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लाल फीताशाही के जाल में फंसी वीर सौरभ गर्ग की स्मृति, HHRC ने उठाया सवाल

हरियाणा
हरियाणा मानव अधिकार आयोग ने जींद के पिल्लुखेड़ा के शहीद सौरभ गर्ग को सम्मान दिलाने में हुई देरी को गंभीर प्रशासनिक लापरवाही करार दिया है। आयोग ने शुक्रवार को सुनवाई के बाद मुख्य सचिव हरियाणा को छह सप्ताह के भीतर रिपोर्ट देने और जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय करने के निर्देश दिए हैं।

8 दिसंबर, 2012 को सर्द सुबह पिल्लुखेड़ा में गैस सिलेंडर रिसाव से लगी आग में फंसे 11 लोगों की जान बचाते हुए सौरभ गर्ग ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे। पड़ोसी होने के बावजूद उन्होंने सीढ़ी लगाकर सभी महिलाओं और बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला। जब सभी सुरक्षित हो गए तभी सिलेंडर में विस्फोट हुआ और सौरभ लपटों में समा गए। आयोग ने इस बलिदान को मानवता के सर्वोच्च आदर्श का प्रतीक बताया।

शौर्य की इस घटना की संस्तुति उपायुक्त जींद ने एक सप्ताह में ही गृह विभाग को भेज दी थी। इसके बाद 2012 से 2024 तक कई पत्राचार हुए। विधानसभा में शोक प्रस्ताव और प्रधानमंत्री कार्यालय के पत्र तक भेजे गए। लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के चलते नामांकन समय पर आगे नहीं बढ़ा। परिणामस्वरूप सौरभ राष्ट्रीय जीवन रक्षा पुरस्कार से वंचित रह गए।

आयोग की कड़ी टिप्पणी
आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) ललित बत्रा की पीठ ने कहा, ‘यह देरी पूरी तरह प्रशासनिक लापरवाही और उदासीनता का परिणाम है। इससे परिवार और समाज दोनों के साथ अन्याय हुआ।’ आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि केवल 5 लाख की आर्थिक सहायता बलिदान के सम्मान का विकल्प नहीं हो सकती।

सरकार को दिए ये निर्देश
    मुख्य सचिव छह सप्ताह में देरी की जिम्मेदारी तय करें।
    गृह मंत्रालय से विशेष छूट लेकर राष्ट्रीय पुरस्कार हेतु नाम भेजा जाए।
    राज्य सरकार अपने स्तर पर सौरभ गर्ग को साहसिक पुरस्कार देने पर विचार करे।
    मुख्यमंत्री स्वयं संज्ञान लेकर सर्वोच्च स्तर पर कार्रवाई सुनिश्चित करें।

स्मारक रखरखाव पर भी फटकार
शिकायतकर्ता पिता चंद्रभान ने आयोग को बताया कि शहीद सौरभ गर्ग स्मारक की देखरेख नहीं हो रही। इस पर आयोग ने मार्केट कमेटी पिल्लुखेड़ा को सफाई, लाइटिंग, बागवानी, पानी की सुविधा, बेंच और नियमित निरीक्षण की व्यवस्था करने के आदेश दिए। आयोग ने कहा कि सौरभ गर्ग का बलिदान केवल उनके परिवार के लिए ही नहीं बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणास्रोत है। उनका संदेश है कि साहस, मानवता और निस्वार्थ सेवा कभी अनदेखी नहीं की जानी चाहिए।

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