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VHP का बयान: 3 अक्टूबर के वक्फ आंदोलन पर जताई चिंता, हिंसा हुई तो मुस्लिम संगठनों की जवाबदेही तय होगी

नई दिल्ली वक्फ कानून में संशोधन के खिलाफ मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और कई मुस्लिम संगठनों द्वारा 3 अक्टूबर को बुलाए गए देशव्यापी आंदोलन और बंद को लेकर विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने गंभीर चिंता जताई है. वीएचपी के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार ने प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि यह आंदोलन देश की शांति और कानून व्यवस्था को चुनौती देने वाला साबित हो सकता है. वीएचपी ने कहा कि आश्चर्य इस बात पर है कि सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ कानून पर अभी केवल अंतरिम आदेश दिया है, जिसे खुद मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत उलेमा ने स्वागत योग्य माना था. ऐसे में अंतिम फैसले का इंतजार किए बिना इस तरह का आंदोलन शुरू करना पूरी तरह अनुचित है. ‘3 अक्टूबर को हिंसा हुई तो मुस्लिम संगठन होंगे जिम्मेदार’ आलोक कुमार ने कहा कि हाल के दिनों में बारावफात और उसके बाद हुई हिंसा से यह साफ है कि ऐसे आंदोलनों की आड़ में अराजकता और तोड़फोड़ की संभावना बनी रहती है. वीएचपी ने चेतावनी दी कि यदि 3 अक्टूबर को बुलाए गए बंद और प्रदर्शनों में हिंसा हुई तो इसकी जिम्मेदारी पूरी तरह मुस्लिम संगठनों की होगी. वीएचपी की मांग है कि आंदोलन कानून के दायरे और पूरी तरह शांतिपूर्ण हो. केंद्र और राज्य सरकारों को पहले से तैयारी करनी चाहिए ताकि किसी भी तरह की अव्यवस्था न फैले. साथ ही समाज से भी अपील की गई कि आत्मरक्षा और सतर्कता के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं. वीएचपी अध्यक्ष ने विपक्ष पर भी निशाना साधा और कहा कि बड़े संवैधानिक पदों पर बैठे नेता युवाओं को नेपाल और श्रीलंका जैसी अराजकता की राह पर धकेलने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है भारत में ऐसी स्थिति नहीं बनेगी. वीएचपी ने साफ किया कि आंदोलन लोकतांत्रिक अधिकार है, लेकिन उसकी आड़ में देश की शांति भंग करने की अनुमति किसी को नहीं दी जाएगी. सरकार, समाज और कानून व्यवस्था मिलकर किसी भी असामाजिक तत्व के इरादों को नाकाम करेंगे. शहबाज शरीफ को हिंदुत्व वाले बयान पर लताड़ा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ द्वारा संयुक्त राष्ट्र में हिंदुत्व को लेकर दिए बयान पर वीएचपी ने तीखी प्रतिक्रिया दी. आलोक कुमार ने कहा कि हिंदू कभी अतिवादी नहीं हो सकता, क्योंकि उसकी प्रार्थना ही सबके कल्याण और शांति की होती है. हिंदूफोबिया फैलाने की कोशिश पहले भारत में और अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर की जा रही है, लेकिन सच यह है कि हिंदू हिंसक नहीं, बल्कि शांतिप्रिय है और यह सच्चाई दुनिया जानती है.

हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: तिरुनेलवेली में 1100 एकड़ जमीन अब वक्फ प्रॉपर्टी नहीं

