैं, जिनका उपयोग पुलिसकर्मियों को उनकी शहर की भौगोलिक स्थिति समझाने के लिए किया जाएगा। सोमवार को VR सेट का परीक्षण किया गया, जिसके बाद पुलिसकर्मी उज्जैन आकर देखेंगे कि उनकी ड्यूटी कहां लगेगी। इससे उन्हें बार-बार उज्जैन आने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी, और वे अपने प्रदेश में कहीं से भी इस प्रशिक्षण को पूरा कर सकेंगे। आपातकालीन स्थितियों में VR का महत्व शुरुआत में इंदौर रोड से शिप्रा नदी के घाट तक का वीडियो तैयार किया गया है। इस वीडियो की मदद से पुलिसकर्मी आपातकालीन स्थितियों का सामना करने के लिए बेहतर तरीके से तैयार होंगे। एसपी ने बताया कि 200 VR सेट का ऑर्डर दिया गया है और भविष्य में उनकी संख्या बढ़ाई जाएगी। इस तकनीक का उद्देश्य यह है कि पुलिसकर्मी जब VR का उपयोग करेंगे, तो उन्हें ऐसा लगेगा जैसे वे वास्तव में उस स्थान पर खड़े हैं, जहां उनकी ड्यूटी लगाई गई है। इससे उनकी प्रशिक्षण प्रक्रिया अधिक प्रभावी बनेगी। सुरक्षा के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग 2028 के सिंहस्थ महाकुंभ में श्रद्धालुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और अन्य आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जाएगा। इसमें AI-आधारित फेस रिकग्निशन सिस्टम, मोबाइल ऐप ट्रैकिंग जैसी तकनीकें भीड़ प्रबंधन में सहायक होंगी। उज्जैन के चार रेलवे स्टेशनों को भी हाईटेक बनाया जाएगा। इनमें नई खेड़ी, पिंगलेश्वर, चिंतामन और विक्रम नगर स्टेशन शामिल हैं। इन स्टेशनों पर फेस रिकग्निशन सॉफ्टवेयर, हाई क्वालिटी CCTV कैमरे और ड्रोन निगरानी के माध्यम से संदिग्ध लोगों पर नजर रखी जाएगी। स्थायी कुंभ सिटी का निर्माण उज्जैन में 2028 में होने वाले सिंहस्थ कुंभ के लिए 5 हजार करोड़ रुपए की लागत से स्थायी कुंभ सिटी का निर्माण किया जाएगा। यह सिटी 2378 हेक्टेयर भूमि पर बनाई जाएगी, जिसमें इंटरकनेक्टेड चौड़ी सड़कें, अंडरग्राउंड लाइट, अस्पताल, स्कूल और अन्य सुविधाएं शामिल होंगी। इस परियोजना के माध्यम से उज्जैन को एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का शहर बनाने का लक्ष्य है, जो श्रद्धालुओं के लिए एक सुरक्षित और सुविधाजनक अनुभव प्रदान करेगा। इस नई पहल से यह स्पष्ट होता है कि उज्जैन पुलिस और स्थानीय प्रशासन महाकुंभ को सफल और सुरक्षित बनाने के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। आपातकालीन समय में भी काम आएगा VR अभी शुरुआत में इंदौर रोड का शिप्रा नदी के घाट तक का वीडियो बनवाया है। इससे ट्रेनिंग की शुरुआत होगी। VR आपातकालीन समय में कैसे काम आ सकता है, इस पर भी काम कर रहे हैं। जल्द ही उस दिशा में भी आगे बढ़ेंगे। 