samacharsecretary.com

प्रदेश के विश्वविद्यालयों से देश भर में गुंजायमान होगा भाषाई एकात्मता का संदेश

भोपाल  
उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं आयुष मंत्री श्री इंदर सिंह परमार ने कहा है कि भारतीय ज्ञान परम्परा में पुस्तकालय सदैव ही समृद्ध रहे हैं। नालंदा विश्वविद्यालय में विश्व का सबसे विशाल पुस्तकालय था और तब भारत विश्व गुरु की संज्ञा से सुशोभित था। विश्व भर के लोग हमारे यहां शिक्षा ग्रहण करने आते थे। भारत का ज्ञान सार्वभौमिक था। हमारी संस्कृति में ज्ञान का दस्तावेजीकरण नहीं था। हमारे पूर्वजों ने शोध एवं अध्ययन कर ज्ञान को परंपरा के रूप में समाजव्यापी बनाया। अतीत के विभिन्न कालखंडों में योजनाबद् तरीके से हमारे ज्ञान को दूषित करने का कुत्सित प्रयास किया गया। भारतीय समाज में विद्यमान परंपरागत ज्ञान को पुनः शोध एवं अनुसंधान के साथ वैज्ञानिक दृष्टिकोण के सापेक्ष युगानुकुल परिप्रेक्ष्य में दस्तावेजीकरण से समृद्ध करने की आवश्यकता है। पुस्तकालय मानवता, नवाचार और राष्ट्रीय चरित्र निर्माण के मूल आधार हैं। भारतीय दृष्टिकोण से समृद्ध साहित्य से समस्त पुस्तकालयों को समृद्ध करने की आवश्यकता है। यह बात मंत्री श्री परमार ने शुक्रवार को भोपाल स्थित राष्ट्रीय विधि संस्थान विश्वविद्यालय (एनएलआईयू) में संस्थान के केंद्रीय पुस्तकालय ज्ञान मंदिर के तत्वावधान में "विकसित भारत के पुस्तकालयों की पुनर्कल्पना" विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन "ज्ञानोत्सव-2025" में कही।

मंत्री श्री परमार ने कहा कि भारत में हर क्षेत्र हर विषय में व्यापक ज्ञान था और भारत हर क्षेत्र में विश्वमंच पर अग्रणी एवं समृद्ध था। भारत की धरोहर इस परंपरागत ज्ञान को भारत के सापेक्ष भारतीय दृष्टि से संजोने एवं सहेजने की आवश्यकता है। पुस्तकालयों को भारतीय दृष्टि से समृद्ध साहित्य से समृद्ध बनाना होगा, समृद्ध पुस्तकालयों से विकसित एवं समृद्ध राष्ट्र का बौद्धिक सृजन होगा। मंत्री श्री परमार ने कहा कि भारत की गृहणियों की रसोई में कोई तराजू नहीं होता है, गृहणियों को भोजन निर्माण के लिए किसी संस्थान में अध्ययन करने की आवश्यकता नहीं होती है। भारतीय गृहणियों में रसोई प्रबंधन का उत्कृष्ट कौशल, नैसर्गिक एवं पारम्परिक रूप से विद्यमान है। भारत की रसोई विश्वमंच पर प्रबंधन का उत्कृष्ट आदर्श एवं श्रेष्ठ उदाहरण है। भारतीय समाज में ऐसे असंख्य संदर्भ, परम्परा के रूप में प्रचलन में हैं, उनमें वर्तमान परिदृश्य अनुरूप शोध एवं अनुसंधान के साथ समृद्ध करने की आवश्यकता है। मंत्री श्री परमार ने भारतीय ज्ञान परम्परा के आलोक में अभियांत्रिकी, तकनीकी, चिकित्सा सहित हर क्षेत्र, हर विषय में सदियों से विद्यमान वैज्ञानिक दृष्टिकोण आधारित भारतीय परम्परागत ज्ञान के अनेकों उदाहरण प्रस्तुत किए।