तिरुनेलवेली तमिलनाडु के तिरुनेलवेली में एक मस्‍जि‍द गांव की 1,100 एकड़ जमीन पर दावा ठोक रही थी. कह रही थी क‍ि यह वक्‍फ प्रॉपर्टी है और इसे सिर्फ मुस्‍ल‍िम धर्म के कार्यों में इस्‍तेमाल क‍िया जाना चाह‍िए. मामला हाईकोर्ट पहुंचा तो मद्रास हाईकोर्ट ने एक झटके में खार‍िज कर द‍िया. साफ कहा क‍ि वक्‍फ प्रॉपर्टी सिर्फ 2.34 एकड़ जमीन है, जो 1712 में मदुराई सामस्थानम के तत्कालीन शासक ने दान की थी. कांस्य पत्रक पर इसके सबूत हैं, लेकिन बाकी जमीन बिल्‍कुल मस्‍ज‍िद की नहीं है. इस मामले में मस्जिद ने दावा किया था कि यह विशाल क्षेत्र वक्फ संपत्ति में आता है और इसका उपयोग धार्मिक और सामाजिक उद्देश्यों के लिए होना चाहिए. मस्जिद की ओर से यह तर्क दिया गया था कि पूरे 1,100 एकड़ क्षेत्र पर उनके धार्मिक अधिकार हैं. इसके विपरीत, जमीन पर अधिकार रखने वाले अन्य पक्षों ने इसे विवादित बताया और अदालत में चुनौती दी. मद्रास हाईकोर्ट ने मामले की गहन सुनवाई के बाद इतिहास और दस्तावेजों को आधार मानते हुए निर्णय दिया. अदालत ने कहा कि जब इतिहास कांस्य पत्रों में बोलता है, तो झूठे दावे स्वतः ही पिघल जाते हैं. 1712 का कांस्य पत्रक स्पष्ट रूप से दिखाता है कि केवल 2.34 एकड़ जमीन का ही मस्जिद को अधिकार है और बाकी भूमि किसी अन्य पक्ष की है या सार्वजनिक उपयोग के लिए सुरक्षित रखी गई थी. मस्‍ज‍िद के ल‍िए झटका अदालत ने इस फैसले में यह भी दिखाया कि वक्फ संपत्ति की वास्तविकता और इसके कानूनी दावे को इतिहास और प्रमाण पत्रों के आधार पर ही तय किया जाना चाहिए. इस प्रकार, बड़े दावे और आरोपों के बावजूद न्यायालय ने ऐतिहासिक दस्तावेजों को सर्वोच्च माना. मस्जिद के लिए यह फैसला एक झटका है, क्योंकि उसका दावा जमीन के बड़े हिस्से पर था. अब मस्जिद केवल उसी जमीन का उपयोग कर सकती है, जो 1712 में दिये गए मण्यम के तहत प्रमाणित है. अदालत के फैसले से यह भी संदेश गया कि धार्मिक संस्थाओं द्वारा किए गए वक्फ दावे कानूनी और ऐतिहासिक दस्तावेजों के आधार पर ही मान्य होंगे. प्रमाणों के आगे नहीं ट‍िक पाया विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला वक्फ संपत्ति और ऐतिहासिक दस्तावेजों के महत्व को उजागर करता है. यह दिखाता है कि लंबे समय से किए जा रहे दावे भी कानूनी प्रक्रिया और प्रमाणों के सामने टिक नहीं पाते. इस फैसले के बाद तिरुनेलवेली जिले में भूमि विवादों पर भी प्रभाव पड़ सकता है. अन्य वक्फ संस्थाओं और धार्मिक संगठनों को यह संकेत मिलेगा कि उनके दावे के लिए ऐतिहासिक प्रमाण और कानूनी दस्तावेज अनिवार्य हैं. झूठे दावे सच नहीं हो जाते मद्रास हाईकोर्ट का यह फैसला वक्फ संपत्ति के मामलों में इतिहास और दस्तावेजों की अहमियत को रेखांकित करता है और भविष्य में ऐसे मामलों में न्यायालय के दृष्टिकोण का मार्गदर्शन कर सकता है. अदालत ने कहा कि झूठे दावे और अतिशयोक्ति की कोई जगह नहीं है, और प्रमाणों के आधार पर ही निर्णय लिया जाएगा। यह निर्णय धार्मिक संस्थाओं के लिए एक चेतावनी भी है कि वे अपने दावों में ईमानदारी और सटीकता दिखाएं.

SC के फैसले पर BJP की प्रतिक्रिया: मंत्री विश्वास सारंग ने कहा, वक्फ संपत्तियों से हटेगा अवैध कब्जा

भोपाल  भारत की सर्वोच्च अदालत ने यानि सुप्रीम कोर्ट ने आज वक्फ़ बोर्फ संशोधन अधिनियम 2025 पर अपना निर्णय सुना दिया, कोर्ट ने वक्फ़ कानून से जुडी कुछ धाराओं पर रोक लगा दी है लेकिन पूरे कानून पर रोक नहीं लगाई, सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भाजपा ने स्वागत किया है, मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री विश्वास सारंग ने कहा अब वक्फ संपत्तियों पर हुए कब्जे हटेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने ये कहा फैसले में  CJI बीआर गवई की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि वक्फ संपत्तियों को लेकर कलेक्टर के अधिकारों पर सुप्रीम  कलेक्टर का फैसला अंतिम फैसला नहीं होगा, इसके साथ ही सर्वोच्च अदालत ने वक्फ़ संशोधन अधिनियम 2025 की उस प्रावधान पर रोक लगा दी है, जिसमें वक्फ़ बनाने के लिए किसी व्यक्ति का 5 वर्षों तक इस्लाम का अनुयायी होना आवश्यक बताया गया था। अदालत ने कहा कि यह रोक तब तक लागू रहेगी जब तक राज्य सरकारें यह निर्धारित करने के लिए नियम नहीं बना लेतीं कि कोई व्यक्ति इस्लाम का अनुयायी है या नहीं। सुप्रीम कोर्ट का फैसला सकारात्मक परिणाम देगा  सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर मध्य प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि ये फैसला निश्चित रूप से सकारात्मक परिणाम देगा,  उन्होंने कहा वक्फ संपत्तियों पर चंद लोगों ने बेजा कब्जा कर रखा था l वक्फ संपत्ति का उपयोग उन लोगों के लिए होना चाहिए जिन्हें इन संपत्तियों के माध्यम से सहायता की जरूरत है। कुछ मुस्लिम नेताओं ने मारा गरीबों का हक़  उन्होंने कहा गरीब लावारिस बच्चों को पनाह देना, शिक्षा देना इसके लिएय वक्फ़ संपत्तियों का इस्तेमाल होना चाहिए लेकिन चंद मुस्लिम नेताओं ने अपने बच्चों के ऐशो आराम के लिए इन संपत्तियों का इस्तेमाल किया था, अब जब कानून वक्फ कानून तो उनके पेट में दर्द हुआ था। वक्फ़ संपत्तियों से हटेगा बेजा कब्ज़ा  आज सुप्रीम कोर्ट ने गलत मंतव्य से लगाई गई याचिकाओं को आज सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है उसने कहा जो कानून बना है उस पर रोक नहीं  सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद वक्फ संपत्तियों पर लोगों ने अपने वुँक्तिगत हित साधने के लिए बेजा कब्ज़ा किया था अब वो हटेगा।