200 वीआर सेट के ऑर्डर दिए हैं। बाद में धीरे-धीरे इनकी संख्या बढ़ती जाएगी। उज्जैन कुंभ में खड़े होने का होगा अहसास वीडियो में बैकग्राउंड में हिंदी और इंग्लिश में नरेशन भी है। इसमें पूरे शहर की हर छोटी-बड़ी डिटेल दी जाएगी। जो बाद में भी काम आएगी। एसपी प्रदीप शर्मा का कहना है कि ट्रेनिंग में मैप पर समझा भी देंगे तो याद नहीं रहेगा। लेकिन, जब वह पुलिसकर्मी VR से देखेंगे तो उन्हें ऐसा प्रतीत होगा जैसे उसी जगह खड़े हैं। जहां उनकी ड्यूटी लगाई गई है। इससे फील्ड याद रहेगा। कुछ प्लान चेंज भी हुए तो भी दिक्कत नहीं होगी। देश में पहली बार पुलिस उज्जैन में उपयोग करेगी। AI-आधारित फेस रिकग्निशन सिस्टम भी सन 2028 में आयोजित होने वाले सिंहस्थ महाकुंभ में करोड़ों श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए इस बार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और अन्य आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करके "हाईटेक" कुम्भ आयोजित होगा। जिसमें AI-आधारित फेस रिकग्निशन सिस्टम, मोबाइल ऐप ट्रैकिंग जैसी तकनीक भीड़ प्रबंधन में उपयोग में ली जायेगी। रेलवे स्टेशन भी हाईटेक होंगे उज्जैन के चार रेलवे स्टेशन नई खेड़ी, पिंगलेश्वर, चिंतामन और विक्रम नगर स्टेशन को हाईटेक बनाया जाएगा। इन स्टेशनों पर अगर कोई अपराधी ट्रेन से उज्जैन आता है तो फेस रिकग्निशन सॉफ्टवेयर, हाई क्वालिटी सीसीटीवी … Read more

तकनीक और परंपरा के संगम से सिंहस्थ-2028 को मिलेगा स्मार्ट स्वरूप

11 राज्यों की 36 टीम ने प्रस्तुत किए डिजिटल नवाचार हैकाथॉन-2025 का ग्रैंड फिनाले आईआईएसईआर भोपाल में प्रारंभ भोपाल उज्जैन महाकुंभ हैकाथॉन-2025 का ग्रैंड फिनाले बुधवार को भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर) भोपाल में प्रारंभ हुआ। दो दिवसीय आयोजन में भारत के 11 राज्यों की प्रतिभाएं एक मंच पर आईं और सिंहस्थ-2028 को तकनीक के जरिए और बेहतर बनाने के लिए डिजिटल समाधान प्रस्तुत किए। हैकाथॉन में 26 राज्यों से 1,726 पंजीकरण हुए और 932 नवीन विचार प्रस्तुत किए गए। कड़े मूल्यांकन के बाद मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, उड़ीसा, केरल, गुजरात, दिल्ली, बिहार, पश्चिम बंगाल, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु की 36 टीम फिनाले में पहुंचीं।इस हैकाथॉन ने “एक भारत-एक साथ नवाचार” की भावना को जीवंत किया है। मध्यप्रदेश राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा आयोजित इस हैकाथॉन-2025 का लक्ष्य शासन, जन सुरक्षा और नागरिक कल्याण के लिए तकनीक का उपयोग करना है। समारोह में आईआईएसईआर भोपाल के निदेशक प्रो. गोवर्धन दास ने कहा कि “कुंभ मेला सिर्फ एक आयोजन नहीं, बल्कि भारत की आध्यात्मिक एकता का प्रतीक है। यह हैकाथॉन परंपरा और तकनीक के खूबसूरत मेल को दर्शाता है।” एमपीएसईडीसी के परियोजना निदेशक श्री अंशुमन राज ने इसे सरकारी चुनौतियों को समाधान में बदलने का शानदार अवसर बताया। उन्होंने कहा कि सिंहस्थ-2028 नागरिकों के लिए स्मार्ट सुरक्षा प्रणालियाँ विकसित करने का अवसर है। कार्यकारी निदेशक डॉ. संदीप गोयल ने इसे विचारों और विविधता का संगम कहा जो सिंहस्थ जैसे विशाल आयोजन को और बेहतर बनाएगा। समारोह में एनईजीडी के निदेशक श्री अभिषेक अनंत भी उपस्थित थे। 