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भारतीय ज्ञान परपंरा का उपयोग कर बढ़ाएं बच्चों की बौद्धिक क्षमता : राज्यपाल बागडे

जयपुर,

 राज्यपाल एवं कुलाधिपति हरिभाऊ बागडे ने कहा कि भारत ज्ञान की दृष्टि से सर्वाधिक समृद्ध है। वैज्ञानिकों, प्रोफेसर्स को चाहिए कि वे भारतीय ज्ञान परंपरा का शोध-अनुसंधानों में उपयोग करते हुए बच्चों की बौद्धिक क्षमता बढ़ाने पर ध्यान दें।    

राज्यपाल बागडे उदयपुर में शुक्रवार को महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में विश्वविद्यालय के अधिकारियों, विभागाध्यक्षों, संबद्ध महाविद्यालयों के अधिष्ठाताओं की बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने विश्वविद्यालय के अकादमिक ढांचे, नामांकन की स्थिति, छात्रवृत्ति योजनाओं से लाभान्वित विद्यार्थियों, परीक्षा व्यवस्था, वित्तीय स्थिति, स्वीकृत एवं रिक्त पदों की स्थिति, रॉस्टर प्रणाली, विश्वविद्यालय की उपलब्ध एवं बिल्टअप भूमि आदि के बारे में विस्तृत जानकारी लेते हुए आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।    

उन्होंने कहा कि भारत आदिकाल से ज्ञान का कोष रहा है। उन्होंने भारद्वाज ऋषि सहित अन्य का उदाहरण देते हुए उनके लिखे ग्रंथों का उल्लेख किया। उन्होंने ऐसी पुस्तकों को विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में रखने तथा उनका अध्ययन करने तथा अनुसंधान करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि इससे युवा पीढ़ी में देश के प्रति प्रेम और सम्मान का भाव बढ़ेगा। राज्यपाल ने कहा कि भारत में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है। अमेरिका सहित पूरा विश्व भारतीय टेलेन्ट पर निर्भर है। यही वजह है कि 1998 के परमाणु परीक्षण के बाद अमेरिका की ओर से लगाए गए प्रतिबंधों के बावजूद भारत पर अधिक प्रभाव नहीं पड़ा और वर्तमान में चल रहे हालातों में भी भारत मजबूती से खड़ा है।    

श्री बागडे ने विश्वविद्यालय की ओर से गोद लिए गए गांवों में संचालित गतिविधियों की जानकारी ली। उन्होंने कहा कि गोद लिए गांवों में स्वच्छता आदि गतिविधियां चलाना ही पर्याप्त नहीं हैं। वहां का समूचा वातावरण बदलना चाहिए। इन गांवों में महाविद्यालयों के विद्यार्थियों, सेवानिवृत्त अधिकारियों-शिक्षकों, कार्मिकों आदि को जोड़ते हुए प्राथमिक कक्षाओं के बच्चों को कहानी-प्रेरक किस्सों आदि के माध्यम से शिक्षित-दीक्षित करने की दिशा में काम किया जाना चाहिए, ताकि उनकी नींव मजबूत हो और वे जिम्मेदार नागरिक बन सकें। इसी से गांव का परिदृश्य बदलेगा। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति भी पूर्व प्राथमिक एवं प्राथमिक स्तर पर बच्चों को अपने लोकल परिवेश के साथ जोड़ते हुए पढ़ाने की पक्षधर है।

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