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MSME क्षेत्र के लिए वैकल्पिक वित्तीय स्रोतों पर केंद्रित कार्यशाला का आयोजन सफलतापूर्वक सम्पन्न

धमतरी 

छत्तीसगढ़ के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को पारंपरिक बैंकिंग साधनों से आगे बढ़कर वैकल्पिक वित्तीय स्रोतों से सहायता प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से रेजिंग एंड एक्सेलरेटिंग एमएसएमई परफॉर्मेंस आरएएमपी योजना के तहत ’’वैकल्पिक वित्तपोषण” पर आज एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। यह कार्यशाला सुबह 10 से दोपहर दो बजे तक जिंजर लीफ रेस्टोरेंट रुद्री में आयोजित की गई। जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र के महाप्रबंधक ने बताया कि यह योजना भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय तथा विश्व बैंक द्वारा संयुक्त रूप से वित्तपोषित है।

इसका उद्देश्य एमएसएमई क्षेत्र को सशक्त बनाना, वित्तीय पहुंच को आसान करना तथा उन्हें प्रतिस्पर्धी एवं सतत् विकास की दिशा में आगे बढ़ाना है। कार्यशाला श्री योगेश कुमार द्वारा प्रतिभागियों आरएएमपी योजना की जानकारी दी गई। इसके बाद ब्रांच ऑफिस इन-चार्ज सिडबी रायपुर के श्री अमित खरे ने सिडबी के माध्यम से एमएसएमई को उपलब्ध विभिन्न वित्तीय सहायता योजनाओं की विस्तृत जानकारी साझा की। वहीं एनएसई श्री उर्मिल ने एनएसई इमर्ज में सूचीकरण की प्रक्रिया, आवश्यक दस्तावेज, पात्रता मानदंड और इससे मिलने वाले लाभों पर प्रस्तुति दी।

          कार्यशाला में इनवॉसमार्ट के श्री निखिल ने बिल डिस्काउंटिंग और ट्रेड्स प्लेटफॉर्म के संचालन एवं लाभों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ट्रेड्स प्लेटफॉर्म विलंबित भुगतानों की समस्या के समाधान, समयबद्ध भुगतान सुनिश्चित करने और एमएसएमई के नकदी प्रवाह में सुधार के लिए एक प्रभावी माध्यम है। इस कार्यशाला में जिला व्यापार उद्योग केंद्र के प्रबंधक श्री प्रशांत चंद्राकर, अग्रणी बैंक प्रबंधक श्री इंद्र कुमार टिलवानी, राइस मिलर्स एसोसिएशन के श्री मोहन गोलछा, कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन के श्री संतोष शाह, सीए श्री अभिषेक पारख सहित जिले के 40 से अधिक सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमियों, राइस मिलर्स, महिला उद्यमियों एवं चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ने हिस्सा लिया। कार्यशाला के अंत में प्रतिभागियों ने विषय की उपयोगिता पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी और ऐसी कार्यशालाओं को निरंतर आयोजित करने की मांग की। यह कार्यशाला एमएसएमई के लिए पूंजी बाजार में प्रवेश, वैकल्पिक वित्त स्रोतों की समझ और वित्तीय सशक्तिकरण की दिशा में एक सार्थक पहल सिद्ध हुई।

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