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फिर एक्टिव हुआ भोपाल प्रशासन, भीख मांगने वालों को SDM-DSP ने क्या समझाया?

भोपाल
 मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में भीख मांगना और देना दोनों अपराध हैं। 3 फरवरी 2025 को कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने इसके आदेश जारी किए थे। इन आदेशों के बाद एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए गए थे। पहले तो कुछ दिनों तक प्रशासन खूब मुस्तैद दिखा था, लेकिन बाद में कार्रवाई ठंडे बस्ते में चली गई। अब कुछ महीने बाद फिर जिला प्रशासन भीख मांगने वालों पर कड़ाई करते दिख रहा है।

भिक्षा मांगने वालो पर एक्शन लेने के लिए अफसर भोपाल की सड़कों पर उतरे। अफसरों ने व्यापमं चौराहे पर कार्रवाई की। यहां कई लोगों को भिक्षावृत्ति करने से रोका। वहीं, गुटखा-पाउच बेचते हुए महिला को रोका। कलेक्टोरेट में बैठक होने के बाद एमपी नगर एसडीएम एलके खरे और एसीपी मनीष भारद्वाज पुलिस बल के साथ अलग-अलग इलाकों में सख्ती बरतते दिखाई दिए।

यह है आदेश
आपको बता दें कि कलेक्टर ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 163 के तहत आदेश जारी किया था। साथ ही भिखारियों के लिए कोलार के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में रहने-खाने की व्यवस्था की गई है। भोपाल में एक भिखारी पर 26 जनवरी की रात एफआईआर दर्ज हुई थी। एमपी नगर थाने में यह मामला दर्ज हुआ था। इससे पहले इंदौर में भी ऐसा ही आदेश लागू किया गया था।

भीख न देने पर बदतमीजी
दरअसल, एक नागरिक ने भीख न देने पर भिखारी द्वारा की गई बदतमीजी की शिकायत की थी। पुलिस ने भिखारी को पकड़ा और पूछताछ की। जमानती धारा होने के कारण उसे नोटिस देकर छोड़ दिया गया। इस घटना के बाद प्रशासन ने सख्त कदम उठाते हुए भीख मांगने और देने पर प्रतिबंध लगा दिया है।

भिक्षावृत्ति करने वालों के लिए पुनर्वास
भिखारियों के पुनर्वास के लिए भी व्यवस्था की गई है। कोलार स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को भिक्षुक गृह बनाया गया है। यहां भिखारियों के रहने, खाने-पीने की व्यवस्था होगी। उन्हें यहां आश्रय दिया जाएगा। प्रशासन का मानना है कि इससे भिखारियों को भीख मांगने की जरूरत नहीं पड़ेगी। वे एक सम्मानजनक जीवन जी सकेंगे। यह कदम शहर की सुंदरता और सुरक्षा दोनों के लिए जरूरी है। इससे नागरिकों को भीख मांगने वालों से होने वाली परेशानी से भी निजात मिलेगी।

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