36 फाइनलिस्ट टीम ने स्मार्ट मोबिलिटी, सुरक्षा और निगरानी, स्वास्थ्य और स्वच्छता एवं डिजिटल अनुभव और सांस्कृतिक विसर्जन जैसे चार प्रमुख क्षेत्रों में अपने प्रोटोटाइप प्रस्तुत किए। उल्लेखनीय परियोजनाओं में क्राउडगार्ड एआई:वास्तविक समय में सुरक्षा सुनिश्चित करने वाली प्रणाली, एआई-मूव सिंहस्थ: तीर्थयात्रियों के प्रवाह को प्रबंधित करने का समाधान, एकीकृत पार्किंग प्रबंधन प्लेटफॉर्म (केरल): पार्किंग की समस्या का तकनीकी हल शामिल हैं, दर्शिनी एआई: सांस्कृतिक अनुभव को डिजिटल रूप से जीवंत करने वाला प्रोजेक्ट शामिल हैं। गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, ओरेकल और आईआईएसईआर के विशेषज्ञों वाले निर्णायक मंडल ने इन नवाचारों की रचनात्मकता की जमकर प्रशंसा की और रचनात्मक सुझाव भी दिए। हैकाथॉन का दूसरा दिन 9 अक्टूबर को अंतिम प्रदर्शन, मूल्यांकन के साथ समाप्त होगा।अपर मुख्य सचिव श्री संजय दुबे मुख्य अतिथि होंगे। शीर्ष तीन विजेता टीम को 18 लाख, 5 लाख और 3 लाख रुपये के नकद पुरस्कार के साथ इनक्यूबेशन और मेंटरशिप के अवसर मिलेंगे। उज्जैन महाकुंभ हैकाथॉन-2025 मध्यप्रदेश के तकनीकी नवाचार में अग्रणी भूमिका को रेखांकित करता है। यह आयोजन भारत की सांस्कृतिक विरासत को डिजिटल भविष्य से जोड़ते हुए समावेशी और नागरिक-केंद्रित शासन को बढ़ावा देता है। सिंहस्थ-2028 की तैयारियों के बीच हैकाथॉन परंपरा और नवाचार के मेल का प्रतीक बनकर उभरा है, जो राष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ा प्रभाव छोड़ने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।  

सिंहस्थ 2028 की तैयारी तेज़: ऊर्जा मंत्री तोमर ने MP ट्रांसको को एक साल पहले कार्य पूरा करने का दिया लक्ष्य

भोपाल  ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने कहा है कि सिंहस्थ-2028 के सफल आयोजन को ध्यान में रखते हुए मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी (एम.पी. ट्रांसको) उज्जैन में अपनी पारेषण प्रणाली को और सुदृढ़ बनाये। साथ ही सभी कार्य एक वर्ष पूर्व पूरा करने का लक्ष्य तय करें। मंत्री तोमर की मंशानुसार इस संबंध में साउथ जोन इंदौर स्थित एम.पी. ट्रांसको के प्रशासनिक भवन में समीक्षा बैठक हुई। प्रबंध संचालक सुनील तिवारी ने वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देश दिए कि सिंहस्थ के कार्यों की नियमित निगरानी की जाए और उन्हें समय-सीमा व उच्च गुणवत्ता के साथ पूरा किया जाए। कार्ययोजना इस प्रकार बनाई जाए कि सिंहस्थ आयोजन से एक वर्ष पूर्व सभी कार्य पूर्ण हो जाएं, जिससे पारेषण तंत्र की स्थिरता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त समय उपलब्ध हो सके। बैठक में इंदौर और उज्जैन मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। चिंतामन सब स्टेशन का निर्माण कार्य प्रारंभ अतिरिक्त मुख्य अभियंता राजीव अग्रवाल ने जानकारी दी कि सिंहस्थ अवधि में निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए पहले चरण में 132 के.