मंत्री श्री परमार ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 ने भारतीय ज्ञान परम्परा पर पुनर्चिंतन का महत्वपूर्ण अवसर प्रदान किया है। श्री परमार ने भारतीय पुरातन न्याय प्रणाली के संदर्भ में कहा कि हमारा समाज उन कालखंडों में स्वयं अनुशासित रहने वाला समाज था। उस समय किसी के घर में ताले नहीं लगाए जाते थे, समाज स्वयं नैतिक मूल्यों की अवधारणा को आत्मसात करता था। मंत्री श्री परमार ने न्यायिक प्रणाली के परिप्रेक्ष्य में भारतीय ज्ञान परम्परा की आवश्यकता एवं महत्ता पर भी बल दिया। मंत्री श्री परमार ने कहा कि देश के हृदय प्रदेश की संज्ञा से सुशोभित हिंदी भाषी मध्यप्रदेश ने भारत की अनेकता में एकता की संस्कृति को चरितार्थ करते हुए एक नई पहल की है। प्रदेश के विश्वविद्यालयों में देश की सभी प्रमुख भाषा जैसे कन्नड़, तमिल, तेलगु, बांग्ला, असमिया आदि भारतीय भाषाएं सिखाई जाएंगी। इससे प्रदेश के विश्वविद्यालयों से पूरे देश में भाषाई सौहार्दता का संदेश जाएगा। मंत्री श्री परमार ने कहा कि भाषाएं जोड़ने का काम करती हैं, तोड़ने का नहीं, यह व्यापक संदेश प्रदेश के उच्च शैक्षणिक संस्थानों से देश भर में गुंजायमान होगा। हमारा यह नवाचार देश भर में "भाषाई एकात्मता" का संदेश देगा।

मंत्री श्री परमार ने कहा कि कृतज्ञता का भाव भारतीय संस्कृति एवं विरासत है। हमारे पूर्वज सूर्य सहित समस्त प्राकृतिक ऊर्जा स्रोतों के प्रति कृतज्ञता का भाव रखते थे। पूर्वजों के ज्ञान के आधार पर स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष-2047 तक भारत सौर ऊर्जा के माध्यम से ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होकर अन्य देशों की पूर्ति करने में समर्थ देश बनेगा। साथ ही वर्ष-2047 तक खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होकर अन्य देशों का भरण-पोषण करने में भी सामर्थ्यवान देश बनेगा। हम सभी की सहभागिता से अपने पूर्वजों के ज्ञान के आधार पर पुनः विश्वमंच पर सिरमौर राष्ट्र का पुनर्निर्माण होगा। मंत्री श्री परमार ने संस्थान के कुलगुरु एवं पुस्तकालयाध्यक्ष के साझे प्रयासों से संपादित "लाइब्रेरीज इन विकसित भारत : ब्रिजिंग ट्रेडिशन, टेक्नोलॉजी एंड ट्रांसफॉर्मेशन" पुस्तक का विमोचन भी किया। मंत्री श्री परमार ने संस्थान के कुलगुरु एवं विधि विभाग के प्राध्यापक द्वारा रचित पुस्तक "प्रोटेक्शन ऑफ इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स इन साइबर स्पेस" का भी अनावरण किया। संस्थान की समाचार पत्रिका के नवीन संस्करण का भी विमोचन किया, यह संस्करण "ऑपरेशन सिंदूर" में भारतीय सेना के शौर्य पर आधारित है।
 

Leave a Comment

हम भारत के लोग
"हम भारत के लोग" यह वाक्यांश भारत के संविधान की प्रस्तावना का पहला वाक्य है, जो यह दर्शाता है कि संविधान भारत के लोगों द्वारा बनाया गया है और उनकी शक्ति का स्रोत है. यह वाक्यांश भारत की संप्रभुता, लोकतंत्र और लोगों की भूमिका को उजागर करता है.
Click Here
जिम्मेदार कौन
Lorem ipsum dolor sit amet consectetur adipiscing elit dolor
Click Here
Slide 3 Heading
Lorem ipsum dolor sit amet consectetur adipiscing elit dolor
Click Here