व्ही. चिंतामन सबस्टेशन के निर्माण का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। त्रिवेणी बिहार, उज्जैन में प्रस्तावित सबस्टेशन के लिए टेंडर प्रक्रिया जारी है। इसके अलावा 220 के.व्ही. शंकरपुर सबस्टेशन पर वर्तमान 20 एम.व्ही.ए. ट्रांसफार्मर को अपग्रेड कर 50 एम.व्ही.ए. का नया ट्रांसफार्मर स्थापित किए जाने का प्रस्ताव है। 400 के.व्ही. ताजपुर सबस्टेशन का विस्तार मुख्य अभियंता अग्रवाल ने बताया कि 400 के.व्ही. ताजपुर (उज्जैन) सबस्टेशन में 132 के.व्ही. नेटवर्क का विस्तार किया जाएगा। इसमें 50 एम.व्ही.ए. क्षमता का नया ट्रांसफार्मर स्थापित कर 33 के.व्ही. के चार नए फीडर निकाले जाएंगे।  

मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई सिंहस्थ-2028 के लिए गठित मंत्रीमंडलीय समिति की बैठक

धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों की सभी आवश्यक व्यवस्थाएं समय रहते हों सुनिश्चित भीड़ प्रबंधन, आवागमन, पार्किंग और पदयात्रियों की सुविधा का रखे विशेष ध्यान कचरा प्रबंधन के लिए अद्यतन तकनीक का हो उपयोग भोपाल  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि सिंहस्थ-2028 महापर्व के सुव्यवस्थित संचालन के लिए दीर्घकालीन कार्ययोजना का समय-सीमा में क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाये। संबंधित विभाग उनके कार्यक्षेत्र में जारी गतिविधियों की निरंतर समीक्षा कर यह सुनिश्चित करें कि सभी निर्माण कार्य दिसम्बर 2027 तक अनिवार्यत: पूर्ण हों। साथ ही भीड़ प्रबंधन तथा समस्त प्रमुख धार्मिक, सांस्कृतिक आयोजनों के लिए आवश्यक समन्वय भी इस अवधि तक सुनिश्चित कर लिया जाए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने मंत्रालय में सिंहस्थ-2028 के लिए गठित मंत्रीमंडलीय समिति की चतुर्थ बैठक में ये निर्देश दिए। बैठक में उप मुख्यमंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल, नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्री कैलाश विजयवर्गीय, लोक निर्माण मंत्री श्री राकेश सिंह, परिवहन एवं स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री श्रीमती सम्पतिया उइके, खाद्य, नागरिक आपूर्ति मंत्री श्री गोविंद सिंह राजपूत, ऊर्जा मंत्री श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर (स्वतंत्र प्रभार), सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री श्री चैतन्य कुमार काश्यप, संस्कृति राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी, तकनीकी शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री गौतम टैटवाल, नगरीय विकास एवं आवास राज्यमंत्री श्रीमती प्रतिमा बागरी, मुख्य सचिव श्री अनुराग जैन सहित संबंधित विभागों के अपर मुख्य सचिव एवं प्रमुख सचिव उपस्थित थे। निर्माण कार्यों और व्यवस्थाओं में स्थानीय निवासियों को बनाएं सहभागी मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि सिंहस्थ संबंधी निर्माण कार्यों तथा नगर के भीतर के मार्गों के चौड़ीकरण कार्य व अन्य योजनाओं के क्रियान्वयन में स्थानीय निवासियों को सहभागी बनाया जाए और उनके अभिमत को भी महत्व दिया जाए। सिंहस्थ के दौरान पदयात्रियों की सुविधा और वाहनों की पार्किंग का विशेष ध्यान रखा जाए। यह भी सुनिश्चित किया जाए कि इसके संबंध में सूचनाओं की सरल, सहज उपलब्धता सभी तक हो। सिंहस्थ अवधि में स्वच्छता को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए कचरा प्रबंधन के लिए अद्यतन तकनीक का उपयोग किया जाए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि बेहतर प्रबंधन के लिए उज्जैन को सात जोन में विभाजित करते हुए पेयजल, स्वच्छता, आवागमन, कानून व्यवस्था, स्वास्थ्य, आवास आदि का प्रबंधन किया जाए। नगर निगम और विकास प्राधिकरण सहित अन्य संबंधित संस्थाओं की क्षमता विकास के लिए समय रहते आवश्यक कदम उठाए जाएं। उज्जैन सहित खण्डवा, मंदसौर और खरगोन में भी होंगे कार्य बैठक में कुल 2675 करोड़ रूपए लागत के 33 कार्य स्वीकृति के लिए प्रस्तुत किए गए। इनमें 25 कार्य उज्जैन, 3 खण्डवा, 2 मंदसौर और 3 खरगोन में होने हैं। इनमें नगरीयविकास एवं आवास विभाग के 21, लोक निर्माण के 6, रेलवे के 2 एवं पर्यटन, गृह, एमपीआरडीसी और जल संसाधन विभाग के एक-एक कार्य शामिल हैं। 12 किलोमीटर लंबे 6 लेन मार्ग से सभी घाटों को जोड़ा जाएगा मंत्री-मण्डलीय समिति की चतुर्थ बैठक में क्षिप्रा नदी के पश्चिमी भाग पर सिंहस्थ बायपास से मेला क्षेत्र को आने वाले सभी मार्गों को कनेक्ट करते हुए नदी के पास स्थित मंदिरों और सभी घाटों को जोड़ने वाले एमआर-22 को स्वीकृति प्रदान की गई। लगभग 194 करोड़ रूपए लागत से बनने वाले 12 किलोमीटर लंबे 6 लेन मार्ग से सभी घाटों को जोड़ा जाएगा और सिंहस्थ के दौरान इसका बस रैपिट ट्रांजिट के रूप में उपयोग किया जा सकेगा। इसी प्रकार सिंहस्थ बायपास से रामघाट तक पहुंचने के लिए बड़नगर रोड के विकल्प के रूप में कार्तिक मेला ग्राउण्ड से नईखेड़ी मार्ग को अनुमोदन प्रदान किया गया। लगभग 3 किलोमीटर लंबे 36.59 करोड़ रूपए लागत के इस फोरलेन मार्ग से सिंहस्थ बायपास से शंकराचार्य चौराहे तक के ट्रैफिक कंजेशन में कमी आएगी। इसी प्रकार इंदौर उज्जैन रोड से क्षिप्रा नदी के पश्चिम भाग को जोड़ने के लिए शनि मंदिर से जीवनखेड़ी रोड, इंदौर रोड से आने वाले श्रद्धालुओं को त्रिवेणी घाट और शनि मंदिर तक पहुंचने के लिए वैकल्पिक मार्ग के रूप में उपयोग किए जाने वाले शांतिधाम चौराहा से शनि मंदिर रोड और महाकाल मंदिर को रामघाट से सीधे जोड़ने व महाकाल आने वालों को चौड़ा मार्ग उपलब्ध कराने के लिए महाराज वाडा चौराहा से हरसिद्धि मंदिर चौराहा क्षिप्रा नदी तक के रोड को समिति ने अनुमोदन प्रदान किया। सुगम यातायात के लिए हो रही है पुख्ता व्यवस्था मुख्यमंत्री डॉ. यादव की अध्यक्षता में हुई इस महत्वपूर्ण बैठक में नरसिंहघाट रोड से दत्त अखाड़ा जोन, भूखीमाता मंदिर और नदी के पश्चिमी भाग को जोड़ने में वैकल्पिक रोड के रूप में उपयोग होने वाले कर्कराज पार्किंग से भूखीमाता मार्ग, लालपुल से एमआर-22 तक की 1.5 किलोमीटर लंबे फोरलेन मार्ग, भृतहरीगुफा से ऋणमुक्तेश्वर के बीच सुगम यातायात प्रबंधन के लिए 2 लेन मार्ग, गढ़कालिका मंदिर से पीर मत्स्येंद्रनाथ समाधि तक 2 लेन मार्ग को स्वीकृति प्रदान की गई। इसी प्रकार सुगम यातायात की पुख्ता व्यवस्था के लिए जूना सोमवारिया से पिपली नाका, अंकपात चौराहा मार्ग तक फोरलेन मार्ग, पिपली नाका से गढ़कालिका मंदिर ओखलेश्वर शमशान तक 6 लेन और सर्विस लेन, भैरवगढ़ जेल चौराहा से पिपलीना का 6 लेन सर्विस लेन, महाकाल पार्किंग से चौबीस खंबा सड़क तक फोरलेन, हरसिद्धि पाल से रामघाट रोड चौड़ीकरण, नीलकंठ द्वार से महाकाल चौराहा तक सड़क चौड़ीकरण और मकाड़िया आम चौराहा से विराट नगर होते हुए कानीपुरा-तराना मार्ग तक सड़क निर्माण कार्य को स्वीकृति प्रदान की गई। पर्यटन विभाग को सौंपा जाएगा ग्रांड होटल परिसर बैठक में क्षिप्रा नदी पर 122 करोड़ रूपए लागत से लगभग 9 किलोमीटर लंबाई के घाटों के उन्नयन कार्य, छत्री चौक स्थित रीगल टॉकीज पर पार्किंग, प्लाजा व दुकानों के निर्माण कार्य को स्वीकृति प्रदान की गई। इसके साथ ही ग्रांड होटल परिसर को पर्यटन विभाग को हस्तांतरित करने के उद्देश्य से अधिकारियों और स्टाफ क्वार्टर निर्माण तथा शहर के प्रमुख मार्गों के सड़क चौड़ीकरण से प्रभावित परिवारों के लिए पंवासा में भूखंड आवंटन के लिए अधोसंरचना विकास के उद्देश्य से आवश्यक अधोसंरचना सुविधाएं विकसित करने के लिए 10 करोड़ 34 लाख रूपए की स्वीकृति प्रदान की गई। बैठक में उज्जैन में रेलवे स्टेशन पर सुगम आवागमन के लिए पुल निर्माण, नईखेड़ी रेलवे स्टेशन, पंवासा फ्लैग स्टेशन, चिंतामन गणेश रेलवे स्टेशन कनेक्टिविटी के संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए। ओंकारेश्वर में वर्तमान झूला पुल के समांतर होगा नए पुल का निर्माण बैठक में ओंकारेश्वर … Read more

महाकुंभ 2028 से पहले उज्जैन में पंढरपुर-मथुरा जैसी सुविधाएं, फैसिलिटी हब पर काम शुरू

 उज्जैन  साल 2028 में उज्जैन में आयोजित होने वाले सिंहस्थ महाकुंभ की तैयारियां नई दिशा में आगे बढ़ रही हैं। उज्जैन प्रशासन का लक्ष्य इस बार सिर्फ परंपराओं का पालन नहीं बल्कि तीर्थ व्यवस्थाओं को एक आधुनिक, सुविधाजनक और यादगार अनुभव में बदलना है। प्रशासन अब महाराष्ट्र के पंढरपुर और उत्तर प्रदेश के मथुरा जैसे प्रमुख तीर्थ स्थलों से प्रेरणा लेकर सिंहस्थ के लिए अत्याधुनिक फैसिलिटी सेंटर तैयार करने की योजना बना रहा है। पंढरपुर की प्रसिद्ध वारी यात्रा और मथुरा की ब्रज परिक्रमा में हर साल लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं। इन तीर्थस्थलों पर विकसित फैसिलिटी सेंटर श्रद्धालुओं को छाया, पीने का पानी, स्नानघर, शौचालय, प्राथमिक चिकित्सा, विश्राम स्थल और सुरक्षा की पूरी व्यवस्था प्रदान करते हैं। इसी तर्ज पर अब उज्जैन में भी स्थायी, स्मार्ट और पर्यावरण-अनुकूल फैसिलिटी सेंटर बनाए जाएंगे। प्रशासन का कहना है कि सिंहस्थ 2028 में अब केवल अस्थायी टेंट या पारंपरिक पड़ाव नहीं होंगे, बल्कि फैसिलिटी सेंटर श्रद्धालुओं के लिए एक समग्र अनुभव का केंद्र बनेंगे। यहां डिजिटल सूचना पटल, छायादार विश्राम क्षेत्र, पुरुष व महिलाओं के लिए पृथक स्नानगृह, ग्रीन वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम, जल वितरण केंद्र और चिकित्सा सहायता केंद्र जैसे अत्याधुनिक इंतजाम होंगे। इन स्थलों पर सीसीटीवी निगरानी और डिजिटल नेविगेशन सिस्टम भी उपलब्ध कराए जाएंगे। उज्जैन कलेक्टर रौशन कुमार सिंह ने कहा 'सिंहस्थ केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि व्यवस्थाओं की कसौटी है। हमारा उद्देश्य है कि श्रद्धालुओं को एक प्रेरक, सुरक्षित और सुविधा युक्त अनुभव मिले। पंढरपुर और मथुरा जैसे तीर्थस्थलों की परंपराओं और अनुभवों से प्रेरणा लेकर उज्जैन को एक स्मार्ट तीर्थ मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा।' गौरतलब है कि सिंहस्थ महाकुंभ विश्व के सबसे बड़े आध्यात्मिक आयोजनों में से एक है, जिसमें करोड़ों श्रद्धालु देश-विदेश से आते हैं। इस विशाल भीड़ को सुचारु रूप से संभालने और उनकी मूलभूत आवश्यकताओं को पूर्ण करने के लिए स्थायी फैसिलिटी सेंटर न केवल सहूलियत देंगे, बल्कि उज्जैन को तीर्थ व्यवस्थाओं का आदर्श मॉडल भी बनाएंगे।

सिंहस्थ‑2028 से पहले उज्जैन में बनेगा रेलवे स्टेशन से महाकाल तक 1.76 किमी रोपवे, 55 गोन्डोला के साथ

उज्जैन  सिंहस्थ-2028 को देखते हुए उज्जैन में तैयारियां तेज हो गई हैं। रेलवे स्टेशन से महाकाल मंदिर तक रोपवे चलाए जाएंगे। इसके लिए के लिए काम शुरु हो गया। रोपवे का ठेका डोप्पेलमेयर को दिया गया है। जो कि अपनी टेक्नोलॉजी के जरिए डिजाइन तैयार कर रही है। 1.7 किलोमीटर लंबा रोपवे होगा तैयार उज्जैन रेलवे स्टेशन से लेकर महाकाल मंदिर तक 1.7 किलोमीटर लंबा रोपवे तैयार किया जा रहा है। इसके रूट पर तीन स्टेशन बनाए जा रहे हैं। यहां पर यात्री रोपवे के जरिए आना-जाना कर सकेंगे। जिसमें यात्री सीधा मंदिर में ही उतरेंगे। 1.7 किलोमीटर के रूट में 55 केबिन चलाए जाएंगे। जो कि दिन में 16 घंटे चलेंगे। इस दूरी को तय करने में सिर्फ 5-7 मिनट का समय लगेगा। रोपवे के लिए तीन स्टेशन बनेंगे महाकाल लोक की पार्किंग पर उतरकर नंदी द्वारा से सीधा महाकाल लोक में प्रवेश होगा। गणेश कॉलोनी में उतरने के बाद भक्त रूद्र सागर पर बने नए ब्रिज से सीधे महाकाल मंदिर के पास स्थित मानसरोवर फैसिलिटी सेंटर पहुंचेंगे। रोपवे हरिफाटक ब्रिज के ऊपर से गुजरेगा। एक घंटे में 2 हजार कर सकेंगे दर्शन रोपवे प्रोजेक्ट को पूरा होने में 2026 तक का समय लगेगा। रोपवे में 3 स्टेशन, 13 टावर और 55 केबिन होंगे। रोपवे की क्षमता प्रति घंटे 2 हजार यात्री होगी। यह पूरे दिन में 16 घंटे तक चलेगा। पब्लिक सेफ्टी रहेगी प्राथमिकता उज्जैन में लगाया जा रहा रोपवे यूरोपीय मानकों पर आधारित है। सरकार के द्वारा पहले प्राथमिकता नागरिकों सुरक्षा रखी गई है। कंपनी की ओर से गारंटी दी जाती है कि किसी प्रकार की समस्या आने पर यह केबिन अपने आप ही स्टेशन पर पहुंच जाएगा।